Uttar Pradesh Education Institutions (Prevention of Dissipation of Assets) Act, 1974
No: 3 Dated: Mar, 03 1975
Uttar Pradesh Education Institutions (Prevention of Dissipation of Assets) Act, 1974
उत्तर प्रदेश शैक्षिक संस्थायें (आस्तियों के अपव्यय का निवारण) अधिनियम, 1974
-: अधिनियम :-
भारत गणराज्य का पच्चीसवें वर्ष में निम्नलिखित अधिनियम बनाया जाता है:-
1-- (1) यह अधिनियम उत्तर प्रदेश शैक्षिक संस्थायें (आस्तियों के अपव्यय का निवारण) अधिनियम, 1974 कहलायेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में होगा।
2-- जब तक कि प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस अधिनियम में :-
(क) 'निदेशक' का तात्पर्य, यथास्थिति, शिक्षा निदेशक (उच्चतर शिक्षा) या शिक्षा निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) से है और इसके अन्तर्गत निदेशक द्वारा तदर्थ प्राधिकृत अपर शिक्षा निदेशक, संयुक्त शिक्षा निदेशक, उपशिक्षा निदेशक, जिला विद्यालय निरीक्षक या संभागीय बालिका विद्यालय निरीक्षिका भी है;
(ख) 'संस्था' या 'शैक्षिक संस्था' का तात्पर्य माध्यमिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश द्वारा मान्यताप्राप्त किसी संस्था या उत्तर प्रदेश अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित किसी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध अथवा उसके द्वारा मान्यता प्राप्त किसी उपाधि महाविद्यालय या स्नातकोत्तर महाविद्यालय से है, किन्तु इसके अन्तर्गत ऐसी संस्था नहीं है, जिसका पोषण केन्द्रीय सरकार राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा किया जाता हो;
(ग) किसी संस्था के संबंध में, 'प्रबन्धतंत्र' का तात्पर्य ऐसी प्रबन्ध समिति या अन्य निकाय या व्यक्ति से है, जिसे उस संस्था के कार्यकलापों का प्रबन्ध करने का भार दिया गया हो;
(घ) किसी संस्था के संबंध में, 'संपत्ति' के अन्तर्गत संस्था की अथवा पूर्णतः या अनन्य रूप से संस्था के लाभार्थ विन्यासित सभी स्थावर संपत्तियां भी है, जिसके अन्तर्गत ऐसी भूमि, भवन और ऐसी संपत्ति से, जो प्रबन्धतंत्र के स्वामित्व, कब्जे, शक्ति या नियंत्रण में हो, उद्भूत होने वाले सभी अन्य प्रकार और हित भी है।
3-- प्रत्येक संस्था का प्रबन्धतंत्र निदेशक को प्रथमतः इस अधिनियम के प्रारम्भ होने के दिनांक से तीन मास की अवधि के भीतर और तदुपरान्त प्रतिवर्ष 30 सितम्बर तक संस्था को अथवा उसके प्रयोजनार्थ विन्यासित समस्त संपत्तियों की तालिका, जिसके साथ ऐसी विशिष्टियां होंगी, जिन्हें निदेशक आवश्यक समझे, उसके द्वारा विहित प्रथम प्रपत्र में प्रस्तुत करेगा।
4-- (1) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, प्रबन्धतंत्र कोई ऐसा व्यय नहीं करेगा, जो शैक्षिक संस्था के लक्ष्यों और उद्देश्यों के अनुरूप न हो अथवा इतना अधिक हो कि उसकी आय से अननुपातिक हो अथवा किसी अन्य कारण से ऐसा हो, जिसे कोई भी प्रज्ञावान प्रबन्धतंत्र संस्था के हित में व्यय करना उचित न समझे और जो इस अधिनियम के अधीन स्वीकृत न हो।
(2) उपधारा (1) के उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, निदेशक, सामान्य या विशेष आदेश द्वारा प्रबन्धतंत्र को कोई विनिर्दिष्ट व्यय या किसी विनिर्दिष्ट मद पर व्यय अथवा किसी विनिर्दिष्ट मद पर विनिर्दिष्ट सीमा के बाहर अथवा सिवाय विनिर्दिष्ट शर्तों तथा निर्बन्धनों के अनुसार, व्यय करने से, प्रतिषिद्ध कर सकेगा।