No: F 11-11/2013/1-10 Dated: Nov, 17 2022

लोकायुक्‍त संगठन की विशेष पुलिस स्‍थापना एवं आर्थिक अपराध प्रकोष्‍ठ द्वारा ट्रेप एवं छापे के प्रकरणों में समानांतर जांच नहीं करने बाबत्

संदर्भः- सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 11-11/2013/1-10, दिनांक 30/07/2013 

विषयांतर्गत, संदर्भित पत्र के द्वारा विभाग द्वारा पूर्व में निम्नानुसार निर्देश जारी किये गये थे:- 

"लोकायुक्त संगठन एवं आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा डाले गये छापे अथवा ट्रेप के प्रकरणों में विवेचना के दौरान विभाग स्तर पर समानांतर जांच की कार्यवाही न की जाये। लोकायुक्त संगठन एवं आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा की गई विवेचना उपरांत जांच एजेन्सी द्वारा की गई अनुशंसा अनुसार ही विभाग द्वारा कार्यवाही की जाये।" 

2. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के स्टेट ऑफ राजस्थान विरूद्ध एवं अन्य (1999) 6 एस. एस. सी. 417 के आदेश में उल्लेखित "Hon'ble Supreme Court in State of Rajasthan Vs. B.K. Meena & Ors. (1999) 6 SCC 417 emphasised the need for initiating departmental proceedings and stated as below: 

"It must be remembered that interests of administration demand that the undesirable elements are thrown out and any charge of misdemeanour is enquired into promptly. The disciplinary proceedings are meant really to punish the guilty but to keep the administrative machinery unsullied by getting rid of bad elements. The interest of the delinquent officer also lies in a prompt conclusion of the disciplinary proceedings. If he is not guilty of the charges, his honour should be vindicated at the earliest possible moment and if he is guilty, he should be dealt with promptly according to law. It is not also in the interest of administration that persons accused of serious misdemeanours should be continued in office indefinitely, i.e, for long periods awaiting the result of criminal proceedings." का संदर्भ देते हुये अभिमत दिया है कि समान तथ्यों तथा साक्ष्य के आधार पर अपचारी कर्मचारियों के विरूद्ध आपराधिक मामलें की कार्यवाही तथा विभागीय कार्यवाही साथ-साथ चल सकती है। 

3. अत: सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय तथा विधि एवं विधायी कार्य विभाग के अभिमत के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग के उपरोक्त संदर्भित परिपत्र को निरस्त किया जाता है।

 

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