Madhya Pradesh Freedom of Religion Ordinance, 2020 [Hindi and English]
No: 1 Dated: Jan, 09 2021
Madhya Pradesh Freedom of Religion Ordinance, 2020 [Hindi and English]
मध्यप्रदेश अध्यादेश
क्रमांक १ सन् २०२१
मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश, २०२०.
["मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण)" में दिनांक १ जनवरी २०२१ को प्रथम बार प्रकाशित किया गया. ]
भारत गणराज्य के इकहत्तरवें वर्ष में राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित किया गया.
दुर्व्यपदेशन, प्रलोभन, धमकी या बल प्रयोग, असम्यक् असर, प्रपीड़न, विवाह या किसी अन्य कपटपूर्ण साधन द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में संपरिवर्तन का प्रतिषेध कर धार्मिक स्वंतत्रता तथा उससे संबंधित या उससे आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध करने हेतु अध्यादेश.
यतः, राज्य के विधान मण्डल का सत्र चालू नहीं है और मध्यप्रदेश के राज्यपाल का समाधान हो गया है कि ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं, जिनके कारण यह आवश्यक हो गया है कि वे तुरंत कार्रवाई करें;
अतएव, भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के खण्ड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए मध्यप्रदेश के राज्यपाल निम्नलिखित अध्यादेश प्रख्यापित करते हैं:
१. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ. - (१) इस अध्यादेश का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश, २०२० है.
(२) इसका विस्तार संपूर्ण मध्यप्रदेश राज्य पर होगा.
(३) यह ऐसी तारीख से प्रवृत्त होगा जैसा कि राज्य सरकार, राजपत्र में, अधिसूचना द्वारा नियत करे,
MADHYA PRADESH ORDINANCE
No. 1 OF 2021
THE MADHYA PRADESH FREEDOM OF RELIGION ORDINANCE, 2020
[First published in the "Madhya Pradesh Gazette (Extra-ordinary", dated the 9th January, 2021.]
Promulgated by the Governor in the seventy first year of the Republic of India
An Ordinance to provide freedom of religion by prohibiting conversion from one religion to another by misrepresentation, allurement, use of threat or force, undue influence, coercion. Marriage or any fraudulent means and for the matters connected therewith or incidental thereto.
WHEREAS the State Legislature is not in session and the Governor of Madhya Pradesh is satisfied that circumstances exist which render it necessary to take immediate action;
Now, therefore, in exercise of the powers conferred by clause (I) of article 213 of the Constitution of India, the Governor of Madhya Pradesh is pleased to promulgate the following Ordinance:-
1. Short title, extent and commencement. - (1) This Ordinance may be called the Madhya Pradesh Freedom of Religion Ordinance, 2020.
(2) It shall extend to the whole of the State of Madhya Pradesh.
(3) It shall come into force on such date as the State Government may, by notification in the Official Gazette, appoint.
२. परिभाषाएं. - (१) इस अध्यादेश में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हों,-
(क) "प्रलोभन" से अभिप्रेत है और इसमें सम्मिलित है, नगद अथवा वस्तु के रूप में कोई दान या परितोषण या भौतिक लाभ या रोजगार, किसी धार्मिक निकाय द्वारा संचालित विद्यालय में शिक्षा, बेहतर जीवन शैली, दैवीय प्रसाद या उसका बचन या अन्यथा के रूप में किसी प्रलोभन देने का कोई कार्य
(ख) "प्रपीड़न" से अभिप्रेत है, किसी व्यक्ति को किसी माध्यम से जो कुछ भी हो जिसमें मनोवैज्ञानिक
दबाव या शारीरिक क्षति कारित करने वाले भौतिक बल प्रयोग या उसकी धमकी द्वारा अपनी इच्छा के विरुद्ध कार्य करने हेतु बाध्य करना;
(ग) "धर्म संपरिवर्तन" से अभिप्रेत है, एक धर्म को त्याग करना तथा कोई अन्य धर्म अंगीकृत कर लेना किन्तु किसी व्यक्ति का अपने पैतृक धर्म में मुड़ कर वापस आना धर्म परिवर्तन नहीं समझा जाएगा;
स्पष्टीकरण.- संपरिवर्तित व्यक्ति के पैतृक धर्म से उस व्यक्ति के जन्म के समय उसके पिता का धर्म अभिप्रेत होगा.
(घ) "बल' में सम्मिलित है, बल-प्रदर्शन या धर्म-संपरिवर्तित करने वाले या धर्म-संपरिवर्तन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को या उसके माता पिता को या सहोदर भाई बहन को या विवाह, दत्तक ग्रहण, संरक्षकत्ता या अभिरक्षा द्वारा संबंधी व्यक्ति को या सम्पत्ति को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाने की धमकी, जिसमें दैवीय अप्रसाद या सामजिक जाति बहिष्कार की धमकी सम्मिलित है;
(ङ) "कपटपूर्ण" में सम्मिलित है, किसी भी प्रकार का दुर्व्यपदेशन या कोई अन्य कपटपूर्ण उपाय;
(च) "सरकार" से अभिप्रेत है, मध्यप्रदेश सरकार;
(छ) "अप्राप्त वय" से अभिप्रेत है, अठारह वर्ष से कम आयु का कोई व्यक्ति;
(ज) "धर्माचार्य" से अभिप्रेत है और इसमें सम्मिलित है किसी धर्म को मानने वाला कोई व्यक्ति और जो किसी धर्म के अनुष्ठान रस्में, जिसमें शुद्धिकरण संस्कार या धर्म-संपरिवर्तन समारोह सम्मिलित है, करता है और किसी भी नाम जैसे पुजारी, पंडित, काजी, मुल्ला, मौलवी तथा फादर से जाना जाता हो;
(झ) “असम्यक् असर" से अभिप्रेत है ऐसे असर का प्रयोग करने वाले व्यक्ति की इच्छा के अनुसार कार्य करने हेतु अन्य व्यक्ति को प्रेरित करने के उद्देश्य से किसी व्यक्ति द्वारा अपनी शक्ति का अंत:करण के विरुद्ध प्रयोग या अन्य व्यक्ति पर असर डालने से है.
(२) शब्द और अभिव्यक्तियों जिनका इस अध्यादेश में उपयोग किया गया है परन्तु इसमें परिभाषित नहीं किया गया है परन्तु दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) और भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६० का ४५) में परिभाषित हैं अन्यथा उपबंधित के सिवाय वही अर्थ होगा जैसा कि क्रमश: उन्हें समनुदेशित किया गया है.
2. Definitions. - (1) In this Ordinance, unless the context otherwise requires.
(a) "allurement" means and includes an act of offering of any temptation in the form of any gift or gratification or material benefit, either in cash or kind or employment, education in school run by any religious body, better lifestyle, divine pleasure or the promise of it thereof or otherwise;
(b) "Coercion" means compelling an individual to act against his will by any means whatsoever including psychological pressure or physical force causing bodily injury or threat thereof;
(c) “Conversion" means renouncing one religion and adopting another but the return of any person already converted to the fold of his parental religion shall not be deemed conversion;
Explanation - the parental religion of the person converted shall mean the religion to which his father belonged at the time of birth of such person.
(d) "force" includes a show of force or a threat of injury of any kind to the person converted or sought to be converted or to his parents, siblings, or any other person related by marriage,adoption, guardianship or custodianship or their property including a threat of divine displeasure or social ex-communication;
(e) "fraudulent includes misrepresentation of any kind or any other fraudulent contrivance:
(f) "Government" means the Government of Madhya Pradesh;
(g) "minor" means a person under eighteen years of age;
(h) "religious priest" means and includes a person professing any religion and who performs rituals including purification Sanskar or conversion ceremony of any religion and by whatever name is called such as Pujari, Pandit, Qazi, Mulla, Maulvi and Father.
(i) "undue influence means the unconscientious use by one person of his power or influence over another in order to persuade the other to act in accordance with the will of the person exercising such influence.
(2) The words and expressions used in this Ordinance but not defined herein but defined in the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974) and the Indian Penal Code, 1860 (45 of 1860) shall have the same meaning as assigned to them respectively unless the context otherwise provides.
३. एक धर्म से अन्य धर्म में विधि विरुद्ध संपरिवर्तन का प्रतिषेध.- (१) कोई व्यक्ति,-
(क) दुर्व्यपदेशन, प्रलोभन, धमकी या बल प्रयोग, असम्यक् असर, प्रपीड़न, विवाह या किसी अन्य कपटपूर्ण साधन द्वारा किसी भी व्यक्ति को प्रत्यक्षत: या अन्यथा संपरिवर्तित नहीं करेगा या प्रत्यक्षत: या अन्यथा संपरिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा;
(ख) ऐसे संपरिवर्तन का दुष्प्रेरण या षडयंत्र नहीं करेगा.
(२) कोई भी धर्म संपरिवर्तन, जो इस धारा के प्रावधानों के विपरीत किया गया हो, वह अकृत एवं शून्य समझा जाएगा.
3. Prohibition of unlawful conversion from one religion to other religion. - (1) No person shall -
(a) convert or attempt to convert, either directly or otherwise, any other person by use of misrepresentation, allurement, use of threat or force, undue influence, coercion or marriage or by any other fraudulent means;
(b) Abet or conspire such conversion
(2) Any conversion in contravention of provision of this section shall be deemed null and void.
४. धर्म-संपरिवर्तन के विरुद्ध परिवाद. - कोई पुलिस अधिकारी उपरोक्त धारा ३ के उल्लंघन में संपरिवर्तित व्यक्ति अथवा उसके माता-पिता या सहोदर भाई या बहन या न्यायालय की अनुमति से किसी व्यक्ति जो रक्त, विवाह या दत्तक ग्रहण, संरक्षकता या अभिरक्षा, जो भी लागू हो, द्वारा संबंधी हो, के लिखित परिवाद के सिवाय जांच या अन्वेषण नहीं करेगा.
4. Complaint against conversion of religion. - No police officer shall inquire or investigate except upon a written complaint of a person converted in contravention of section 3 above or his parents or siblings or with the leave of the court by any other person who is related by blood. Marriage or adoption guardianship or custodianship, as may be applicable.
५. धारा ३ के उपबंधों के उल्लंघन के लिए दण्ड. जो कोई भी धारा ३ के उपबंधों का उल्लंघन करता है, कारावास से जो एक वर्ष से कम का नहीं होगा परन्तु जो पांच वर्ष तक का हो सकेगा तथा जुर्माने का भी दायी होगा जो पच्चीस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, दण्डित किया जाएगा:
परन्तु यह कि जो कोई भी किसी अप्राप्तवय, किसी स्त्री या अनुसूचित जाति या जनजाति के किसी व्यक्ति के संबंध में भारा ३ के उपबंधों का उल्लंघन करता है कारावास से जो दो वर्ष से कम का नहीं होगा परन्तु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माने का भी दायी होगा जो पचास हजार रुपए से कम का नहीं होगा, दण्डित किया जाएगा:
परन्तु यह और कि जो कोई भी, उसके द्वारा माने जाने वाले धर्म से भिन्न किसी धर्म के व्यक्ति से विवाह करना चाहता है और अपना धर्म इस प्रकार छिपाता है कि अन्य व्यक्ति जिससे वह विवाह करना चाहता है, विश्वास करता है कि उसका धर्म वास्तव में वही है जो कि उसका है, कारावास से जो तीन वर्ष से कम का नहीं होगा परन्तु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा तथा जुर्माने का भी दायी होगा जो पचास हजार रुपये से कम का नहीं होगा, दण्डित किया जाएगा:
परन्तु यह भी कि जो कोई सामूहिक धर्म संपरिवर्तन के संबंध में धारा के उपबंधों का उल्लंघन करता है, कारावास से जो पांच वर्ष से कम का नहीं होगा परन्तु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा तथा जुर्माने का भी दायी होगा जो एक लाख रुपए से कम का नहीं होगा, दण्डित किया जाएगा:
परन्तु यह भी कि इस धारा में उल्लिखित दूसरे या उत्तरवर्ती अपराध की दशा में, कारावास पांच वर्ष से कम का नहीं होगा परन्तु दस वर्ष तक का हो सकेगा तथा जुर्माने का भी दायी होगा.
स्पष्टीकरण.- सामूहिक धर्म-संपरिवर्तन से अभिप्रेत है ऐसा धर्म-संपरिवर्तन जहां एक ही समय में दो से
अधिक व्यक्तियों ने धर्म-संपरिवर्तन किया है.
5. Punishment for contravention of provisions of section 3. - Whoever contravenes the provisions of section 3 shall be punished with imprisonment for a term, which shall not be less than one year but which may extend to five years and shall also be liable to fine which shall not be less than Rupees Twenty Five Thousand:
Provided that whoever contravenes the provisions of section 3 in respect of a minor a woman or a person belonging to the Scheduled Castes or Scheduled Tribes shall be punished with imprisonment for a term which shall not be less than two years but which may extend to ten years and shall also be liable to fine which shall not be less than Rupees Fifty Thousand:
Provided further that whosoever intends to marry a person of any religion other than the religion professed by him and conceals his religion in such a manner that the other person whom he intends to marry, believes that his religion is truly the one professed by him shall be punished with imprisonment for a term, which shall not be less than three years but which may extend to ten years and shall also be liable to fine which shall not be less than Rupees Fifty Thousand:
Provided also that whosoever contravenes the provisions of section 3 in respect of mass conversion shall be punished with imprisonment for a term, which shall not be less than five years but which may extend to ten years and shall also be liable to fine which shall not be less than Rupees One Lakh:
Provided also that in the case of a second or subsequent offence mentioned in this section is committed, the term of the imprisonment shall not be less than five years but may extend to ten years and also with fine.
Explanation: Mass conversion means a conversion wherein more than two persons are converted at the same time.
६. किसी व्यक्ति का धर्म-संपरिवर्तित करने के आशय के साथ किया गया विवाह अकृत तथा शून्य होगा. - धारा 3 के उल्लंघन में किया गया कोई विवाह अकृत तथा शून्य समझा जाएगा.
6. Marriages performed with the intent to convert a person shall be null and void.- Any marriage performed in contravention of section 3 shall be deemed null and void.
७. न्यायालय की अधिकारिता. - धारा ६ के अधीन किसी विवाह को अकृत तथा शून्य घोषित करने के लिए प्रत्येक याचिका, धारा ४ में उल्लेखित किसी व्यक्ति द्वारा परिवार न्यायालय के समक्ष या जहां परिवार न्यायालय स्थापित नहीं है, वहां स्थानीय सीमाओं के भीतर किसी परिवार न्यायालय की अधिकारिता रखने वाले न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी, जहां,-
(क) विवाह किया गया था; या
(ख) प्रत्यर्थी, याचिका प्रस्तुत करते समय निवास करता है; या
(ग) विवाह के दोनों पक्षकार अंतिम बार साथ-साथ निवासरत थे; या
(घ) जहां याचिकाकर्ता याचिका प्रस्तुत करने की तारीख पर निवास कर रहा है.
7. Jurisdiction of the Court. - Every petition for declaring a marriage null and void under section 6 shall be presented by any person mentioned in section 4 before the family court or where a family court is not established, the court having jurisdiction of a family court within the local limits wherein,-
(a) the marriage was solemnized, or
(b) the respondent, at the time of the presentation of the petition, resides, or
(c) either parties to the marriage last resided together, or
(d) where the petitioner is residing on the date of presentation of the petition.
८. उत्तराधिकार का अधिकार. - (१) धारा ६ के उपबंधों अथवा इसमें उपरोक्त धारा ७ के अधीन सक्षम न्यायालय के विनिश्चय के होते हुए भी धारा ३ के उल्लंघन में किए गए विवाह से जन्मा कोई बच्चा वैध समझा जाएगा,
(२) उपरोक्त भारा ६ के उपबंध के होते हुए भी ऐसे बच्चे का संपत्ति का उत्तराधिकार पिता के उत्तराधिकार को विनियमित करने वाली विधि के अनुसार होगा,
(३) उपधारा (२) में अंतर्विष्ट किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि किसी विवाह से, जो कि धारा ६ के अधीन अकृत तथा शून्य है तथा जो धारा ७ के अधीन सक्षम न्यायालय द्वारा रद्द किया गया है, जन्मे किसी बच्चे को अपने पिता से भिन्न, किसी व्यक्ति की संपत्ति में अथवा उस पर कोई अधिकार प्रदान करता है.
8. Inheritance Right. - (1) Notwithstanding the provisions of section 6 or the decision of the competent court Sunder section 7 hereinabove, any child born out of marriage performed in contravention of Section 3 shall be deemed legitimate.
(2) Notwithstanding the provision of section 6 hereinabove the succession to the property by such child shall be regulated according to the law governing inheritance of the father.
(3) Nothing contained in sub-section (2) shall be construed as conferring upon any child of a marriage which is null and void under Section 6 and which is annulled by competent court under section 7, any right in or to the property of any person, other than his father.
९. भरणपोषण का अधिकार. - तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तेर्विष्ट किसी उपबंध के होते हुए भी ऐसी महिला जिसका विवाह धारा ७ के अधीन अकृत तथा शून्य घोषित किया गया है तथा उसके बच्चे दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) के अध्याय ९ में यथा उपबंधित भरणपोषण पाने के लिए हकदार होंगे.
9. Right to Maintenance.- Notwithstanding any provision contained in any other law for the time being in force such woman whose marriage is declared null and void under section 7 and her children born of such marriage shall be entitled to maintenance as provided in Chapter IX of the Criminal Procedure Code, 1973 (2 of 1974).
१०. धर्म-संपरिवर्तन से पूर्व घोषणा. - (१) कोई व्यक्ति जो धर्म-संपरिवर्तित करना चाहता है इस कथन के साथ कि वह स्वयं की स्वतंत्र इच्छा से तथा बिना किसी बल, प्रपीड़न असम्यक् असर या प्रलोभन के अपना धर्म-संपरिवर्तन करना चाहता है, जिला मजिस्ट्रेट को विहित प्ररूप में, ऐसे धर्म-संपरिवर्तन से साठ दिवस पूर्व, इस आशय की घोषणा प्रस्तुत करेगा.
(२) कोई धर्माचार्य और/या कोई व्यक्ति जो धर्म-संपविर्तन का आयोजन करना चाहता है, उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट को जहां ऐसा धर्म-संपरिवर्तन आयोजित किया जाना प्रस्तावित है, ऐसे प्ररूप में जैसे कि विहित किया जाए साठ दिवस की पूर्व सूचना देगा.
(३) जिला मजिस्ट्रेट उपधारा (1) तथा (२) के अधीन सूचना प्राप्त होने पर ऐसे प्ररूप में, जैसा कि विहित किया जाए ऐसी पूर्व सूचना की पावती देगा,
(४) जो कोई भी उपधारा (२) के उपबंधों का उल्लंघन करता है कारावास से जो तीन वर्ष से कम का नहीं होगा परन्तु पांच वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माने का भी दायी होगा जो पचास हजार रुपए से कम का नहीं होगा, दण्डित किया जाएगा.
(५) कोई भी न्यायालय संबंधित जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी के बिना इस धारा के अधीन कारित अपराध का संज्ञान नहीं लेगा.
10. Declaration before conversion of religion.- (1) Any person who desires to convert shall submit a declaration to that effect 60 days prior to such conversion, in prescribed Form to the District Magistrate stating that he desires to convert on his own free will and without any force, coercion, undue influence or allurement.
(2) Any religious priest and/or any person who intends to organize conversion shall give 60 days prior notice to the District Magistrate of the district where such conversion is proposed to be organized in such Form as may be prescribed.
(3) The District Magistrate, on receiving the information under sub-sections (1) and (2) shall give acknowledgement of such prior notice in such manner as may be prescribed.
(4) Whoever contravenes the provisions of sub-section (2) shall be punished with imprisonment for a term which shall not be less than three years, but may extend to five years and shall also be liable to fine which shall not be less than Rupees Fifty Thousand.
(5) No court shall take cognizance of the offence committed under this section without prior sanction of the concerned District Magistrate.
११. किसी संस्था अथवा संगठन द्वारा अध्यादेश के उपबंधों के उल्लंघन के लिए दण्ड. - (१) जहां कोई संस्था या संगठन इस अध्यादेश के किसी उपबंध का उल्लंघन करता है, वहां यथास्थिति ऐसी संस्था अथवा संगठन के कामकाज का भारसाधक व्यक्ति इस अध्यादेश की धारा ५ में यथा उपबंधित दण्ड का दायी होगा.
(२) इस अध्यादेश के अधीन किसी अपराध का दोषी पाए जाने पर संस्था अथवा संगठन का पंजीयन सक्षम प्राधिकारी द्वारा विखंडित किया जाएगा.
11. Punishment for violation of provisions of Ordinance by an institution or organization.- (1) Where any institution or organization violates any provision of this Ordinance, the person in charge of the affairs of the such institution or organization, as the case may be shall be liable for punishment as provided under section 5 of this Ordinance.
(2) The registration of institution or organization found guilty of committing any offence under this Ordinance may be rescinded by the Competent Authority.
१२. सबूत का भार. - सबूत का भार, कि कोई धर्म-संपरिवर्तन, दुर्व्यपदेशन, प्रलोभन, बल प्रयोग, बल प्रयोग की धमकी, असम्यक् असर, प्रपीड़न के माध्यम से या विवाह या धर्म परिवर्तन कराने के प्रयोजन से किसी अन्य कपटपूर्ण साधन द्वारा नहीं किया गया था, आरोपी पर होगा.
12. Burden of proof.- The burden of proof as to whether a conversion was not effected through misrepresentation, allurement, use of force, threat of force, undue influence, coercion or by marriage or any other fraudulent means done for the purpose of carrying out conversion lies on the accused.
१३. अपराध का संज्ञेय , अजमानतीय और सत्र न्यायालय द्वारा विचारण योग्य होना. - (१) दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ में अंतर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, इस अध्यादेश के अधीन कारित प्रत्येक अपराध संज्ञेय अजमानतीय और सत्र न्यायालय द्वारा विचारण योग्य होगा.
(२) इस अध्यादेश के अधीन किसी अपराध के विचारण के समय, सत्र न्यायालय इस अध्यादेश के अधीन अपराध से भिन किसी अपराध का विचारण भी कर सकेगा, जिससे कि आरोपी उसी विचारण में दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ के अधीन आरोपित किया जाए.
13. Offence to be cognizable, non-bailable and triable by Court of Session.- (1) Notwithstanding anything contrary contained in the Code of Criminal Procedure, 1973, every offence committed under this Ordinance shall be cognizable, non-bailable and triable by the Court of Session
(2) While trying an offence under this Ordinance, a Session Court may also try an offence, other than the offence under this Ordinance, with which the accused may, under the Code of Criminal Procedure, 1973, be charged at the same trial.
१४. अन्वेषण. - पुलिस उपनिरीक्षक से निम्न पद श्रेणी का कोई पुलिस अधिकारी इस अध्यादेश के अधीन पंजीकृत किसी अपराध का अन्वेषण नहीं करेगा.
14. Investigation.- No Police Officer below the rank of Sub-inspector of Police shall investigate any offence registered under the Ordinance.
१५. कठिनाइयाँ दूर करने की शक्ति. - (१) इस अध्यादेश के उपबंधों को प्रभावी करने में यदि कोई कठिनाई उद्भूत होती है तो सरकार राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा ऐसे उपबंध कर सकेगी जो इस अध्यादेश के उपबंधों से असंगत नहीं है, जैसा कि कठिनाई को दूर करने के लिए उसे आवश्यक या समीचीन प्रतीत हों:
परन्तु ऐसा आदेश इस अध्यादेश के प्रारंभ होने की तारीख से दो वर्ष की कालावधि की समाप्ति के पश्चात् नहीं किया जाएगा.
(२) इस धारा के अधीन बनाया गया प्रत्येक आदेश इसके बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र विधान सभा के समक्ष रखा जाएगा.
15. Power to remove difficulties.- (1) If any difficulty arises in giving effect to the provisions of this Ordinance, the Government may, by order published in the Official Gazette, make such provisions, not inconsistent with the provisions of this Ordinance, as appear to it, to be necessary or expedient for removing the difficulty:
Provided that no such order shall be made after the expiry of a period of two years from the date of commencement of this Ordinance.
(2) Every order made under this section shall, as soon as may be after it is made.be laid before State Legislature.
१६. नियम बनाने को शक्ति. - (१) सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अध्यादेश के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम तथा विनियम बना सकेगी.
(२) उपधारा (१) के अधीन जारी की गई प्रत्येक अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी और इसके बाद ही यह लागू होगी.
16. Power to make rules.- (1) The Government may, by notification in the Official Gazette, make rules or regulations for carrying out the provisions of this Ordinance.
(2) Any notification issued under sub-section (1) shall be published in the Official Gazette, and shall take effect thereupon.
१७. निरसन तथा व्यावृत्ति. - (१) मध्यप्रदेश धर्म-स्वातन्त्र्य अधिनियम, १९६८ (क्रमांक २७ सन् १९६८) एतद्द्वारा निरसित किया जाता है.
(२) ऐसे निरसन के होते हुए भी, परन्तु मध्यप्रदेश सामान्य खण्ड अधिनियम, १९५७ (क्रमांक ०३ सन् १९५८) की धारा १० की प्रयोज्यता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस प्रकार निरसित अध्यादेश के अधीन अथवा उसके अनुसरण में की गई कोई बात या की गई कोई कार्रवाई, या किए जाने के लिए तात्पर्यित कोई बात या कोई कार्रवाई जहां तक कि वह इस अध्यादेश के उपबंधों से असंगत नहीं है, इस अध्यादेश के तत्स्थानी उपबंधों के अधीन अथवा अनुसरण में की गई कोई बात या की गई कोई कार्रवाई समझी जाएगी.
17. Repeal and saving.- (1) The Madhya Pradesh Dharma Swatantra Adhiniyam, 1968 (No. 27 of 1968) and rules made thereunder are hereby repealed.
(2) Notwithstanding such repeal, but without prejudice to the application of section 10 of the Madhya Pradesh General Clauses Act, 1957 (3 of 1958), anything done or any action taken or purported to have been done or taken under or in pursuance of the Acts so repealed, shall, in so far as it is not inconsistent with the provisions of this Ordinance, be deemed to have been done or taken under or in pursuance of the corresponding provisions of this Ordinance.