राजस्थान राज्य कर्मचारी सामान्य प्रावधायी निधि नियम, 1997
No: -- Dated: May, 31 1997
राजस्थान राज्य कर्मचारी सामान्य प्रावधायी निधि नियम, 1997
Rajasthan Government Servants General Provident Fund Rules 1997
1. शीर्षक एवं लागू होने की तिथि :-
(1) ये नियम राजस्थान राज्य कर्मचारी सामान्य प्रावधायी निधि नियम, 1997 कहलायेगें।
(2) ये नियम 1, जून, 1997 से प्रभावी होंगे ।
2. परिभाषायें : इन नियमों में, जब तक संदर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित न हों :
(i) "खाता" अभिप्राय विभाग के पास खाताधारक के उस खाते से है, जिसमें विभाग द्वारा उसकी समस्त जमा राशि एवं ब्याज जमा किया जाता है एवं आहरण नामे लिखा जाता है ।
(ii) "खाताधारक" से अभिप्राय उस अभिदाता से है जिसे इन नियमों के अन्तर्गत प्रावधायी निधि खाते में अंशदान करना आवश्यक है।
(iii) "विभाग" से तात्पर्य राजस्थान सरकार का राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग है।
(iv) "निदेशक" अभिनाय राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग के निदेशक से है एवं इसमें विभाग में नियुक्त अतिरिक्त/उप एवं सहायक निदेशक सम्मिलित हैं ।
(v) "परिवार" से अभिप्राय :
(अ) पुरूष अभिदाता के मामले में पत्नी अथवा पत्नियां, माता-पिता, बच्चे, अवयस्क भाई. अविवाहित बहिने, मृत पुत्र की विधवा एवं बच्चे और अगर अभिदाता के माता पिता जीवित नहीं है तो दादा-दादी ।
परन्तु अगर अभिदाता यह सिद्ध कर दे कि उसकी पत्नी न्यायिक रूप से उससे पृथक करदी गई है या जिस समुदाय से वह सम्बंधित है, उस की रूढिजन्य विधि के अधीन वह भरण पोषण की हकदार नहीं रही है तो वह इन नियमों के अन्तर्गत परिवार की सदस्य तब तक नहीं मानी जायेगी जब तक कि अभिदाता बाद में निदेशक को इस सम्बंध में सदस्य माने जाने के लिए लिखित में सूचित नहीं कर देता है।
(ब) महिला अभिदाता के मामले में पति, माता -पिता, बच्चे, अवयस्क भाई, अविवाहित बहनें, मृत पुत्र की विधवा एवं बच्चे और जहां पर माता-पिता जीवित नहीं हों तो दादा-दादी।
परन्तु यदि अभिदाता द्वारा निदेशक को लिखित में अपने पति को परिवार से अपवर्जित करने की इच्छा अभिव्यक्त की जाती है तो पति इन नियमों के संदर्भ में अभिदाता के परिवार का सदस्य तब तक नहीं माना जायेगा जब तक कि अभिदाता बाद में ऐसी सूचना को लिखित में निरस्त नहीं कर दे ।
(vi) "निधि" से अभिप्राय सामान्य प्रावधायी निधि से है जिसमें विभागद्वारा सामान्य प्रावधायी निधि योजना से सम्बंधित समस्त प्राप्तियां एवं भुगतान किये जाते हैं ।
(vii) "सरकार" से अभिप्राय राजस्थान सरकार से है ।
(viii) "कार्यालय अध्यक्ष" से अभिप्राय सामान्य वित्तीय एवं लेखानियम, 1993 के अन्तर्गत प्रावधित अथवा घोषित कार्यालयाध्यक्ष से है।
(ix) "वेतन" से अभिप्राय राजस्थान सेवा नियम, 1951 के अन्तर्गत परिभाषित वेतन से है।
(x) "पासबुक" से अभिप्राय उस पास बुक से है जो अभिदाता को इन नियमों के प्रावधानों के अन्तर्गत विभाग/कार्यालयाध्यक्ष द्वारा जारी की गई है एवं सत्यापित की गई है।
(xi) "प्रावधायी निधि योजना" से अभिप्राय इन नियमों में वर्णित सामान्य प्रावधायी निधि योजना से है । (xii) "राज्य से अभिप्राय राजस्थान राज्य से है ।
(xiii) "अभिदाता" से अभिप्राय राज्य सरकार के कर्मचारी से है जो कि सम्बंधित भर्ती नियमों के अन्तर्गत नियुक्त/ नियमित हो या जिला परिषद या पंचायत समिति या विनिर्दिष्ट संस्थानों में उस पर लागू नियमों के अन्तर्गत नियुक्त कर्मचारी से है।