Cabinet approves National Intellectual Property Rights Policy
No: --- Dated: May, 13 2016
The Union Cabinet yesterday approved the National Intellectual Property Rights (IPR) Policy that will lay the future roadmap for intellectual property in India. The Policy recognises the abundance of creative and innovative energies that flow in India, and the need to tap into and channelise these energies towards a better and brighter future for all.
The National IPR Policy is a vision document that aims to create and exploit synergies between all forms of intellectual property (IP), concerned statutes and agencies. It sets in place an institutional mechanism for implementation, monitoring and review. It aims to incorporate and adapt global best practices to the Indian scenario. This policy shall weave in the strengths of the Government, research and development organizations, educational institutions, corporate entities including MSMEs, start-ups and other stakeholders in the creation of an innovation-conducive environment, which stimulates creativity and innovation across sectors, as also facilitates a stable, transparent and service-oriented IPR administration in the country.
The Policy recognizes that India has a well-established TRIPS-compliant legislative, administrative and judicial framework to safeguard IPRs, which meets its international obligations while utilizing the flexibilities provided in the international regime to address its developmental concerns. It reiterates India’s commitment to the Doha Development Agenda and the TRIPS agreement.
While IPRs are becoming increasingly important in the global arena, there is a need to increase awareness on IPRs in India, be it regarding the IPRs owned by oneself or respect for others’ IPRs. The importance of IPRs as a marketable financial asset and economic tool also needs to be recognised. For this, domestic IP filings, as also commercialization of patents granted, need to increase. Innovation and sub-optimal spending on R&D too are issues to be addressed.
The broad contours of the National IPR Policy are as follows:
Vision Statement: An India where creativity and innovation are stimulated by Intellectual Property for the benefit of all; an India where intellectual property promotes advancement in science and technology, arts and culture, traditional knowledge and biodiversity resources; an India where knowledge is the main driver of development, and knowledge owned is transformed into knowledge shared.
Mission Statement:
Stimulate a dynamic, vibrant and balanced intellectual property rights system in India to:
o foster creativity and innovation and thereby, promote entrepreneurship and enhance socio-economic and cultural development, and
o focus on enhancing access to healthcare, food security and environmental protection, among other sectors of vital social, economic and technological importance.
Objectives:
The Policy lays down the following seven objectives:
- IPR Awareness: Outreach and Promotion - To create public awareness about the economic, social and cultural benefits of IPRs among all sections of society.
- Generation of IPRs - To stimulate the generation of IPRs.
- Legal and Legislative Framework - To have strong and effective IPR laws, which balance the interests of rights owners with larger public interest.
- Administration and Management - To modernize and strengthen service-oriented IPR administration.
- Commercialization of IPRs - Get value for IPRs through commercialization.
- Enforcement and Adjudication - To strengthen the enforcement and adjudicatory mechanisms for combating IPR infringements.
- Human Capital Development - To strengthen and expand human resources, institutions and capacities for teaching, training, research and skill building in IPRs.
These objectives are sought to be achieved through detailed action points. The action by different Ministries/ Departments shall be monitored by DIPP which shall be the nodal department to coordinate, guide and oversee implementation and future development of IPRs in India.
The National Intellectual Property Rights (IPR) Policy will endeavor for a “Creative India; Innovative India:रचनात्मक भारत; अभिनव भारत”.
मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को मंजूरी दी ‘रचनात्मक भारत: अभिनव भारत’ |
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कल राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को मंजूरी दे दी। इस कदम से भारत में बौद्धिक संपदा के लिए भावी रोडमैप तैयार करने में सहायता होगी। इस नीति से भारत में रचनात्मक और अभिनव ऊर्जा के भंडार को प्रोत्साहन मिलेगा तथा सबके बेहतर और उज्जवल भविष्य के लिए इस ऊर्जा का आदर्श इस्तेमाल संभव होगा। राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति एक विजन दस्तावेज है, जिससे समस्त बौद्धिक संपदाओं के बीच सहयोग संभव बनाया जाएगा। इसके अलावा संबंधित नियम भी तैयार किये जाएंगे। इसके जरिए कार्यान्वयन, निगरानी और समीक्षा से संबंधित संस्थागत प्रणालियों को लामबंद करने के लिए सहायता होगी। नीति से सरकार, अनुसंधान एवं विकास संगठनों, शिक्षा संस्थानों, सूक्ष्म, लघु,मध्यम उपक्रमों, स्टार्ट अप और अन्य हितधारकों को शक्ति संपन्न किया जाएगा, ताकि वे अभिनव तथा रचनात्मक वातावरण का विकास कर सकें। इस नीति के तहत इस बात पर बल दिया गया है कि भारत बौद्धिक संपदा संबंधी कानूनों को मानता है और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए यहां प्रशासनिक तथा न्यायिक ढांचा मौजूद है। इसके तहत दोहा विकास एजेंडा और बौद्धिक संपदा संबंधी समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है। बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्व पूरे विश्व में बढ़ रहा है, इसलिए यह आवश्यक है कि भारत में इन अधिकारों के प्रति जागरूकता बढा़ई जाए। बौद्धिक संपदा अधिकारों के साथ वित्तीय और आर्थिक पक्ष भी जुड़े हुए हैं। इसके लिए घरेलू स्तर पर आईपी फाइलिंग और पेटेंट की वाणिज्यिक स्थिति के बारे में भी जानकारी आवश्यक है। राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं – विजन घोषणा – भारत में सबके लाभ के लिए बौद्धिक संपदा को रचनात्मक और अभिनव आधार मिलता है। भारत में बौद्धिक संपदा से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कला, संस्कृति, पारम्परिक ज्ञान और जैव विविधता संसाधनों को प्रोत्साहन मिलता है। भारत में विकास के लिए ज्ञान मुख्य कारक है। मिशन घोषणा – भारत में शक्तिशाली, जीवंत और संतुलित बौद्धिक संपदा अधिकार प्रणाली से रचनात्मकता और नवाचार को सहायता मिलती है, उद्यमशीलता को प्रोत्साहन मिलता है तथा सामाजितक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा मिलता है। इसके जरिए स्वास्थ्य सुविधा, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षा को बढ़ाने में मदद मिलती है। अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी महत्व भी इससे जुड़े हुए हैं। लक्ष्य - इस नीति के निम्नलिखित सात लक्ष्य हैं – 1. बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता : पहुंच और प्रोत्साहन – समाज के सभी वर्गो में बौद्धिक संपदा अधिकारों के आर्थिक,सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों के प्रति जागरूकता पैदा करना। 2. बौद्धिक संपदा अधिकारों का सृजन- बौद्धिक संपदा अधिकारों के सृजन को बढ़ावा। 3. वैधानिक एवं विधायी ढांचा – मजबूत और प्रभावशाली बौद्धिक संपदा अधिकार नियमों को अपनाना, ताकि अधिकृत व्यक्तियों तथा बृहद लोकहित के बीच संतुलन कायम हो सके। 4. प्रशासन एवं प्रबंधन – सेवा आधारित बौद्धिक संपदा अधिकार प्रशासन को आधुनिक और मजबूत बनाना। 5. बौद्धिक संपदा अधिकारों का व्यवसायीकरण – व्यवसायीकरण के जरिए बौद्धिक संपदा अधिकारों का मूल्य निर्धारण। 6. प्रवर्तन एवं न्यायाधिकरण – बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघनों का मुकाबला करने के लिए प्रवर्तन एवं न्यायिक प्रणालियों को मजबूत बनाना। 7. मानव संसाधन विकास – मानव संसाधनों, संस्थानों की शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत बनाना तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों में कौशल निर्माण करना। इन लक्ष्यों को विस्तृत कार्य प्रणाली के जरिए हासिल किया जाएगा। विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की निगरानी डीआईपीपी करेगा। डीआईपीपी भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों के भावी विकास, कार्यान्वयन, दिशा-निेर्देश और समन्वय करने वाला नोडल विभाग होगा। राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति ‘रचनात्मक भारत : अभिनव भारत’ के लिए काम करेगी। |