No: -- Dated: Sep, 15 2021

मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र में बड़े सुधारों को मंजूरी दी

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने आज दूरसंचार क्षेत्र में कई संरचनात्मक और प्रक्रिया सुधारों को मंजूरी दी। इन सुधारों से रोजगार के अवसरों की रक्षा और सृजन की, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की, तरलता बढ़ाने की, निवेश को प्रोत्साहित करने की और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) पर नियामक बोझ को कम करने की अपेक्षा है।

कोविड-19 की चुनौतियों का सामना करने में दूरसंचार क्षेत्र के उत्कृष्ट प्रदर्शन, डेटा की खपत में भारी वृद्धि, ऑनलाइन शिक्षा, घर से काम, सोशल मीडिया के माध्यम से पारस्परिक संपर्क, आभासी बैठक आदि की पृष्ठभूमि में ये सुधारात्मक उपाय ब्रॉडबैंड और दूरसंचार कनेक्टिविटी के प्रसार और पैठ को और प्रोत्साहित करेंगे । कैबिनेट का यह फैसला प्रतिस्पर्धा और ग्राहकों की पसंद, समावेशी विकास के लिए अंत्योदय, हाशिए के क्षेत्रों को मुख्यधारा में लाने और असम्बद्धों को जोड़ने के लिए सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड की पहुँच के साथ एक मजबूत दूरसंचार क्षेत्र के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को पुष्ट करता है। इस पैकेज से 4जी प्रसार, तरलता निषेचन और 5जी नेटवर्क में निवेश के लिए अनुकूल माहौल के निर्माण को प्रोत्साहित करने की भी अपेक्षा है ।

नौ संरचनात्मक सुधार और पांच प्रक्रियात्मक सुधार और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए राहत उपाय नीचे दिए गए हैं:-

संरचनात्मक सुधार

  1. समायोजित सकल राजस्व का युक्तिकरण: गैर-दूरसंचार राजस्व को समायोजित सकल राजस्व की परिभाषा से भावी आधार पर बाहर रखा जाएगा।
  2. बैंक गारंटी (बीजी) को युक्तिसंगत बनाया गया: लाइसेंस शुल्क (एलएफ) और अन्य समान करारोपण के एवज में बैंक गारंटी आवश्यकताओं (80%) में भारी कमी की गई है। बैंक गारंटी को अब केंद्रीकृत तरीके से देना होगा । देश में विभिन्न लाइसेंस सेवा क्षेत्रों (एलएसए) में अनेक बैंक गारंटी की अब कोई आवश्यकता नहीं है।
  3. ब्याज दरों को युक्तिसंगत बनाया गया /दंड हटाया गया: 1 अक्टूबर, 2021 से, लाइसेंस शुल्क (एलएफ)/स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) के विलंबित भुगतान पर ब्याज दर एसबीआई एमसीएलआर+4% के बजाय एमसीएलआर+2% होगी; ब्याज को मासिक के बजाय सालाना संयोजित किया जाएगा  तथा जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज हटा दिया जाएगा ।
  4. अब से आयोजित नीलामी में किश्त भुगतान को सुरक्षित करने के लिए किसी बैंक गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी। यह सरकार द्वारा व्यवसाय में विश्वास की अभिव्यक्ति है।
  5. स्पेक्ट्रम अवधि: भविष्य की नीलामी में, स्पेक्ट्रम की अवधि 20 से बढ़ाकर 30 वर्ष कर दी गई है।
  6. भविष्य में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए 10 वर्षों के बाद स्पेक्ट्रम के अभ्यर्पण की अनुमति दी जाएगी।
  7. भविष्य की नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए कोई स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) नहीं होगा।
  8. स्पेक्ट्रम साझेदारी को प्रोत्साहित किया गया- स्पेक्ट्रम साझेदारी के लिए 0.5% का अतिरिक्त एसयूसी हटाया गया है।
  9. निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए, दूरसंचार क्षेत्र में स्वत: मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है।

प्रक्रियात्मक सुधार

  1. नीलामी कलैण्डर नियत - स्पेक्ट्रम नीलामी सामान्यतः प्रत्येक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में आयोजित की जाएगी।
  2. व्यापार सुगमता  को बढ़ावा दिया गया - वायरलेस उपकरण के आयात के लिए 1953 की सीमा शुल्क अधिसूचना के तहत आयात लाइसेंस की दुष्कर आवश्यकता को हटा दिया गया है। इसे स्व-घोषणा से प्रतिस्थापित किया जाएगा।
  3. अपने ग्राहकों को जानें (केवाईसी) सुधार: स्व-केवाईसी (ऐप आधारित) की अनुमति दी गई है। ई-केवाईसी की दर को संशोधित कर केवल एक रुपया कर दिया गया है। प्री-पेड से पोस्ट-पेड और इसके विपरीत में स्थानांतरण के लिए फिर से नए केवाईसी की आवश्यकता नहीं होगी।
  4. काग़ज़ी ग्राहक अधिग्रहण फॉर्म (CAF) को डेटा के डिजिटल स्टोरेज से बदल दिया जाएगा। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के विभिन्न गोदामों में पड़े लगभग 300-400 करोड़ काग़ज़ी ग्राहक अधिग्रहण फॉर्म की आवश्यकता नहीं होगी।
  5. दूरसंचार टावरों के लिए साक्फा (फ्रीक्वेंसी आवंटन के लिए स्थायी सलाहकार समिति) मंजूरी में ढील दी गई। दूरसंचार विभाग पोर्टल पर स्व-घोषणा के आधार पर डेटा स्वीकार करेगा। अन्य एजेंसियों के पोर्टल (जैसे नागरिक उड्डयन) को दूरसंचार विभाग के पोर्टल से जोड़ा जाएगा।

दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की तरलता आवश्यकताओं का समाधान

कैबिनेट ने सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के लिए निम्नलिखित को मंजूरी दी:

    • समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के फैसले से उत्पन्न होने वाले देय राशि के वार्षिक भुगतान में चार साल तक की मोहलत/आस्थगन, हालांकि, आस्थगित देय राशियों को राशियों के शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) की रक्षा करके संरक्षित किया जा रहा है।
    • पिछली नीलामियों (2021 की नीलामी को छोड़कर) में खरीदे गए स्पेक्ट्रम के देय भुगतान पर, शुद्ध वर्तमान मूल्य के संगत नीलामी में नियत ब्याज दर पर रक्षण के साथ, चार साल तक की मोहलत/आस्थगन।
    • दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को भुगतान के उक्त आस्थगन के कारण उत्पन्न होने वाली ब्याज राशि को इक्विटी के माध्यम से भुगतान करने का विकल्प दिया जाएगा।
    • सरकार के विकल्प पर, अधिस्थगन/आस्थगन अवधि के अंत में उक्त आस्थगित भुगतान से संबंधित देय राशि को इक्विटी में परिवर्तित  किया जा सकेगा, जिसके लिए वित्त मंत्रालय द्वारा दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

उपरोक्त सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए लागू होगा और तरलता और नकदी प्रवाह को आसान बनाकर राहत प्रदान करेगा। इससे विभिन्न बैंकों को दूरसंचार क्षेत्र में पर्याप्त निवेश करने में भी मदद मिलेगी।

Cabinet approves major Reforms in Telecom Sector

The Union Cabinet, chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi, today approved a number of structural and process reforms in the Telecom sector. These are expected to protect and generate employment opportunities, promote healthy competition, protect interests of consumers, infuse liquidity, encourage investment and reduce regulatory burden on Telecom Service Providers (TSPs).

In the backdrop of the outstanding performance of the Telecom Sector in meeting COVID-19 challenges, with huge surge in data consumption, online education, work from home, interpersonal connect through social media, virtual meetings etc., the Reform measures will further boost the proliferation and penetration of broadband and telecom connectivity. The Cabinet decision reinforces the Prime Minister’s vision of a robust Telecom Sector. With competition and customer choice, antyodaya for inclusive development and bringing the marginalized areas into the mainstream and universal broadband access to connect the unconnected. The package is also expected to boost 4G proliferation, infuse liquidity and create an enabling environment for investment in 5G networks.

Nine structural reforms and Five procedural reforms plus relief measures for the Telecom Service Providers are as below:

Structural Reforms

  1. Rationalization of Adjusted Gross Revenue:  Non-telecom revenue will be excluded on prospective basis from the definition of AGR.
  2. Bank Guarantees (BGs) rationalized: Huge reduction in BG requirements (80%) against License Fee (LF) and other similar Levies. No requirements for multiple BGs in different Licenced Service Areas (LSAs) regions in the country. Instead, One BG will be enough.
  3. Interest rates rationalized/ Penalties removed: From 1st October, 2021, Delayed payments of License Fee (LF)/Spectrum Usage Charge (SUC) will attract interest rate of SBI’s MCLR plus 2% instead of MCLR plus 4%; interest compounded annually instead of monthly; penalty and interest on penalty removed.
  4. For Auctions held henceforth, no BGs will be required to secure instalment payments. Industry has matured and the past practice of BG is no longer required. 
  5. Spectrum Tenure: In future Auctions, tenure of spectrum increased from 20 to 30 years.
  6. Surrender of spectrum will be permitted after 10 years for spectrum acquired in the future auctions.
  7. No Spectrum Usage Charge (SUC) for spectrum acquired in future spectrum auctions.
  8. Spectrum sharing encouraged- additional SUC of 0.5% for spectrum sharing removed.
  9. To encourage investment, 100% Foreign Direct Investment (FDI) under automatic route permitted in Telecom Sector. All safeguards will apply.

Procedural Reforms

  1. Auction calendar fixed - Spectrum auctions to be normally held in the last quarter of every financial year.
  2. Ease of doing business promoted - cumbersome requirement of licenses under 1953 Customs Notification for wireless equipment removed. Replaced with self-declaration.
  3. Know Your Customers (KYC) reforms: Self-KYC (App based) permitted. E-KYC rate revised to only One Rupee. Shifting from Prepaid to Post-paid and vice-versa will not require fresh KYC.
  4. Paper Customer Acquisition Forms (CAF) will be replaced by digital storage of data. Nearly 300-400 crore paper CAFs lying in various warehouses of TSPs will not be required. Warehouse audit of CAF will not be required.
  5. SACFA clearance for telecom towers eased. DOT will accept data on a portal based on self-declaration basis. Portals of other Agencies (such as Civil Aviation) will be linked with DOT Portal.

Addressing Liquidity requirements of Telecom Service Providers

The Cabinet approved the following for all the Telecom Service Providers (TSPs):

  1. Moratorium/Deferment of upto four years in annual payments of dues arising out of the AGR judgement, with however,  by protecting the Net Present Value (NPV) of the due amounts being protected.
  2. Moratorium/Deferment on due payments of spectrum purchased in past auctions (excluding the auction of 2021) for upto four years with NPV protected at the interest rate stipulated in the respective auctions.
  3. Option to the TSPs to pay the interest amount arising due to the said deferment of payment by way of equity.
  4. At the option of the Government, to convert the due amount pertaining to the said deferred payment by way of equity at the end of the Moratorium/Deferment period, guidelines for which will be finalized by the Ministry of Finance.

The above will be applicable for all TSPs and will provide relief by easing liquidity and cash flow. This will also help various banks having substantial exposure to the Telecom sector.

Courtesy – Press Information Bureau, Government of India​​

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