Ratification of International Labour Organisation Convention No. 185 on the Seafarers Identity Document
No: --- Dated: Jun, 10 2015
The Union Cabinet chaired by the Prime Minister, Shri Narendra Modi today approved the Ratification of the International Labour Organisation (ILO) Convention No. 185 on the Seafarers Identity Document (SID). A biometric based seafarer's identity document will be developed, mainly, to ensure a foolproof security system to ward off the potential risk of breach of security and possible terrorist attacks. India's ratification of this Convention will benefit Indian seafarers, who may otherwise find a threat to their job opportunities, in the near future, in the global maritime sector if India doesn't ratify the Convention.
The proposed SID has provisions for bar coding of the biometrics based identity of seafarers and a centralized data base maintained in the issuing country, which can be accessed globally through an inter-operable and standard biometric template. Indian Seafarer holding SID will be able to have unrestrictive movement in foreign shores during leave, get recognition as identified seafarers in the global market and will have easy access to better job opportunities in the global maritime sector. Around 1.8 lakh seafarers will benefit from the ratification of this Convention.
The SID project is proposed to be taken up in collaboration with the Centre for Development of Advanced Computing (CDAC). The SID is proposed to be issued from the three enrolment centres (offices of the Shipping Master at Mumbai, Kolkota and Chennai). The issuance of the SID involves the collection of biometric and demographic details of seafarers, their verification and then issuance of SID to them. The total number of Indian national seafarers who will be required to be issued SIDs will be around 1.8 lakh. SIDs will also be issued to new seafarers, thereafter.
The SID project will be self-sustainable and will not entail any expenditure by the Government.
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज नाविकों के पहचान दस्तावेज (एसआईडी) सम्बन्धी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ के संधिपत्र संख्या 185 के अनुमोदन को मंजूरी दी। एक बायोमैट्रिक प्रणाली पर आधारित नाविक परिचय दस्तावेज तैयार किया जाएगा जो विदेशों में सामुद्रिक क्षेत्र में रोजगार की चाह में जाने वाले लोगों की पहचान के लिए एक पूर्ण रूप से सुरक्षित प्रणाली होगी और इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। इस संधिपत्र को भारत का अनुमोदन मिलने से विदेश जाने वाले भारतीय नागरिकों को फायदा होगा और अगर भारत इस संधिपत्र को मन्जूरी नहीं देता तो वैश्विक सामुद्रिक क्षेत्र में भारतीय नागरिकों को रोजगार के अवसरों में संभावित खतरों का सामना करना पड़ सकता था।
यह प्रस्तावित एसआईडी, बायोमैट्रिक्स आधारित पहचान पर होगा और इसके लिए जारी किए जाने वाले देश में एक केन्द्रीकृत डाटा बेस होगा जिसे विश्व में कहीं भी एक अंतरसंचालनीय और स्टैंडर्ड बायोमैट्रिक टेम्पलेट के जरिए हासिल किया जा सकेगा। इस एसआईडी कार्ड को रखने वाले भारतीय समुद्री नागरिकों को विदेशों में समुद्री क्षेत्रों में आने-जाने में किसी तरह की कोई दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा और उन्हें वैश्विक बाजार में मान्यता प्राप्त नाविक के रूप में दर्जा मिलेगा तथा समुद्री क्षेत्र में रोजगार की बेहतर संभावनाएं उनके सामने होंगी। इस संधिपत्र के अनुमोदन से लगभग 1.8 लाख नाविकों को फायदा होगा।
एसआईडी परियोजना को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग (सीडैक) के सहयोग से पूरा किया जाएगा और ये एसआईडी तीन पंजीकरण केन्द्रों (शिपिंग मास्टर कार्यालय मुम्बई, कोलकाता और चेन्नई) से जारी किए जाएंगे। इनके लिए सम्बन्धित व्यक्तियों के बारे में पूरी बायोमैट्रिक और जनसांख्यिकी संबंधी जानकारी को एकत्र किया जाना जरूरी है जिनकी पुष्टि की जाएगी और इसके बाद पात्र लोगों को ये कार्ड जारी किए जाएंगे।
यह एसआर्इडी परियोजना पर सरकार पर कोई खर्च नहीं आएगा।