बिहार नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2011
No: 2 Dated: Jan, 23 2012
[बिहार अधिनियम 2, 2012]
बिहार नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2011
बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 (बिहार अधिनियम 11, 2007) में संशोधन के लिए अधिनियम ।
भारत गणराज्य के बासठवें वर्ष में बिहार राज्य विधानमंडल द्वारा यह निम्नलिखित रूप में अधिनियमित
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ :- (1) यह अधिनियम "बिहार नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2011" कहा जा सकेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा।
(3) यह तुरंत प्रवृत्त होगा ।
2. धारा-2 का संशोधन :- उक्त अधिनियम की धारा-2 में उप-धारा-(110) के बाद निम्नलिखित नई उप-धारा (111) जोड़ी जायेगी, यथा "(111)" उपभोक्ता प्रभार" से अभिप्रेत है अधिनियम की धारा-128 के अधीन नगरपालिका द्वारा उदगृहीत प्रभार। उपभोक्ता प्रभार एवं सेवा प्रभार शब्दों का उपयोग अधिनियम एवं उसके अधीन बने नियमों तथा विनियमों में अंतर्परिवर्तनीय रूप में किया जायेगा और उनका अर्थ एक ही होगा।" ।
3. धारा-36 का संशोधन :- (1) उक्त अधिनियम की धारा-36 की उप-धारा (1) के खंड (क) के उप-खंड (i) में शब्द "बिहार प्रशासनिक सेवा" के बाद शब्द "गैर-सरकारी अधिकारी, प्रबंधक, प्रशासक या अभियंता जिन्हे शहरी कार्यक्षेत्र प्रबंधन में अनुभव/विशेषज्ञता प्राप्त हो" जोड़े जायंगे।
(2) उक्त अधिनियम की धारा-36 की उप-धारा (1) के खंड (क) के उप-खंड (ii) में शब्द “या बिहार लेखा सेवा के सदस्य" के बाद शब्द “या चार्टर्ड अकाउण्टेण्ट अधिनियम, 1949 के अधीन चार्टर्ड अकाउण्टेण्ट या लागत और संकर्म लेखापाल अधिनियम, 1959 के अधीन लागत और प्रबंधन लेखापाल" जोड़े जायेंगे।
(3) उक्त अधिनियम की धारा-36 की उप-धारा (1) के खण्ड (ख) के उप-खंड (vi) के बाद निम्नांकित परन्तुक द्वितीय परन्तुक के बाद जोड़ा जायेगा: "परन्तु और कि सरकार नगर परिषद/नगर पंचायत में भी नगर कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर गैर-सरकारी व्यक्ति को जिन्हें शहरी कार्यक्षेत्र/प्रबंधन में अनुभव/और प्रशासन में अर्हता प्राप्त प्रबंधक/प्रशासक/अभियंता हो सकते हैं, को नियुक्त कर सकेगी।"
(4) उक्त अधिनियम की धारा-36 की उप-धारा (1) खण्ड (ख) के उप-खंड (vi) के बाद निम्नांकित परन्तुक तीसरे परन्तुक के बाद जोड़ा जायेगा: " परन्तु और भी कि राज्य सरकार नगर निकायों को, आदेश देकर, पदों की संख्या घटा, बढ़ा, पदों की संरचना में परिवर्तन, पद या पदों के समापन, नये संवर्गों के सृजन एवं समापन, नये संवर्गों की स्थापना या पुनर्गठन कर सकेगी या इससे संबंधित अन्य निदेश दे सकेगी जो शहरी स्थानीय निकायों पर बाध्यकारी होगा।"