No: --- Dated: Jan, 07 2021

Government approves Central Sector Scheme for Industrial Development of Jammu & Kashmir

The Cabinet Committee on Economic Affairs chaired by Prime Minister Shri Narendra Modiin its meeting yesterday considered and approved the proposal of Department for Promotion of Industry and Internal Trade for Central Sector Scheme for Industrial Development of Jammu & Kashmir. The scheme is approved with a total outlay of Rs. 28,400 crore upto the year 2037.

Government of India has formulated New Industrial Development Scheme for Jammu & Kashmir (J&K IDS, 2021) as Central Sector Scheme for the development of Industries in the UT of Jammu & Kashmir. The main purpose of the scheme is to generate employment which directly leads to the socio economic development of the area. Considering the historic development of reorganization of Jammu & Kashmir with effect from 31.10.2019 into UT of Jammu & Kashmir under the J&K Reorganisation Act, 2019, the present scheme is being implemented with the vision that industry and service led development of J&K needs to be given a fresh thrust with emphasis on job creation, skill development and sustainable development by attracting new investment and nurturing the existing ones.

The following incentives would be available under the scheme:

  1. Capital Investment Incentive at the rate of 30% in Zone A and 50% in Zone B on investment made in Plant & Machinery (in manufacturing) or construction of building and other durable physical assets(in service sector) is available. Units with an investment upto Rs. 50 crore will be eligible to avail this incentive. Maximum limit of incentive is Rs 5 crore and Rs 7.5 crore in Zone A & Zone B respectively
  2. Capital Interest subvention: At the annual rate of 6% for maximum 7 years on loan amount up to Rs. 500 crore for investment in plant and machinery (in manufacturing) or construction of building and all other durable physical assets(in service sector).
  3. GST Linked Incentive: 300% of the eligible value of actual investment made in plant and machinery (in manufacturing) or construction in building and all other durable physical assets(in service sector) for 10 years. The amount of incentive in a financial year will not exceed one-tenth of the total eligible amount of incentive.
  4. Working Capital Interest Incentive: All existing units at the annual rate of 5% for maximum 5 years. Maximum limit of incentive is Rs 1 crore.

Key Features of the Scheme:

  1. Scheme is made attractive for both smaller and larger units. Smaller units with an investment in plant & machinery upto Rs. 50 crore will get a capital incentive upto Rs. 7.5 crore and get capital interest subvention at the rate of  6% for maximum 7 years
  2. The scheme aims to take industrial development to the block level in UT of J&K, which is first time in any Industrial Incentive Scheme of the Government of India and attempts for a more sustained and balanced industrial growth in the entire UT
  3. Scheme has been simplified on the lines of ease of doing business by bringing one major incentive- GST Linked Incentive- that will ensure less compliance burden without compromising on transparency.
  4. Scheme envisages greater role of the UT of J&K in registration and implementation of the scheme while having proper checks and balances by having an independent audit agency before the claims are approved
  5. It is not a reimbursement or refund of GST but gross GST is used to measure eligibility for industrial incentive to offset the disadvantages that the UT of J&K face
  6. Earlier schemes though offered a plethora of incentives. However, the overall financial outflow was much lesser than the new scheme.

Major Impact and employment generation potential:

  1. Scheme is to bring about radical transformation in the existing industrial ecosystem of J&K with emphasis on job creation, skill development and sustainable development by attracting new investment and nurturing the existing ones, thereby enabling J&K to compete nationally with other leading industrially developed States/UTs of the country.
  2. It is anticipated that the proposed scheme is likely to attract unprecedented investment and give direct and indirect employment to about 4.5 lakh persons. Additionally, because of the working capital interest subvention the scheme is likely to give indirect support to about 35,000 persons.

Expenditure involved:

The financial outlay of the proposed scheme is Rs.28,400 crore for the scheme period 2020-21 to 2036-37. So far, the amount disbursed under various special package schemes is Rs. 1,123.84 crore.

सरकार ने जम्मू और कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना को मंजूरी दी

पहली बार कोई औद्योगिक प्रोत्साहन योजना औद्योगिक विकास को ब्लॉक स्तर तक ले जा रही है

इस योजना की अवधि वर्ष 2037 तक है और इसकी कुल लागत28,400 करोड़ रुपये है

योजना न केवल निवेश को प्रोत्साहन देगी बल्कि 5 वर्षों के लिए 5 प्रतिशत की दर से जम्मू और कश्मीर में वर्तमान उद्योगों को कार्यशील पूंजी समर्थन प्रदान करके उन्हें विकसित भी करेगी

योजना का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन करना है जिससे क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके

योजना का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर में मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ सेवा क्षेत्र का विकास करना है

योजना में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना की गई


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने कल जम्मू और कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए उद्योग तथा आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के केंद्रीय क्षेत्र की योजना प्रस्ताव पर विचार किया और इसकी स्वीकृति दी। योजना 28,400 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ वर्ष 2037 तक स्वीकृत की गई है।

भारत सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में औद्योगिक विकास के लिए केंद्र क्षेत्र की योजना के रूप में जम्मू-कश्मीर के लिए नई औद्योगिक विकास योजना (जेएंडकेआईडीएस, 2021) तैयार की है। योजना का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन करना है, जिससे क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अंतर्गत 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के रूप में पुनर्गठित करने के ऐतिहासिक विकास पर विचार करते हुए वर्तमान योजना इस विजन के साथ लागू की जा रही है कि रोजगार सृजन, कौशल विकास और नए निवेश आकर्षित करके तथा वर्तमान उद्योगों को विकसित करके जम्मू और कश्मीर के उद्योग और सेवा क्षेत्र का विकास हो सके।

योजना के अंतर्गत निम्नलिखित प्रोत्साहन उपलब्ध होंगे :

पूंजी निवेश प्रोत्साहन संयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग में) निवेश या भवन निर्माण अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों (सेवा क्षेत्र में) निवेश पर जोन-ए में 30 प्रतिशत तथा जोन-बी में 50 प्रतिशत की दर पर पूंजी निवेश प्रोत्साहन उपलब्ध है। 50 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाली इकाइयां इस प्रोत्साहन का लाभ उठाने की पात्र होंगी। जोन-ए तथा जोन-बी में प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा क्रमशः 5 करोड़ रुपये तथा 7.5 करोड़ रुपये है।
पूंजी ब्याज सहायता:संयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग में)या भवन निर्माण तथा अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों (सेवा क्षेत्र में) निवेश के लिए 500 करोड़ रूपये तक की ऋण राशि पर अधिकतम 7 वर्षों के लिए 6 प्रतिशत वार्षित दर से पूंजी ब्याज सहायता।
जीएसटी से जुड़ा प्रोत्साहन :10 वर्ष के लिएसंयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग में) या भवन निर्माण तथा अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों (सेवा क्षेत्र में) में वास्तविक निवेश के 300 प्रतिशत पात्र मूल्य तक प्रोत्साहन एक वित्तीय वर्ष में प्रोत्साहन राशि प्रोत्साहन की कुल पात्र राशि से एक दहाई से अधिक नहीं होगी।
कार्यशील पूंजी ब्याज सहायता :सभी वर्तमान इकाइयों को अधिकतम 5 वर्षों के लिए 5 प्रतिशत वार्षिक दर से प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा एक करोड़ रुपये है।
योजना की प्रमुख विशेषताएं :

योजना छोटी और बड़ी दोनों तरह की इकाइयों के लिए आकर्षक बनायी गई है। संयंत्र और मशीनरी में 50 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाली छोटी इकाइयों को 7.5 करोड़ रुपये तक पूंजी प्रोत्साहन मिलेगा और अधिकतम 7 वर्षों के लिए पूंजी ब्याज सहायता 6 प्रतिशत की दर से मिलेगी।
योजना का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में ब्लॉक स्तर तक औद्योगिक विकास को ले जाना है। यह भारत सरकार की पहली बार शुरू की गई कोई औद्योगिक प्रोत्साहन योजना है तथा संपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश में स्थायी तथा संतुलित औद्योगिक विकास के लिए प्रयास है।
जीएसटी से जुड़े प्रोत्साहन को शामिल करके योजना को व्यापार-सुगमता के अनुरूप सहज बनाया गया है। जीएसटी से जुड़ा प्रोत्साहन पारदर्शिता से समझौता किये बिना अनुपालन बोझ को कम करना सुनिश्चित करेगा।
योजना के पंजीकरण और क्रियान्वयन में केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर की बड़ी भूमिका निर्धारित की गई है। दावे स्वीकृत करने से पहले स्वतंत्र ऑडिट एजेंसी द्वारा उचित नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था की गई है।
यह जीएसटी की अदायगी या वापसी नहीं है बल्कि केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर के नुकसान की भरपाई के लिए सकल जीएसटी का इस्तेमाल औद्योगिक प्रोत्साहन की पात्रता निर्धारित करने में होता है।
पहले की योजनाओं में अनेक प्रोत्साहनों की पेशकश की गई थी लेकिन उनका संपूर्ण वित्तीय प्रवाह नई योजना से काफी कम था।
प्रमुख प्रभाव तथा रोजगार सृजन क्षमता :

योजना का उद्देश्य रोजगार सृजन, कौशल विकास,नए निवेश को आकर्षित करके तथा वर्तमान निवेशों को विकसित करके स्थायी विकास पर बल के साथ जम्मू और कश्मीर के वर्तमान औद्योगिक इकोसिस्टम में मौलिक परिवर्तन करना है, जिससे जम्मू और कश्मीर राष्ट्रीय स्तर पर देश के औद्योगिक रूप से विकसित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के साथ स्पर्धा करने में सक्षम हो सके।
आशा है कि प्रस्तावित योजना से अप्रत्याशित निवेश आकर्षित होगा तथा लगभग 4.5 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त कार्यशील पूंजी ब्याज सहायता के कारण योजना लगभग 35,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देगी।
शामिल व्यय :

प्रस्तावित योजना का वित्तीय परिव्यय योजना अवधि 2020-21 से 2036-37 के लिए 28,400 करोड़ रुपये है। अभी तक विभिन्न स्पेशल पैकेज योजनाओं के अंतर्गत 1,123.84 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

Courtesy – Press Information Bureau, Government of India​​

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