Flexibility in utilisation of domestic coal for reducing the cost of power generation
No: --- Dated: May, 04 2016
The Union Cabinet chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi has given its approval for allowing flexibility in utilisation of domestic coal for reducing the cost of power generation.
The objective of the proposal is to allow flexibility in optimal use of domestic coal in efficient Generating Stations resulting in reduction in the cost of electricity generation and reduce the power purchase cost of State Distribution companies. Such flexibility will be able to leverage coal to electricity conversion, efficiency of equipments as well as transportation cost optimization.
This would create new thrust in promoting efficiency, optimum utilization of natural resources as well as overall economic benefit in the power sector in the country. This will result in coal transportation cost reduction as well as savings in energy used for transportation and may also result in removal of congestion of Railways network. This will also be a more environment friendly arrangement as less coal will be used to produce more power and also the distance for transportation of coal would be optimized.
This proposal is also in line with the UDAY scheme of Government of India which also envisages liberally allowing of coal swaps from inefficient plants to efficient plants and from plants situated away from coal mines to pit head to minimize cost of coal transportation thus leading to reduction in cost of power.
The proposal envisages that all the long term coal linkages of individual State Generating Stations shall be clubbed and assigned to respective states / state nominated agency. Similarly coal linkages of individual Central Generating Stations (CGS) shall be clubbed and assigned to the company owning the CGS, to enable the efficient coal utilization amongst end use generating stations.
There shall be flexibility in use of such coal amongst the generating stations of state owned utilities, plants of other state power utilities, company owning the Central Generating stations and IPPs, amongst each other.
In case of use of coal in State/ Central Generating Plants, the deciding criteria shall be plant efficiency, coal transportation cost, transmission charges and overall cost of power.
In case of use of coal assigned to the State in Private Generating Stations, power through substituted coal shall be procured on bidding basis from amongst the competing private sector plants, where the source of coal, quantity of coal, quantum of power, and delivery point for the receipt of power shall be indicated upfront.
The Central Electricity Authority shall in consultation with all the Stakeholders, issue the methodology for implementation of use of coal assigned to the State(s) in their own Generating stations, other State Generating Stations, CGS and IPPs. Similarly methodologies for use of coal by company owning CGS for use of coal in their own plants or any other efficient plants shall also be issued by Central Electricity Authority.
Background: The Coal is the main source of power generation in the country. There are broadly two categories of coal based Thermal power plants: (i) Pit Head based plants, which are situated near coal Mines and (ii) Load centre based plants situated near load centres. Power Plants are having different efficiency levels for conversion of coal to electricity depending upon their technology, unit capacity etc. At present, there are situations where efficient power plants have shortage of coal while some other Power Stations have adequate coal available with them because of less capacity utilization.
विद्युत उत्पादन की लागत घटाने के लिए घरेलू कोयले के उपयोग में लचीलेपन की इजाजत देने को कैबिनेट की मंजूरी |
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विद्युत उत्पादन की लागत घटाने के लिए घरेलू कोयले के उपयोग में लचीलेपन की इजाजत देने को अपनी मंजूरी दे दी है। उपर्युक्त प्रस्ताव का उद्देश्य कार्य कुशल उत्पादक केंद्रों में घरेलू कोयले के इष्टतम उपयोग में लचीलेपन की अनुमति देना है, जिससे कि बिजली उत्पादन की लागत घट सके और इसके साथ ही राज्य वितरण कंपनियों की बिजली खरीद लागत में कमी संभव हो सके। इस तरह का लचीलापन कोयले से बिजली बनाने और उपकरणों की क्षमता के साथ-साथ परिवहन लागत के अनुकूलन में मददगार साबित होगा। इससे देश के विद्युत क्षेत्र में दक्षता बढ़ाने, प्राकृतिक संसाधनों के इष्टतम उपयोग और समग्र रूप से आर्थिक लाभ हासिल करने को नई गति मिलेगी। इससे कोयला ढुलाई की लागत घट जाएगी और इसके साथ ही ढुलाई में इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा की बचत भी होगी। यही नहीं, इससे रेलवे नेटवर्क में भीड़-भाड़ को समाप्त करना भी संभव हो सकता है। यह भी एक अपेक्षाकृत ज्यादा पर्यावरण अनुकूल व्यवस्था हो सकती है क्योंकि कम कोयले के उपयोग से ज्यादा विद्युत का उत्पादन हो सकेगा और इसके साथ ही कोयले की ढुलाई के लिए तय की जाने वाली दूरी को अनुकूलित किया जा सकेगा। यह प्रस्ताव भारत सरकार की ‘उदय’ योजना के अनुरूप है, क्योंकि इसमें भी अक्षम संयंत्रों के बजाय कार्यसक्षम संयंत्रों और कोयला खदानों से दूर स्थित संयंत्रों के बजाय कोयला खदानों के बिल्कुल निकट स्थित (पिट हेड) संयंत्रों के लिए काफी उदारता के साथ कोयले की अदला-बदली की इजाजत देने की परिकल्पना की गई है, ताकि कोयले ढुलाई की लागत को न्यूनतम किया जा सके और इस तरह बिजली की लागत घटाई जा सके। उपर्युक्त प्रस्ताव में यह उल्लेख किया गया है कि व्यक्तिगत राज्य उत्पादक केंद्रों के समस्त दीर्घकालिक कोल लिंकेजों को आपस में जोड़ दिया जाएगा और उन्हें संबंधित राज्य/राज्य द्वारा नामित एजेंसी को सौंप दिया जाएगा। इसी तरह व्यक्तिगत केंद्रीय उत्पादक केंद्रों (सीजीएस) के कोल लिंकेजों को आपस में जोड़ दिया जाएगा और उन्हें सीजीएस का स्वामित्व रखने वाली कंपनी को सौंप दिया जाएगा, ताकि अंतिम इस्तेमाल करने वाले उत्पादक केंद्रों के बीच कोयले का कारगर उपयोग संभव हो सके। अत: ऐसे में राज्य के स्वामित्व वाले निकायों के उत्पादक केंद्रों, अन्य राज्य विदयुत निकायों के संयंत्रों, केंद्रीय उत्पादक केंद्रों का स्वामित्व रखने वाली कंपनी और आईपीपी इत्यादि के बीच इस तरह के कोयले के उपयोग में लचीलापन संभव हो पाएगा। जहां तक राज्य/केंद्रीय उत्पादक संयंत्रों में कोयले के इस्तेमाल का सवाल है, इसके तहत संयंत्र की दक्षता, कोयला ढुलाई लागत, पारेषण प्रभार और विद्युत की कुल लागत को निर्णायक पैमाना माना जाएगा। राज्य को सौंपे गए कोयले का इस्तेमाल निजी उत्पादक केंद्रों में करने के मामले में प्रतिस्थापित कोयले के जरिये हासिल होने वाली बिजली की खरीदारी निजी क्षेत्र के प्रतिस्पर्धी संयंत्रों के बीच बोली के आधार पर की जाएगी, जिसके तहत कोयले के स्रोत, कोयले की मात्रा, बिजली की मात्रा और बिजली की प्राप्ति के लिए वितरण केंद्र के बारे में अग्रिम तौर पर संकेत दिया जाएगा। सभी हितधारकों के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण राज्य अथवा राज्यों को सौंपे गए कोयले का इस्तेमाल अपने खुद के उत्पादक केंद्रों, अन्य राज्य उत्पादक केंद्रों, सीजीएस और आईपीपी में करने की कार्यप्रणाली जारी करेगा। इसी तरह सीजीएस का स्वामित्व रखने वाली कंपनी द्वारा कोयले का इस्तेमाल खुद के अपने संयंत्रों अथवा किसी अन्य कार्यसक्षम संयंत्र में करने की कार्यप्रणालियां भी केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा जारी की जाएंगी। पृष्ठभूमि: कोयला देश में विद्युत उत्पादन का मुख्य स्रोत है। मोटे तौर पर कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों की दो श्रेणियां ये हैं: (i) पिट हेड आधारित संयंत्र, जो कोयला खदानों के निकट स्थित होते हैं (ii) लोड सेंटर आधारित संयंत्र, जो लोड केंद्रों के निकट स्थित होते हैं। कोयले से बिजली बनाने के मामले में विभिन्न विद्युत संयंत्रों के क्षमता स्तर अलग-अलग होते हैं, जो उनकी प्रौद्योगिकी, इकाई की क्षमता इत्यादि पर निर्भर होते हैं। वर्तमान में ऐसी स्थितियां देखने को मिल रही हैं कि कार्यसक्षम विद्युत संयंत्रों को तो कोयले की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, जबकि कुछ अन्य विद्युत केंद्रों में क्षमता का कम उपयोग होने के कारण उनके पास पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है। |