No: 18 Dated: Aug, 24 1964

UTTAR PRADESH PASHUDHAN SUDHAR ADHINIYAM, 1964

उत्तर प्रदेश पशुधन सुधार अधिनियम, 1964

-: अधिनियम :-
भारतीय गणतंत्र के पन्द्रहवें वर्ष में निम्नलिखित अधिनियम बनाया जाता है :
1-- (1) यह अधिनियम उत्तर प्रदेश पशुधन सुधार अधिनियम, 1964 कहलायेगा ।
(2) इसका प्रसार समस्त उत्तर प्रदेश में होगा ।
(3) यह उस दिनांक से प्रचलित होगा, जो राज्य सरकार, गजट में विज्ञप्ति द्वारा नियत करें, और उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के लिये विभिन्न दिनांक नियत किये जा सकते हैं।
2-- विषय या प्रसंग में कोई बात प्रतिकूल न होने पर, इस अधिनियम में --
(क) “अनुमोदित सांड' का तात्पर्य धारा 6 के अधीन प्रमाणित तीर दागे गये सांड से है ;
(ख) "सांड" का तात्पर्य गाय या भैंस के ऐसे नर संतति (male progeny) से है, जो बधिया न किया गया हो और जिसकी अवस्था दो वर्ष से कम न हो;
(ग) सांड के संबंध में "बधिया करना" का तात्पर्य उसे अपनी जाति की प्रजनन शक्ति से वंचित करना है;
(घ) “निदेशक" का तात्पर्य पशुपालन निदेशक, उत्तर प्रदेश से है और इसके अन्तर्गत पशुपालन अपर निदेशक, उत्तर प्रदेश भी है;
(ङ) सांड के संबंध में "पालने' का तात्पर्य सांड के स्वामी होने से अथवा तत्समय उस पर कब्जा, अभिरक्षा या नियंत्रण रखने से है;
(च) “पशुपालन अधिकारी" का तात्पर्य इस अधिनियम के अधीन किसी क्षेत्र के संबंध में पशुधन अधिकारी के कृत्यों का सम्पादन करने के लिये राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी से है; और
(छ) “नियत' का तात्पर्य इस अधिनियम के अधीन बनाये गये नियमों द्वारा नियत से है ।
3-- इस अधिनियम द्वारा या इसके अन्तर्गत की गयी व्यवस्था के अधीन रहते हुये कोई भी व्यक्ति ऐसा सांड नहीं पालेगा, जो अनुमोदित सांड न हो।

 

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