UTTAR PRADESH STATE UNIVERSITIES (AMENDMENT) ACT, 2003
No: 1 Dated: Jan, 22 2004
UTTAR PRADESH STATE UNIVERSITIES (AMENDMENT) ACT, 2003
उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2003
-: अधिनियम :-
भारत गणराज्य के चौवनवें वर्ष में निम्नलिखित अधिनियम बनाया जाता है:-
1-(1) यह अधिनियम उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2003 कहा जायेगा।
(2) धारा 2 से 6 दिनांक 11 जुलाई, 2003 को प्रवृत्त हुई समझी जायगी, धारा 7 दिनांक 21 जनवरी, 2000 को प्रवृत्त हुई समझी जायेगी, शेष उपबन्ध तुरन्त प्रवृत्त होंगे।
2-उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की, जिसे आगे मूल अधिनियम कहा गया है, धारा 2 में, खण्ड (18) और (19) के स्थान पर निम्नलिखित खण्ड रख दिये जायेंगे, अर्थात् :-
“(18) 'स्व-वित्त पोषित पाठ्यक्रम' से ऐसा पाठ्यक्रम अभिप्रेत है जिसके सम्बन्ध में सभी वित्तीय दायित्वों का वहन सहयुक्त या सम्बद्ध महाविद्यालय के प्रबन्धतन्त्र या विश्वविद्यालय द्वारा किया जायेगा,
(19) अध्याय ग्यारह-क के सिवाय इस अधिनियम के उपबन्धों के सम्बन्ध में 'अध्यापक' से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित किसी विषय या पाठ्यक्रम में शिक्षण के लिए या अनुसंधान कार्य में मार्गदर्शन या संचालन के लिए विश्वविद्यालय या उसके किसी संस्थान या घटक या सम्बद्ध या सहयुक्त महाविद्यालय में नियोजित हो और इसके अन्तर्गत प्राचार्य या निदेशक भी है।''
3--मूल अधिनियम की धारा 20 में,-
(क) उपधारा (1) में खण्ड (ग) के पश्चात् निम्नलिखित खण्ड बढ़ा दिया जायेगा, अर्थात् :-
“(गग) अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों से सम्बन्धित आचार्यों या उपाचार्यों में से दो सदस्य और नागरिकों के अन्य पिछड़े वर्गों से सम्बन्धित आचार्यों या उपाचार्यों में से दो सदस्य;"
(ख) उपधारा (2) में, खण्ड (एक) में, शब्द और अक्षर “खण्ड (ग), (घ) और (ङ)'’ के स्थान पर "खण्ड (ग), (गग), (घ) और (ङ)’' रख दिये जायेंगे।
4-मूल अधिनियम की धारा 25 में, उपधारा (2) में, अन्त में निम्नलिखित परन्तुक बढ़ा दिया जायेगा, अर्थात् :-
“परन्तु यदि इस उपधारा के अधीन गठित विद्या परिषद में अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों या नागरिकों के अन्य पिछड़े वर्गों से सम्बन्धित कोई सदस्य न हो तो कुलपति विश्वविद्यालय के अध्यापकों में से अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों से सम्बन्धित दो सदस्य और नागरिकों के अन्य पिछड़े वर्गों से सम्बन्धित दो सदस्य विहित रीति से चक्रानुक्रम से नाम निर्दिष्ट करेगा।"