स्कीमों के पुनरीक्षित प्राक्कलन की स्वीकृति के सम्बंध में स्पष्टीकरण (Clarification)
No: 2629 Dated: Mar, 14 2023
स्कीमों के पुनरीक्षित प्राक्कलन की स्वीकृति के सम्बंध में स्पष्टीकरण (Clarification)
स्कीमों की स्वीकृति / पुनरीक्षित प्राक्कलन की स्वीकृति के संबंध में वित्त विभागीय संकल्प संख्या-3758 दिनांक 31.05.2017 की कंडिका- 5 (क) एवं 5 (ख) में प्रावधान अंकित हैं। कालांतर में उक्त कंडिका- 5 (क) में अंकित प्रावधान को वित्त विभाग विभागीय संकल्प संख्या-6439 दिनांक- 28.08.2018 की कंडिका- 6 द्वारा प्रतिस्थापित किया जा चुका है। तदनुसार वित्त विभागीय संकल्प संख्या-3758 दिनांक 31.05.2017 की कंडिका- 5 (क) एवं 5 (ख) निम्नवत् है:-
5 (क) - किसी भी स्वीकृत योजना के मूल प्राक्कलन में, 20 प्रतिशत से कम या 20 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की स्थिति में, संबंधित योजना के पुनरीक्षित प्राक्कलन के लिए पुनः प्रशासनिक स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होगी, किन्तु राशि का व्यय वित्तीय प्रावधानों का पालन कर किया जाएगा ।
5 (ख) - यदि स्वीकृत स्कीम के मूल प्राक्कलन में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि संभावित है, तो ऐसी स्कीम के पुनरीक्षित प्राक्कलन में विहित प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए, मंत्रिपरिषद् अथवा पूर्व से निर्धारित सक्षम प्राधिकार से एक स्तर ऊपर के प्राधिकार का पुनः अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा।
उक्त प्रावधान के अनुसार किसी भी स्कीम के मूल प्राक्कलन में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि की स्थिति में पुनः प्रशासनिक स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है, किन्तु मूल प्राक्कलन में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि से संबंधित पुनरीक्षित प्राक्कलन में मंत्रिपरिषद् अथवा वित्त विभागीय उक्त संकल्प की कंडिका-4 (क) में निर्धारित सक्षम प्राधिकार से एक स्तर ऊपर के प्राधिकार का पुनः अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा ।
वर्तमान में, कतिपय प्रशासी विभागों द्वारा वित्त विभाग से इस आशय का परामर्श अपेक्षित किया जा रहा है कि किसी भी स्कीम के प्रारम्भिक मूल प्राक्कलन का सक्षम प्राधिकार से अनुमोदन के उपरांत उसके अग्रतर पुनरीक्षण की आवश्यकता होने पर संबंधित स्कीम का मूल प्राक्कलन किसे माना जाना चाहिए ?
इस संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि किसी भी स्कीम में मूल प्राक्कलन एक ही होता है, जो मूल प्रशासनिक स्वीकृति है। पुनरीक्षित प्रशासनिक स्वीकृति को मूल प्रशासनिक स्वीकृति नहीं माना जाना चाहिए। किसी स्वीकृत स्कीम में जब भी अग्रतर पुनरीक्षण आवश्यक हो तो, उस स्कीम के मूल प्राक्कलन का संदर्भ सदैव संबंधित स्कीम के मूल (original) प्रशासनिक स्वीकृति का ही लिया जायेगा ।
तदनुसार किसी भी स्वीकृत स्कीम के प्रथम पुनरीक्षित प्राक्कलन, के बाद अग्रतर पुनरीक्षण (मूल प्राक्कलन से 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की स्थिति में) हेतु वित्त विभागीय संकल्प संख्या-3758 दिनांक 31.05.2017 की कंडिका- 5 (ख) के अनुरूप मंत्रिपरिषद् अथवा पूर्व से निर्धारित सक्षम प्राधिकार से एक स्तर ऊपर के प्राधिकार का पुनः अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा।