No: ----- Dated: Dec, 10 2014

Establishment of Credit Guarantee Funds for Factoring 
 

The Union Cabinet chaired by the Prime Minister, Shri Narendra Modi, today gave its approval to establish a Credit Guarantee Fund for Factoring for MSME units. 

The corpus of the Fund is Rs.500 crore. Assuming a leverage of 5 times of the corpus, gross factoring transactions would cover Rs.20,000 crore per annum at the end of fifth year. The corpus is estimated to be Rs.492 crore at the end of fifth year. In third year of operations, a mid-term review of the Fund may be undertaken and propose modifications if any. 

The goal is to promote "factoring without recourse". The mechanism would be: 

i. Governing structure - DoFS will be "the Settlor" and shall establish a Fund for guaranteeing factored debts. The Fund shall be under "National Credit Guarantee Trustee Company (NCGTC). It will have a Management Committee consisting of Secretary, DFS as the ex-officio Chairman. The convenor of the Management Committee will be nominated by the Settlor. The Management Committee shall be responsible for all policy aspects of the Fund. 

ii. Coverage - Credit guarantee cover for a maximum of 50 percent of factored debt will be provided under the Fund. To start with, only transactions covered under the Factoring Regulation Act, 2011 are to be included. 

iii. Guarantee Fee - The guarantee fee chargeable from the MLIs shall not exceed 0.75 percent per quarter of the guaranteed factored debts for the amount of guarantee cover. 

iv. Filing of claims by factors - Claims shall be filed by MLIs with the proposed Fund, as per guidelines prescribed by the Management Committee. 

v. Interest rate - The actual interest rate to be charged from the MSMEs will be left to Factors. 

vi. Modifications to the parameters under the scheme - The key elements of the structure have been proposed based on very preliminary data in the sector. These may require to be revisited and will be done with the approval of FM. 

Factoring is a financing arrangement for suppliers by making pre¬payments against invoices. This provides liquidity to MSMEs and facilitates collection of receivables. India's factoring volume is below Rs.20,000 crore. The Factoring Regulation Act, 2012 provides the legal framework for factoring. RBI has issued guidelines. However, there is no insurance for factoring.

 

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम कारखाने के लिए ऋण गारंटी निधि की स्थापना 
 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इकाईयों के कारखाने के लिए एक ऋण गारंटी निधि की स्थापना को अपनी मंजूरी दे दी। 

यह निधि 500 करोड़ रुपये से शुरू की जाएगी। इस निधि में पांच गुना वृद्धि के अनुमान के साथ पांच वर्ष के अंत में इसकी कुल लेनदेन प्रतिवर्ष 20,000 करोड़ रुपये हो जाएगी। पांचवें वर्ष के अंत में इस निधि के 492 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। संचालन के तीसरे वर्ष में निधि की एक मध्यावधि समीक्षा करके किसी प्रकार के सुधार के प्रस्ताव दिए जा सकते हैं। 

इसका उद्देश्य 'निर्भरता के बिना कारखाना' को बढ़ावा देना है। इसकी प्रणाली निम्नानुसार हैः

1. नियंत्रण संरचना- वित्तीय सेवा विभाग इसका 'निर्धारक' होगा और लेनदेन संबंधी ऋण गारंटी के लिए एक निधि स्थापित करेगा। यह निधि 'राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी' (एनसीजीटीसी) के अधीन होगी। इसके प्रबंध समिति में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव पदेन अध्यक्ष के रूप में शामिल होंगे। निर्धारक की ओर से प्रबंध समिति का संयोजक नामांकित किया जाएगा। प्रबंध समिति इस निधि से जुड़े नीति संबंधी सभी पहलुओं के लिए उत्तरदायी होगी। 

2. दायरा - इस निधि के अधीन उपादान ऋण का अधिकतम 50 प्रतिशत हिस्सा ऋण गारंटी के दायरे में होगा। शुरूआत में केवल कारखाना नियमन अधिनियम, 2011 के अधीन लेनदेन को ही शामिल किया जाएगा। 

3. गारंटी शुल्क – एमएलआई से अधिकतम 0.75 प्रतिशत प्रति तिमाही गारंटी शुल्क वसूल किया जाएगा। 

4. उपादानों द्वारा दावे का दाखिला – प्रबंध समिति द्वारा निर्धारित मार्गनिर्देशों के अनुसार प्रस्तावित निधि से एमएलआई द्वारा दावे दाखिल किए जाएंगे। 

5. ब्याज दर – एमएसएमई से वास्तविक ब्याज-दर की वसूली का मामला घटकों पर छोड़ दिया जाएगा।

6. योजना के अधीन सुधार के मानदंड- इस क्षेत्र में प्राथमिक आंकड़े के आधार पर संरचना के प्रमुख घटकों का प्रस्ताव किया गया है। वित्त मंत्री की मंजूरी से इसका पुनरावलोकन करना जरूरी होगा। 

फैक्टरिंग एक इनवॉइस के आधार पर पूर्व-भुगतान करके आपूर्तिकर्ताओं के लिए वित्तीय व्यवस्था करना है। यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को तरलता प्रदान करने के साथ-साथ प्राप्ति-योग्य वसूली की सुविधा प्रदान करता है। भारत का फैक्टरिंग आकार 20,000 करोड़ से कम है। कारखाना नियमन अधिनियम, 2012 के माध्यम से कारखाने के लिए एक वैधानिक संरचना उपलब्ध होता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस दिशा में मार्गनिर्देश जारी किए हैं। हालांकि, कारखाने के लिए कोई बीमा सुविधा नहीं है। 

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