No: 5 Dated: Jan, 20 1990

UTTAR PRADESH MINISTERS, AND STATE LEGISLATURE OFFICERS AND MEMBERS AMENITIES LAWS (AMENDMENT) ACT, 1990

उत्तर प्रदेश मंत्री, और राज्य विधानमंडल अधिकारी और सदस्य सुख-सुविध विधि (संशोधन) अधिनियम, 1990

-: अधिनियम :-
भारत गणराज्य के चालीसवें वर्ष में निम्नलिखित अधिनियम बनाया जाता है :--
1--(1) यह अधिनियम उत्तर प्रदेश मंत्री, और राज्य विधान मण्डल अधिकारी और सदस्य सुख-सुविधा विधि (संशोधन) अधिनियम, 1990 कहा जायेगा।
(2) यह 31 दिसम्बर, 1989 को प्रवृत्त हुना समझा जायेगा।
2--उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबन्ध) अधिनियम, 1981 की धारा 4 में, उपधारा (1) के पश्चात् निम्नलिखित उपधारा बढ़ा दी जायगी, अर्थात्--
"(1-5) प्रत्येक मंत्री जिसके उपयोग के लिये उपधारा (1) के अधीन लखनऊ में निवास स्थान की व्यवस्था की गयी हो, उक्त उपधारा में निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के ठीक पश्चात ऐसे वास स्थान को रिक्त कर देगा और राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई अधिकारी उस वास स्थान का कब्जा ले सकेगा और इस प्रयोजन के लिये ऐसे बल का प्रयोग कर सकेगा जो उन परिस्थितियों में आवश्यक हो ।
स्पष्टीकरण--इस धारा के प्रयोजनों के लिये "मंत्री के अन्तर्गत ऐसा व्यक्ति भी है जो मंत्री न रह गया हो और इसके अन्तर्गत ऐसा व्यक्ति भी है जिसे मंत्री का दर्जा दिया गया था।"
3--उत्तर प्रदेश राज्य विधान मण्डल (सदस्यों की उपलब्धियां और पेंशन) अधिनियम, 1980 की धारा 16 में, उपधारा (1) के पश्चात् निम्नलिखित उपधारा बढ़ा दी जायगी, अर्थात्--
"(1-क) प्रत्येक सदस्य जिसके उपयोग के लिये उपधारा (1) के अधीन लखनऊ में ग्रावास की व्यवस्था की गयी हो, उक्त उपधारा में निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के ठीक पश्चात् ऐसे ग्रावास को रिक्त कर देगा और राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई अधिकारी इस प्रावास का कब्जा ले सकेगा और इस प्रयोजन के लिये ऐसे बल का प्रयोग कर सकेगा जो उन परिस्थितियों में आवश्यक हो।
स्पष्टीकरण--इस उपधारा के प्रयोजनों के लिये 'सदस्य' के अन्तर्गत ऐसा व्यक्ति भी है जो सदस्य न रह गया हो।"
4-- उत्तर प्रदेश राज्य विधान मण्डल (अधिकारियों के वेतन तथा भत्ते) अधिनियम, 1952 में, वर्तमान धारा 4 की संख्या बदलकर उसकी उपधारा (1) कर दी जायगी और इस प्रकार पुनः संख्यांकित उपधारा (1) के पश्चात् निम्नलिखित उपधारा बढ़ा दी जायगी, अर्थात्--
“(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रत्येक व्यक्ति जिसके उपयोग के लिये उपधारा (1) के अधीन निवास स्थान की व्यवस्था की गयी हो, उक्त उपधारा में निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के ठीक पश्चात् ऐसे निवास स्थान को रिक्त कर देगा और राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई अधिकारी उस निवास स्थान का कब्जा ले सकेगा और ऐसे बल का प्रयोग कर सकेगा जो उन परिस्थितियों में आवश्यक हो।"