मध्यप्रदेश दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2017
No: 49 of 2016 Dated: Jan, 25 2018
मध्यप्रदेश दिव्यांगजन अधिकार नियम , 2017
क्रमांक एफ-3-38-2017-छब्बीस-2.-दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (क्रमांक 49 सन् 2016) की धारा 101 द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, राज्य सरकार, एतद्द्वारा, निम्नलिखित नियम बनाती हैं, जिनका उक्त अधिनियम की धारा 101 की उपधारा (1) द्वारा यथा अपेक्षित किए गए अनुसार मध्यप्रदेश राजपत्र भाग दिनांक में पूर्व प्रकाशित किया जा चुका है, अर्थात् :-
नियम
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ.- (1) इन नियमों का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2017 है.
(2) इनका विस्तार सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में होगा.
(3) ये मध्यप्रदेश राजपत्र में इनके अंतिम प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे.
2. परिभाषाएं. - (1) इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(क) ''अधिनियम'' से अभिप्रेत है, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (क्रमांक 49 सन् 2016);
(ख) “बेंचमार्क दिव्यांगता'’ से अभिप्रेत है, चालीस प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता वाला कोई व्यक्ति;
(ग) ''रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र'' से अभिप्रेत है, अधिनियम की धारा 51 के अधीन सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र;
(घ) ''आयुक्त'' से अभिप्रेत है, अधिनियम की धारा 57 के अधीन प्रमाणीकरणकर्ता प्राधिकारी;
(ङ) ''निःशक्तता प्रमाण-पत्र'' से अभिप्रेत है, अधिनियम की धारा 57 के अन्तर्गत प्रमाणकर्ता प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया दिव्यांगता प्रमाण-पत्र
(च) ''प्ररूप'' से अभिप्रेत है, इन नियमों के साथ संलग्न प्ररूप; ''अधिसूचना'' से अभिप्रेत है, मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना,
(छ) ''धारा'' से अभिप्रेत है, अधिनियम की धारा।
(2) उन “शब्दों तथा अभिव्यक्तियों” के, जो इन नियमों में प्रयुक्त हुए हैं किन्तु जो परिभाषित नहीं किए गए हैं के वही अर्थ होंगे जो अधिनियम में उन्हें उनके लिए समनुदेशित किए गए हैं।
3. राज्य दिव्यांगता पर अनुसंधान हेतु समिति-
(1) राज्य सरकार, “राज्य दिव्यांगता पर अनुसंधान हेतु एक समिति'' गठित करेगी। समिति, निम्नलिखित व्यक्तियों से मिलकर बनेगी, अर्थात्:-
(एक) अध्यक्ष |
राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट विज्ञान, औषधि और चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र मे दीर्घ अनुभवी कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति |
(दो) सदस्य |
आयुक्त. चिकित्सा शिक्षा |
(तीन) सदस्य |
आयुक्त, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण |
(चार) सदस्य |
आयुक्त/संचालक आयुर्वेदिक, होम्योपैथी तथा यूनानीचिकित्सासाल |
(पांच) सदस्य |
आयुक्त, महिला एवं बाल विकास कल्याण |
(छह) सदस्य |
राष्ट्रीय क्षेत्रीय संगठन या शैक्षणिक संस्थाओं के तीन प्रतिनिधि जो अधिनियम की अनुसूची में विनिर्दिष्ट दिव्यांगताओ के पांच समूह में से किसी का भी प्रतिनिधित्व करते हैं परन्तु इनमें से कम से कम एक महिला प्रतिनिधि होगी। |
(सात) सदस्य |
राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट दो दिव्यांगजन |
(आठ) सदस्य |
आयुक्त सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण |
(नौ) सदस्य सचिव |
संयुक्त संचालक, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण |
(2) अध्यक्ष, किसी विषय-विशेषज्ञ को समिति की बैठक मे विशेष आमंत्रिती के रूप मे आमंत्रित कर सकेगा।
(3) नामनिर्दिष्ट सदस्यों की पदावधि उनके पदधारण करने की तारीख से अधिकतम तीन वर्ष की कालावधि के लिए होगी, किन्तु वह एक और अवधि के लिए नामनिर्दिष्ट किए जा सकेंगे।
(4) किसी बैठक के लिए गणपूर्ति कुल सदस्यों के कम से कम आधे सदस्यों से होगी।
(5) गैर पदेन सदस्य और विशेष आमंत्रित सदस्य ऐसे यात्रा भत्ता एवं दैनिक भत्ते के हकदार होगे जैसे कि राज्य सरकार के प्रथम श्रेणी अधिकारियों को अनुज्ञेय हैं।
(6) राज्य सरकार, समिति को लिपिकीय और अन्य कर्मचारी उपलब्ध करा सकेगी।
4. दिव्यांगजन अनुसंधान का विषय नहीं होगा.-
कोई दिव्यांगजन किसी अनुसधान का विषय नहीं होगा सिवाय अनुसंधान का उसके शरीर पर भौतिक या मानसिक प्रभाव नही पड़ता हो।
5. दिव्यांगजनों की दुर्व्यवहार. हिंसा एवं शोषण तथा आपदा से सुरक्षा.-
(1) यदि कोई भी दिव्यांगजन दुर्व्यवहार, हिरना और शोषण से पीडित पाया जाता है तो राज्य सरकार शासकीय/अशासकीय संस्थाओं के माध्यम से उसे सुरक्षा, पुनर्वास की सुविधा प्रदान करेगी।
(2) आपदा के समय दिव्यांगजनों के संरक्षण एवं सुरक्षा के लिए राज्य एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकारी दिव्यांगजनों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होंगे।
6. दिव्यांगजनों को कानूनी सहायता एवं सीमित संरक्षकता-
(1) ऐसे दिव्यांगजन जो परिवार के साथ नहीं रहते हैं, यदि उनको विधिक सहायता की आवश्यकता है तो कलेक्टर, जिला विधिक सहायता अधिकारी के माध्यम से विधिक सहायता उपलब्ध कराएगे।
(2) कलेक्टर, ऐसे दिव्यांगजनों को कानूनी बाध्यता वाले प्रकरणो में निर्णय लेने में सहयोग करने हेतु सीमित संरक्षकता प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी होंगे।
(3) सक्षम प्राधिकारी यह सुनिश्चत करेगा कि दिव्यांगजन जो कानूनी आधार पर निर्णय लेने में असमर्थ है, संरक्षक की आवश्यकता है।
(4) कलेक्टर स्वप्रेरणा से या आवेदन प्राप्त होने के पश्चात् सीमित संरक्षकता प्रदान करने के लिए त्वरित कार्रवाई करेगा:
परंतु ऐसी सीमित संरक्षकता प्रदान करने के पूर्व सीमित संरक्षक के रूप में कृत्य करने के लिए, सहमत व्यक्ति की सहमति भी प्राप्त की जाएगी। कलेक्टर, द्वारा सीमित संरक्षकता की अवधि आवश्यकतानुसार निर्धारित की जाएगी।
(5) महिला दिव्यांग के मामले में, सीमित सरंक्षक कोई महिला ही होगी।
(6) उप-नियम (1) के अधीन नियुक्त सीमित संरक्षक, कानूनी कार्रवाई का निर्णय लेने के पूर्व सभी मामलों में दिव्यांगजन से परामर्श करेगा।
(7) सीमित संरक्षक यह सुनिश्चित करेगा कि दिव्यांग व्यक्ति के निमित्त कानूनी तौर पर लिया गया निर्णय दिव्यांग व्यक्ति के हित में हो।
7. सामाजिक जागरूकता.-
राज्य सरकार, दिव्यांगजनों तथा आम जनता में सामाजिक जागरूकता पैदा करने हेतु नोडल अधिकारी पदाभिहित करेगी।
8. दिव्यांगजनों के लिए समेकित शिक्षा-
(1) राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी किसी भी दिव्यांग विद्यार्थी को शासकीय /अशासकीय मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश लेने से वंचित न किया जाए। यदि ऐसा पाया जाता है तो राज्य सरकार सबंधित शिक्षण संस्था की मान्यता समाप्त कर सकेगी। इसका पालन सुनिश्चित करने के लिए, राज्य सरकार समुचित निर्देश जारी करके जिला शिक्षा अधिकारियों को प्राधिकृत कर सकेगी। निःशुल्क एवं बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 18 के प्रयोजन हेतु दिव्यांग बच्चों को समेकित शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
(2) जिला शिक्षा अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक मान्यता प्राप्त शासकीय/अशासकीय शिक्षण संस्था का भवन दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सुगम्य हो। यदि किसी शिक्षण संस्था का भवन ऐसा पाया जाता है कि वह दिव्यांग विद्यार्थियो के लिए सुगम्य नहीं पाया जाता है तो जिला शिक्षा अधिकारी अवसर देते हुए संबंधित संस्था को एक माह का नोटिस देकर उसे बाधा रहित बनाने के लिए कहेगा और यदि समय सीमा में कार्य सम्पादित न होने पर, जिला शिक्षा अधिकारी उस सरथा की मान्यता समाप्त करने के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा करेगा।
(3) सभी शिक्षण संस्थाएं दिव्यांग विद्यार्थियों के शिक्षण के लिए समुचित संख्या में प्रशिक्षित शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगी।
9. समान अवसर नीति के प्रकाशन की रीति.-
(1) प्रत्येक स्थापन, दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर की नीति का प्रकाशन करेगा।
(2) स्थापन द्वारा बनाई गई समान अवसर नीति अधिमानता से अपनी वेबसाईट पर प्रदर्शित करेगा। यदि वेबसाईट नहीं हैं तब वह उनके परिसर में सहजदृश्य स्थान पर उसे प्रदर्शित करेगा।
(3) बीस कर्मचारी या उससे अधिक कर्मचारी वाले प्रायवेट स्थापन और शासकीय स्थापन की समान अवसर नीति में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित उपबंध भी अंतर्विष्ट होगे अर्थात्:-
(क) दिव्यांगजनों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाएं और प्रसुविधाएं जो उन्हे स्थापन मे अपने कर्तव्यों का प्रभावी रूप से निर्वहन करने में समर्थ कर सके,
(ख) स्थापन मे दिव्यांगजनो के लिए पहचाने गए समुचित पदों की सूची;
(ग) विभिन्न पदों के लिए दिव्यांगजनों के चयन की रीति, भर्ती के पश्चात् और पदोन्नति के पूर्व प्रशिक्षण, स्थानांतरण, पद स्थापन, प्राथमिकता, विशेष अवकाश एवं आवासों के आवटन मे अधिमानता दी जाएगी तथा अन्य सुविधाएं भी सम्मिलित होगी;
(घ) सहायक युक्तियो, बाधामुक्त पहुंच तथा दिव्यांगजनो के लिए अन्य उपबंध;
(ङ) (ड) नियुक्त किए गए दिव्यांगजनों की देखभाल के लिए स्थापना द्वारा सम्पर्क अधिकारी की नियुक्ति की हो जो ऐसे कर्मचारियो के लिए उपलब्ध सुविधाओं और प्रसुविधाओं की जांच करे।
(4) बीस से कम कर्मचारियो वाले निजी स्थापन में समान अवसर नीति में दिव्यांगजनों को प्रदान की जाने वाली सुविधाएं और प्रसुविधाएं अन्तर्विष्ट होंगी, ताकि वह स्थापन में अपने कर्तव्यों का प्रभावी रूप से निर्वहन करने में समर्थ हो सके।
10. स्थापन द्वारा अभिलेखों के रखरखाव की रीति.-
(1) प्रत्येक स्थापन, हार्ड और सॉफ्ट प्रतियों में अभिलेखों को रखेगा, जिसमें रजिस्टर के रूप में या कम्प्यूटर या टेब या किसी अन्य इलेक्ट्रानिकी प्ररुप में या किसी भी प्रकार की लिखित सूचना सम्मिलित है, चाहे वह साधारण या मशीनी भाषा में अभिव्यक्त हो और ऐसे अन्य दस्तावेज, इन नियमों के प्रयोजनों के लिए उपयोगी हो सकते हों।
(2) अभिलेखों में निम्नलिखित विशिष्टयां अंतर्विष्ट होंगी, अर्थात् –
(क) नियोजित नि शक्तजनो की संख्या तथा उनकी नियुक्ति की तारीख,
(ख) नाम, लिंग एवं पता;
(ग) दिव्यांगता का प्रकार;
(घ) ऐसे दिव्यांगजनों द्वारा किए जा रहे कार्य की प्रकृति; और
(ङ) ऐसे दिव्यांगजनों को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं के ब्यौरे।
(3) प्रत्येक स्थापन मांग किए जाने पर इन नियमों के अधीन रखे गए अभिलेखों को निरीक्षण के लिए अधिनियम के अधीन प्राधिकारियो को उपलब्ध कराएगी तथा ऐसी सूचना प्रदान करेगी, जो यह जानने के प्रयोजन के लिए अपेक्षित हो कि क्या उपबंधों का अनुपालन किया जा रहा है या नहीं ?
(4) प्रत्येक स्थापन, प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा यथा अपेक्षित किए गए अभिलेखों का सत्यापन करेगी।
11. सरकारी स्थापन द्वारा परिवाद के रजिस्टर के संधारण की रीति.-
(1) प्रत्येक सरकारी स्थापन, राजपत्रित अधिकारी के रैंक से अन्यून अधिकारी को ''शिकायत निवारण अधिकारी'’ के रूप में नियुक्त करेगी:
परन्तु जहां किसी राजपत्रित अधिकारी को नियुक्त करना संभव न हो सरकारी स्थापन वरिष्ठतम अधिकारी को ''शिकायत निवारण अधिकारी'' नियुक्त करेगी।
(2) शिकायत निवारण अधिकारी इस प्रयोजन के लिए शिकायतों का एक रजिस्टर और विनिर्दिष्ट रुप से इस प्रयोजन के लिए रनापॅट कॉपी रखेगा तथा प्रत्येक शिकायत रजिस्टर के एक् पृथक् पृष्ठ पर प्रविष्टि करेगा।
(3). शिकायत निवारण अधिकारी, रजिस्टर में निम्नलिखित विशिष्टियां उल्लिखित करेगा, अर्थात्:-
(क) शिकायत दर्ज करने की तारीख;
(ख) शिकायतकर्ता का नाम;
(ग) शिकायत की जांच कर रहे व्यक्ति का नाम;
(घ) घटना का स्थान,
(ड) स्थापन अथवा व्यक्ति का नाम जिसके विरूद्ध शिकायत दर्ज की गई है,
(च) शिकायत का सारांश;
(छ) कोई अतिरिक्त जानकारी;
(ज) दस्तावेजी साक्ष्य, यदि कोई हो,
(झ) शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा शिकायत निराकरण की तारीख,
(ञ) दिव्यांगता के लिए गठित जिला स्तरीय समिति द्वारा अपील के निराकरण के ब्यौरे, और कोई अन्य जानकारी।
12. रोजगार हेतु आरक्षण.-
(1) प्रत्येक सरकारी स्थापन मे दिव्यांगजनो के नियोजन हेतु 6 प्रतिशत आरक्षण रहेगा। आरक्षण निम्न प्रवर्गो के लिए रहेगा:-
(क) दृष्टिबाधित और कमदृष्टि;
(ख) बहरे और कम सुनने वाले,
(ग) लोकोमोटर डिसेबिलिटी जिसमें सम्मिलित है सेरेब्रल पाटी, कुष्ठ रोग मुक्त, बौनापन, एसिड अटेक पीडि़त, मस्कुलर डिस्ट्राफी;
(घ) ऑटिज्य, बौद्धिक दिव्यांगता, पेसिफिक लर्निग डिसेबिलिटी और मानसिक बीमारी,
(ड) खंड (क) से (घ) के तहत व्यक्तियों की बहुविकलांगता।
(2) राज्य सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए समस्त विभागों को विस्तृत अनुदेश जारी करेगा।
13. रिक्तियों की संगणना-
(1) रिक्तियों की संगणना के प्रयोजन के लिए, रिक्तियों की कुल संख्या का छह प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा बैंचमार्क दिव्यांगताओं के लिए गणना में लिया जाएगा;
(2) अधिनियम की धारा 34 के उपबंधों के अनुसार बैंचमार्क दिव्यांगता का प्रकार निम्नानुसार है :-
(क) दृष्टिबाधित और कमदृष्टि,
(ख) बहरे और कम सुनने वाले
(ग) लोकोमोटर डिसेबिलिटी, जिसमें सम्मिलित है सेरेब्रल पाल्सी, कुष्ठ रोग मुक्त, बौनापन, एसिड अटेक पीडित, मस्कुलर डिस्ट्राफी;
(घ) ऑटिज्य, बौद्धिक विकलांगता, स्पेसिफिक लर्निग डिसेबिलिटी और मानसिक बीमारी
(ड.) खंड (क) से (घ) के अधीन व्यक्तियों की बहुविकलांगता
(3). प्रत्येक सरकारी स्थापन, बैंचमार्क दिव्यांगजनों के लिए कैडर संख्या में रिक्त्तियों की संगणना करने के प्रयोजन के लिए राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों के अनुसार एक रिक्ति आधारित रोस्टर रखेगा।
(4). रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन जारी करते समय प्रत्येक सरकारी स्थापन अधिनियम की धारा 34 के उपबंधों के अनुसार बैंचमार्क दिव्यांगताओं के साथ प्रत्येक वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षित रिक्तियों की संख्या को उपदर्शित करेगा।
(5). अधिनियम की धारा 34 के उपबंधों के अनुसार दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण क्षैतिजिक (Horizontal) होगा और बैंचमार्क दिव्यांगताओं वाले व्यक्तियों के लिए रिक्तियों को पृथक् वर्ग के रूप में सुरक्षित रखा जाएगा।
(6) राज्य सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग, इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए समस्त विभागों को विस्तृत अनुदेश जारी करेगा।
14. रिक्तियों की अदला-बदली.-
सरकारी स्थापन, अधिनियम की धारा 34 के उपबंधों के अनुसार रिक्तियों की अदला-बदली केवल तब करेगा जब भर्ती की सम्यक प्रक्रिया जैसे बैंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के लिए आरक्षित रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन जारी करने का अनुसरण किया गया हो और भर्ती प्रक्रिया का अनुसरण करने के पश्चात् कोई आवेदक उपलब्ध हुआ हो।
15. विवरणियों को प्रस्तुत किया जाना.-
(1) प्रत्येक सरकारी स्थापन, स्थानीय विशेष रोजगार कार्यालय को दिव्यांगजन नियुक्ता विवरणी प्ररूप -1 में (पीडीईआर) प्रत्येक छह माह में एक बार तथा प्ररूप दो में प्रत्येक दो वर्ष में एक बार विवरणियां प्रस्तुत करेगा।
(2) विवरणी को संबंधित तारीख से तीस दिन के भीतर, जो कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 31 मार्च और 30 सितम्बर को प्रस्तुत किया जाएगा।
(3) द्विवार्षिक विवरणी को प्रत्येक आनुकल्पिक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के तीस दिन के भीतर प्रस्तुत किया जाएगा.
परन्तु प्रथम द्विवार्षिक विवरणी (2017), 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में प्रस्तुत करेगा।
16. नियोक्ता द्वारा अभिलेख को रखे जाने का प्ररूप.-
सरकारी स्थापन का प्रत्येक नियोक्ता (पीडीईआर) प्ररूप तीन में दिव्यांग कर्मचारियो के अभिलेख रखेगा।
17 . पदों के चिन्हांकन हेतु समिति.-
दिव्यांगों के पदो के चिन्हांकन एवं उससे सुसंगत परिवादों के निराकरण हेतु सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा। समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे.-
(एक) अध्यक्ष - अपर मुख्य सचिव /प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग
(दो) सदस्य - प्रमुख सचिव, वित्त विभाग
(तीन) सदस्य - प्रमुख सचिव, विधि और विधायी कार्य विभाग
(चार) सदस्य - प्रमुख सचिव, सामाजिक न्याय एवं नि: शक्तजन कल्याण
(पांच) सदस्य सचिव - आयुक्त्त, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण
18. निजी क्षेत्र में नियोजकों को प्रोत्साहन (इनसेंटिव).-
राज्य सरकार, निजी क्षेत्रों के नियोजकों, जिन्होंने कम से कम 5 प्रतिशत तक कुल दिव्यांगजनों का नियोजन किया है, को प्रोत्साहन (इनसेटिव) देने के लिए अनुदेश जारी करेगी।
19 . विशेष रोजगार कार्यालय.-
प्रत्येक स्थापन उनके नियोजन में दिव्यांगजनो से संबंधित रिक्तियो एवं नियोजित किए गए दिव्यांगजनों की सूचना और विवरणी विशेष रोजगार कार्यालय को उपलब्ध कराएगा। सामान्य प्रशासन विभाग इस संबंध में सभी विभागों को विस्तृत अनुदेश जारी करेगा।
20. सुगम्यता हेतु नियम.-
(1) नगरीय प्रशासन विभाग-पंचायत एवं ग्रामीण विकास, रेल्वे एवं लोक निर्माण विभाग अपने-अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले सड़कों एवं भवनों को सुगम बनाने हेतु निम्नाकित उपबधो को करना सुनिश्चित करेंगे। अन्य संबंधित विभाग जो अधोसंरचना का उपयोग कर रहे हो, वे भी जिम्मेदार होंगे;
(क) सड़क
(एक) दिव्यांगजनो के लिए सड़को पर, लाल बत्तियो पर श्रवण संकेतों का और दृष्टिबाधित के लिए आवश्यक संकेतों को प्रदर्शित करना;
(दो) व्हील चेयर का उपयोग करने वाले दिव्यांगजनों की सहज पहुंच के लिए सीढियां;
(तीन) दृष्टिहीन या कम दृष्टिवाले व्यक्तियों के लिए जैब्रा क्रासिंग की सतहों को उत्कीर्ण करना;
(चार) दृष्टिहीन या कम दृष्टिवाले व्यक्तियों के लिए रेल्वे प्लेटफार्म के किनारे को उत्कीर्ण करना;
(पांच) दिव्यांगता के समुचित प्रतीको को विकसित करना;
(छह) समुचित स्थानों पर चेतावनी संकेतों को लगाना।
(ख) निर्मित भवनों में-
(एक) सार्वजनिक भवनों में रैम्प बनाना;
(दो) शौचालयों को व्हीलचेयर का उपयोग करने वाले दिव्यांगजनों के अनुकुल बनाना;
(तीन) लिफ्ट में ब्रेल प्रतीक और श्रवण संकेत लगाना,
(चार) अस्पताल, प्राथमिक स्वारस्य केन्द्रों और अन्य चिकित्सीय देखभाल और पुनर्वास स्थानों पर रैम्प की व्यवस्था बनाना;
(पांच) शासकीय कार्यालयों में नि:शक्तजनों की पहुंच को बाधारहित बनाना।
21. सुगम्य सूचना एवं प्रौद्योगिकी.-
सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर राज्य सरकार, आडियो, प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया में दिव्यांगजनों के प्रवेश को सुगम्य करने की कार्रवाई करेगा।
22. अशासकीय संस्थाओं की मान्यता.-
(1) अधिनियम की धारा 5 -1 की उप-धारा (1) के प्रयोजन हेतु आयुक्त/संचालक, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण द्वारा नामांकित अधिकारी, अधिनियम की धारा 50 के अंतर्गत स्थापित की जाने वाली संस्थाओं के रजिस्ट्रिकरण के प्रयोजन के लिए प्राधिकृत अधिकारी होगा।
(2) संबंधित गैर-सरकारी संस्था फार्म-ए में संबंधित जिले के संयुक्त/उप संचालक, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण को आवेदन करेंगे
(3) आवेदन के साथ निम्नलिखित अभिलेख सलग्न करने होंगे:-
(एक) दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य के दस्तावेजी साक्ष्य;
(दो) संस्थाओं को शासित करने वाला संविधान. उप-विधियां विनियम;
(तीन) विगत तीन वर्षों का वार्षिक प्रतिवेदन, सी.ए. का ऑडिट प्रतिवेदन, विगत 3 वर्षों में प्राप्त वार्षिक अनुदान,
(चार) संस्था में नियोजित व्यक्तियों के नाम उनकी शैक्षणिक अर्हता एवं उनकी कुल सज्जा तथा उनके अपने-अपने कर्तव्यों और संदत्त किए जा रहे मानदेय के बारे में जानकारी;
(पांच) संस्था में नियोजित विशेषज्ञों की सख्या, उनके नाम तथा उनकी शैक्षणिक अर्हताएं / अर्हता संबधी जानकारी;
(छह) आवेदक के निवास संबंधी प्रमाण उसका ई-मेल, दूरभाष, मोबाइल नम्बर, वेबसाइट के बारे में जानकारी।
(4) प्रत्येक संस्था जिसने उप-नियम (1) के अधीन आवेदन दिया है, संस्था के सबंध में निम्नलिखित आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी:-
(क) यहकि आवेदन प्रस्तुत करने के तत्काल पूर्व संस्था तीन वर्ष से अधिक समय से दिव्यांग व्यक्तियों के पुनर्वास के क्षेत्र में कार्य कर रहीं है;
(ख) यहकि संस्था भारतीय सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 या राज्य में तत्समय लागू किसी अन्य विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत है, और आवेदन के साथ ऐसे रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र की प्रति, समिति की उप-विधि, और मेमोरेन्डम ऑफ एसोसिएशन को प्रति प्रस्तुत की जाएगीं;
(ग) यहकि संस्था किसी व्यक्तिगत या व्यक्तिगत लोगों के निकाय के लाभ के लिए नहीं चल रही है;
(घ) यहकि संस्था में दिव्यांग बच्चों को भोजन देने और अन्य विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय पुनर्वास परिषद् से रजिस्ट्रीकृत पेशेवरों की नियुक्त की हो;
(ड.) यहकि संस्था में दिव्यांगजनो के लिए पर्याप्त शिक्षण एवं सीखने की सामग्री उपलब्ध है;
(च) यहकि संस्था ने अपने विगत तीन वर्षो की संपरीक्षित लेखों और वार्षिक रिपोर्ट, सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत कर दी है,
(5) संयुक्त/उप संचालक, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण संचालनालय, आवेदन प्राप्ति के पश्चात् 30 दिनों के भीतर संस्था के कार्यकलापों की जाच करेगा और विस्तृत निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार
करेगा। तत्पश्चात् संबंधित जिले के कलेक्टर की अनुशंसा सहित,प्रस्ताव प्राधिकृत अधिकारी को प्रस्तुत करेगा।
(6) आवेदन प्राप्ति के पश्चात् सक्षम प्राधिकारी आवश्यक जांच और समाधान के पश्चात्, अधिनियम की धारा 50 के उपबंधों के अधीन रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र जारी करेगा।
(7) रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र, जारी होने की तारीख से 3 वर्ष के लिए विधिमान्य रहेगा, किन्तु स्वैच्छिक संस्था सक्षम प्राधिकारी को प्रतिवर्ष किए गए कार्यो का प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा।
(8) संस्था को रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र के नवीकरण हेतु, रजिस्ट्रीकरण की समाप्ति के 60 दिनों के पूर्व आवेदन करना होगा।
23. रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र जारी करने से इंकार करना.-
सक्षम प्राधिकारी, आवेदक को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात् आदेश द्वारा प्रमाण-पत्र देने से इंकार कर सकेगा। ऐसे आदेश में ऐसे प्रमाण-पत्र को देने से इकार करने के विशिष्ट कारण अतर्विष्ट होंगे और आवेदक को तदनुसार रजिस्ट्रीकृत डाक से सूचित किया जाएगा।
24. रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र की विधिमान्यता.-
अधिनियम की धारा 50 के अधीन जारी किया गया रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र 3वर्ष की कालावधि के लिए विधिमान्य करेगा। जब तक कि उसे अधिनियम की धारा 52 के अधीन निरस्त न कर दिया गया हो।
25. सक्षम प्राधिकारी के आदेश के विरूद्ध अपील.-
सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाण-पत्र देने से इकार करने या रजिस्ट्रीकरण निरस्त करने के आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति,30 दिन की कालावधि के भीतर ऐसे इंकार करने या रजिस्ट्रीकरण निरस्त करने के विरूद्ध,प्रमुख सचिव,सामाजिक न्याय एवं नि शक्तजन कल्याण विभाग को अपील कर सकेगा।
26. प्रमाणकर्ता प्राधिकारी द्वारा दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करना.-
(1) शासकीय चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए प्राधिकृत अधिकारी होंगे। संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वारस्य अधिकारी/ सिविल सर्जन अपने क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत समस्त चिकित्सालयों के लिए अलग-अलग प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त करेंगे।
(2) राज्य सरकार का लोक रचास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग इस संबध में विस्तृत अनुदेश जारी करेगा।
27.दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन.-
(1) विनिर्दिष्ट दिव्यांगताग्रस्त कोई व्यक्ति दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन करेगा और आवेदन निम्नलिखित को प्रस्तुत करेगा.-
(क) कोई चिकित्सा प्राधिकारी या कोई अन्य अधिसूचित सक्षम प्राधिकारी आवेदक के निवास के जिले मे जैसाकि आवेदन के निवास के सबूत के रूप में यथा वर्णित या अनुसूची-एक में यथा वर्णित कोई प्राधिकारी ऐसा प्रमाण-पत्र जारी करेगा।
(ख) किसी सरकारी अस्पताल मे, संबधित चिकित्सा प्राधिकारी जिसमें उसने अपनी दिव्यांगता के संबंध में वह उपचार करा रहा हो या उसने उपचार कराया हो:
परन्तु जहां कोई दिव्यांगजन अवयस्क है या बौद्धिक दिव्यांगता से ग्रस्त है या किसी ऐसी दिव्यांगता से ग्रस्त है जो उसे स्वयं ऐसा आवेदन करने में असमर्थ बनाती हो तो उसके निमित्त आवेदन उसके विधिक अभिभावक या अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत ऐसे सगठन द्वारा किया जा सकेगा जिसकी देखभाल के अधीन उक्त दिव्यांगजन हो।
(2) आवदेन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज सलग्न किए जाएंगे -
(क) आवास का सबूत;
(ख) दो नवीनतम पासपोर्ट साइज के छायाचित्र, और
(ग) आधार नम्बर अथवा आधार नामांकन क्रमांक, यदि कोई हो।
28. दिव्यांगता प्रमाण-पत्र का जारी किया जाना.-
(1) आवदेन प्राप्त होने पर चिकित्सा प्राधिकारी, या अन्य अधिसूचित सक्षम प्राधिकारी आवदेक द्वारा दी गई जानकारी का सत्यापन करेगा और केन्द्र सरकार द्वारा जारी सुसंगत मार्गदर्शक सिद्धातों के निबंधनों में दिव्यांगता का निर्धारण करेगा तथा स्वय का यह समाधान हो जाने के पश्चात् कि आवदेक दिव्यांगजन है, विहित प्रकप में उसके पक्ष में दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करेगा।
(2) चिकित्सा प्राधिकारी, आवदेन की प्राप्ति की तारीख से एक माह के भीतर दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करेगा।
(3) चिकित्सा प्राधिकारी सम्यक् परीक्षण के पश्चात्:-
(क) उन मामलों में स्थायी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करेगा जहां दिव्यांगता की मात्रा में समय के साथ परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है; अथवा
(ख) उन मामलो में जहा समय के साथ दिव्यांगता के स्तर में परिवर्तन की संभावना है, अस्थाई दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करेगा और विधिमान्यता की अवधि उपदर्शित करेगा।
(4) यदि कोई आवदेक उसे दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए पात्र नहीं पाया जाता है तो चिकित्सा प्राधिकारी, आवदेन की प्राप्ति की तारीख से एक माह की कालावधि के भीतर उसे लिखित मे कारणों से सूचित करेगा।
29. जारी किया गया प्रमाण-पत्र साधारणत: सभी प्रयोजनों के लिए विधिमान्य होगा.-
कोई व्यक्ति, जिसे दिव्यांगता प्रमाण-पत्र, जारी किया गया है, सरकार की योजनाओं और वित्त पोषित गैर सरकारी संस्थाओं की योजनाओं के अधीन सुविधाओं, रियायतों और लाभों को जो दिव्यांगजनों को अनुज्ञेय हैं, विधिमान्य होगी। ऐसे व्यक्ति ऐसी शर्तों के अधीन, जो सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट उपयुक्त योजनाओं या अनुदेशों द्वारा विनिर्दिष्ट की गई हैं, आवेदन देने के लिए समर्थ होगा।
30. अपील.-
प्राधिकारी के विनिश्चय से व्यथित कोई व्यक्ति नबे दिवस के भीतर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को अपील को अधिमान कर सकेगा।
31. राज्य सलाहकार बोर्ड.-
(1) अधिनियम कीं धारा 66 की उप धारा (2) उपबंधों के अनुसार, राज्य
सलाहकार बोर्ड का गठन निम्नानुसार किया जाएगा -
(एक). अध्यक्ष - मंत्री, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण
(दो). उपाध्यक्ष - राज्य मत्री, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण
(तीन). सदस्य - अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण, शिक्षा 'उच्च शिक्षा' महिला एवं बाल विकास, वित, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण,पंचायत एवं ग्रामीण विकास, श्रम, उद्योग, रोजगार, नगरीय विकास, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, खेल एवं युवा कल्याण, परिवहन, लोक निर्माण, तकनीकी शिक्षा विभाग।
(चार). सदस्य - राज्य विधान मण्डल के तीन सदस्य जिनमें कम से कम दो महिला सदस्य होगी
(पांच). सदस्य - सदस्यों के निम्नलिखित प्रवर्ग राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट होगे-
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पांच विशेषज्ञ दिव्यांगजनों के पुनर्वास एवं कल्याण के क्षेत्र में विशेषज्ञ
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· दिव्यांगजनों के पुनर्वास एवं कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत पांच रग्दरथ पांच जिलों का प्रतिनिधित्व (चकानुक्रम में प्रतिनिधित्व)
· दस दिव्यांग जिन्होंने विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त की हो, जिसमें कम से कम पांच महिलाएं होंगी।
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स्टेट चेम्बर आफ कामर्स उद्योग के तीन प्रतिनिधि
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