No: --- Dated: Mar, 10 2016

 

The Union Cabinet chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi has given its approval for the amendment to the Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957 (MMDR Act, 1957). The amendment will allow transfer of captive mining leases not granted through auction.Transfer of captive mining leases, granted otherwise than through auction, would allow mergers and acquisitions of companies and facilitate ease of doing business for companies to improve profitability and decrease costs of the companies' dependent on supply of mineral ore from captive leases. The transfer provisions will also facilitate banks and financial institutions to liquidate stressed assets where a company or its captive mining lease is mortgaged. 

The amendment will benefit lessees desirous of transferring the captive leases not granted through auction. It will also benefit banks and financial institutions. It does not entail any recurring or non-recurring expenditure on the Government. 

Background:

The MMDR Act, 1957, as amended through the MMDR Amendment Act, 2015, restricted the scope of transferability of concessions granted through auction. It was restricting the mergers and acquisitions of companies and was impeding the ease of doing business for companies dependent on supply of mineral ore from captive leases. The provision was coming in the way of banks and financial institutions to liquidate stressed assets where a company or its captive mining lease is mortgaged.

 

खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर अधिनियम, 1957) में संशोधन को अपनी स्‍वीकृति दे दी है। इस संशोधन के तहत कैप्टिव माइनिंग वाले उन पट्टों का हस्‍तांतरण करने की इजाजत दी गई है, जिन्‍हें नीलामी के जरिये मंजूरी नहीं दी गई है। कैप्टिव माइनिंग वाले पट्टों के हस्‍तांतरण से कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण के साथ-साथ कंपनियों के लिए कारोबार में सुगमता का मार्ग भी प्रशस्‍त हो जाएगा, जिससे उनकी लाभप्रदता बढ़ जाएगी और इसके साथ ही कैप्टिव पट्टों से आपूर्ति किए जाने वाले खनिज अयस्‍क पर कंपनियों की निर्भरता की लागत घट जाएगी। हस्‍तांतरण वाले प्रावधानों से बैंकों और वित्‍तीय संस्‍थानों के लिए उन गैर निष्‍पादित परिसंपत्तियों का परिसमापन करने का भी मार्ग प्रशस्‍त हो जाएगा, जिनके तहत संबंधित कंपनी अथवा उसके कैप्टिव माइनिंग वाले पट्टे को गिरवी रख दिया जाता है।

उपर्युक्‍त संशोधन से वे पट्टेदार लाभान्वित होंगे, जो उन कैप्टिव पट्टों को हस्‍तांतरित करने के इच्‍छुक हैं, जिन्‍हें नीलामी के जरिये हासिल नहीं किया गया है। इससे बैंक और वित्‍तीय संस्‍थान भी लाभान्वित होंगे। इसमें सरकार पर किसी भी आवर्ती या गैर-आवर्ती व्यय का बोझ नहीं पड़ता है। 

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