उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम, 2011
No: 21 Dated: Oct, 12 2011
[उत्तराखण्ड अधिनियम संख्या 21 वर्ष 2011]
उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम, 2011
" भारत का संविधान" के अनुच्छेद 200 के अधीन महामहिम राज्यपाल ने उत्तराखण्ड विधान सभा द्वारा पारित "उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानान्तरण विधेयक, 2011" पर दिनांक 12 अक्टूबर, 2011 को अनुमति प्रदान की और वह उत्तराखण्ड का अधिनियम संख्या 21 वर्ष, 2011 के रूप में सर्वसाधारण को सूचनार्थ इस अधिसूचना द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
उत्तराखण्ड लोक सेवकों के वार्षिक स्थानान्तरण आदि के लिए एक उचित, निष्पक्ष, वस्तुनिष्ठ तथा पारदर्शी स्थानान्तरण प्रक्रिया निर्धारित करने हेतु अधिनियम |
भारत गणराज्य के बासठवें वर्ष में उत्तराखण्ड विधान सभा द्वारा निम्नलिखित रूप में अधिनियमित हो:
1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ तथा लागू होना:- (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम "उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम, 2011" है।
(2) यह तुरंत प्रवृत्त होगा।
(3) यह अधिनियम अखिल भारतीय सेवा, राज्य सिविल सेवा तथा राज्य पुलिस सेवा को छोड़कर अन्य सभी राज्याधीन सेवाओं के लिए लागू होगी और इसे राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा निगम, परिषद् तथा स्थानीय निकायों पर भी लागू कर सकेगी।
2. अध्यारोही प्रभाव :- यह अधिनियम इससे पूर्व बनाई गई किसी अन्य सेवा नियमों में, किसी बात के प्रतिकूल होते हुए भी प्रभावी होंगी।
3. परिभाषाएं :- जब तक कि विषय या सन्दर्भ में कोई बात प्रतिकूल न हो, इस अधिनियम
(क) "संविधान" से "भारत का संविधान अभिप्रेत है;
(ख) “सरकार" से उत्तराखण्ड राज्य की सरकार अभिप्रेत है;
(ग) "राज्यपाल" से उत्तराखण्ड के राज्यपाल अभिप्रेत है;
(घ) "गंभीर रोगी" से गंभीर रोग से ग्रस्त कार्मिक अभिप्रेत है और गंभीर रोगों के अंतर्गत कैंसर, ब्लड कैंसर, एड्स/एच0आई0वी0 (पोजिटिव), हृदय रोग (बाय पास सर्जरी), किडनी रोग (दोनों किडनी फेल हो जाने से डायलिसिस पर निर्भर), ट्यूबर कुलोसिस (दोनों फेफड़े खराब हों) या सार्स (थर्ड स्टेज) सम्मिलित हैं;
(ङ) "विकलांगता" से ऐसी विकलांगता अभिप्रेत है, जिसमें पूर्ण अन्धापन, दोनों पांव रहित अथवा एक अपूर्ण पांव अथवा लकवा ग्रस्त (एक हाथ या एक पांव) सम्मिलित हैं;
(च) “सक्षम प्राधिकारी का प्रमाण-पत्र” से गंभीर रोग के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अथवा मेडिकल बोर्ड या समकक्ष मेडिकल संस्थान द्वारा जारी प्रमाण-पत्र तथा विकलांगता के लिए सम्बन्धित अधिनियम में दिए गए सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण-पत्र अभिप्रेत है;
(छ) “स्वस्थता प्रमाण-पत्र से गंभीर रोग अथवा विकलांगता की श्रेणी के कार्मिकों द्वारा उपचाराधीन होने/विकलांगता के बावजूद अपने पदीय कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए उपयुक्त होने विषयक मेडिकल बोर्ड/ सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण-पत्र अभिप्रेत है;
(ज) "वरिष्ठ कार्मिक" से 55 वर्ष की आयु अथवा उससे अधिक आयु का कार्मिक अभिप्रेत हैं;
(झ) "सुगम तथा दुर्गम क्षेत्र" से इस अधिनियम के अधीन जिले वार परिशिष्ट-1, 2 एवं 3 में उल्लिखित सुगम तथा दुर्गम क्षेत्र अभिप्रेत है;
(ञ) "तैनाती स्थान" अथवा "तैनाती स्थल से कार्मिक के स्थानान्तरण हेतु विचार के समय उसकी तैनाती का स्थान/स्थल अभिप्रेत है।
4. कार्मिकों की पदस्थापना हेतु वर्गीकरण :-कार्मिकों की पदस्थापना हेतु निम्नांकित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जायेगा; अर्थात् :
(1) ऐसे कार्मिक, जिनकी पदस्थापना जनपद मुख्यालय से ग्राम स्तर तक किए जाने की व्यवस्था है;
(2) ऐसे कार्मिक, जिनकी पदस्थापना जनपद मुख्यालय, तहसील मुख्यालय, विकास खंड मुख्यालय तथा स्थानीय निकाय मुख्यालय पर किए जाने की " व्यवस्था है;
(3) ऐसे कार्मिक, जिनकी पदस्थापना केवल जनपद मुख्यालय पर किए जाने की व्यवस्था है।
5.सुगम एवं दुर्गम स्थलों का चिन्हांकन और उसका प्रकटीकरण :- प्रत्येक विभाग का कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष, यथास्थिति, धारा 4 में उपबन्धित वर्गीकरण के अनुसरण में सुगम एवं दुर्गम क्षेत्रों से सम्बन्धित कार्य स्थल को स्पष्ट करते हुए चिन्हांकन की कार्यवाही करेगा और उसके प्रकटीकरण के लिए उत्तराखण्ड की वेबसाइड में प्रदर्शन सहित ऐसी समुचित कार्यवाही करेगा, जैसा प्रकाशन एवं व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए आवश्यक हो।
6. वार्षिक स्थानान्तरण के प्रकार :- वार्षिक स्थानान्तरण के निम्नलिखित प्रकार होंगे; अर्थात् :
(क) सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानान्तरण;
(ख) दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानान्तरण; और
(ग) अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण ।