No: एफ 16-14/2013/सात/शा.2ए Dated: May, 30 2013

निजी पूंजी निवेश के मामलों में सरकारी दखल रहित भूमि के आवंटन के लिए नीति

राज्य सरकार, एतद्द्वारा राजस्व पुस्तक परिपत्र खण्ड चार क्रमांक 1 के अंतर्गत चहुँमुखी विकास के लिए निजी पूँजी निवेश के मामलों में सरकारी दखल रहित भूमि के आवंटन के लिए नीति जारी करती है :-

1. राज्य सरकार द्वारा निर्णय किया गया है कि प्रदेश के चहुँमुखी विकास के लिए औद्योगिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास आदि क्षेत्रों में निजी पूँजी निवेश को आकर्षित कर प्रदेश में अधोसंरचना विकास के साथ-साथ रोजगार के वृहद् अवसर उपलब्ध कराने हेतु सभी क्षेत्रों में कार्य किया जाना आवश्यक है। निजी पूँजी निवेश को आकर्षित करने के लिए निरन्तर राज्य सरकार विभिन्न माध्यमों से प्रयासरत् है। यह अनुभव किया जा रहा है कि निजी पूँजी निवेश के माध्यम से राज्य के विकास को गति प्रदान करने के लिए राज्य सरकार की ओर से निवेशकों को किंचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाना आवश्यक है। ऐसी सुविधाओं में सबसे महत्वपूर्ण और मूलभूत सुविधा आवेदक/ निवेशक / उद्यमी कम्पनी / उद्योग (जिन्हें इसमें इसके आगे निवेशक कहा गया है) को उनके लिए न्यूनतम आवश्यक शासकीय भूमि है।

2. पूँजी निवेश में आने वाले निवेशक के लिए भूमि की आवश्यकता प्रमुख होती है। भूमि की यह आवश्यकता संस्पर्शी (contiguous) एवं एकचक (in one piece) की रहती है। उपरोक्त एकचक में कई बार आवश्यकता के अनुरूप सरकारी भूमि स्थित होने से बंटन की आवश्यकता हो जाती है। अतः राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम आवश्यक सरकारी भूमि उपलब्ध कराए जाने के लिए एक नीति आवश्यक है।

3. (1) राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा निजी पूँजी निवेश आकर्षित करने के लिए समय-समय पर विभागीय नीतियां जारी की गयी हैं, उद्योग संवर्धन नीति, पर्यटन नीति, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास नीति, भण्डारण एवं लॉजिस्टिक नीति, सूचना प्रौद्योगिकी निवेश नीति, कृषि व्यापार तथा खाद्य प्रसंस्करण नीति, ऊर्जा नीति, गैर पारम्परिक ऊर्जा नीति, हेल्थ केयर पॉलिसी आदि। इन नीतियों के सफल कियान्वयन के लिये निवेशकों की प्रस्तावित परियोजना के लिए आवश्यक न्यूनतम भूमि की उपलब्धता अनिवार्य होती है। राज्य की विभिन्न विभागों की नीतियों में निवेशकों को न्यूनतम आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने तथा भूमि आबंटन के मामलों में दी जाने वाली सुविधाओं का उल्लेख किया गया है।

3. ( 2 ) राज्य की तत्समय प्रभावशील विभिन्न विभागीय नीतियों के अंतर्गत निवेशकों को भूमि आवंटन के मामलों में दी जाने वाली सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए शासकीय भूमि उपलब्ध कराने के लिए भूमि आबंटन की प्रक्रिया का निर्धारण आवश्यक है। अभी तक ऐसे मामलों में भूमि आबंटन के लिए राजस्व पुस्तक परिपत्र खंड चार क्रमांक 1 में विहित प्रक्रिया एवं विभिन्न अवसरों पर तत्संबंधी जारी किए गये परिपत्रों के माध्यम से भूमि आबंटन किया जाता रहा है। इसी क्रम में राजस्व विभाग के परिपत्र कमांक एफ. 6-53 / 2011 / सात / नजूल दिनांक 08.08.2011 द्वारा भूमि आवंटन के लिए प्रक्रिया विहित की गई। जिसके अनुसार विभिन्न विभागीय नीतियों के अंतर्गत ऐसे मामलों में राजस्व विभाग द्वारा ऐसी भूमि संबंधित विभाग को हस्तांतरित करने तथा संबंधित विभाग द्वारा निवेशक को उनकी अपनी नीति के अनुसरण में भूमि आवंटन करने की व्यवस्था की गई थी।

3. ( 3 ) राज्य सरकार द्वारा परिपत्र क्रमांक एफ 6-53 / 2011 / सात / नजूल दिनांक 08. 08.2011 को अतिष्ठित करते हुए अब यह निर्णय लिया गया है कि मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं औद्योगिक भवन प्रबंधन नियम, 2008 के अंतर्गत औद्योगिक विकास केन्द्रों के भीतर तथा बाहर वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग द्वारा और सूचना प्रौद्योगिकी पार्क (आई. टी. पार्क) में स्थित शासकीय भूमि को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 7-8 / 2012 / 56 दिनांक 23 मार्च, 2013 में विहित भूमि आबंटन की प्रक्रिया का पालन करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आवश्यक भूमि यथास्थिति वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग को तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को संबंधित विभाग द्वारा मांग किए जाने पर राजस्व पुस्तक परिपत्र खंड चार क्रमांक 1 की कंडिका 36 का पालन करते हुए हस्तांतरित की जाएगी।

3. ( 4 ) इस प्रकार मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं औद्योगिक भवन प्रबंधन नियम, 2008 के अंतर्गत औद्योगिक विकास केन्द्रों के भीतर तथा बाहर वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग द्वारा और सूचना प्रौद्योगिकी पार्क (आई.टी. पार्क) में स्थित शासकीय भूमि को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 7-8 / 2012 / 56 दिनांक 23 मार्च, 2013 के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा निवेशकों को भूमि आबंटन के मामलों को छोड़कर राज्य की विभिन्न नीतियों के अंतर्गत दी जाने वाली सुविधाओं के अनुक्रम में भूमि आबंटन के लिए इस परिपत्र के द्वारा प्रक्रिया विहित की जाती है।

4. (1) राज्य के नगरीय तथा नगरेत्तर क्षेत्रों में स्थित ऐसी समस्त दखलरहित भूमि जो किसी ग्राम में की आबादी या सेवाभूमि नहीं है या किसी भूमिस्वामी अथवा कृषक या सरकारी पट्टेदार द्वारा धारित भूमि से भिन्न है और कृषिभिन्न प्रयोजन के लिए आबंटन योग्य भूमि है, के विस्तृत विवरण आयुक्त, भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त, मध्यप्रदेश द्वारा उनके कार्यालय की वेबसाइट में प्रकाशित किये जाएंगे। इन विवरणों में भूमि की नोईयत विकास योजना (मास्टर प्लान) में उल्लेखित भूमि उपयोग यदि कोई निर्धारित है, और यदि एक से अधिक प्रयोजन के लिए भूमि का उपयोग किया जा सकता है तो सभी अनुज्ञेय उपयोग का उल्लेख भी किया जाएगा।

4. ( 2 ) इस प्रकार निवेशकों द्वारा शासकीय भूमि की उपलब्धता की जानकारी सुगमता से प्राप्त की जा सकेगी। वेबसाइट पर उपलब्ध उक्त जानकारी को इस परिपत्र के प्रयोजन के लिए 'लैण्ड बैंक' कहा जाएगा। लैण्ड बैंक में केवल आबंटन योग्य दखल रहित सरकारी भूमियां प्रदर्शित की जाएगी। लैण्ड बैंक में जिन भूमियों का आबंटन नहीं किया जा सकता, उन्हें शामिल नहीं किया जाएगा।

4. (3) आयुक्त, भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त प्रत्येक तीन माह के अन्तराल पर वेबसाइट पर प्रकाशित जानकारी को अद्यतन करते हुए प्रकाशित कराना सुनिश्चित् करेंगे। लैण्ड बैंक में प्रकाशित भूमियों में से यदि किसी भूमि के आबंटन का निर्णय लिया जाता है तो आयुक्त, भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त आबंटन आदेश की प्रति प्राप्त होने के एक माह के भीतर वेबसाइट पर प्रकाशित लैण्ड बैंक में प्रविष्टि अंकित कराएंगे।

स्पष्टीकरण - आबंटन योग्य भूमि से तात्पर्य है ऐसी भूमि जो किसी सार्वजनिक प्रयोजन के लिए आरक्षित नहीं है तथा अतिक्रमणग्रस्त नहीं है। आबंटन योग्य की श्रेणी में ऐसी भूमियां भी नहीं रखी जाएगी जिन्हें कलेक्टर द्वारा भविष्य में संभावित सार्वजनिक प्रयोजन के लिए उपयोगी मानते हुए पृथक चिन्हांकित किया है।

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