No: --- Dated: Nov, 27 2019

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जूट वर्ष 2019-20 के लिए खाद्यान्न और चीनी को अनिवार्य रूप से जूट की बोरियों में पैकेजिंग के नियमों के विस्तार को मंजूरी दी।

सरकार ने पिछले वर्ष के सामान जूट पैकेजिंग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम, 1987 के तहत अनिवार्य पैकेजिंग नियमों के विस्तार को बनाए रखा है। मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार 100 प्रतिशत खाद्यान्न और 20 प्रतिशत चीनी की पैकेजिंग अनिवार्य रूप से जूट की बोरियों में की जानी चाहिए।

लाभः

चीनी की पैकेजिंग जूट की बोरियों में करने से जूट उद्योग को लाभ मिलेगा। निर्णय में यह भी कहा गया है कि पैकेजिंग के लिए जूट बोरियों का 10 प्रतिशत जीईएम पोर्टल पर नीलामी के जरिए प्राप्त किया जाना चाहिए।  

इस मंजूरी से देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा के किसानों और श्रमिकों को लाभ मिलेगा।

पृष्ठभूमिः

लगभग 3.7 लाख श्रमिक और कई लाख किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए जूट क्षेत्र पर निर्भर है। सरकार जूट क्षेत्र के विकास के लिए लगातार प्रयास कर रही है- कच्चे जूट की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाना, जूट क्षेत्र का विविधीकरण और जूट उत्पादों के लिए मांग को बढ़ावा देना।

जूट उद्योग मुख्य रूप से सरकारी क्षेत्र पर निर्भर है, जो खाद्यान्न पैकेजिंग के लिए प्रति वर्ष 7,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के जूट की बोरियां खरीदती हैं। जूट क्षेत्र में मांग को बनाए रखने के लिए तथा श्रमिकों और किसानों की आजीविका को समर्थन प्रदान करने के लिए ऐसा किया जाता है।

जूट क्षेत्र को दिए जाने वाले अन्य समर्थनः

कच्चे जूट की उत्पादकता और गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए जूट आईसीएआरई लागू किया गया था। इसके जरिए सरकार लगभग दो लाख जूट किसानों को सहायता प्रदान कर रही है। इसके अंतर्गत बेहतर तरीकों जैसे- सीड ड्रिल के माध्यम से पंक्ति में बीज रोपना, व्हील-होइंग और नेल-वीडर के उपयोग से खत-पतवार प्रबंधन, गुणवत्तापूर्ण और प्रमाणीकृत बीजों का वितरण और सूक्ष्म जीवों के सहारे सड़ाना/जूट रेशे को तैयार करना। इन हस्ताक्षेपों से कच्चे जूट की गुणवत्ता और उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है और जूट किसानों की आय में 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक की वृद्धि हुई है।

इस संबंध में जूट किसानों को समर्थन प्रदान करने के लिए जेसीआई को 2018-19 से प्रारंभ होने वाले वर्ष समेत दो वर्षों के लिए 100 करोड़ रुपये की सब्सिडी का अनुदान दिया गया है। जेसीआई इस धन राशि का उपयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रदान करने के लिए करेगा और इस प्रकार जूट क्षेत्र में मूल्य की स्थिरता सुनिश्चित होगी।

जूट क्षेत्र के विविधीकरण को समर्थन प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय जूट बोर्ड ने राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान के साथ समझौता किया है और गांधी नगर में जूट डिजाइन सेल की स्थापना की गई है। जूट जियो कपड़े और एग्रो-कपड़े को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों (विशेषकर पूर्वोत्तकर क्षेत्र के) तथा सड़क परिवहन और जल संसाधन मंत्रालयों के साथ विचार-विमर्श किया गया है।

जूट क्षेत्र में मांग को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने बांग्लादेश और नेपाल से जूट उत्पादों की आयात पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लगाई है। यह 5 जनवरी, 2017 से लागू है।

जूट क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए दिसंबर, 2016 में जूट स्मार्ट लॉन्च किया गया। यह ई-शासन पहल है और सरकारी विभागों/एजेंसियों द्वारा बी-ट्विल खरीद के लिए एक एकीकृत प्लेटफॉर्म है। जेसीआई, एमएसपी की धन राशि को किसानों को प्रदान करने के लिए तथा अन्य व्यावसायिक कार्यों के लिए 100 प्रतिशत ऑनलाइन भुगतान का उपयोग कर रही है।

The Cabinet Committee on Economic Affairs, chaired by Prime Minister Shri Narendra Modi has accorded its approval for mandatory packaging of foodgrains and sugar in jute material for the Jute Year 2019-20.

The Government has retained the scope of mandatory packaging norms under the Jute Packaging Material (JPM) Act, 1987 as per last year. The decision of the Cabinet mandates that 100% of the food grains and 20% of the sugar shall be mandatorily packed in diversified jute bags.

Benefits:

The decision to pack sugar in diversified jute bags will give an impetus to the diversification of the jute industry. Further, the decision also mandates that initially 10% of the indents of jute bags for packing food grains would be placed through reverse auction on the GeM portal. This will gradually usher in a regime of price discovery.

The approval will benefit farmers and workers located in the Eastern and North-Eastern regions of the country particularly in the states of West Bengal, Bihar, Odisha, Assam, Andhra Pradesh, Meghalaya and Tripura.

Background:

Nearly 3.7 lakh workers and several lakh farm families are dependent for their livelihood on the jute sectors.  The government has been making concerted efforts for the development of the jute sector; increasing the quality and productivity of raw jute, diversification of jute sector and also boosting and sustaining demand for jute products.

The jute industry is predominantly dependent on Government sector which purchases jute bags of value of more than Rs. 7,500 crore every year for packing foodgrains. This is done in order to sustain the core demand for the jute sector and to support the livelihood of the workers and farmers dependent on the sector.

Other Support provided to the Jute Sector:

In order to improve the productivity and quality of raw jute through a carefully designed intervention, called the Jute ICARE, the Government has been supporting approximately two lakh jute farmers by disseminating improved agronomic practices such as line sowing using seed drills, weed management by using wheel-hoeing and nail-weeders, distribution of quality certified seeds and also providing microbial assisted retting. These interventions have resulted in enhancing the quality and productivity of raw jute and increasing income of jute farmers by Rs. 10,000 per hectare.

In this connection, to support jute farmers, a grant of subsidy of Rs. 100 crore for two years starting from 2018-19 has been approved to enable JCI to conduct MSP operations and ensure price stabilization in the jute sector.

With a view to support diversification of jute sector, the National Jute Board has collaborated with National Institute of Design and a Jute Design Cell has been opened at Gandhinagar. Further, promotion of Jute Geo Textiles and Agro-Textiles has been taken up with the State Governments particularly those in the North-Eastern region and also with departments such as the Ministry of Road Transport and Ministry of Water Resources.

With a view to boost demand in the jute sector, Government of India has imposed Definitive Anti-Dumping Duty on import of jute goods from Bangladesh and Nepal with effect from 5th January, 2017.

With a view to promoting transparency in the jute sector, Jute SMART, an e-govt initiative was launched in December, 2016, providing an integrated platform for procurement of B-Twill sacking by Government agencies. Further, the JCI is transferring 100% funds to jute farmers online for jute procurement under MSP and commercial operations.

Courtesy – Press Information Bureau, Government of India

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