No: --- Dated: Feb, 19 2019

                     

मंत्रिमण्‍डल ने किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्‍थान महाभियान का शुभारंभ करने की मंजूरी दी

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डल समिति ने किसानों को वित्तीय और जल सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्‍य से किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्‍थान महाभियान (कुसुम, केयूएसयूएम) का शुभारंभ करने की मंजूरी दी।

प्रस्‍तावित योजना के तीन घटक हैं :

घटक ए : नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से 10,000 मेगावाट के भूमि के ऊपर बनाए गए विकेन्‍द्रीकृत ग्रिडों को जोड़ना।

घटक बी : 17.50 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों को लगाना।

घटक सी : 10 लाख ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सौरकरण।

तीनों घटको को सम्मिलित करने से संबंधित इस योजना का लक्ष्‍य है -2022 तक 25,750 मेगावाट सौर क्षमता जोड़ना। इस योजना के अंतर्गत केन्‍द्र सरकार 34,422 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

घटक ए और घटक सी को पायलट आधार पर लागू किया जाएगा। घटक ए के तहत 1000 मेगावाट क्षमता का निर्माण किया जाएगा तथा घटक सी के अंतर्गत एक लाख कृषि पंपों को ग्रिड से जोड़ा जाएगा। पायलट योजना की सफलता के बाद इसे बड़े पैमाने पर कार्यान्वित किया जाएगा। घटक बी को संपूर्ण रूप से लागू किया जाएगा।

घटक ए के अंतर्गत किसान/सहकारी समितियां/पंचायत /कृषि उत्‍पादक संघ (एफपीओ) अपनी बंजर या कृषि योग्‍य भूमि पर 500 किलोवाट से लेकर 2 मेगावाट क्षमता वाले नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र स्‍थापित कर सकेंगे। बिजली वितरण कंपनियां उत्‍पादित ऊर्जा की खरीद करेंगी। दर का निर्धारण एसईआरसी करेंगी। इस योजना से ग्रामीण भू-स्‍वामियों को स्‍थायी व निरंतर आय का स्रोत प्राप्‍त होगा। प्रदर्शन के आधार पर बिजली वितरण कंपनियों को पांच वर्षों की अवधि के लिए 0.40 रुपये की दर से प्रोत्‍सा‍हन दिया जाएगा।

घटक बी के अंतर्गत किसानों को 7.5 एचपी क्षमता तक के सौर पंप स्‍थापित करने के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना में पंप क्षमता को सौर पीवी क्षमता (केवी में) के समान मानने की अनुमति दी गई है।

योजना के घटक सी के अंतर्गत किसानों को 7.5 एचपी की क्षमता वाले पंपों के सौरकरण के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना में पंप क्षमता को दोगुने सौर पीवी क्षमता के समान माना गया है। किसान उत्‍पादित ऊर्जा का उपयोग सिंचाई जरूरतों के लिए कर पाएंगे तथा अतिरिक्‍त ऊर्जा बिजली वितरण कं‍पनियों को बेच पाएंगे। इससे किसानों को अतिरिक्‍त आय प्राप्‍त होगी और राज्‍य अपने पीआरओ लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर पाएंगे।

घटक बी और घटक सी के लिए मानदंड लागत का 30 प्रतिशत या निविदा लागत, इनमें जो भी कम हो, के लिए केन्‍द्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान की जाएगी। राज्‍य सरकार 30 प्रतिशत की सब्सिडी देगी और शेष 40 प्रतिशत खर्च का वहन किसानों को करना होगा। लागत के 30 प्रतिशत खर्च के लिए बैंक सहायता भी प्राप्‍त की जा सकती है। शेष 10 प्रतिशत लागत किसान के द्वारा उपलब्‍ध कराई जाएगी। पूर्वोत्तर राज्‍यों, सिक्किम, जम्‍म–कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लक्षदीप और अंडबार-निकोबार दीप समूहों में 50 प्रतिशत केन्‍द्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) उपलब्‍ध कराई जाएगी।

इस योजना से कार्बन डाईआक्‍साइड में कमी आएगी और वायुमंडल पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा। योजना के तीनों घटकों को सम्मिलित करने में पूरे वर्ष में कार्बन डाईआक्‍साइड उत्‍सर्जन में 27 मिलियन टन की कमी आएगी। घटक बी के अंतर्गत सौर कृषि पंपों से प्रतिवर्ष 1.2 बिलियन लीटर डीजल की बचत होगी। इससे कच्‍चे तेल के आयात में खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।

इस योजना में रोजगार के प्रत्‍यक्ष अवसरों को सृजित करने की क्षमता है। स्‍व–रोजगार में वृद्धि के साथ इस योजना से कुशल व अकुशल श्रमिकों के लिए 6.31 लाख रोजगार के नए अवसरों के सृजन होने की संभावना है।

 

The Cabinet Committee on Economic Affairs, chaired by Hon'ble Prime Minister Shri Narendra Modi has approved the launch of Kisan Urja Suraksha evam Utthaan Mahabhiyan with the objective of providing financial and water security to farmers.

The proposed scheme consists of three components:

Component-A: 10,000 MW of Decentralized Ground Mounted Grid Connected Renewable Power Plants.

Component-B: Installation of 17.50 lakh standalone Solar Powered Agriculture Pumps.

Component-C: Solarisation of 10 Lakh Grid-connected Solar Powered Agriculture Pumps.

All three components combined, the scheme aims to add a solar capacity of 25,750 MW by 2022. The total central financial support provided under the scheme would be Rs. 34,422 crore.

The Component-A and Component-C will be implemented on pilot mode for 1000 MW capacity and one lakh grid connected agriculture pumps respectively and thereafter will be scale-up on the success of the pilot run. Component-B will be implemented in a full-fledged manner. 

Under Component A, Renewable power plants of capacity 500 kW to 2 MW will be set up by individual farmers/ cooperatives/panchayats /farmer producer organisations (FPO) on their barren or cultivable lands. The power generated will be purchased by the DISCOMs at Feed-in tariffs determined by respective SERC. The scheme will open a stable and continuous source of income to the rural landowners. Performance-Based Incentives @ Rs. 0.40 per unit for five years to be provided to DISCOMs.

Under Component B, individual farmers will be supported to install standalone solar pumps of capacity up to 7.5 HP. Solar PV capacity in kW equal to the pump capacity in HP is allowed under the scheme.

Under Component C of the scheme, individual farmers will be supported to solarise pumps of capacity up to 7.5 HP. Solar PV capacity up to two times of pump capacity in kW is allowed under the scheme. The farmer will be able to use the generated energy to meet the irrigation needs and the excess available energy will be sold to DISCOM. This will help to create an avenue for extra income to the farmers, and for the States to meet their RPO targets.

For both Component-B and Component-C, central financial assistance (CFA) of 30% of the benchmark cost or the tender cost, whichever is lower, will be provided. The State Government will give a subsidy of 30%, and the remaining 40% will be provided by the farmer. Bank finance may be made available for meeting 30% of the cost. The remaining 10% will be provided by the farmer. Higher CFA of 50% will be provided for the North Eastern States, Sikkim, Jammu & Kashmir, Himachal Pradesh, Uttarakhand, Lakshadweep and A&N Islands.

The Scheme will have a substantial environmental impact in terms of savings of CO2 emissions. All three components of the Scheme combined together are likely to result in savings of about 27 million tonnes of CO2 emission per annum. Further, Component-B of the Scheme on standalone solar pumps may result in saving of 1.2 billion litres of diesel per annum and associated savings in the foreign exchange due to the reduction of import of crude oil.

The scheme has direct employment potential. Besides increasing self-employment, the proposal is likely to generate employment opportunity equivalent to 6.31 lakh job years for skilled and unskilled workers.  

Courtesy – Press Information Bureau, Government of India

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