No: ---- Dated: Dec, 11 2019

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज दिवाला और दिवालियापन संहिता (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2019 के माध्यम से दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (संहिता) में अनेक संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। संशोधन का लक्ष्य संहिता के उद्देश्यों की पूर्ति करना तथा कारोबार में और अधिक सुगमता सुनिश्चित करने के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया में आ रही विशेष कठिनाइयों को दूर करना है।

प्रस्ताव का विवरण

संशोधन विधेयक का उदेश्य  धारा 5 (12), 5 (15), 7, 11, 14, 16 (1), 21 (2), 23 (1), 29 ए, 227, 239, 240 में संशोधन करने के साथ-साथ दिवाला एवं दिवालियापन संहिता,  2016 (संहिता) में एक नई धारा 32ए को शामिल करना है।

प्रभाव

  1. संहिता में संशोधन से बाधाएं दूर होंगी, सीआईआरपी सुव्यवस्थित होगी और अंतिम विकल्‍प वाले वित्तपोषण के संरक्षण से वित्तीय संकट का सामना कर रहे सेक्टरों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

  2. कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया  (सीआईआरपी ) शुरू करने में होने वाली गड़बड़ियों की रोकथाम के लिए व्‍यापक वित्तीय कर्जदाताओं के लिए अतिरिक्त आरंभिक सीमा शुरू की गई है जिनका प्रतिनिधित्व एक अधिकृत प्रतिनिधि करेगा।

  3. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कॉरपोरेट कर्जदार के कारोबार का आधार कमजोर न पड़े और उसका व्यवसाय निरंतर जारी रहे। इसके लिए यह स्पष्ट किया जाएगा कि कर्ज स्थगन अवधि के दौरान लाइसेंस, परमिट, रियायतों, मंजूरी इत्यादि को न तो समाप्त अथवा निलंबित या नवीकरण नहीं किया जा सकता है।

  4. आईबीसी के तहत कॉरपोरेट कर्जदार को संरक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके तहत पूर्ववर्ती प्रबंधन/प्रमोटरों द्वारा किए गए अपराधों के लिए सफल दिवाला समाधान आवेदक पर कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

The Union Cabinet chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi today approved the proposal to make amendments in the Insolvency and Bankruptcy Code, 2016 (code), through the Insolvency and Bankruptcy Code (Second Amendment) Bill, 2019.  The amendments aim to remove certain difficulties being faced during insolvency resolution process to realise the objects of the code and to further ease doing of business.

Details of the Proposal

          The Amendment Bill seeks to amend sections 5(12), 5(15), 7, 11, 14, 16(1), 21(2), 23(1), 29A, 227, 239, 240 and insert new section 32A in the Insolvency and Bankruptcy Code, 2016 (Code). 

Impact

  1. Amendments to the Code to remove bottlenecks, streamline the CIRP and protection of last mile funding will boost investment in financially distressed sectors.

  2. Additional thresholds introduced for Financial Creditors represented by an authorized representative due to large numbers in order to prevent frivolous triggering of Corporate Insolvency Resolution Process (CIRP).

  3. Ensuring that the substratum of the business of corporate debtor is not lost, and it can continue as a going concern by clarifying that the licenses, permits, concessions, clearances etc. cannot be terminated or suspended or not renewed during the moratorium period.

  4. Ring-fencing corporate debtor resolved under the IBC in favour of a successful resolution applicant from criminal proceedings against offences committed by previous management/promoters.

Courtesy – Press Information Bureau, Government of India

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