No: --- Dated: Jun, 10 2015

 

To help the industry clear its cane dues arrears, the Cabinet Committee on Economic Affairs chaired by the Prime Minister, Shri Narendra Modi today approved the proposal to provide soft loans to the extent of Rs. 6000 crore to the sugar industry. CCEA has provided a one year moratorium on this loan, and will bear the interest subvention cost to the extent of Rs. 600 crore for the said period. To ensure that farmers are paid their dues expeditiously, the Government has mandated that banks will obtain from the sugar mill, the list of farmers with bank account details to the extent cane dues are to be paid, so that the same are directly paid into the account of the farmers on behalf of the sugar mills. Subsequent balance if any, will then be credited into the mill account. 

Furthermore, in order to incentivize the mills to clear their dues, CCEA has also decided that the approved soft loans will be provided to those units which clear at least 50 percent of their outstanding arrears before 30th June, 2015. 

Fair & Remunerative Price (FRP) of sugarcane is fixed by the Govt. of India keeping in view the recommendations of the Commission for Agricultural Costs and Prices. For the present sugar season, it is Rs.220/quintal. Some State governments declare State Advisory Price which is above the FRP. Sustained surpluses of production over domestic consumption in the last four years has led to subdued sugar prices. Similar situation prevails in international markets. This has stressed the liquidity position of the industry leading to a build up of cane price arrears. In the current sugar year (Oct 20014-Sept 2015), the cane price arrears are approximately Rs. 21,000 crore. 

The Government, in fact, has taken several steps in the last one year to mitigate the situation and protect the livelihoods of cane farmers. To improve the liquidity of sugar mills and facilitate payment of cane dues arrears, the Government has increased the export incentive on raw sugar from Rs 3200/MT to Rs. 4000/MT. Funds have been allocated to support 14 lac MT (LMT) of raw sugar exports as against 7.5 LMT achieved last year. 

The Government has also fixed remunerative prices for ethanol supplied for blending with petrol. It has dismantled the tender based price discovery procedures for ethanol and fixed attractive prices for ethanol supplied for petrol blending. Prices were fixed at Rs.48.50 to 49.50 per litre depending on distance from the depot thereby effectively giving Rs.42 per litre to the mill as against Rs.32 per litre last year. As a result, the supply levels of ethanol, which were about 32 crore liters per year, shot upto a level of 83 crore liter per annum. It has also been decided to waive the excise duties on ethanol in the next sugar season to further incentivize ethanol supplies for the blending program. This would further increase the ex mill price of ethanol and help improve the liquidity of the industry and enable them to clear the cane price arrears. 

Furthermore, to improve the price sentiments of sugar, the Government has also increased the import duty to 40 percent, and abolished the Duty Free Import Authorization Scheme. To prevent possible leakages of sugar in the domestic markets, the Government has also reduced the export obligation period from 18 months to 6 months under the Advanced Authorization Scheme

 

गन्ने की बकाया राशि का भुगतान करने में चीनी उद्योग की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने चीनी उद्योग को 6000 करोड़ रूपये का उदार ऋण उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी है। सीसीएई ने इस ऋण पर एक वर्ष का ऋण स्थगन उपलब्ध कराया है औऱ कथित अवधि के लिए इस ऋण पर 600 करोड़ रूपये का ब्याज देय होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को उनकी राशि का शीघ्र भुगतान मिले सरकार ने यह अनिवार्य कर दिया है कि बैंक चीनी मिल से किसानों की सूची उनके बैंक खाते के विवरण सहित प्राप्त करेंगे ताकि उनकी बकाया राशि का भुगतान चीनी मिलों की ओर से सीधे किसानों के खातों में किया जा सके। भुगतान के बाद अगर कुछ राशि बचती है तो उसे मिल के खाते में डाल दिया जाएगा। 

इसके अलावा बकाया राशि का पूरा भुगतान करने के लिए मिलों को प्रोत्साहित करने के लिए सीसीईए ने यह निर्णय भी लिया है कि जो मिल 30 जून, 2015 से पहले अपनी बकाया राशि का कम से कम 50 प्रतिशत भुगतान कर देंगे उन्हें अनुमोदित उदार ऋण दिये जाएंगे। 

भारत सरकार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) निर्धारित करती है। वर्तमान चीनी सीजन के लिए यह मूल्य 220 रूपये प्रति क्विंटल है। कुछ राज्य सरकारें राज्य परामर्शी घोषित करती हैं जो एफआरपी से अधिक होती हैं। पिछले चार वर्षों के दौरान घरेलू खपत के मुकाबले गन्ने का लगातार अधिक उत्पादन होने से चीनी के मूल्यों में गिरावट आयी है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी इसी प्रकार की स्थिति मौजूद है। इससे उद्योग की लिक्विडिटी प्रभावित हुई है और गन्ने की बकाया राशि बढती चली गयी। चालू चीनी वर्ष (अक्टूबर 2014 से सितंबर 2015) में गन्ने के मूल्य की बकाया राशि लगभग 21000 करोड़ रूपये है। 

सरकार ने पिछले एक वर्ष के दौरान स्थिति को दूर करने और गन्ना उत्पादकों की जीविका की रक्षा के लिए अनेक कदम उठाये हैं। सरकार ने कच्ची चीनी पर निर्यात प्रोत्साहन 3200 रूपये/ मीट्रिक टन से बढाकर 4000 रूपये/ मीट्रिक टन कर दिया गया है। 14 लाख मीट्रिक टन कच्ची चीनी के निर्यात में मदद करने के लिए निधियां आवंटित की गयी हैं। पिछले वर्ष 7.5 लाख मीट्रिक टन कच्ची चीनी निर्यात की गयी थी। 

सरकार ने पेट्रोल में मिलाने के लिए आपूर्ति किये गये इथनॉल के लिए लाभकारी मूल्य भी निर्धारित किये हैं। सरकार इससे इथनॉल के लिए निविदा आधारित मूल्य परामर्शी प्रक्रियाएं समाप्त हो गयी हैं और पेट्रोल में मिलाने के लिए आपूर्ति किये जाने वाले इथनॉल के आकर्षक मूल्य निर्धारित किये गये हैं। डिपो से दूरी के आधार पर ये मूल्य 48.50 रूपये से 49.50 रूपये/लीटर निर्धारित किये गये हैं जिससे मिलों को 42 रूपये/ लीटर मिल रहें है जबकि पिछले वर्ष 32 रूपये प्रति लीटर मिल रहे थे। जिसके परिणामस्वरूप इथनॉल का आपूर्ति स्तर जो 32 करोड लीटर प्रति वर्ष था बढ़कर 83 करोड़ लीटर प्रति वर्ष के स्तर पर पहुंच गया है। सम्मिश्रण कार्यक्रम के लिए इथनॉल की आपूर्ति को प्रोत्साहित करने के लिए अगले चीनी सीजन में इथनॉल पर उत्पादन शुल्क समाप्त करने का निर्णय लिया गया है इससे इथनॉल के एक्स-मिल मूल्य और बढ़ेगें और उद्योग की लिक्विडिटी को सुधारने में मदद मिलेगी और वे गन्ने के बकाया मूल्य का भुगतान निपटाने में समर्थ होंगे।

चीनी के मूल्य रूख में और सुधार लाने के लिए सरकार ने आयात शुल्क बढाकर 40 प्रतिशत कर दिया है और शुल्क मुक्त आयात प्राधिकार योजना समाप्त कर दी है। घरेलू बाजार में चीनी की संभावित लीकेज रोकने के लिए सरकार ने अग्रिम प्राधिकार योजना के तहत निर्यात बाध्यता अवधि 18 महीने से घटाकर 6 माह कर दी है।

 

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