No: 20 Dated: Jul, 31 2019

अधिनियम का सार -

  1. तलाक में सभी प्रकार के  तलाक जैसे मौखिक, लिखित, फोन या अन्य साधनों से दिए गए तलाक शामिल हैं, जिसका प्रभाव तत्काल  व वापसी योग्य नहीं  माना जाता , शून्य एवं अवैध माने जावेगें. अर्थात यह तलाक ही नहीं माना जावेगा . 

  2. यद्यपि इस प्रकार का तलाक शून्य है, तदापि  तलाक देने वाले पति को 3 वर्ष की तक की सजा एवं फाइन की जा सकती है

  3. तलाक की सूचना मुस्लिम पत्नी  अथवा उसके खून के रिश्ते के या शादी कराने वाले व्यक्तियों के  द्वारा पुलिस को दिए जाने पर पुलिस गैर-जमानती अपराध दर्ज कर सकेगी.  पति की जमानत संबंधित मजिस्ट्रेट के द्वारा उस महिला की सुनवाई के बाद ही हो सकेगी अन्यथा वह जेल जावेगा.

  4. संबंधित महिला द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने समझौता किए जाने पर यह अपराध समाप्त भी हो सकता है जिसमें मजिस्ट्रेट द्वारा शर्तें तय की जाएगी. 

  5. ऐसे तलाक, जोकि कानूनी दृष्टि से शून्य है, के बाद  नाबालिक बच्चों की कस्टडी मां को मिलेगी तथा पत्नी एवं बच्चों के  जीवन-यापन का खर्च पति द्वारा दिया जावेगा, जितना मजिस्ट्रेट तय करे. 

Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Act, 2019

MINISTRY OF LAW AND JUSTICE

(Legislative Department)

New Delhi, the 31st July, 2019/Shravana 9, 1941 (Saka)

The following Act of Parliament received the assent of the President on the 31st July, 2019, and is hereby published for general information:—

THE MUSLIM WOMEN (PROTECTION OF RIGHTS ON MARRIAGE) ACT, 2019

NO. 20 OF 2019

[31st July, 2019.]

An Act to protect the rights of married Muslim women and to prohibit divorce by pronouncing talaq by their husbands and to provide for matters connected therewith or incidental thereto

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