उत्तराखण्ड माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली, 2011
No: -- Dated: Dec, 19 2011
उत्तराखण्ड शासन
समाज कल्याण अनुभाग
अधिसूचना
राज्यपाल, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषणए तथा कल्याण अधिनियम, 2007 (केन्द्रीय अधिनियम संख्या 56 वर्ष 2007) की धारा 32 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके, निम्नलिखित नियमावली बनाते है|
भाग-एक
प्रारम्भिक
1. संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ तथा विस्तार :- 1- (1)- इस नियमावली का संक्षिप्त नाम उत्तराखण्ड माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली, 2011 है।
(2)- यह तुरन्त प्रवृत्त होगी।
(3)- इसका विस्तार सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में होगा।
2 . परिभाषाएं :- (1)- इस नियमावली में जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित हो,
(क)- “अधिनियम” से माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 (अधिनियम संख्या 56 वर्ष 2007)- अभिप्रेत है,
(ख)- "बालक" के अन्तर्गत पुत्र, पुत्री, पौत्र और पौत्री हैं, किन्तु इसमें कोई अव्यस्क सम्मिलित नही है ।
(ग)- “भरण-पोषण" में आहार, वस्त्र, निवास और चिकित्सीय परिचर्या और उपचार उपलब्ध कराना समिलित है,
(घ)- “अव्यस्क" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है, जिसके बारे में भारतीय व्यस्कता अधिनियम, 1875 के उपबन्धों के अधीन यह समझा जाता है कि उसने वयस्कता की आयु प्राप्त नहीं की है,
(ङ)- “माता-पिता" से पिता या माता अभिप्रेत है, चाहे वह, यथास्थिति, जैविक, दत्तक या सौतेला पिता या सौतेली माता है, चाहे माता या पिता कोई वरिष्ठ नागरिक हैं या नहीं,
(च)- “विहित” से इस अधिनियम के अधीन राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ,
(छ)- “सम्पत्ति" से किसी प्रकार की सम्पत्ति अभिप्रेत है, चाहे वह जंगम या स्थावर, पैतृक या स्वयं अर्जित, मूर्त या अमूर्त है और जिसमें ऐसी सम्पत्ति में अधिकार या हित सम्मिलित है,
(ज)- “नातेदार" से निःसंतान वरिष्ठ नागरिक का कोई विधिक वारिस अभिप्रेत है, जो अव्यस्क नहीं है तथा उसकी मृत्यु के पश्चात् उसकी सम्पत्ति उसके कब्जे में है या वह विरासत में प्राप्त करेगा ,
(झ)- “वरिष्ठ नागरिक" से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है, जो भारत का नागरिक है और जिसने साठ वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है,
(ञ)- किसी संघ राज्य क्षेत्र के सम्बन्ध में “राज्य सरकार" से संविधान के अनुच्छेद, 239 के अधीन नियुक्त उसका प्रशासक अभिप्रेत है,
(ट)- “अधिकरण" से धारा 7 के अधीन गठित भरण-पोषण अधिकरण अभिप्रेत है,
(ठ)- "अधिनियम" से माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 अभिप्रेत है,
(ड)- “कल्याण" से वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवश्यक आहार, स्वास्थ्य, देख-रेख, आमोद-प्रमोद केन्द्रों और अन्य सुख-सुविधाओं की व्यवस्था करना अभिप्रेत है।
(2)- अधिनियम में परिभाषित शब्दों और अभिव्यक्तियों के, जो इन नियमों में परिभाषित नहीं हैं, वही अर्थ होंगे, जो अधिनियम में क्रमशः उनके लिए दिए गए हैं।