No: 7 Dated: Mar, 19 1986

UTTAR PRADESH GANGSTERS AND ANTI-SOCIAL ACTIVITIES (PREVENTION) ACT, 1986

उत्तर प्रदेश गिरोहबन्द और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986

-: अधिनियम :-
भारत गणराज्य के सैंतीसवें वर्ष में निम्नलिखित अधिनियम बनाया जाता है :
1-(1) यह अधिनियम उत्तर प्रदेश गिरोहबन्द और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986 कहा जायेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में होगा।
2--इस अधिनियम में,--
(क) "संहिता'' का तात्पर्य दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 से है;
(ख) "गिरोह" का तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों के समूह से है जो लोक-व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करने या अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई अनुचित दुनियावी (टेम्पोरल), आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से या तो अकेले या समूहिक रूप से हिंसा, या हिंसा की धमकी या प्रदर्शन, या अभित्रास, या प्रपीड़न द्वारा, या अन्य प्रकार से निम्नलिखित समाज विरोधी क्रियाकलाप करते हैं, अर्थात्--
(एक) भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय 16, या अध्याय 17, या अध्याय 22 के अधीन दण्डनीय अपराध; या
(दो) संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम, 1910 या नारकोटिक ड्रग्स एण्ड साइकोट्रापिक सब्सटैन्सेज ऐक्ट, 1985 या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के किन्हीं उपबन्धों का उल्लंघन करके किसी शराब या मादक या अनिष्टकर मादक द्रव्य या अन्य मादकों या स्वापकों का आसवन या निर्माण या संग्रह या परिवहन या आयात या निर्यात, या विक्रय या वितरण या किन्हीं पौधों की खेती करना; या
(तीन) विधि सम्मत प्रक्रिया से भिन्न प्रक्रिया द्वारा स्थावर सम्पत्ति पर अध्यासन करना या कब्जा लेना, या स्थावर सम्पत्ति पर चाहें स्वयं या अन्य किसी व्यक्ति के पक्ष में हक या कब्जा के लिए मिथ्या दावा करना; या
(चार) किसी लोक सेवक या किसी साक्षी को अपने विधिपूर्ण कर्तव्यों का पालन करने से रोकना या रोकने के लिए प्रयत्न करना; या
(पाँच) स्त्री तथा लड़की अनौतिक व्यापार दमन अधिनियम, 1956 के अधीन दण्डनीय अपराध; या
(छ:) सार्वजनिक द्यूत अधिनियम, 1867 की धारा 3 के अधीन दण्डनीय अपराध; या
(सात) किसी सरकारी विभाग, स्थानीय निकाय या सार्वजनिक या निजी उपक्रम द्वारा या उसकी ओर से किसी पट्टे या अधिकार के लिए, या माल के संभरण या किये जाने वाले कार्य के लिए, विधिपूर्वक संचालित किसी नीलाम में बोली लगाने या विधिपूर्वक मांगे गये टेण्डर देने से किसी व्यक्ति को रोकना; या
(आठ) किसी व्यक्ति को अपने विधिपूर्ण कारबार, वृत्ति, व्यापार या जीविका या उससे सम्बद्ध किसी अन्य विधिपूर्ण क्रियाकलाप को सुचारू रूप से करने से रोकना या उसमें विघ्न डालना; या
(नौ) भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-ड के अधीन दण्डनीय अपराध, या मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग करने से शारीरिक रूप से रोककर किसी विधिपूर्वक होने वाले किसी सार्वजनिक निर्वाचन को रोकना या उसमें बाधा डालना; या
(दस) अन्य व्यक्तियों को साम्प्रदायिक सामंजस्य में विघ्न डालने के लिए हिंसा करने के लिए उद्दीप्त करना; या