No: --- Dated: Aug, 18 2015

 

Student’s education loan not to be repaid by family in case of death

Contractors’ registration process simplified
CABINET DECISIONS

Bhopal : Tuesday, August 18, 2015, 18:07 IST

At its meeting chaired by Chief Minister Shri Shivraj Singh Chouhan here today, the cabinet took an important decision that family of student will not have to repay his/her education loan in case of his/her untimely death in accident or for any other reason. The state government and concerning bank will repay the loan and concerning family will not be responsible to repay it. In this way, at least there will be no financial burden on families having gone through trauma of child’s death. The scheme will also be applicable in cases of permanent disability.

The cabinet decided that loanee students will be connected with 2 new insurance schemes launched by the Central government for social security. Annual premium of Pradhan Mantri Suraksha Bima Yojana and Pradhan Mantri Jeevan Jyoti Yojana is Rs. 12 and Rs. 330, respectively. Generally, duration of education loan is between 7 and 10 years. On an average for 10 years, burden of only Rs. 3,420 will fall on a student. Insurance cover of Rs. 4 lakh will be given under both policies.

Banks will ensure insurance of students under existing education loan accounts as well as future cases under both the schemes. If a student dies, then after receiving claims under the insurance schemes as on date of NPA, 50 percent of remaining amount will be paid by state government to banks as subsidy. Remaining 50 percent of loan will be waived off by bank. Under the scheme, it has been provisioned that efforts would be made for payment to banks within 60 days after case is brought to state government’s notice by bank. This arrangement will be made only in the case where a student is not covered by life insurance. If bank has given life insurance cover against education loan to a student, then bank will settle loan with amount received as insurance claim. It is clearly mentioned in the provisions that this scheme will be applicable only in case of untimely death or permanent disability.

Committee to sanction loans

The state government has decided to constitute a committee headed by ACS Finance which will have representatives of concerning bank and State Level Bankers Committee as members. Commissioner Institutional Finance will be Member-Secretary of the committee. Information about such cases coming to notice of state government/bank will be immediately given to the Member-Secretary so that a meeting can be convened and decision taken. Concerning bank will make available following documents available with parents/guardian of student or self to the committee:- Photocopies of bank’s sanction letter, date and bank statement of loan account, marksheets to show educational qualification of student, permanent disability certificate and post-mortem report in case of untimely death due to accident or any other reason (if applicable).

Centralized system for contractors’ registration simplified

The cabinet approved simplification by amending centralized system for contractors’ registration. Due to it, rates will become competitive and experienced contractors will be available. Now, registration of an unregistered or contractor registered in sub categories will be done in suitable category of tender without test of experience if he meets pre-qualification terms. Works done by engineering procurement consultant (EPC) appointed by private sector, sublet, concessionaire will qualify to registered as contractor. Condition of character certificate has also been abolished. Applications for renewal will be accepted from 6 months before to one month after the date of registration with committee.

Durgesh Raikwar/Ashok Manwani

 

विद्यार्थी की आकस्मिक मृत्यु के बाद परिवार को शिक्षा ऋण लौटाने से राहत

ठेकेदारों के पंजीयन की केंद्रीकृत व्यवस्था का सरलीकरण
मंत्रि-परिषद के निर्णय

भोपाल : मंगलवार, अगस्त 18, 2015, 16:46 IST

राज्य मंत्रि-परिषद ने शिक्षा ऋण लेने वाले ऐसे परिवारों के लिए राहत का महत्वपूर्ण फैसला लिया है जिनकी संतान किसी दुर्घटना या अन्य वजह से असामयिक मृत्यु का शिकार हो जाती है। राज्य शासन और बैंक ऐसे विद्यार्थी के नाम से लिए गए ऋण की राशि अदा करेंगे और शिक्षा ऋण लौटाने का जिम्मा उस परिवार पर नहीं होगा। इस तरह राज्य के कई ऐसे परिवार जो संतान के निधन की पीड़ा उठा चुके हैं, कम से कम आर्थिक बोझ से बच जायेंगे। स्थायी अपंगता के मामलों में भी योजना लागू होगी।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि भारत सरकार की सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से शुरू की गई दो नवीन बीमा योजना में ऋण लेने वाले विद्यार्थी को जोड़ा जायेगा। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का सालाना प्रीमियम क्रमश: 12 और 330 रुपये है। सामान्य शिक्षा ऋण की अवधि 7 से 12 साल तक होती है। औसतन 10 साल के लिए किसी भी विद्यार्थी पर कुल 3,420 रुपये का भार ही आयेगा। दोनों बीमा पॉलिसी से कुल 4 लाख रुपये का बीमा कवर मिल जायेगा।

वर्तमान में प्रचलित शिक्षा ऋण खातों तथा भविष्य में स्वीकृत होने वाले शिक्षा ऋण के प्रकरणों में बैंकों द्वारा ऐसे विद्यार्थी का उक्त दोनों योजना में बीमा सुनिश्चित किया जायेगा। यदि किसी विद्यार्थी की आकस्मिक मृत्यु होती है तो बीमा योजनाओं में दावा प्राप्त होने के बाद एनपीए की दिनांक पर शेष बची राशि की 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार बैंक को अनुदान के रूप में उपलब्ध करवायेगी। शेष 50 प्रतिशत राशि बैंक माफ करेगा। योजना में प्रावधान किया गया है कि बैंक द्वारा ऐसा प्रकरण राज्य शासन के संज्ञान में लाने के लिये 60 दिवस के भीतर राशि बैंक को उपलब्ध करवाने के प्रयास किये जायेंगे। यह सुविधा सिर्फ ऐसे प्रकरणों में ही लागू होगी जहाँ विद्यार्थी का जीवन बीमा नहीं हुआ है। यदि शिक्षा ऋण के विरुद्ध बैंक द्वारा विद्यार्थी का जीवन बीमा करवाया गया है, तो ऐसे ऋण का सेटलमेंट बैंक द्वारा जीवन बीमा के दावे से प्राप्त होने वाली राशि से किया जायेगा। प्रावधानों में स्पष्ट किया गया है कि योजना सिर्फ विद्यार्थी की असामयिक मृत्यु एवं स्थायी अपंगता के प्रकरणों में ही लागू होगी।

 समिति देगी प्रकरणों को मंजूरी

योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य शासन ने अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का निर्णय लिया है। इसमें संबंधित बैंक के प्रतिनिधि तथा राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति सदस्य होंगे। आयुक्त संस्थागत वित्त समिति के सदस्य सचिव होंगे। राज्य शासन/बैंक के संज्ञान में आने वाले ऐसे प्रकरणों की सूचना समिति के सदस्य सचिव को तत्काल दी जायेगी, जिससे कि इसके पश्चात समिति की बैठक आयोजित कर निर्णय लिया जा सके। संबंधित बैंक द्वारा विद्यार्थी के पालक/अभिभावक/स्वयं के पास उपलब्ध निम्नांकित दस्तावेज समिति के समक्ष रखने के लिए उपलब्ध करवाये जायेंगे। इनमें बैंक द्वारा जारी ऋण स्वीकृति आदेश, ऋण खाते का तारीख बैंक स्टेटमेंट, विद्यार्थी की शैक्षणिक योग्यता से संबंधित मार्कशीट की छाया-प्रतियाँ, मृत्यु प्रमाण-पत्र की छाया-प्रति, विद्यार्थी की स्थायी अपंगता के प्रमाण-पत्र की छाया-प्रति और विद्यार्थी की दुर्घटना अथवा अन्य कारण से मृत्यु होने की दशा में पोस्टमार्टम की छाया-प्रति (लागू होने पर) आवश्यक होगी।

ठेकेदारों के पंजीयन की केंद्रीकृत व्यवस्था का सरलीकरण

मंत्रि-परिषद ने ठेकेदारों के पंजीयन की केंद्रीयकृत व्यवस्था में संशोधन कर सरलीकरण की अनुमति दी। इससे प्रतिस्पर्धी दरों के साथ अनुभवी काम करने वाले मिलेंगे। अब राज्य में केंद्रीकृत पंजीयन व्यवस्था में अपंजीकृत निविदाकार या निम्न श्रेणियों में पंजीकृत ठेकेदार के प्री-क्वालिफिकेशन शर्तों में सफल होने पर निविदा कार्य का पंजीयन बिना अनुभव का परीक्षण किये संबंधित निविदा के लिए उपयुक्त श्रेणी में किया जायेगा। निजी क्षेत्र, सबलेट, कन्सेसनायर द्वारा नियुक्त ईपीसी (इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेन्ट एंड कंसलटेंट) ठेकेदार के रूप में किये गये काम भी पंजीयन के लिए मान्य किए जायेंगे। साथ ही चरित्र प्रमाण-पत्र की बाध्यता भी समाप्त की गयी है। पंजीयन समाप्ति के छ: माह पूर्व से समाप्ति के एक माह बाद तक नवीनीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत किये जाने पर नवीनीकरण मान्य किया जायेगा।

दुर्गेश रायकवार/अशोक मनवानी

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