मध्या प्रदेश लोक अभियोजन (राजपत्रित) सेवा भरती नियम, 1991
No: --- Dated: Mar, 13 1992
मध्य प्रदेश लोक अभियोजन (राजपत्रित) सेवा भरती नियम , 1991
क्र० 2 (ए) 180-88-ब-(4)- दो- भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, मध्य प्रदेश के राज्यपाल, एतदद्वारा, मध्य प्रदेश लोक अभियोजन राजपत्रित सेवा भरती से सम्बन्धित निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्-
नियम
1 . संक्षिप्त नाम- इन नियमों का संक्षिप्त नाम “मध्य प्रदेश लोक अभियोजन (राजपत्रित) सेवा भरती नियम, 1991'' है ।
2. परिभाषाएं - इन नियमो में, जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो-
(क) सेवा के सम्बन्ध में ''नियुक्ति प्राधिकारी'' से अभिप्रेत है, सरकार;
(ख) ''आयोग'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग;
(ग) ''अनुसूची'' से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न अनुसूची;
(घ) ''अनुसूचित जाति'' से अभिप्रेत है कोई जाति, मूलवंश या जनजाति अथवा किसी जाति, मूलवंश या जन जाति का भाग या उसमें का यूथ, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में अनुसूचित जातियों के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया हे;
(ङ) ''अनुसूचित जनजाति'' से अभिप्रेत है कोई जनजाति या जनजाति समुदाय अथवा किसी जनजाति या जनजाति समुदाय का भाग या उसमें का यूथ, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में ऐसी अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है;
(च) ''सेवा'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश लोक अभियोजन (राजपत्रित) सेवा ।
3. विस्तार तथा लागू होना- मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्तें) नियम, 1961 में अन्तर्विष्ट उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ये नियम सेवा के प्रत्येक सदस्य को लागू होंगे ।
4. सेवा का गठन- सेवा में निम्नलिखित व्यक्ति होंगे, अर्थात्-
(1) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के समय अनुसूची एक में विनिर्दिष्ट पदों को मूल रूप से धारण कर रहे हो;
(2) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के पूर्व सेवा में भरती किये गये हों; और
(3) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के उपबन्धों के अनुसार सेवा में भरती किये गए हों ।
5. वर्गीकरण , वेतनमान आदि -सेवा का वर्गीकरण, उनसे सम्बद्ध वेतनमान तथा सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या अनुसूची-एक में अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अनुसार होगी :
परन्तु सरकार, सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या में या तो स्थायी या अस्थायी आधार पर, समय-समय पर, वृद्धि या कमी कर सकेगी ।
6. भरती का तरीका- (1) इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात् सेवा में भरती, निम्नलिखित तरीकों से की जायेगी, अर्थात्.-
(क) सीधी भरती चयन द्वारा;
(ख) अनुसूची-चार के कालम (2) में यथा-विनिर्दिष्ट सेवा के सदस्यों की पदोन्नति द्वारा;
(ग) ऐसे व्यक्तियों के स्थानान्तरण द्वारा, जो ऐसी सेवा में ऐसे पद मूल हैसियत में, धारण करते हों, जिन्हें अनुसूची-दो में विनिर्दिष्ट किया जाये ।
(2) उपनियम (1) के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के अधीन भरती किये गगे व्यक्तियों की संख्या अनुसूची-एक में विनिर्दिष्ट कर्त्तव्य पदों की संख्या की उस प्रतिशतता से किसी भी समय अधिक नहीं होगी जो अनुसूची-दो में दर्शाई गई है ।
(3) इन नियमों के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये, सेवा में की किसी ऐसी विशिष्ट रिक्ति या रिक्तियों को, जिसे या जिन्हें भरती की किसी विशिष्ट कालावधि के दौरान भरा जाना अपेक्षित हो, भरे जाने के प्रयोजन के लिए अपनाया जाने वाला तरीका या तरीके तथा प्रत्येक तरीके के द्वारा भरती किए जाने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रत्येक अवसर पर सरकार द्वारा आयोग के परामर्श से अवधारित की जाएगी ।
(4) उपनियम (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, यदि सरकार की राय में, सेवा की आत्यावश्यकताओं के कारण ऐसा करना अपेक्षित हो, तो सरकार सामान्य प्रशासन विभाग की पूर्व सहमति से, और लोक सेवा आयोग के परामर्श से, उक्त उपनियम में विनिर्दिष्ट सेवा में भरती के उन तरीकों से भिन्न ऐसे तरीकों को अपना सकेगी, जिन्हें वह इस सम्बन्ध में जारी किये गये आदेश द्वारा विहित करे ।
7. सेवा में नियुक्ति - इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात् सेवा में समस्त नियुक्तियां, सरकार द्वारा की जाएंगी तथा ऐसी कोई भी नियुक्ति नियम 6 में विनिर्दिष्ट भरती के तरीकों में से किसी एक तरीके के द्वारा चयन करने के पश्चात् ही की जाएगी, अन्यथा नहीं ।
8 सीधी भरती के लिए पात्रता की शर्ते - चयनित होने के लिये पात्र होने हेतु अभ्यर्थी को निम्नलिखित शर्ते पूरी करना चाहिए, अर्थात्-
(एक) आयु –(क) अभ्यर्थी ने चयन प्रारम्भ होने की तारीख के ठीक आगामी जनवरी के प्रथम दिन को अनुसूची-तीन के कालम (3) में विनिर्दिष्ट आयु प्राप्त कर ली हो और उसने उक्त अनुसूची के कालम (4) में विनिर्दिष्ट आयु प्राप्त न की हों;
(ख) यदि अभ्यर्थी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का हो तो उच्चतर आयु सीमा में अधिकतम 5 वर्ष तक की छूट होगी;
(ग) उन अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में भी, जो मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारी हो या रह चुके हों, नीचे विनिर्दिष्ट की गई सीमा तक तथा शर्तों के अध्यधीन रहते हुए उच्चतर आयु सीमा में छूट दी जाएगी-
(एक) ऐसा अभ्यर्थी, जो स्थायी सरकारी सेवक है, 38 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहिये,
(दो) ऐसा अभ्यर्थी, जो स्थायी रूप से पद धारण कर रहा है और किसी अन्य पद के लिये आवेदन कर रहा है, 38 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहिये । यह रियायत आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों, कार्यभारित कर्मचारियों तथा मध्य प्रदेश अभियोजन सेवा संचालनालय में कार्यरत कर्मचारियों को भी अनुज्ञेय होगी;
(तीन) ऐसे अभ्यर्थी को, जो छटनी किया गया सरकारी कर्मचारी है, अपनी आयु में से, उसके द्वारा पूर्व में की गई सम्पूर्ण अस्थायी सेवा की अधिक से अधिक 7 वर्ष तक की कालावधि, भले ही वह कालावधि एक से अधिक बार की गई सेवाओं का योग हो, कम करने के लिये अनुज्ञात किया जायेगा परन्तु इसके परिणाम- स्वरूप जो आयु निकले वह उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो ।
स्पष्टीकरण- पद ''छटनी किया गया सरकारी कर्मचारी'' से द्योतक हे, ऐसा व्यक्ति, जो इस राज्य की या संघठक इकाइयों में से किसी भी इकाई की अस्थायी सरकारी सेवा में कम से कम छह मास की निरन्तर कालावधि तक रहा हो और जिसे रोजगार कार्यालय में अपना रजिस्ट्रीकरण कराने या सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन-पत्र देने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व स्थापना में कमी किये जाने के कारण सेवोन्मुक्त किया गया हो ।
(चार) ऐसे अभ्यर्थी को, जो भूतपूर्व सैनिक हो, अपनी आयु में से उसके द्वारा पूर्व में की गई प्रतिरक्षा सेवा की सम्पूर्ण कालावधि कम करने के लिये अनुज्ञात किया जायेगा, किन्तु इसके परिणामस्वरूप जो आयु निकले वह उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो ।
स्पष्टीकरण- पद ''भूतपूर्व सैनिक'' से द्योतक है ऐसा व्यक्ति, जो निम्नलिखित प्रवगों में से किसी एक प्रवर्ग में रहा हो और जो भारत सरकार के अधीन कम से कम छह मास की निरन्तर कालावधि तक नियोजित रहा हो और जिसकी किसी भी रोज- गार कार्यालय में अपना रजिस्ट्रीकरण कराने या सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन पत्र देने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व मितव्ययिता इकाई की सिफारिशों के परिणामस्वरूप या स्थापना में सामान्य रूप से कमी किये जाने के कारण छटनी की गई हो या जिसे अधिशिष्ट (सरप्लस) धोषित किया गया हो-
(1) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें सेवा निवृत रियायतों (मास्टरिंग आउट कन्सेशन) के अधीन निर्मुक्त कर दिया गया हो;
(2) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जो दूसरी बार भरती किये गये हों, और जिन्हें--
(क) अल्पकालीन वचनबन्ध पूर्ण हो जाने पर;
(ख) भरती की शर्तो को पूर्ण कर लेने पर; सेवोन्मुक्त. कर दिया गया हो;
(3) मद्रास सिविल युनिट के भूतपूर्व कर्मचारी;
(4) ऐसे अधिकारी (सैनिक तथा असैनिक) जिनमें अल्पावधि सेवा के नियमित कमीशन प्राप्त अधिकारी भी आते हैं, जो उनकी संविदा पूर्ण होने पर सेवोन्मुक्त किये गये हों;
(5) ऐसे अधिकारी, जिन्हें अवकाश रिक्तियों पर छह मास से अधिक समय तक निरन्तर कार्य कर लेने के पश्चात् सेवोन्मुक्त किया गया हो;
(6) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें इस आधार पर सेवोन्मुक्त किया गया हो कि उनके दक्ष सैनिक बनने की सम्भावना नहीं है;
(7) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें अशक्त होने के कारण सेवा से अलग कर दिया गया हो;
(8) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिनको गोली लग जाने, घाव आदि हो जाने के कारण चिकित्सीय आधार पर सेवा से अलग कर दिया गया है;
(घ) विधवा, परित्यक्ता और तलाकशुदा महिला अभ्यर्थियों के मामले में सामान्य उच्चतर आयु सीमा 35 वर्ष को होगी;
(ड) परिवार कल्याण कार्यक्रम के अधीन ग्रीन कार्ड धारण करने वाले अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में उच्चतर आयु सीमा में अधिक से अधिक 2 वर्ष तक की छूट दी जाएगी;
(च्) आदिम जाति, हरिजन तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अन्तर्जातीय विवाह प्रोत्साहन कार्यक्रम के अधीन आने वाले दम्पत्ति में से उच्चतर जाति के पति या पत्नी के सम्बन्ध में सामान्य उच्चतर आयु सीमा में 5 वर्ष तक की छूट दी जाएगी;
(छ) ''विक्रम पुरस्कार'' धारक अभ्यर्थियों को उच्चतर आयु सीमा में 5 वर्ष तक की छूट दी जायेगी;
(ज) ऐसे अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में, जो मध्य प्रदेश राज्य निगम-बोर्डों के कर्मचारी हैं, उच्चतर आयु सीमा में 38 वर्ष की आयु तक छूट दी जायेगी;
(झ) होमगार्ड के स्वयसेवी नगर सैनिकों तथा नान-कमीशंड अधिकारियों के सम्बन्ध में उच्चतर आयु सीमा में उनके द्वारा इस प्रकार की गई सेवा की कालावधि की छूट 8 वर्ष की सीमा के अध्यधीन रहते हुये दी जायेगी, किन्तु किसी भी मामले में उनकी आयु 38 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिये ।
टिप्पणी :- ऐसे अभ्यर्थी जिन्हे उपर्युक्त खण्ड (एक) के उपखण्ड (ग) में वर्णित आयु संबंधी रियायतों के अधीन चयन में प्रवेश दिया गया हो, उस स्थिति में नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे यदि वे आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात् या तो चयन किए जाने के पूर्व या उसके पश्चात सेवा से त्याग-पत्र दे देते है तथापि, यदि आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात् उसकी सेवा या पद से छटनी कर दी जाये, तो वे नियुक्ति के पात्र बने रहेंगे, विभागीय अभ्यार्थियों को चयन में उपस्थित होन के लिए नियुकित प्राधिकारी से पूर्व अनुज्ञा अभिप्राप्त करनी होगी।
(दो) शैक्षाणिक अर्हताएँ- अभ्यर्थी के पास अनुसूची-तीन में दर्शाये गये अनुसार सेवा के लिए विहित शैक्षणिक अर्हताएँ होनी चाहिये; परन्तु
(क) आपवादिक मामलों में, आयोग, सरकार की सिफारिश पर किसी ऐसे अभ्यर्थी को अर्ह मान सकेगा, जो यद्यपि इस खण्ड में विहित की गई अर्हताओं, में से कोई भी अर्हता न रखता हो, किन्तु जिसने अन्य संस्थाओं द्वारा संचालित परीक्षाएँ ऐसे स्तर से उत्तीर्ण की हों, जिनके कारण आयोग की राय में अभ्यर्थी का चयन के लिए प्रवेश दिया जाना न्यायोचित है; और
(ख) ऐसे अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में भी, जो अन्यथा अर्ह हों, किन्तु जिन्होंने एसे विदेशी विश्वविद्यालयों से, जो सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट रूप से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय नहीं है, उपाधियां प्राप्त की हों, आयोग के विवेकानुसार, चयन के लिये विचार किया जा सकेगा,
(तीन) फीस-अभ्यर्थी को आयोग द्वारा विहित की गई फीस का संदाय करना होगा ।
9. निरर्हता- अभ्यर्थी द्वारा किसी भी साधन से अपनी अभ्यर्थीता के लिये समर्थन अभिप्राप्त करने के किसी भी प्रयास पर आयोग द्वारा उसे चयन के लिये निरर्ह माना जा सकेगा ।
10. अभ्यर्थियों की पात्रता के सम्बन्ध में आयोग का विनिश्चय अन्तिम होगा- चयन के लिये किसी अभ्यर्थी की पात्रता या अपात्रतता के सम्बन्ध में आयोग का विनिश्चय अन्तिम होगा और किसी ऐसे अभ्यर्थी को, जिसे आयोग द्वारा प्रवेश प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया है, आयोग द्वारा साक्षात्कार नहीं लिया जायेगा ।
11. चयन द्वारा सीधी भरती- (1) सेवा में भरती के लिये चयन ऐसे अन्तरालों से किया जाएगा जिन्हें कि सरकार, आयोग के परामर्श से समय-समय पर अवधारित करें ।
(2) सेवा के लिये अभ्यर्थियों का चयन आयोग द्वारा उनका साक्षात्कार लिये जाने के पश्चात् किया जायेगा ।
(3) सीधी भरती के लिये उपलब्ध रिक्तियों में से 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत रिक्तियाँ उन अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रखी जाएँगी जो क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्य हैं ।
(4) इस प्रकार आरक्षित रिक्तियों को भरते समय, उन अभ्यर्थियों की जो अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्य हैं, नियुक्ति पर विचार उसी क्रम से किया जायेगा जिस क्रम में उनके नाम नियम 12 में निर्दिष्ट सूची में आये हैं, चाहे अन्य अभ्यर्थियों का तुलना में उनका सापेक्षिक स्थान कुछ भी क्यों न हों ।
(5) अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के उन अभ्यर्थियों को, जिनके उपयुक्त होने के बारे में सिफारिश प्रशासन में दक्षता बनाये रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुये, सेवा में नियुक्ति के लिये आयोग द्वारा की गई है, यथास्थिति, अनुसुचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये उपनियम (3) के अधीन आरक्षित रिक्तियों पर नियुक्त किया जा सकेगा ।
(6) यदि अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थी उनके लिये इस प्रकार आरक्षित सभी रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्त संख्या में उपलब्ध न हो, तो शेष रिक्तियाँ अनन्य रूप से उन्हीं अभ्यर्थियों के लिये पुन: विज्ञापित की जाएँगी । यदि पुन: विज्ञापन के पश्चात् भी कोई रिक्ति भरी जाने से रह जाती है, तो उनको सामान्य अम्यर्थियों में से भरा जायेगा और उतनी ही संख्या के बराबर की अतिरिक्त रिक्तियाँ पश्चात्वर्ती चयन के दौरान यथास्थिति, अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रखी जाएँगी :
परन्तु अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रिक्तियों की कुल संख्या अग्रनीत किये गये पदों को सम्मिलित करते हुये विज्ञापित की गई कुल रिक्तियों के पैंतालीस प्रतिशत से किसी भी समय अधिक नहीं होगी ।
(7) प्रत्येक ऐसे अधिकारी को, जिसे उसकी प्रथम तैनाती पर जनजाति (अनुसूचित) क्षेत्र में पदस्थ नहीं किया हो, सेवा के प्रथम पाँच वर्षों के भीतर अनिवार्यत: अनुस्चित क्षेत्र में पदस्थ किया जायेगा । उसे जनजाति अनुसूचित क्षेत्र में कम से कम दो वर्ष की सेवा कर लेने के पश्चात् ही उसका स्थानान्तरण सामान्य क्षेत्र में किया जा सकेगा । अनुसूचित क्षेत्र में पदस्थ किये गये ऐसे सरकारी सेवक को उस क्षेत्र के बाहर किसी कार्यालय में संलग्न (अटैच) नहीं किया जायेगा ।
12. आयोग द्वारा सिफारिश किये गये अभ्यर्थियों की सूची- (1) आयोग ऐसे अभ्यर्थियों की जो ऐसे स्तर से अहित हो, जैसा कि आयोग अवधारित करें और अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के ऐसे अभ्यर्थियों की, जो यद्यपि उस स्तर से अहित नहीं हो, फिर भी आयोग ने प्रशासन में दक्षता बनाए रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुए, जिन्हें सेवा में नियुक्ति के लिये उपयुक्त घोषित किया हो, गुणागुण (मेरिट) के कम से बनाई गई एक सूची सरकार को अग्रेषित करेगा । यह सूची सर्वसाधारण की जानकारी के लिये प्रकाशित की जायेगी ।
(2) इन नियमों तथा मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये, उपलब्ध रिक्तियों पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति के सम्बन्ध में विचार उसी कम से किया जायेगा जिसमें उनके नाम सूची में आये हैं ।
(3) सूची में किसी अभ्यर्थी का नाम सम्मिलित किये जाने से ही उसे नियुक्ति का कोई अधिकार तब तक प्राप्त नहीं होता है जब तक कि सरकार का, ऐसी जाँच करने के पश्चात् जैसी कि आवश्यकता समझी जाये, यह समाधान न हो जाये कि अभ्यर्थी सेवा में नियुक्ति के लिये सभी प्रकार से उपयुक्त है |
13. पदोन्नति द्वारा नियुक्ति— (1) पात्र अभ्यर्थियों का पदोन्नति के लिये प्रारम्भिक चयन करने हेतु एक समिति का गठन किया जाएगा 1 जिसमें अनुसूची-चार में वर्णित सदस्य होंगे ।
(2) समिति सामान्यत: एक वर्ष से अनधिक अन्तरालों में अपनी बैठक करेगी ।
(3) ऐसे पदों पर, जिनमें पदोन्नति की प्रतिशतता 33 1/3 प्रतिशत या उससे अधिक है, पदोन्नति के लिए उपलब्ध रिक्तियों का 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उन अधिकारियों के लिये आरक्षित रखा जायेगा जो नियम 14 के उपबन्धों के अनुसार पदोन्नति के लिये पात्र हों ।
(4) आरक्षित रिक्तियों पर पदोन्नति करने के लिए प्रक्रिया सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा, समय-समय पर, जारी किए गए अनुदेशों के अनुसार होगी ।
14. पदोन्नति के लिए पात्रता की शर्ते- (1) उपनियम (2) के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये, समिति उन समस्त व्यक्तियों के मामलों पर विचार करेगी, जिन्होंने उस वर्ष की पहली जनवरी को उन पदों पर जिनसे कि पदोन्नति की जाना है, उतने वर्षों की सेवा (चाहे स्थानापन्न रूप में या मूल रूप में हो) जितनी कि अनुसूची-चार के कालम (3) में विनिर्दिष्ट है, पूरी कर ली हो और जो उपनियम (2) के उपबन्धों के अनुसार विचार क्षेत्र में आते हों :
परन्तु आपातकालीन कमीशन तथा अल्पकालिक सेवा कमीशन से निर्मुक्त किये गये अधिकारियों की सेवा की संगणना सेवा में उनकी नियुक्ति के पश्चात् उस तारीख से की जाएगी जिस तारीख से उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञापन क्रमीक 2266/1987/एक-3-67, तारीख 21 अक्टूबर, 1967 के अनुसार सेवा में नियुक्त किया गया समझा गया हो :
परन्तु यह और भी कि किसी कनिष्ठ व्यक्ति को, उससे ज्येष्ठ व्यक्ति पर अधिमानता देकर पदोन्नति के लिए केवल इस आधार पर विचार नहीं किया जाएगा कि उसने सेवा की विहित कालावधि पूर्ण कर ली है ।
(2) चयन का क्षेत्र, ''योग्यता सह ज्येष्ठता'' के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में, चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या के सामान्यत: सात गुना तक और ''ज्येष्ठता सह योग्यता'' के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में चयन सूची में सम्मिलित किए जाने वाले अधिकारियों की संख्या के सामान्यत: पाँच गुना तक सीमित होगा :
परन्तु यदि इस प्रकार अवधारित क्षेत्र में उपयुक्त अधिकारी अपेक्षित संख्या में उपलब्ध न हो, तो क्षेत्र को उस सीमा तक बढ़ाया जा सकेगा जिस तक समिति द्वारा, लिखित में कारणों का उल्लेख करते हुए, आवश्यक समझा जाए ।
(3) किसी सरकारी सेवक को तब तक पहली पदोन्नति नहीं दी जाएगी, जब तक कि उसने अनुसूचित क्षेत्र में दो वर्ष की सेवा पूर्ण न कर ली हो । उस मामले में, जहां जनजाति के अनुसूचित क्षेत्र में कोई पद रिक्त न हों, वहाँ जनजाति बहुल किसी ऐसे जिले में, जो परिशिष्ट में सूचीबद्ध है, पदोन्नति की जायेगी ।
ऐसे सरकारी सेवक के मामले में जो जनजाति उपयोजना क्षेत्र में तैनाती के आदेश से पन्द्रह दिन के भीतर कर्त्तव्य ग्रहण नहीं करता है-
(क) यदि वह पहली बार नियुक्त किया जा रहा है, उसकी नियुक्ति का आदेश रद्द कर दिया जाएगा;
(ख) यदि वह पूर्व से ही सरकारी सेवा में है, तो 15 दिन के पश्चात् तैनाती के स्थान पर उसके वेतन का भुगतान रोक दिया जाएगा और उसे स्वत: कार्यमुक्त हुआ समझा जाएगा तथा कर्त्तव्य से उसकी अनुपस्थिति को अनाधिकृत अनुपस्थिति के रूप में माना जायेगा ।
15. उपयुक्त अधिकारियों की सूची का तैयार किया जाना -(1) समिति, ऐसे व्यक्तियों की एक सूची तैयार करेगी जो उपर्युक्त नियम 14 में विहित की गई शर्तो को पूरा करते हों, और जो समिति द्वारा सेवा में पदोन्नति हेतु उपयुक्त ठहराये गये हों । यह सूची, चयन सूची के तैयार करने की तारीख से एक वर्ष के दौरान सेवानिवृत्ति तथा पदोन्नति के कारण होने वाली प्रत्याशित रिक्तियों को भरने के लिए पर्याप्त होगी । उक्त सूची में सम्मिलित किये गये व्यक्तियों की संख्या के 25 प्रतिशत व्यक्तियों की एक आरक्षित सूची भी उपर्युक्त कालावधि के दौरान होने वाली अपेक्षित रिक्तियों को भरने के लिये तैयार की जायेगी ।
(2) ऐसी सूची में सम्मिलित करने के लिये किया जाने वाला चयन ज्येष्ठता का सम्यक् ध्यान रखते हुये सभी दृष्टि से योग्यता तथा उपयुक्तता पर आधारित होगा ।
(3) सूची में सम्मिलित किए गए अधिकारियों के नाम, ऐसी प्रत्येक चयन सूची तैयार करते समय, अनुसूची-चार के कालम (2) में यथाविनिर्दिष्ट सेवा में या पदों में ज्येष्ठता के क्रम रखे जायेंगे;
परन्तु किसी ऐसे कनिष्ठ अधिकारी को, जो समिति की राय में असाधारण रूप से योग्य तथा उपयुक्त हो, उससे ज्येष्ठ अधिकारियों की तुलना में सूची में उच्चतर स्थान दिया जा सकेगा ।
स्पष्टीकरण- किसी ऐसे व्यक्ति का, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित किया गया हो, किन्तु जो सूची की विधिमान्यता के दौरान पदोन्नत नहीं किया गया हो, केवल उसके पूर्ववर्ती चयन के तथ्य के आधार पर, उन व्यक्तियों के ऊपर, जिन पर पश्चात्वर्ती चयन में विचार किया गया हो, ज्येष्ठता का दावा नहीं होगा ।
(4) इस प्रकार तैयार की गई सूची का प्रत्येक वर्ष पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण किया जायेगा ।
(5) यदि चयन, पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण की प्रक्रिया के दौरान राज्य अधीनस्थ सिविल सेवा के किसी सदस्य को अतिष्ठित करना प्रस्तावित हो, तो समिति प्रस्तावित अधिक्रमण के सम्बन्ध में अपने कारणों को अभिलिखित करेगी ।
16. आयोग से परामर्श- विभागीय पदोन्नति समिति, जिसकी अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष या सदस्य द्वारा की गई है, की सिफारिश के बारे में यह समझा जायेगा कि संविधान के अनुच्छेद 320 के खण्ड (3) के उपखण्ड (ख) के अधीन आयोग से परामर्श करने की अपेक्षा का अनुपालन कर लिया गया है और आयोग से पृथक् रूप से परामर्श करना आवश्यक नहीं होगा ।
17. चयन सूची- (1) सरकार द्वारा अन्तिम रूप से अनुमोदित सूची अनुसूची-चार के कालम (2) में दर्शाये गये पदों से उक्त अनुसूची के कालम (3) में वर्णित पदों पर सेवा के सदस्यों की पदोन्नति के लिये चयन सूची होगी ।
(2) यदि आयोग सरकार से प्राप्त सूची में कोई परिवर्तन करना आवश्यक समझता है तो आयोग सरकार को प्रस्तावित परिवर्तन की सूचना देगा और सरकार की टिप्पणियों पर, यदि कोई हो, विचार करने के पश्चात्, सूची को ऐसे उपान्तरणों के साथ यदि कोई हो, जैसे कि उसकी राय से न्यायसंगत और उपयुक्त हों, अन्तिम रूप से अनुमोदित कर सकेगा ।
(3) आयोग द्वारा अन्तिम रूप से यथा-अनुमोदित सूची सेवा के सदस्यों की पदोन्नति के लिये चयन सूची होगी ।
(4) चयन सूची सामान्यत: तब तक प्रवृत्त रहेगी जब तक कि नियम 15 के उपनियम (4) के अनुसार उसका पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण नहीं कर लिया जाता किन्तु उसकी विधि- मान्यता उसके तैयार किये जाने की तारीख से 18 मास की कुल कालावधि से परे नहीं बढ़ाई जायेगी :
परन्तु चयन सूची में सम्मिलित किसी व्यक्ति की ओर से आचरण या कर्त्तव्यों के पालन में गम्भीर गलती होने की दशा में, सरकार के अनुरोध पर चयन सूची का विशेष रूप से पुन- र्विलोकन किया जा सकेगा और आयोग, यदि वह उचित समझे, ऐसे व्यक्ति का नाम चयन सूची में से हटा सकेगा ।
18. चयन सूची में से सेवा में नियुक्ति —(1) चयन सूची में सम्मिलित अधिकारियों की, सेवा संवर्ग के पदों पर नियुक्तियाँ उसी क्रम से की जायेंगी, जिस क्रम से ऐसे अधिकारियों के नाम चयन सूची में आये हों.
परन्तु जहाँ प्रशासनिक अत्यावश्यकताओं के कारण ऐसा करना अपेक्षित हो, वहाँ ऐसे व्यक्तियों को, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलिन नहीं हो या जो चयन सूची में ठीक अगले क्रम में न हो, सेवा में नियुक्त किया जा सकेगा, यदि सरकार का यह समाधान हो जाए कि रिक्ति के तीन मास से अधिक समय तक चालू रहने की सम्भावना नहीं है ।
(2) ऐसे किसी व्यक्ति की, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित हो, सेवा में नियुक्ति के पूर्व आयोग से परामर्श करना सामान्यत: तब तक आवश्यक नहीं होगा, जब तक कि चयन सूची में उसका नाम सम्मिलित किये जाने तथा प्रस्तावित नियुक्ति की तारीख के बीच की कालावधि के दौरान उसके कार्य में ऐसी कोई गिरावट न आ गई हो, जो सरकार की राय में ऐसी है, जिससे वह सेवा में नियुक्ति के लिए अनुपयुक्त हो गया हो ।
19. परिवीक्षा- सेवा में सीधी भरती किये गये प्रत्येक व्यक्ति को दो वर्ष की कालावधि के लिये परिवीक्षा पर नियुक्त किया जायेगा ।
20. निर्वचन -यदि इन नियमों के निर्वचन के सम्बन्ध में कोई प्रश्न उद्भूत होता है, तो वह सरकार को निर्दिष्ट किया जायेगा, जिसका उस पर विनिश्चय अन्तिम होगा ।
21. छूट - इन नियमों में की किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के मामले में, जिस पर यह नियम लागू होते हों, ऐसी रीति में, कार्यवाही करने की राज्यपाल की, शक्ति को, जो उसे न्यायसंगत तथा साम्यपूर्ण प्रतीत होती हो, सीमित या कम करती है :
परन्तु किसी मामले में ऐसी रीति में कार्यवाही नहीं की जायेगी जो कि इन नियमों में उपबन्धित रीति की अपेक्षा उसके लिये कम अनुकूल हो ।
22. व्यावृत्ति- इन नियमों में की कोई भी बात अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिये राज्य सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में, समय-समय पर, जारी किये गये आदेशों के अनुसार उपबन्धित किये जाने के लिये अपेक्षित आरक्षण तथा अन्य शर्तों को प्रभावित नहीं करेगी ।
23. निरसन तथा व्यावृत्ति- ऐसे समस्त नियम, जो इन नियमों के तत्स्थानी हो तथा जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व प्रवृत्त हों इन नियमों के अन्तर्गत आने वाले विषयों के सम्बन्ध में, एतद्द्वारा, निरस्त किये जाते हैं :
परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों के अधीन किसी किये गये आदेश या की गई किसी कार्यवाई के सम्बन्ध में यह समझा जायेगा कि वह इन नियमों के तत्सथानी उपबन्धों के अधीन किया गया है या की गई ।
अनुसूची-एक
[नियम 5 देखिये ]
संख्यांक |
सेवा में सम्मिलित पदों के नाम |
पदों की संख्या |
वर्गीकरण |
वेतनमान |
टिप्पणियां |
(1) |
(2) |
(3) |
(4) |
(5) |
(6) |
1. |
संचालक, अभियोजन |
1 |
प्रथम वर्ग |
रुपये |
|
2. |
संयुक्त संचालक, अभियोजन |
1 |
प्रथम वर्ग |
3700-125-4700-150-5000 |
|
3. |
उप संचालक, अभियोजन/उप संचालक (मुख्यालय) अतिरिक्त लोक अभियोजक |
17 |
प्रथम वर्ग |
3000-100-3500-125-4500 |
|
4. |
जिला लोक अभियोजन अधिकारी/अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी/सहायक संचालक (मुख्यालय) |
58 |
द्वितीय वर्ग |
2000-60-2300-75-3200-100-3500 |
|
5. |
सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी |
330 |
द्वितीय वर्ग |
1640-60-2600-75-2900 |
(36 पद तीन वर्ष के लिए प्रास्थगन के अधीन रखे गए) |
अनुसूची-दो
[ नियम 6 देखिये ]
विभाग का नाम |
सेवा का नाम |
पद का नाम |
कर्तव्य पदों की संख्या |
भरे जाने वाले कर्तव्य वाले पदों की संख्या की प्रतिशतता |
||
सीधी भर्ती द्वारा |
सेवा के सदस्यों की पदोन्नति द्वारा |
अन्य सेवा के सदस्यों के स्थानांतरण द्वारा |
||||
(1) |
(2) |
(3) |
(4) |
(5) |
(6) |
(7) |
गृह विभाग |
मध्यप्रदेश लोक अभियोजन (राजपत्रित) सेवा |
संचालक संयुक्त संचालक |
1 1 |
.... .... |
100 प्रतिशत 100 प्रतिशत |
यदि संवर्ग में कोई उपयुक्त अधिकारी उपलब्ध न हो तब आई०ए०एस०/आई०पी० एस०/उच्चतर न्यायिक सेवाओं में से प्रतिनियुक्ति द्वारा |
उप-संचालक (अभियोजन) उप-संचालक (मुख्यालय) अतिरिक्त लोक अभियोजन |
17 |
... |
100 प्रतिशत |
|||
जिला लोक अभियोजन अधिकारी/अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी/सहायक संचालक |
58 |
.... |
100 प्रतिशत |
|||
सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी |
330 |
100 प्रतिशत |
.... |
अनुसूची-तीन
[ नियम 8 देखिये ]
विभाग का नाम (1) |
सेवा में पद का नाम (2) |
न्यूनतम आयु सीमा (3) |
अधिकतम आयु सीमा (4) |
शैक्षणिक अर्हताएं (5) |
गृह विभाग |
मध्य प्रदेश अभियोजन सेवा सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी |
24 वर्ष |
30 वर्ष |
किसी भी मान्यता प्राप्त विश्व विद्यालय से विधि में उपाधि या समकक्ष और प्रथम श्रेणी वाले या बार में 2 वर्ष व्यवसाय वाले या उच्चतर अर्हता वाले व्यक्तियों को अधिमान्यता दी जाएगी | |
अनुसूची-चार
[ नियम 14 देखिये ]
विभाग का नाम |
सेवा का नाम |
उस पद का नाम जिससे पदोन्नति की जानी है |
पदोन्नति के लिए अर्ह होने हेतु न्यूनतम अनुभव |
उस पद का नाम जिस पर पदोन्नति की जानी है |
विभागीय पदोन्नति समिति के सदस्यों के न नाम |
गृह विभाग |
मध्य प्रदेश अभियोजन (राजपत्रित) सेवा |
उप-संचालक, अभियोजन उप-संचालक (मुख्यालय) अतिरिक्त लोक अभियोजक प्रथम वर्ग |
4 वर्ष |
संयुक्त संचालक प्रथम वर्ग |
(1) मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या उसके द्वारा नामनिर्दिष्ट सदस्य-अध्यक्ष (2) प्रमुख सचिव, गृह विभाग –सदस्य (3) प्रमुख सचिव/सचिव, विधि विभाग (या उसके द्वारा नाम निर्दिष्ट सदस्य) –सदस्य | (4) संचालक, लोक अभियोजन-सदस्य | |
सहायक संचालक/जिला लोक अभियोजन अधिकारी/अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वितीय वर्ग |
5 वर्ष |
उप संचालक/(अभियोजन) (मुख्यालय) अतिरिक्त लोक अभियोजक, प्रथम वर्ग |
तदैव |
||
सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वितीय वर्ग |
6 वर्ष |
सहायक संचालक/जिला लोक अभियोजन अधिकारी/अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वितीय वर्ग |
तदैव |