No objection to the proposed change in shareholding in the Container Terminal Projects of M/s. Dubai Port World Limited in major Ports
No: --- Dated: Mar, 10 2016
The Union Cabinet chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi has given its approval for grant of ‘no objection’ to the proposed change in shareholding in the Container Terminal Projects of M/s. Dubai Port World (DPW) Limited in major Ports. It allows for the creation of an Indian holding company of DPW with unique asset portfolio to operate and manage the terminal operations at the existing major ports subject to certain safeguards.
The decision will promote Foreign Direct Investment and private sector participation in the port sector.
DPW Limited is contemplating restructuring of its assets in India with the objective of consolidating the ownership of its port infrastructure in India into a single holding company namely, Hindustan Ports Private Limited (HPPL). The New Company will take over all liabilities of the existing subsidiaries of DP World in relation to the Concession Agreements. here would not be any change of ultimate beneficiary and the ultimate legal and beneficial ownership which will continue to remain with M/s. D.P. World. It is noteworthy that FIPB has given its clearance to D.P. World. The proposal of DPW is intended to help them to expand the capital base and enable fresh investments in Ports and logistics infrastructure in India. This will enable efficient access of finance and introduce latest technology in port operation.
The Government has agreed to the proposal for restructuring by DPW subject to the condition that the net worth of the holding company HPPL after acquisition of the shares of the project SPVs shall be higher than US $ 80 million.
The restructuring of its assets of DPW in India will help in better coordination and control as the Port Authorities have to deal with a single company registered in India. The approval of consolidation proposal of DPW will also facilitate promoting foreign direct investment in the country and signal the investor friendly ambience in the port sector. This may also lead to greater transparency and better compliance to Indian laws and regulations.
प्रमुख बंदरगाहों में मेसर्स दुबई पोर्ट वर्ल्ड लिमिटेड की कंटेनर टर्मिनल प्रोजेक्ट्स की शेयरधारिता में प्रस्तावित परिवर्तन पर अनापत्ति को कैबिनेट की मंजूरी |
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने प्रमुख बंदरगाहों में मेसर्स दुबई पोर्ट वर्ल्ड लिमिटेड (डीपीडब्ल्यू) की कंटेनर टर्मिनल प्रोजेक्ट्स की शेयरधारिता में प्रस्तावित परिवर्तन पर अनापत्ति दिए जाने को अपनी मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने मौजूदा प्रमुख बंदरगाहों पर टर्मिनल परिचालनों के संचालन एवं प्रबंधन के लिए विशिष्ट परिसंपत्ति पोर्टफोलियो के साथ डीपीडब्ल्यू की एक भारतीय होल्डिंग कंपनी बनाने की अनुमति दे दी है। हालांकि, इसके साथ ही कुछ हिफाजतों को ध्यान में रखना होगा। उपर्युक्त निर्णय से बंदरगाह क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। डीपीडब्ल्यू लिमिटेड भारत में अपनी परिसंपत्तियों के पुनर्गठन पर विचार कर रही है, जिसका उद्देश्य भारत में अपने बंदरगाह संबंधी बुनियादी ढांचे के स्वामित्व को एकल होल्डिंग कंपनी हिन्दुस्तान पोर्टस प्राइवेट लिमिटेड (एचपीपीएल) में समेकित करना है। नई कंपनी रियायती समझौतों के संबंध में डीपी वर्ल्ड की मौजूदा सहायक कंपनियों की सभी देनदारियों का जिम्मा संभालेगी। इसके तहत अंतिम लाभार्थी और अंतिम वैधानिक एवं लाभप्रद स्वामित्व में कोई परिवर्तन नहीं होगा, जो आगे भी मेसर्स डी.पी.वर्ल्ड के पास बरकरार रहेगा। उल्लेखनीय है कि एफआईपीबी ने डी.पी.वर्ल्ड को अपनी मंजूरी दे दी है। डीपीडब्ल्यू के प्रस्ताव का उद्देश्य पूंजीगत आधार बढ़ाने में उनकी मदद करना और भारत में बंदरगाहों एवं लॉजिस्टिक्स से जुड़े बुनियादी ढांचे में नया निवेश सुनिश्चित करना है। इससे वित्त की सक्षम पहुंच के साथ-साथ बंदरगाह परिचालन में नवीनतम प्रौद्योगिकी को समाहित करना संभव हो पाएगा। सरकार ने डीपीडब्ल्यू द्वारा पुनर्गठन किए जाने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। हालांकि, इसके साथ ही इस शर्त का पालन करना होगा कि संबंधित परियोजना से जुड़े एसपीवी (विशेष उद्देश्य वाहन) के शेयरों के अधिग्रहण के बाद होल्डिंग कंपनी एचपीपीएल की नेटवर्थ 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा रहेगी। भारत में डीपीडब्ल्यू की परिसंपत्तियों के पुनर्गठन से बेहतर ढंग से तालमेल बैठाने और नियंत्रण कायम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि बंदरगाह से जुड़े प्राधिकरणों का वास्ता अब भारत में पंजीकृत एकल कंपनी से ही रहेगा। डीपीडब्ल्यू के समेकन प्रस्ताव को मंजूरी से देश में एफडीआई को बढ़ावा देने में भी आसानी होगी और इसके साथ ही बंदरगाह क्षेत्र में निवेशक अनुकूल माहौल के बारे में भी संकेत मिलेगा। इतना ही नहीं, इससे और ज्यादा पारदर्शिता के साथ-साथ भारतीय कानूनों और नियम-कायदों का बेहतर ढंग से अनुपालन करना भी संभव हो पाएगा। |