No: 0 Dated: Sep, 22 2014

Cabinet endorses major amendments to simplify labour laws

9 labour laws not to be enforced in micro industries

Major initiative by state government before GIS

Bhopal : Monday, September 22, 2014, 21:25 IST

 

A cabinet meeting chaired by Chief Minister Shri Shivraj Singh Chouhan here today gave in-principle sanction to major amendments to simplify labour laws. Amendments have been proposed in 20 laws in favour of both labourers and entrepreneurs. Go-ahead of Government of India will be sought where required. These amendments have assumed added significance in view to Global Investors Summit to be at Indore next month. As a result of these amendments, entrepreneurs will be encouraged to establish industries in the state and labourers’ working conditions will improve.

 

Micro industries exempted from 9 labour laws

Micro industries are proposed to be exempted from 9 labour laws. Their inspection will be made only after advance permission from Labour Commissioner. Status quo is proposed to be maintained in provisions for the salaries, gratuity, bonus, ESI, provident fund etc. for workers in these industries.

At present, a labourer becomes entitled to holidays for next calendar year after working for 240 days. As per proposed amendment, a labourer will become entitled for paid holiday after working for 180 days during the same year. In place of 61 registers, one consolidate register will be maintained under16 labour laws and only 2 returns are proposed to be filed instead of 13 annually.

 

Ban on women workers’ night shift lifted

As part of efforts to further women’s empowerment and providing more employment opportunities to women workers, it is proposed to lift ban on their working in night shift. However, the employer will have to follow prescribed norms and conditions for their safety.

 

Child laborer’s rehabilitation

As per amendment, now an employer will have to deposit Rs. 25 thousand in labourer rehabilitation fund if child labourers are found in his establishment. Criminal case will also be filed. Period of overtime for labourers in establishments is also proposed to be enhanced. Overtime period in a quarter will be increased from 75 to 125 hours. Now, consent of labourers for overtime will be mandatory.

It is proposed to rid gumashta establishments (with less then 9 labourers) of unnecessary inspections. Inspections will be made only after advance permission from Labour Commissioner. Powers of giving permission for filing cases under Factory Act is proposed to be vested in Labour Commissioner instead of inspector. Deemed provision is proposed for ridding of unnecessary procedures of licence and registration under 5 labour laws. Licence/registration not issued within time-limit will be deemed as issued.

 

Permission for lay-off only on number of labourers being 300

Provision of compounding is proposed in Labour laws as a result of which only fine will have to be paid instead of jail term. Madhya Pradesh Industrial Employment Standing Order Act is proposed to be implemented on number of labourers being 50 instead of 20. Permission for layoff, retrenchment, closure will have to be taken when number of labourers is 300 instead of 100. A provision has been proposed to give 3-month notice and 3 months’ salary separately in establishments with less then 300 labourers to ensure that labourers get better compensation on lay-off. This provision will inspire employers to employ over 100 labourers on regular rolls. “Plant & Machinery” needs to be separated from construction cost for fixation of Building & Other Construction Workers Welfare Cess.

D.K. Malviya

 

श्रम कानूनों को सरल बनाने मंत्रि-परिषद् द्वारा बड़े संशोधनों को मंजूरी

सूक्ष्म उद्योगों पर नहीं लागू होंगे 9 श्रम कानून

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले राज्य शासन की बड़ी पहल

भोपाल : सोमवार, सितम्बर 22, 2014, 18:24 IST

 

 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में श्रम कानूनों को सरल बनाने के लिये बड़े संशोधनों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गयी। श्रमिकों एवं उद्यमियों दोनों के हित संवर्धन के लिये 20 कानून में संशोधन प्रस्तावित किये गये हैं। जिन संशोधनों के लिये भारत सरकार की मंजूरी आवश्यक है उन्हें केन्द्र के पास भेजा जायेगा। अगले माह इंदौर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के मद्देनजर इन प्रस्तावित संशोधन का अत्यधिक महत्व है। इनसे जहाँ एक ओर उद्यमी प्रदेश में उद्योग लगाने के लिये प्रोत्साहित होंगे, वहीं श्रमिकों की कार्य-शर्तों और कार्य-स्थितियों में आमूल सुधार होगा। साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

 

सूक्ष्म उद्योगों को 9 श्रम कानून से छूट

सूक्ष्म उद्योगों को 9 श्रम कानून से छूट दिया जाना प्रस्तावित है। इनमें निरीक्षण भी श्रमायुक्त की पूर्व अनुमति से ही हो सकेगा। इनमें कार्यरत श्रमिकों के वेतन, ग्रेच्युटी, बोनस, ईएसआई, भविष्य निधि आदि के प्रावधान यथावत रखा जाना प्रस्तावित है।

अभी श्रमिक को 240 दिन काम करने पर अगले केलेण्डर वर्ष में छुट्टी की पात्रता होती है। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अब उसे 180 दिन काम करने पर चालू केलेण्डर वर्ष में ही सवैतनिक अवकाश की पात्रता होगी। सोलह श्रम अधिनियम में संधारित की जाने वाली 61 पंजी के स्थान पर एकजाई पंजी का संधारण और 13 विवरणी के स्थान पर केवल दो वार्षिक विवरणी प्रस्तावित है।

 

महिलाओं के लिये रात पाली पर प्रतिबंध समाप्त

महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने और महिला श्रमिकों को रोजगार के अधिक अवसर मुहैया करवाने के लिये उनके रात पाली में काम करने पर प्रतिबंध समाप्त किया जाना प्रस्तावित है। किंतु उनकी सुरक्षा के लिये नियोजक को निर्धारित शर्तों का पालन करना होगा।

 

बाल श्रमिक पुनर्वास

संशोधन के अनुसार बाल श्रमिकों के तेजी से पुनर्वास के लिये अब बाल श्रमिक पाये जाने पर नियोजक को 25 हजार रुपये बाल श्रमिक पुनर्वास फंड में तत्काल जमा करना होगा। आपराधिक मुकदमा अलग से चलेगा। स्थापनाओं में श्रमिकों के ओवर टाइम की अवधि बढ़ाया जाना प्रस्तावित है। तिमाही में ओवर टाइम के घंटे 75 से बढ़कर 125 होंगे। अब ओवर टाइम के लिये श्रमिकों की सहमति आवश्यक होगी।

गुमाश्ता स्थापनाओं (जिनमें 10 से कम श्रमिक हैं) को अनावश्यक निरीक्षणों से मुक्ति और निरीक्षण केवल श्रमायुक्त की पूर्व अनुमति से किया जाना आवश्यक है। कारखाना अधिनियम में मुकदमे की अनुमति का अधिकार निरीक्षक के स्थान पर अब श्रमायुक्त को दिया जाना प्रस्तावित है। पाँच श्रम कानून में लायसेंस और रजिस्ट्रेशन के लिये अनावश्यक प्रक्रियाओं से मुक्ति की दिशा में डीम्ड प्रावधान प्रस्तावित है। लायसेंस/रजिस्ट्रेशन निर्धारित समय-सीमा में जारी न करने पर स्वत: जारी माना जायेगा।

 

300 श्रमिक होने पर ही ले-ऑफ अनुमति आवश्यक

श्रम कानून में कम्पाउंडिंग का प्रावधान प्रस्तावित है, जिससे सजा के स्थान पर केवल जुर्माना भरना होगा। मध्यप्रदेश औद्योगिक नियोजन स्थायी आदेश अधिनियम 20 के स्थान पर 50 श्रमिक होने पर लागू करना प्रस्तावित है। सौ स्थान पर अब 300 श्रमिक होने पर ही ले-ऑफ, छटनी, बंदीकरण के लिये राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। तीन सौ से कम श्रमिक वाली स्थापनाओं के श्रमिकों को बेहतर छटनी मुआवजा दिलवाने के उद्देश्य से अब तीन माह का नोटिस एवं तीन माह का वेतन अलग से दिये जाने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है। इस संशोधन से नियोजक 100 से अधिक श्रमिक को नियमित रोल पर लिये जाने के लिये प्रोत्साहित होंगे। भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर के निर्धारण के समय 'प्लांट एवं मशीनरी' को निर्माण लागत से पृथक करना आवश्यक है।

दिनेश मालवीय

 

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