No: 19 Dated: Aug, 16 2013
[बिहार अधिनियम 19, 2013]
बिहार जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय स्थापनाओं में) (संशोधन) अधिनियम, 2013
बिहार जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय स्थापनाओं में) अधिनियम, 2002 (बिहार अधिनियम,18, 2002) का संशोधन करने के लिए अधिनियम ।
भारत गणराज्य के चौसठवें वर्ष में बिहार राज्य के विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारंभ ।-(1) यह अधिनियम "बिहार जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय स्थापनाओं में) (संशोधन) अधिनियम, 2013" कहा जा सकेगा ।
(2) इसका विस्तार संपूर्ण बिहार राज्य में होगा ।
(3) यह तुरंत प्रवृत्त होगा ।
2. बिहार अधिनियम- 18, 2002 की धारा- 2 में संशोधन |-- (1) उक्त अधिनियम में, धारा-2 की उप-धारा (क) एवं (ख) निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित की जाएगी :
(क) "सक्षम प्राधिकारी से अभिप्रेत है राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कोई भी पदाधिकारी अथवा जिला समाहर्ता अथवा जिला का कोई पदाधिकारी जो अपर समाहर्ता अथवा समकक्ष की पंक्ति से नीचे का न हो ।
(ख) 'अभिहित न्यायालय" से अभिप्रेत है धारा- 7 के अधीन गठित अभिहित न्यायालया"
(2) उक्त अधिनियम की धारा-2 की उप-धारा (घ) के बाद निम्नलिखित एक स्पष्टीकरण समान कार जापापित कोई भी पापियार
"स्पष्टीकरण - इसमें वैसा ब्यबसाय यथा, अचल संपत्ति, वृक्षारोपण, पर्यटन और यात्रा, पशुपालन, होटल, रिसॉर्ट, मनोरंजन पार्क, उसके किसी भी कीमती सामान या सेवा या उपहार की आपूर्ति आदि, जिसमें प्रच्छन्न रूप में धनराशि जमा लिया जाता है, भी शामिल होगा ।"
3. बिहार अधिनियम 18, 2002 की धारा- 2 के बाद एक नई धारा- 2क का अन्तःस्थापन |-- उक्त अधिनियम की धारा 2 के बाद निम्नलिखित नई धारा 2क अन्तःस्थापित की जाएगी :
"2क.= आज्ञापक सूचना, सूचना मांगने की शक्ति तथा गैर अनुपालन के लिए सजा । (1) बिहार राज्य या उसके किसी हिस्से में कार्यालय स्थापित करने एवं कार्य का परिचालन करने हेतु आशयित कोई वित्तीय स्थापना अपने क्रिया-कलापों, कार्य क्षेत्रों एवं या व्यवसाय की, सभी आवश्यक कागज-पत्रों के साथ विस्तृत जानकारी लिखित रूप में सक्षम प्राधिकारी को देगा । इस जानकारी में संबंधित राज्य के कंपनी रजिस्ट्रार द्वारा इसका रजिस्ट्रीकरण एवं भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड या उपर्युक्त प्रयोजनार्थ किसी अन्य विनियामक प्राधिकार से प्राप्त अनुज्ञप्ति और रजिस्ट्रीकरण के बारे में ब्योरे के साथ इसके कार्यालय संरचना और विनिर्दिष्ट स्थान/पता भी सम्मिलित होगा ।
परन्तु इस अधिनियम के प्रारंभ होने के पहले से परिचालित वित्तीय स्थापना इस अधिनियम के प्रारंभ होने के 30 दिनों के भीतर जिला समाहर्ता/सक्षम प्राधिकारी को अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत करेगा ।"
(2) सक्षम प्राधिकारी को, वित्तीय स्थापना या उसके पदधारी जिसमें उसके प्रवर्तक, निदेशक, भागीदार या प्रबंधक या ऐसी वित्तीय स्थापना के सदस्य शामिल है, से जानकारी की मांग करने या अपेक्षा करने या यथापेक्षित ऐसी जानकारी देने हेतु सरकार के किसी कार्यालय या प्राधिकारी या किसी स्थानीय प्राधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति को निदेश देने की शक्ति होगी और ऐसी वित्तीय स्थापना या उसके पदधारी या प्रवर्तक, निदेशक, भागीदार या प्रबंधक या ऐसी बित्तीय स्थापना के सदस्य या सरकार का पदाधिकारी या प्राधिकारी या स्थानीय प्राधिकारी या कोई अन्य व्यक्ति तुरन्त उस जानकारी को सक्षम प्राधिकारी को देगा।
(3) धारा-2क की उप-धारा (1) के अधीन सक्षम प्राधिकारी को अपेक्षित जानकारी देने में विफल होने अथवा गलत या भामक बयान देने या धारा-3क के अधीन यथापेक्षित अभिलेख/दस्तावेज
आदि का उपस्थापन अथवा निरीक्षण की अनुमति देने से इंकार करने की स्थिति में जिला के समाहर्ता, जिसके स्थानीय क्षेत्राधिकार में वित्तीय स्थापना, कारबार का संचालन कर रहा है, संतुष्ट होकर, विधि के अनुसार, वित्तीय स्थापना को उचित अवसर देने के बाद, ऐसी हरेक चूक के लिए 100000/- (एक लाख) रूपये तक का जुर्माना लगा सकेगा ।।
4. बिहार अधिनियम- 18, 2002 की धारा-3 में संशोधन ।-- उक्त अधिनियम में धारा-3 के विद्यमान उपबंध को उप-धारा (1) के रूप में पढ़ा जाएगा एवं तत्पश्चात् निम्नलिखित नई उप-धारा (2) जोड़ी जाएगी :
"(2) अपनी अधिकारिता के अधीन पुलिस उपाधीक्षक या उसके समकक्ष से नीचे की पंक्ति का कोई पुलिस पदाधिकारी इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध की जाँच नहीं करेगा;
परन्तु पुलिस निरीक्षक से अन्यून पंक्ति का कोई पुलिस अधिकारी भी यदि इस निमित्त, सामान्य या विशेष आदेश द्वारा, राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत किया गया हो तो वह, यथास्थिति, प्रथम श्रेणी के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अथवा प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना, किसी ऐसे अपराध का अनुसंधान कर सकेगा अथवा उसके लिए बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकेगा ।
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