No: --- Dated: Mar, 10 2016

 

The Union Cabinet, chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi, has approved the Hydrocarbon Exploration and Licensing Policy (HELP).

 

Four main facets of this policy are:

                                i.           uniform license for exploration and production of all forms of hydrocarbon,

                              ii.           an open acreage policy,

                            iii.           easy to administer revenue sharing model and

                            iv.           marketing and pricing freedom for the crude oil and natural gas produced.

 

The decision will enhance domestic oil & gas production, bring substantial investment in the sector andgenerate sizable employment. The policy is also aimed at enhancing transparency and reducing administrative discretion.

The uniform licence will enable the contractor to explore conventional as well as unconventional oil and gas resources including CBM, shale gas/oil, tight gas and gas hydrates under a single license.  The concept ofOpen Acreage Policy will enable E&P companies choose the blocks from the designated area. 

Present fiscal system of production sharing based on Investment Multiple and cost recovery /production linked payment will be replaced by a easy to administer revenue sharing model. The earlier contracts were based on the concept of profit sharing where profits are shared between Government and the contractor after recovery of cost. Under the profit sharing methodology, it became necessary for the Government to scrutinize cost details of private participants and this led to many delays and disputes. Under the new regime, the Government will not be concerned with the cost incurred and will receive a share of the gross revenue from the sale of oil, gas etc. This is in tune with Government’s policy of “Ease of Doing Business”.

Recognising the higher risks and costs involved in exploration and production from offshore areas, lower royalty rates for such areas have been provided as compared to NELP royalty rates to encourage exploration and production.  A graded system of royalty rates have been introduced, in which royalty rates decreases from shallow water to deepwater and ultra-deep water. At the same time, royalty rate for onland areas have been kept intact so that revenues to the state governments are not affected. On the lines of NELP, cess and import duty will not be applicable on blocks awarded under the new policy.  This policy also provides for marketing freedom for crude oil and natural gas produced from these blocks.  This is in tune with Government’s policy of “Minimum Government –Maximum Governance

 

हाइड्रोकार्बन उत्‍खनन एवं लाइसेंसिंग नीति (हेल्‍प) को कैबिनेट की स्‍वीकृति 
 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने हाइड्रोकार्बन उत्‍खनन एवं लाइसेंसिंग नीति (हेल्‍प) को अपनी मंजूरी दे दी है। 

 

इस नीति की मुख्‍य बातें निम्‍नलिखित हैं: 

i. हाइड्रोकार्बन के सभी स्‍वरूपों के उत्‍खनन एवं उत्‍पादन के लिए एकसमान लाइसेंस 

ii. खुली रकबा नीति 

iii. राजस्‍व भागीदारी वाले मॉडल के संचालन में आसानी 

iv. उत्‍पादित कच्‍चे तेल और प्राकृतिक गैस के लिए विपणन व मूल्‍य निर्धारण संबंधी आजादी उपर्युक्‍त निर्णय से तेल एवं गैस का घरेलू उत्‍पादन बढ़ेगा, इस क्षेत्र में व्‍यापक निवेश आएगा और बड़ी संख्‍या में रोजगार अवसर सृजित होंगे। इस नीति का उद्देश्‍य पारदर्शिता बढ़ाना और प्रशासकीय विवेकाधिकार में कमी लाना भी है। 

एकसमान लाइसेंस से ठेकेदार के लिए एकल लाइसेंस के तहत परंपरागत के साथ-साथ गैर परंपरागत तेल एवं गैस संसाधनों का भी उत्‍खनन करना संभव हो जाएगा, जिनमें सीबीएम, शेल गैस/तेल, टाइट गैस और गैस हाइड्रेट्स भी शामिल हैं। खुली रकबा नीति की अवधारणा से ईएंडपी कंपनियों के लिए नामित क्षेत्र से ब्‍लॉकों का चयन करना संभव हो जाएगा। 

निवेश गुणज और लागत वसूली/उत्‍पादन संबंधी भुगतान पर आधारित उत्‍पादन हिस्‍सेदारी वाली मौजूदा राजकोषीय प्रणाली का स्‍थान राजस्‍व हिस्‍सेदारी वाला ऐसा मॉडल लेगा, जिसका संचालन करना आसान होगा। पूर्ववर्ती अनुबंध मुनाफे में हिस्‍सेदारी वाली अवधारणा पर आधारित थे, जिसके तहत लागत की वसूली के बाद सरकार और ठेकेदार के बीच मुनाफे की हिस्‍सेदारी तय की जाती है। मुनाफा हिस्‍सेदारी वाली विधि के तहत सरकार के लिए निजी सहभागियों के लागत संबंधी ब्‍यौरे की जांच करना आवश्‍यक हो गया था, जिससे काफी देरी होने लगी और अनेक विवाद भी उभर कर सामने आए। नई व्‍यवस्‍था के तहत सरकार का इससे कोई वास्‍ता नहीं रहेगा कि कितनी लागत आई है। इतना ही नहीं, सरकार को तेल, गैस इत्‍यादि की बिक्री से प्राप्‍त सकल राजस्‍व का एक हिस्‍सा प्राप्‍त होगा। यह ‘कारोबार में सुगमता लाने’ की सरकारी नीति के अनुरूप है। 

अपतटीय क्षेत्रों में उत्‍खनन एवं उत्‍पादन में निहित बेहद जोखिम और लागत को ध्‍यान में रखते हुए एनईएलपी से जुड़ी रॉयल्‍टी दरों की तुलना में इन क्षेत्रों के लिए अपेक्षाकृत कम रॉयल्‍टी दरें तय की गई हैं, ताकि उत्‍खनन एवं उत्‍पादन को बढ़ावा दिया जा सके। रॉयल्‍टी दरों की एक वर्गीकृत प्रणाली शुरू की गई है, जिसके तहत रॉयल्‍टी दरें उथले पानी में उत्‍खनन के लिए ज्‍यादा तय की गई हैं, जबकि गहरे पानी एवं अत्‍यंत गहरे पानी में उत्‍खनन के लिए अपेक्षकृत कम तय की गई हैं। इसके साथ ही अंदरूनी (ऑनलैंड) क्षेत्रों के लिए रॉयल्‍टी दर को अपरिवर्तित रखा गया है, ताकि राज्‍य सरकारों को मिलने वाला राजस्‍व प्रभावित न हो। एनईएलपी की तर्ज पर ही नई नीति के तहत भी अनुबंध पर दिए जाने वाले ब्लॉकों पर उपकर और आयात शुल्‍क नहीं लगाए जाएंगे। इन ब्‍लॉकों में उत्‍पादित होने वाले कच्‍चे तेल और प्राकृतिक गैस के लिए विपणन संबंधी आजादी भी इस नीति में दी गई है। यह ‘न्‍यूनतम सरकार- अधिकतम शासन’ से जुड़ी सरकारी नीति के ही अनुरूप है। 

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