उत्तराखण्ड नागरिक सुरक्षा अधीनस्थ सेवा नियमावली, 2016
No: 1176 Dated: Dec, 22 2016
उत्तराखण्ड सरकार
गृह अनुभाग
अधिसूचना
प्रकीर्ण
राज्यपाल 'भारत का संविधान' के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके और इस विषय पर समस्त विद्यमान नियमों और आदेशों का अधिक्रमण करते हुए उत्तराखण्ड नागरिक सुरक्षा अधीनस्थ सेवा में भर्ती और उसमें नियक्त व्यक्तियों की सेवा शर्तों को विनियमित करने के लिए निम्नलिखित नियमावली बनाते हैं :उत्तराखण्ड नागरिक सुरक्षा अधीनस्थ सेवा नियमावली, 2016
भाग एक-सामान्य
1.संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ :- (1) इस नियमावली का संक्षिप्त नाम “उत्तराखण्ड नागरिक सुरक्षा अधीनस्थ सेवा नियमावली, 2016” है|
(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगी।
2. सेवा की प्रास्थिति :- उत्तराखण्ड नागरिक सुरक्षा अधीनस्थ्य सेवा में समूह 'ग' के पद समाविष्ट हैं।
3.परिभाषाएं :- जब तक विषय या सन्दर्भ में कोई प्रतिकूल बात न हो, इस नियमावली में -
(क) "नियुक्ति प्राधिकारी'' से निदेशक, नागरिक सुरक्षा अभिप्रेत है;
(ख) "भारत का नागरिक" से ऐसे व्यक्ति अभिप्रेत है. जो संविधान के भाग 2 के अधीन भारत का नागरिक है या समझा जायः
(ग) ‘’संविधान’’ से भारत का संविधान अभिप्रेत है:
(घ)"आयोग' से 'अधीनस्थ सेवा चयन आयोग' अभिप्रेत है:
(ङ)"सरकार'' से उत्तराखण्ड की राज्य सरकार आभिप्रेत है;
(च)''राज्यपाल'' से उत्तराखण्ड के राज्यपाल अभिप्रेत है;
(छ)"सेवा का सदस्य'' से सेवा के सन्दर्भ में किसी पद पर इस नियमावली या इस नियमावली के प्रारम्भ होने के पूर्व प्रवृत्त नियमों या आदेशों के अधीन मौलिक रूप से नियुका व्यक्ति अभिप्रेत है:
(ज) "सेवा" से उत्तराखण्ड नागरिक सरक्षा आधीनस्थ सेवा अभिप्रेत है"
(झ) "मौलिक नियुक्ति" से सेवा के संवर्ग में किसी पद पर ऐसी नियुक्ति अभिप्रेत है जो तदर्थ नियुक्ति न हो और नियमों के अनुसार चयन के पश्चात् की गई हो और यदि कोई नियम न हो तो सरकार द्वारा जारी किये गये कार्यपालक अनुदेशों द्वारा तत्समय विहित प्रकिया के अनुसार चयन के पश्चात् की गई हो,
(ञ) "भर्ती का वर्ष'' से किसी कैलेण्डर वर्ष की पहली जुलाई से प्रारम्भ होने वाली बारह मास की अवधि अभिप्रेत है।
भाग दो-संवर्ग
4. सेवा का संवर्ग :- (1) सेवा की सदस्य संख्या और उसमें प्रत्येक श्रेणी के पदों की संख्या उतनी होगी जितनी सरकार द्वारा समय-समय पर अवधारित की जाय।
(2) जब तक कि उप नियम (1) के अधीन परिवर्तन करने के आदेश न दिये जाये, सेवा की सदस्य संख्या और उसमें प्रत्येक श्रेणी के पदों की संख्या उतनी होगी जितनी परिशिष्ट 'क' में दी गई है : परन्तु यह कि
(एक) नियुक्ति प्राधिकारी किसी रिक्त पद को बिन्ना भरे हुए छोड़ सकता है या राज्यपाल उसे आस्थगित रख सकते हैं जिससे कोई व्यक्ति प्रतिकर का हकदार न होगा:
(दो) राज्यपाल ऐसे अतिरिक्त स्थायी या अस्थायी: पदों का सृजन कर सकते हैं. जो वह उचित समझे।