केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों के 40 लाख निवासियों को संपत्ति का मालिकाना अधिकार अथवा उसे गिरवी रखने/हस्तांतरण का अधिकार प्रदान करने/मान्यता देने के नियमन को मंजूरी दी
No: --- Dated: Oct, 23 2019
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली के अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को मालिकाना अधिकार अथवा उसे गिरवी रखने/हस्तांकतरण का अधिकार प्रदान करने/मान्यता देने के नियमनों को अपनी मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए संसद के अगले सत्र में विधेयक पेश करने की भी मंजूरी दे दी है।
दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों के निवासियों के लाभ और प्रमुख प्रभावः
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इस निर्णय से लगभग 175 वर्ग किलोमीटर में फैली अनधिकृत कालोनियों के 40 लाख से अधिक निवासियों को लाभ होगा, क्योंकि इन कालोनियों में विकास/पुनर्विकास किया जा सकेगा, जिससे स्वच्छ, सुरक्षित और स्वस्थ रहन-सहन के लिए वातावरण उपलब्ध होगा।
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अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को मालिकाना/हस्तांतरण अधिकार, बुनियादी अवसंरचना और नागरिक सुविधाओं के अभाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये प्रमुख मुद्दे इस ऐतिहासिक कदम से हल हो जाएंगे।
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मालिकाना दस्तावेजों को मान्यता दिए जाने के कदम से इन कालोनियों में संपत्ति के स्वामियों को संपत्ति के वैधानिक लेनदेन की सुविधा होगी। संपत्ति पर वैधानिक हक प्रदान करने के अलावा इस निर्णय से संपत्तिधारकों को सुरक्षित अवसंरचना में निवेश करने का प्रोत्साहन मिलेगा, जिसके कारण इन कालोनियों में रहन-सहन की स्थिति में सुधार आएगा।
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यह निर्णय 1,797 चिह्नित अनधिकृत कालोनियों पर लागू होगा, जहां निम्न आय वर्ग के लोग रहते हैं। यह निर्णय डीडीए द्वारा चिह्नित 69 समृद्ध कालोनियों पर लागू नहीं होगा, जिनमें सैनिक फार्म, महेन्द्रू एंक्लेव और अनन्त राम डेयरी शामिल हैं।
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मालिकाना हक कार्पेट एरिया/भूखंड के आकार के आधार पर मामूली शुल्क के भुगतान पर दिया जाएगा। अनधिकृत कालोनियों के आसपास के रिहायशी इलाके की उच्चतम वर्ग की कालोनियों के सर्किल रेट के मद्देनजर सरकारी जमीन पर बनी कालोनियों के संबंध में शुल्क 0.5 प्रतिशत (100 वर्गमीटर से कम), एक प्रतिशत (100-250 वर्गमीटर के लिए) और 2.5 प्रतिशत (250 वर्गमीटर से अधिक) होगा।
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निजी जमीन पर बनी कालोनियों पर शुल्क सरकारी भूमि पर लागू होने वाले शुल्क के आधे के बराबर होगा।
विवरण :
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संसद के आगामी सत्र में, केन्द्र सरकार जनरल पॉवर ऑफ एटॉर्नी (जीपीए), वसीयत, बेचने, खरीदने और कब्ज़े में लेने संबंधी समझौतों के दस्तावेजों को मान्यता देने के लिए एक विधेयक लाएगी, जिसमें इसके लिए अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को एक बार रियायत दी जाएगी।
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विधेयक में पिछले लेन-देन पर पंजीकरण शुल्क और स्टाम्प डयूटी की व्यवस्था होगी और सर्कल रेट शुल्कों से कम पर आयकर देनदारी का मुद्दा भी हल होगा।
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संपत्ति के हस्तांतरण विलेख जारी करने और पंजीकरण के लिए डीडीए सरल प्रक्रिया रखेगी।
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डीडीए अनधिकृत कालोनियों/अनधिकृत कालोनियों के कलस्टरों की रूपरेखा प्रस्तुत करेगा।
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डीडीए सभी अनधिकृत कालोनियों के लिए स्थानीय क्षेत्र योजना (एलएपी) तैयार करेगा।
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किसी प्रकार का दंड और बाहरी विकास शुल्क (ईडीसी) का प्रावधान नहीं होगा।
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जिन लोगों के पास कई प्लॉट/फ्लैट हैं, उनकी सभी संपत्तियों को मिलाकर क्षेत्र में लागू दर पर शुल्क लिया जाएगा।
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लोगों के पास यह विकल्प होगा कि वे एक वर्ष में तीन समान किस्तों में शुल्क का भुगतान करें। जो भी व्यक्ति एक किस्त में पूरी राशि का भुगतान कर रहा है, उससे तत्काल मालिकाना अधिकार मिल जाएगा। दो किस्तों का भुगतान करने पर अल्पकालीन अधिकार दे दिए जाएंगे, जिन्हें पूर्ण और अंतिम भुगतान के बाद स्थायी अधिकारों में बदला जा सकेगा।
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देर से भुगतान करने पर 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज को आकर्षित किया जाएगा।
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रिहायशी उद्देश्य के लिए हस्तांतरण विलेख निष्पादित किया जाएगा, चाहे उसका उपयोग कुछ भी हो।
पृष्ठभूमि
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2008 के वर्तमान अधिनियम के अनुसार, नियमन की समूची प्रक्रिया का समन्वय और निरीक्षण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र की सरकार (जीएनसीटीडी) द्वारा व्यापक प्रचार के जरिए किया जाएगा। अनधिकृत कालोनियों की सीमा की रूपरेखा निर्धारित करना विनियमों के अनुसार इस प्रक्रिया का शुरूआती बिंदु है। तथापि जीएनसीटीडी विनियमों के जारी होने के 11 वर्ष बाद भी इन कालोनियों की सीमाओं का निर्धारण नहीं कर सकी है और उसने इस कार्य को पूरा करने के लिए 2021 तक और समय मांगा है।
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इन अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले लोगों ने न तो सुरक्षित ढांचों में निवेश किया है और न ही सरकार मंजूर किए गए नक्शे (एलओपी) के बिना विकसित इन कालोनियों को देखते हुए कोई सामाजिक बुनियादी ढांचा सृजित कर पाई है। हालांकि मास्टर प्लान दिल्ली-2021 में प्रोत्साहन के रूप में 50 प्रतिशत अतिरिक्त फ्लोर एरिया अनुपात (एफएआर) के साथ कालोनियों को दोबारा विकसित करने की इजाजत दी गई है, अब तक कोई पुनर्वास का कार्य नहीं हुआ है, क्योंकि लोगों के पास स्वामित्व का अधिकार नहीं है।
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अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को संपत्ति का मालिकाना हक देने/मान्यता अथवा गिरवी रखने/हस्तांतरित करने का अधिकार देने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से संपत्ति के मालिकाना अधिकार प्रदान करने/मान्यता देने अथवा हस्तांतरण/उसे गिरवी रखने की प्रक्रिया की सिफारिश करने और उसके बाद एक सुनियोजित तरीके से ऐसे इलाकों के पुनर्विकास का अवसर सृजित करने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया।
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समिति की सिफारिशों और सभी साझेदारों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के आधार पर संशोधित विनियमन अधिसूचित करने और इस संबंध में संसद में एक विधेयक पेश करने के उपरोक्त प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया है।
The Union Cabinet approved the Regulations for conferring/ recognizing ownership or mortgage/ transfer rights to residents of Unauthorized Colonies (UCs) in Delhi. The Cabinet further approved bringing a Bill in the next session of Parliament to implement the proposal.
Major impact & benefit to the People living in Unauthorised Colonies in Delhi:
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The decision will benefit more than 40 lakh residents of unauthorized colonies spread over around 175 sq kms, as development/redevelopment can now take place in these colonies resulting in a clean, secure and healthy living environment.
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This landmark initiative will address major issues being faced by the residents of UCs like lack ownership/transfer rights, provision of basic infrastructure and civic amenities.
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With the recognition of property documents, the property holders in these colonies can now enter into valid property transactions. Besides providing a legitimate claim to the property, the decision will encourage property holders to invest in safe structures, thereby improving the living conditions in these colonies substantially.
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The decision is applicable to 1,797 identified UCs, which are inhabited by lower-income group society. The decision does not apply to 69 affluent colonies identified by DDA, including Sainik Farms, Mahendru Enclave and Anant Ram Dairy.
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The rights will be conferred on payment of nominal charge based on carpet area/plot size. For colonies on Government land, the charge will be 0.5% (for less than 100 sq m), 1% (for 100 - 250 sqm) and 2.5% (for greater than 250 sqm), of the circle rate of the highest category of locality of the residential area surrounding the UC.
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For colonies on private land, the charge will be half of the charge on government land.
Details:
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In the ensuing session of the Parliament, the Central Government will introduce a Bill for recognizing General Power of Attorney (GPA), Will, Agreement to Sell, Purchase and possession documents, which will be a one-time relaxation for this purpose for the residents of UCs.
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The Bill will provide for registration charge & stamp duty on the last transaction and also address the issue of income tax liability on account of less than circle rate charges.
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DDA will lay down a simplified procedure for issuing conveyance deed and registration of property.
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Boundaries of the UCs/ clusters of UCs will be delineated by DDA.
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DDA will prepare Local Area Plan (LAP) for all UCs.
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There will be no Penalty and external development charges (EDC).
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Multiple plots/flats holders will be charged on the rate applicable to area by clubbing all properties.
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Residents will have the option to pay charge in three equal instalments to be paid in a year. Any person paying the full amount in one instalment will get the ownership rights immediately. Provisional rights will be given on payment of 02 instalments, which will be converted to permanent rights after full and final payment.
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Late payment to attract simple interest @ 8% pa.
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Conveyance deed will be executed for residential purpose, irrespective of use.
Background:
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As per the existing Regulations of 2008, the entire process of regularization was to be coordinated and supervised by Government of National Capital Territory of Delhi, (GNCTD) by giving wide publicity. Delineation of the boundary of UC is the starting point of the process as per the Regulations. However, GNCTD could not delineate the boundaries of these colonies even after 11 years of issuance of the Regulations and has sought more time up to 2021 to complete this exercise.
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People living in these UCs have neither invested in safe structures nor could the Government create any social infrastructure on account of these colonies having developed without approved Layout Plan (LOP). In the absence of basic amenities, the residents of these colonies are living in uninhabitable conditions. Though the Master Plan Delhi-2021 allows for redevelopment of colonies with 50% additional Floor Area Ratio (FAR) as an incentive, no redevelopment has taken place so far as the residents do not have ownership rights.
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In order to confer/ recognize ownership or mortgage/ transfer rights to residents of UCs, a Committee, headed by the Lieutenant Governor of Delhi, was constituted, with approval of the Union Cabinet, to recommend the process for conferment/recognition of rights of ownership or transfer/mortgage of property and thereby create an opportunity for redevelopment of such areas in a planned manner.
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Based on the recommendations of the Committee and elaborate consultations with all stakeholders the above proposals to notify revised Regulations and introduce a Bill in the Parliament have been finalised.
Courtesy – Press Information Bureau, Government of India