UTTAR PRADESH STATE PUBLIC SERVICE COMMISSION (REGULATION OF PROCEDURE) ACT, 1985
No: 23 Dated: Aug, 23 1985
UTTAR PRADESH STATE PUBLIC SERVICE COMMISSION (REGULATION OF PROCEDURE) ACT, 1985
उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (प्रक्रिया का विनियमन) अधिनियम, 1985
-: प्रारम्भिक :-
1- (1) यह अधिनियम उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (प्रक्रिया का निनियमन) अधिनियम, 1985 कहा जायगा।
(2) यह 22 जून, 1985 को प्रवृत्त हुआ समझा जायगा।
2-- जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस अधिनियम में,--
आयोग के अध्यक्ष से है और जिसके अंतर्गत अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने के लिए उस अनुच्छेद के खण्ड (1-क) के अधीन नियुक्त कोई व्यक्ति भी है;
(ख) "आयोग' का तात्पर्य उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सामूहिक रूप से सभी अन्य सदस्यों से है;
(ग) “परीक्षा नियंत्रक का तात्पर्य धारा 8 के अधीन नियुक्त या प्राधिकृत परीक्षा के सदस्य के रूप में नियुक्त किसी व्यक्ति से है और जिसके अन्तर्गत अध्यक्ष भी है;
(घ) "सदस्य' का तात्पर्य संविधान के अनुच्छेद 316 के खण्ड (1) के अधीन आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किसी व्यक्ति से है और जिसके अन्तर्गत अध्यक्ष भी है;
(ड) "सचिव' का तात्पर्य आयोग के सचिव से है और जिसके अन्तर्गत सचिव के समस्त या किन्हीं कृत्यों का संपादन करने के लिए अध्यक्ष द्वारा प्राधिकृत आयोग का कोई अन्य अधिकारी भी है।
3--(1) अनुसूची में विनिर्दिष्ट आयोग का कार्य, यथास्थिति, अध्यक्ष या सदस्य या सदस्यों द्वारा, जैसा कि ऐसे कार्य के सामने विनिर्दिष्ट किया गया है, किया जायेगा और इस प्रकार किया गया कार्य आयोग द्वारा किया गया कार्य समझा जायगा।
(2) उपधारा (1) में दी गयी किसी बात के होते हुए भी, अध्यक्ष, यदि लोकहित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझें, निदेश दे सकते हैं कि अनुसूची में विनिर्दिष्ट कार्य का कोई विशिष्ट विषय आयोग के समक्ष निस्तारण के लिए रखा जाय ।
4-- आयोग का अनुसूची में विनिर्दिष्ट कार्य से भिन्न कार्य आयोग द्वारा किया जायगा।
(5)--(1) आयोग ऐसे निदेशों के अधीन, जिन्हें वह जारी करना उचित समझे, अपने किसी भी कृत्य को किसी एक सदस्य या आयोग के किसी अधिकारी को या सदस्यों या आयोग के अधिकारियों या दोनों की समिति को प्रत्यायोजित कर सकता है :
परन्तु जहां कोई कृत्य किसी एक सदस्य को प्रत्यायोजित किया जाय, वहां अध्यक्ष किसी ऐसे अन्य व्यक्ति को, जिसे वह उचित समझे, सदस्य को सहायता और सलाह देने के लिये नियुक्त कर सकता है।
(2) किसी व्यक्ति या समिति के, जिसे उपधारा (1) के अधीन शक्तियां प्रत्यायोजित की गयी हों, विनिश्चय पर कोई कार्यवाही किये जाने के पूर्व अध्यक्ष को संसूचित किया जायगा और अध्यक्ष ऐसी संसूचना के दिनांक से पन्द्रह दिन के भीतर, यथास्थिति ऐसे व्यक्ति या समिति को अग्रतर विचार और निनिश्चय करने के लिए निदेश दे सकेगा। यदि ऐसा निदेश दिये जाने पर व्यक्ति या समिति द्वारा ऐसे निदेश की प्राप्ति के पन्द्रह दिन के भीतर अपने पूर्व विनिश्चय में कोई परिवर्तन नही किया जाता है तो वह मामला आयोग के समक्ष रखा जायगा जिसका विनिश्चय अन्तिम होगा जहां ऐसा कोई निदेश न दिया जाय, वहां व्यक्ति या समिति का विनिश्चय आयोग का विनिश्चय समझा जायगा।
(3) व्यक्ति या समिति द्वारा, जिसे उपधारा (1) के अधीन शक्तियां प्रत्यायोजित की गयी हों, किये गये विनिश्चय की रिपोर्ट आयोग को तत्काल भेजी जायगी।