कैबिनेट ने इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) को इक्विटी सहायता देने और अधिकृत पूंजी में वृद्धि करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी
No: ---- Dated: Dec, 11 2019
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आईआईएफसीएल को वित्त वर्ष 2019-20 में 5,300 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020-21 में 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त इक्विटी सहायता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह काम नियमित बजटीय सहायता के जरिये और/अथवा पुनर्पूंजीकरण बांडों को जारी करके पूरा किया जाएगा। आर्थिक मामलों का विभाग इसके समय के साथ-साथ नियमों व शर्तों को तय करेगा। कैबिनेट ने आईआईएफसीएल की अधिकृत पूंजी को 6,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25,000 करोड़ रुपये करने को भी स्वीकृति दे दी है।
प्रमुख प्रभाव :
इससे आईआईएफसीएल को उधारी के लिए अतिरिक्त गुंजाइश करने में मदद मिलेगी, जिससे यह अगले पांच वर्षों में अवसंरचना क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये निवेश करने संबंधी भारत सरकार के लक्ष्य के अनुरूप बड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के वित्त पोषण में समर्थ हो जाएगी।
पृष्ठभूमि
· वर्ष 2006 में स्थापित भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी आईआईएफसीएल ही वह प्रमुख निकाय है, जो विभिन्न सैक्टरों की लाभप्रद बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को दीर्घकालिक वित्त मुहैया कराती है। यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – अवसंरचना वित्त कंपनी (एनबीएफसी-आईएफसी) है, जो सितम्बर 2013 से ही भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकृत है। मौजूदा समय में इस कंपनी की अधिकृत पूंजी और चुकता पूंजी क्रमश: 6,000 करोड़ और 4702.32 करोड़ रुपये है।
· सरकार ने अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की अपनी मंशा की घोषणा की है। बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर निवेश के लिए बड़ी मात्रा में इक्विटी और ऋणों की आवश्यकता होगी। ऋण संबंधी वित्त पोषण को संभव बनाने में आईआईएफसीएल की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि किसी परियोजना के वित्त पोषण में आईआईएफसीएल की भागीदारी से बड़े बैंकों सहित अन्य ऋणदाताओं द्वारा सह-वित्त पोषण करने की संभावनाओं के द्वार खुल जाते है। अत: आईआईएफसीएल को अतिरिक्त पूंजी मुहैया कराना आवश्यक है, ताकि यह प्रमुख या बड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं का वित्त पोषण करने संबंधी अपनी निर्धारित भूमिका को पूरा करने में समर्थ हो सके।
The Union Cabinet chaired by Prime Minister Narendra Modi has approved the proposal for providing additional equity support to IIFCL to the tune of Rs. 5,300 crore in financial year 2019-20 and Rs. 10,000 crore in financial year 2020-21. This will be done through regular Budgetary support and / or through issuance of recapitalization bonds. The timing, terms and conditions will be decided by the Department of Economic Affairs. The Cabinet has also approved for increasing the authorized capital of IIFCL from Rs. 6,000 crore to Rs. 25,000 crore.
Major Impact:
This will enable IIFCL to create requisite headroom for borrowing, thus enabling it to finance big ticket infrastructure projects in line with Government of India's target to invest Rs. 100 lakh crore in infrastructure sector over the next five years.
Background
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IIFCL, a wholly-owned Government of India (Gol) company set up in 2006, is the principal entity which provides long term finance to viable infrastructure projects across sectors. It is a Non-Banking Financial Company - Infrastructure Finance Company (NBFC-IFC) registered with RBI since September, 2013. The authorised capital and the paid up capital of the company as on date stand at Rs. 6000 crore and Rs. 4702.32 crore respectively.
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Government has announced its intention to invest Rs. 100 lakh crore in infrastructure over the next five years. Infrastructure investment to this extent will require large amount of equity and debt. The role of IIFCL in making debt funding possible will be crucial as participation by IIFCL in funding a project opens up possibilities of co-financing by other lenders including larger banks. It is therefore necessary to infuse additional capital in IIFCL to enable it to fulfil its mandated role of financing major infrastructure projects.
Courtesy – Press Information Bureau, Government of India