No: 14 Dated: Apr, 26 2010

[बिहार अधिनियम 14, 2010] 

दीघा अर्जित भूमि बन्दोबस्ती अधिनियम, 2010 

प्रस्तावना:- चूंकि, नागरिकों के लिये शहरी आवास की सुविधाएँ विकसित करने तथा उपलब्ध करने के उद्देश्य से बिहार राज्य आवास बोर्ड, कानूनी निकाय, के लिये पटना नगर निगम के अंतर्गत दीघा में बिहार सरकार द्वारा 1024,52 एकड़ भूमि अर्जित की गयी थी, 

चूँकि, कतिपय भू-धारियों द्वारा अर्जन प्रक्रिया को चुनौती दी गयी थी और मामला भारत के उच्चतम न्यायालय तक गया, जिसमें अर्जन की प्रक्रिया को सही ठहराया गया, 

चूंकि, अर्जन पूरा किया गया था और अधिनिर्णय सुनाया गया था, अर्जन और विकास की लागत को पूरा करने के लिये बोर्ड ने कतिपय निर्बधनों और शर्तों पर वित्तीय संस्थानों से ब्याज युक्त ऋण लिया, 

चूँकि, बोर्ड ने अर्जन लागत मद में लगभग 17,42 करोड़ रुपये की राशि समाहरणालय, पटना में जमा की है, 

चूँकि, अर्जन की लंबी प्रक्रिया के दौरान तथा अर्जन के बाद भी पूर्व के भू-स्वामियों ने, इस बात के होते हुए भी कि ऐसे भू–धारियों को अंतरिम भूमि में कोई हक नहीं है, अप्राधिकृत ढंग से अर्जित भूमि के विभिन्न भागों का कब्जा महानगरों में रजिस्ट्रीकृत अंतरण विलेख के माध्यम से अथवा वकालतनामा के माध्यम से अथवा किसी अन्य लिखित लिखत के माध्यम से विभिन्न सहकारी समितियों को/ व्यक्तियों को सौंप दिया, 

चूंकि, बीते समय में उक्त अर्जित भूमि का लगभग 600 एकड़ का बड़ा हिस्सा अप्राधिकृत ढंग से ऐसी सोसाइटी/व्यक्तियों द्वारा दखल कर लिया गया है और वे मकान बनाकर उसमें रह रहे हैं, 

चूँकि, सिवाय छोटे क्षेत्र में यत्र-तत्र अप्राधिकृत निर्माण के, शेष अर्जित भूमि में से लगभग 400 एकड़ में से अधिकांशतः अप्राधिकृत निर्माण से मुक्त है, 

चूंकि, अर्जित भूमि पर प्रस्तावित आवास योजना के निष्पादन में राज्य सरकार और इसकी एजेंसियों की ओर से निष्क्रियता बरते जाने का अभिकथन करते हुए एक सामाजिक संगठन ने वर्ष 1987 में पटना उच्च न्यायालय के समक्ष लोक हित मुकदमा दायर किया गया था, 

चूँकि, पटना उच्च न्यायालय ने अप्राधिकृत अधिभोगियों को हटाने तथा अर्जित भूमि से काटकर बनाये गये भू-खंडों का आवंटन विभिन्न कोटियों के आवेदकों को करने के संबंध में तथा अर्जित भूमि पर प्रस्तावित आवास योजना के निष्पादन के संबंध में समय-समय पर अनेक आदेश पारित किया और तदनुसार पटना उच्च न्यायालय के उक्त आदेशों के अधीन बोर्ड द्वारा प्रस्तावित आवास योजना के निष्पादन के लिये राज्य सरकार, जिला प्रशासन की सहायता से सभी संभावित कदम उठाये गये किन्तु मुख्यतः पूर्व के भू-स्वामियों की दुरभिसंधि में अप्राधिकृत अधिभोगियों के अत्यधिक प्रतिरोध के कारण वे सभी निरर्थक साबित हुए। फलस्वरूप विधि-व्यवस्था की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गयी, 

चूंकि, उक्त तथ्यगत स्थिति को ध्यान में रखते हुए पटना उच्च न्यायालय ने भी माना कि राज्य सरकार और बोर्ड के अधीन के भूखंडों का आवंटन के लिये ऐसी स्कीम बनाने का प्रयास किया जाए, जिसमें अप्राधिकृत अधिभोगियों और आवेदकों का हित सम्मिलित हो, 

चूँकि, पर्व के भू-स्वामी ने अभ्यावेदन किया है तथा भू-अर्जन अधिनियम की धारा-4 के अधीन अधिसूचना की तारीख को प्रचलित बाजार मूल्य निम्नतर होने के कारण और तत्पश्चात् अर्जित भूमि के मूल्यांकन में तीव्र वृद्धि होने के कारण अतिरिक्त राशि की माँग की है, 

चूंकि, यह समीचीन समझा जाता है कि संपूर्ण अर्जित क्षेत्र को दो कोटियों में वर्गीकृत किया जाय, एक वह जो अधिकांशतः अप्राधिकृत अधिभोग में है और दूसरा वह जिसमें से अधिकांशतः अप्राधिकृत अधिभोग/अधिग्रहण से मुक्त है, मात्र यत्र-तत्र छोटे-छोटे क्षेत्र में कुछ निर्माण किया गया है, 

चूँकि, परेशानीवाली इस समस्या के समाधान के मद्देनजर भूमि की बन्दोबस्ती तथा खाली क्षेत्र को कब्जा में लेने के लिये यह लाजिमी माना गया है कि बोर्ड को अथवा किसी अन्य विशेष प्रयोजन माध्यम को प्राधिकृत करने वाली विधि बनाई जाय, 

भारत गणराज्य के इकसठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो : 

अध्याय-I 

प्रारंभिक

 1, संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ :- (1) यह अधिनियम "दीघा अर्जित भूमि बन्दोबस्ती अधिनियम, 2010" कहा जा सकेगा।

    (2) यह उस तारीख से प्रवृत्त होगा जो सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करें। 

   (3) यह बिहार राज्य आवास बोर्ड के प्रयोजनार्थ दीघा, पटना में सरकार द्वारा अर्जित संपूर्ण 1024,52 एकड़ भूमि पर लागू होगा। 

2, परिभाषाएँ :- जब तक विषय या संदर्भ में कोई प्रतिकूल बात न हो, इस अधिनियम में - 

  (क) " अर्जित भूमि " से अभिप्रेत है, बिहार राज्य आवास बोर्ड के प्रयोजनार्थ दीघा, पटना में बिहार राज्य द्वारा अर्जित 1024,52 एकड़ भमि,

  (ख) "आवंटिती" से अभिप्रेत है बिहार राज्य आवास बोर्ड (आवासीय भू-सम्पदा का प्रबंधन एवं निस्तार) विनियमावली, 1983 के अधीन यथा परिभाषित आवंटिती।

  (ग) "आवेदक" से अभिप्रेत है वैसे व्यक्ति/व्यक्तियों जिन्होंने बोर्ड के पास अग्रिम धन के साथ विहित प्रक्रिया द्वारा दीघा में अर्जित भूमि में भूखण्ड/मकान/फ्लैट के आवंटन के लिए आवेदन दिया हो। 

  (घ) “प्राधिकार" से अभिप्रेत है इस अधिनियम की धारा-9 के अधीन गठित प्राधिकार। 

  (ड,) " बोर्ड" से अभिप्रेत है बिहार राज्य आवास बोर्ड अधिनियम, 1982 के अधीन गठित बिहार राज्य आवास बोर्ड | 

  (च) "भवन" में सम्मिलित है कोई संरचना या संरचना का भाग, जो आवासीय वाणिज्यिक या अन्य प्रयोजनों हेतु अर्जित भूमि में उपयोग के लिये आशायित हो।

  (छ) “अध्यक्ष (चेयरमैन)" से अभिप्रेत है बोर्ड का अध्यक्ष । 

  (ज) "अध्यक्ष (चेयरपरसन)" से अभिप्रेत है प्राधिकार का अध्यक्ष । 

  (झ) "प्रतिपूर्ति" से अभिप्रेत है भू-अर्जन अधिनियम के उपबंध के अनुसार किये गये अधिनिर्णय के अधीन पूर्व के भू-स्वामियों को उनकी सुसंगत भूमि के अर्जन के विरूद्ध भुगतान की गयी/भुगतेय रकम। 

  (ञ) “पूर्व के स्वामी" में ऐसे व्यक्ति सम्मिलित हैं जिनकी भूमि बोर्ड के प्रयोजनार्थ दीघा, पटना में बिहार राज्य द्वारा अर्जित की गयी थी।

  (ट)  "अनुग्रह राशि” से अभिप्रेत है, भू-अर्जन अधिनियम के उपबंधों के अनुसार उन्हें पूर्व में भुगतान की गयी/भुगतेय प्रतिपूर्ति के अतिरिक्त, बोर्ड के लिये अर्जित उनकी सुसंगत भूमि के विरुद्ध रजिस्ट्रीकृत विक्रय विलेख के माध्यम से अथवा किसी अन्य लिखित लिखत के माध्यम से पूर्व के भू-स्वामियों या उनके अंतरितियों को भुगतान की जाने वाली बोर्ड द्वारा निर्धारित एवं सरकार द्वारा अनुमोदित राशि। 

 (ठ) "प्रबंध निदेशक" से अभिप्रेत है बोर्ड का प्रबंध निदेशक । 

(ड) “सरकार" से अभिप्रेत है राज्य सरकार। 

(ढ) "विहित" से अभिप्रेत है इस अधिनियम के अधीन बनाये गये नियम या किया गया आदेश या जारी अधिसूचना। 

(ण) “नियमावली" से अभिप्रेत है इस अधिनियम के अधीन बनाई गयी नियमावली।

(त) "स्कीम" से अभिप्रेत है इस अधिनियम के अधीन बनाई गयी स्कीम। 

(थ) "सचिव" से अभिप्रेत है बोर्ड के सचिव। 

(द) "सेटली” से अभिप्रेत है ऐसा अप्राधिकृत अधिभोगी जो वाणिज्यिक भवन या आवासीय भवन निर्माण सहित अर्जित भूमि के अनधिकृत अधिभोगी है और जिसके जिम्मे अर्जित भूमि का भाग आवासीय मकान या वाणिज्यिक भवन के निर्माण के साथ अप्राधिकृत दखल में पाया गया और वह इस अधिनियम की धारा-3 के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बोर्ड द्वारा बनाई गयी स्कीम के अधीन उसके द्वारा बन्दोबस्त किया गया।

 (ध) "बन्दोबस्ती" से अभिप्रेत है बोर्ड की दीघावाली भूमि की सेटली को बन्दोबस्ती जो उन लोगों के कब्जे में है जो न तो आवेदक हैं और न बोर्ड द्वारा आवंटन प्राप्त किन्तु आवासीय मकान, कोई अन्य आवासीय/वाणिज्यिक निर्माण कर लिया है, जिसकी बन्दोबस्ती बनायी गयी स्कीम के अधीन की जा सकेगी। 

(न) "बन्दोबस्ती प्रभार" से अभिप्रेत है इस अधिनियम की धारा-3 के अधीन बन्दोबस्ती के लिए स्कीम बनाते समय बोर्ड द्वारा अवधारित तथा राज्य सरकार द्वारा अनधिकृत अधिभोगी के अधीन अर्जित भूमि के भाग को बन्दोबस्ती के लिए अनुमोदित और बोर्ड द्वारा सम्बद्ध अनधिकृत अधिभोगी से प्रभारित की जाने वाली रकम। 

(प) "राज्य” से अभिप्रेत है बिहार राज्य 

(फ) "अंतरिती" से अभिप्रेत है वह व्यक्ति/वे व्यक्ति जिन्हें अर्जित भूमि के अर्जन के पश्चात् लिखित लिखत/लिखतों के माध्यम से पूर्व के संबंद्ध भू-स्वामी/भू-स्वामियों द्वारा अर्जित भूमि से भू-खण्ड/भू-खण्डों का अन्तरण किया गया है। 

(ब) "अप्राधिकृत अधिभोगी" में वे व्यक्ति सम्मिलित हैं जो अर्जित भूमि के अर्जन के पश्चात रजिस्ट्रीकृत विक्रय विलेख या किसी अन्य लिखित लिखत के माध्यम से भूखंडों का विधि विरुद्ध क्रय कर उस भूमि पर किसी वैध हक और विधिक प्राधिकार के बिना आवासीय मकान/वाणिज्यिक भवन निर्माण कर बस गये हैं।

(भ) "सेक्टर" से अभिप्रेत है बिहार राज्य आवास बोर्ड अधिनियम, 1982 के अधीन बोर्ड द्वारा अर्जित भूमि के लिए तैयार अभिन्यास योजना में निदेशित बारह आसपास सेक्टर। 

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