No: --- Dated: Apr, 01 1996
संशोधन -
(संशोधन) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996
मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996
M.P. MINOR MINERALS RULES, 1996
(Central Act. 67 Of 1957)
अध्याय 1
प्रारम्भिक
1. संक्षिप्त नाम तथा प्रारंभ. – (एक) इन नियमों का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 है |
(दो) ये नियम माह अप्रैल, 1996 के प्रथम दिन से प्रवृत्त होंगे |
2. परिभाषाएं. - इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हों,—
(एक) “अधिनियम” से अभिप्रेत है खान और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम, (1957) (1957 का 67) ;
(दो) “करार” से अभिप्रेत है ऐसा कोई करार जिसके द्वारा उसमें विनिर्दिष्ट किसी एक या अधिक गौण खनिज उत्खनन करने तथा ले जाने का करार ;
(तीन) “निर्धारण” से अभिप्रेत है इन नियमों के अधीन अदग्रहित निर्धारण जो कि निकाले गए गौण खनिज से संबंधित है ;
(चार) “निर्धारिती” से अभिप्रेत है कोई उत्खनन पट्टा (क्वारी लीज) अथवा उत्खनन-अनुज्ञापत्र (क्वारी परमिट) धारक व्यक्ति और उसके अन्तर्गत ऐसा अन्य व्यक्ति आता है जो इन नियमों के अधीन प्रदान की गई गौण खनिज खदान, सिवाय उनके जो नियमों द्वारा छूट प्राप्त है, धारण करता है ;
(पाँच) “निर्धारण वर्ष” से अभिप्रेत है पट्टे के प्रथम वर्ष के लिए पट्टे के प्रारम्भ होने की तारीख से 31 दिसम्बर को समाप्त होने वाली वार्षिक अवधि तथा उसके पश्चात् 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक अथवा उसका कोई भाग ;
[2] [ (पांच-क) ‘निर्धारण प्राधिकारी’ से अभिप्रेत है जिले में पदस्थ खनि अधिकारी, सहायक खनि अधिकारी, तथा खनि निरीक्षक ] ;
(छः) “अपील प्राधिकारी” से अभिप्रेत है राज्य सरकार है राज्य सरकार अथवा इन नियमों के अधीन ऐसे अधिकारों से निहित प्राधिकारी ;
(सात) “गरीबी रेखा के नीचे” से अभिप्रेत है राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर घोषित गरीबी रेखा में नीचे का परिवार ;
(आठ) “सक्षम प्राधिकारी” से अभिप्रेत है ऐसा सक्षम प्राधिकारी जिसे राज्य सरकार इन नियमों के उपबंधों का निर्वहन करने के लिए नियुक्त करे ;
(नौ) (क) “कलक्टर” तथा “अपर कलक्टर” भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ वेतनमान के का वही अर्थ होगा जो क्रमशः मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (1959 का 20) में परिभाषित किया गया है ;
(ख) मध्यप्रदेश के राजस्व संभाग के “आयुक्त” का वही अर्थ होगा हो उसे मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (1959 का 20) में परिभाषित किया गया है ;
[ (नौ-क) ‘निगम’ का वही अर्थ होगा जो उसे मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 (क्रमांक 23 सन् 1956) में दिया गया है] ,
(दस) “अनिवार्य भाटक (डेड रेन्ट)” और स्वामिस्व “(रायल्टी )” का वही अर्थ होगा जो क्रमशः उन्हें अधिनियम में दिया गया है ;
(ग्यारह) “संचालक” से अभिप्रेत है, संचालक, भौमिकी तथा खनिकर्म, मध्य प्रदेश ;
(बारह) “संयुक्त संचालक” “उप संचालक” “भौमिकीविद्” सहायक भौमिकीविद्” “खान अधिकारी” “सहायक खान अधिकारी“, “खनि निरीक्षक” से अभिप्रेत है क्रमशः संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म मध्यप्रदेश के अधिकारी या संचालक अथवा कलेक्टर द्वारा नामांकित कोई ऐसा अधिकारी ;
(‘तेरह) ”शिक्षित बेरोजगार” से अभिप्रेत है ऐसा व्यक्ति-
(क) जो कम से कम हाई स्कूल परीक्षा प्रमाण-पत्र धारक है, अर्थात् मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 10 + 2 प्रणाली में 10वीं पास ;
(ख) जो मध्यप्रदेश का निवासी हो ;
(ग) जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक परन्तु 35 वर्ष से कम हो ;
(घ) जो गरीबी रेखा के नीचे के परिवार का हो ; और
(ङ) जिसने किसी भी समय शिक्षित बेरोजगारों हेतु किसी अन्य योजना में अधीन कोई सुविधा न ली हो ;
(चौदह) “प्ररूप” से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न प्ररूप ;
(पंद्रह) “ग्राम पंचायत” “जनपद पंचायत” “जिला पंचायत” और “ग्राम सभा” का क्रमशः वही अर्थ होगा जो उन्हें मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1993 (क्रमांक 1 सन् 1994) में दिया गया है ;
(सोलह) “पट्टेदार” से अभिप्रेत है ऐसा व्यक्ति जिसे इन नियमों के अधीन उत्खनन पट्टा (क्वारी लीज) या उत्खनन-अनुज्ञा पत्र (क्वारी परमिट) प्रदान किया गया है तथा उसके अंतर्गत ऐसा कोई ठेकेदार, उप-पट्टेदार या अभिकर्ता आता है जिसे चाहे उस रूप में नियुक्त किया गया हो अथवा नहीं, परन्तु जो पट्टेदार की ओर से कार्य करते हुए या कार्य करने का आशय रखते हुए, खनिज के प्रबंधन, पर्यवेक्षण, उत्खनन तथा प्रेषण में भाग लेता है ;
(सत्रह) “सहकारी सोसायटी” का वही अर्थ होगा जो उसे मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1960 (क्रमांक 17 सन् 1961) में दिया गया है और सहयोजन से अभिप्रेत है ऐसा व्यक्तियों का समूह जो अपने सदस्यों के आर्थिक हित के संवर्धन के उद्देश्य से सहयुक्त हुआ है और जो मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1960 के अंतर्गत रजिस्ट्रीकृत है ;
(अठारह) “अनुसूचित जाति का सदस्य” से अभिप्रेत है भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 के अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य के लिए विनिर्तिष्ट किसी जाति, वंश या जनजाति या ऐसी, जाति वंश या जनजाति के भीतर के किसी भाग या समूह का सदस्य ;
(उन्नीस) “अनुसूचित जनजाति का सदस्य” से अभिप्रेत है भारत के संविधान के अनुच्छेत 342 के अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य के लिए विनिर्दिष्ट किसी जनजाति, जनजाति समुदाय या एसी जनजाति समुदाय के किसी भाग या समूह का सदस्य ;
(बीस) “अन्य पिछडा वर्ग का सदस्य” से अभिप्रेत है राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर यथा अधिसुचित अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों के वर्ग का सदस्य ;
(इक्कीस) “गौण खनिज” से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न अनुसूची एक तथा दो में यथा विनिर्दिष्ट खनिज तथा ऐसे अन्य खनिज जिन्हें भारत सरकार अधिनियम की धारा 3 (ड) के अंतर्गत, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा गौण खनिज के रूप में घोषित करे ;
(बाईस) “खनन संक्रिया” और “उत्खनन संक्रिया” से अभिप्रेत है ऐसी संक्रिया जो गौण खनिज प्राप्त करने के लिए की गई हो तथा इसके अंतर्गत आती है मशीनों की स्थापना, रास्ते बनाना एवं उत्खनन के प्रयोजन के लिए अन्य प्रारम्भिक संक्रियाएं करने के साथ ही खनिजों के हस्तन तथा प्रेषण के स्थान तक ले जाना ;
[ (बाईस-क)] ‘नगरपालिका’ का वही अर्थ होगा जो उसे मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 (क्रमांक 37 सन् 1961) में दिया गया है ] ;
(तेईस) “उत्खनन-अनुज्ञा पत्र क्वारी परमिट” से अभिप्रेत है विनिर्दिष्ट कालावधि में किसी गौण खनिज के उत्खनन करने एवं हटाने के लिए इन नियमों के अधीन दी गई अनुज्ञा ;
(चौबीस) “सार्वजनिक स्थान” से अभिप्रेत है रास्ते, सार्वजनिक भवन, जलाशय, सिंचाई नहरें, तालाब, प्राकृतिक नाले, ग्रामीण मार्ग, धार्मिक स्थान, श्मशान आदि ;
(पच्चीस) “उत्खनन पट्टा (क्वारी लीज)” से अभिप्रेत है गौण खनिजों हेतु अधिनियम की धारा 15 में यथा उल्लिखित उत्खनन पट्टा ;
(छब्बीस) “रेलवे और रेलवे प्रशासन” का वही अर्थ होगा जो क्रमशः उन्हें भारतीय रेल अधिनियम, 1989 (सन् 1989 का 24) में दिया गया है ;
(छब्बीस-क) ‘विशेष क्षेत्र’ का वही अर्थ होगा जो उसे मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 (क्रमांक 23 सन् 1973) में दिया गया है
(सत्ताईस) “अनुसूची” से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न अनुसूची ;
(अट्ठाईस) “राज्य सरकार” से अभिप्रेत है मध्यप्रदेश शासन ;
(उन्तीस) अभिव्यक्ति “खान” और “स्वामी” का वही अर्थ होगा जो उन्हें खान अधिनियम, 1952 (1952 का 35) में क्रमशः दिया गया है ;
3. छूट .- इन नियमों की कोई भी बात –
(एक) आनुवंशिक कुम्हार, अनुसूचित जाति के सदस्य या अनुसूचित जनजाति के सदस्य या ऐसे कुम्हारों या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की सहकारी सोसायटी द्वारा परंपरागत साधनों से कवेलू, बर्तन या ईंट बनाने के लिए परन्तु भटटों में निर्माण क्रिया द्वारा या यांत्रिक साधनों द्वारा नहीं, ऐसे क्षेत्र से, जो कि ग्राम पंचायतें उनके अपने-अपने क्षेत्र के भीतर विनिश्चित और निर्धारित करें, मिट्टी तथा रेत निकलने के लिए लागू नहीं होगी :
परन्तु कोई भी उत्खनन सार्वजनिक स्थान या ऐसे सार्वजनिक स्थान से 50 मीटर तक नहीं किया जाएगा |
(दो) ऐसी खानों से चाहे वे प्रायवेट या शासकीय भूमि में स्थित हों, जब कि ऐसी खाने राज्य सरकार के किसी विभाग के उपयोग के लिए विनियोजित न हों और गौण खनिज विक्रय के लिए उत्खनित न हो परन्तु वे कुओं के निर्माण या मरम्मत के लिए या अन्य कृषि कार्यो के लिए या राजस्व या वन ग्रामों में निवास करने वाले कृषकों, ग्रामीण कारीगरों और मजदूरों के निवास गृहों के लिए आवश्यक हों, गौण खनिज निकालने के लिए लागू, नहीं होगी;
(तीन) ग्राम पंचायतों, जनपद पंचायतों एवं जिला पंचायतों द्वारा सार्वजनिक निर्माण कार्यों के लिए शासकीय भूमि से गौण खनिजों के उपयोग करने पर रायल्टी का भुगतान संबंधित पंचायत को निर्धारित दर से करना होगा |
(चार) सतह पर गौण खनिजों की खोज, जिसमें सतह पर पर्याप्त गड्डे खन्तियां या अन्यथा खोदने से मिट्टी की सारवान गडबडी अंतर्वरित न हो |
सतह पर उपलब्ध खनिजों का भौमिकीय हथौडे द्वारा चिप्पी या नमूने लेना सतह की मिटटी की सारवान गडबडी नहीं मानी जावेगी |
परन्तु यह कि उपर्युक्त छूटों से ऐसे किसी कार्य से, जो राज्य से, जो राज्य या केन्द्रीय शासन के किसी विद्यमान नियमों या अधिनियम के अधीन किसी निजी व्यक्ति द्वारा राज्य शासन या उसके द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी या प्राधिकारी की अनुज्ञा के बिना गौण खनिजों के अनाधिकृत उत्खनन के लिए किया जाए, उन्मुक्ति नहीं होगी|
अध्याय 2
खनन संक्रियाएं करने पर सामान्य निबंधन
4. उत्खनन अनुज्ञापत्र या उत्खनन पट्टा के बगैर खनन संक्रिया करने के लिए प्रतिषेध. –( 1) कोई भी व्यक्ति, किसी भी क्षेत्र में इन नियमों के अधीन प्रदान किये गए उत्खनन पट्टा या उत्खनन अनुज्ञापत्र के निबंधन तथा शर्तों के अधीन तथा उनके अनुसार ही खनन कार्य करेगा अन्यथा नहीं :
परन्तु इस उपनियम की कोई भी बात इन नियमों के प्रारंभ होने के पूर्व प्रदान की गई ऐसी किसी अनुज्ञा, उत्खनन पट्टा, व्यापारिक खदान या स्वामिस्व (रायल्टी) खदान जो इन नियमों के प्रारंभ होने के समय प्रवृत्त थीं, की शर्तों तथा निबंधनों के अनुसार किसी क्षेत्र में किये गए खनन या उत्खनन संक्रियाओं को लागू नहीं होगी |
(2) इन नियमों के उपबंधों के अनुसार ही कोई उत्खनन अनुज्ञापत्र या उत्खनन पट्टा प्रदान किया जावेगा, अन्यथा नहीं |
5. उत्खनन अनुज्ञापत्र या उत्खनन पट्टा प्रदान करने के बारे में निबंधन.- ( 1) कोई भी उत्खनन अनुज्ञापत्र या उत्खनन पट्टा किसी भी व्यक्ति को तब तक प्रदान नहीं किया जायेगा जब तक कि ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिक न हो या कोई कंपनी हो जो कपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन यथा परिभाषित है और ऐसी शर्तों को पूरी नहीं करता हो, जो इन नियमों द्वारा विहित हैं |
स्पष्टीकरण.- इस उपनियम के प्रयोजन के लिए, किसी फर्म या व्यक्तियों के संगम के मामले में. कोई भी व्यक्ति भारतीय राष्ट्रीय केवल तभी समझा जायेगा जब ऐसी फर्म या संगम के समस्त सदस्य भारत के नागरिक हों |
(2) कोई भी उत्खनन पट्टा या उत्खनन अनुज्ञापत्र ऐसी किसी भूमि के संबंध में –
(क) जो सरकार द्वारा, सरकार, स्थानीय प्राधिकारियों के उपयोग के लिए या किसी अन्य सार्वजनिक या विशेष प्रयोजनों के लिए आरक्षित के रूप में घोषित की गई है राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से ही प्रदान किया जाएगा अन्यथा नहीं ;
(ख) जो वन भूमि हो, वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 (1980 का 69) में यथाविहित उपयु्क्त प्राधिकारी की अनुमति के बगैर प्रदान नहीं किया जायेगा ;
[(ग) जो किसी पुल, राष्ट्रीय या राज्य राजमार्ग, रेलपथ से 75 मीटर, ग्रामीण कच्चे रास्ते से 10 मीटर एवं नाले से 25 मीटर, ग्रामीण कच्चे रास्ते से 10 मीटर एवं नाले से 25 मीटर या किसी सार्वजनिक स्थान से 50 मीटर के भीतर हो, प्रादान नहीं किया जाएगा] ;
(घ) जो नदी के किनारों, नालों (पानी का छोटा प्रवाह ), नहर या कोई प्राकृतिक जल स्त्रोत, बांध या कोई जल परिबद्ध करने वाली किसी संरचना से 50 मीटर के भीतर हो, खनिज रेत या बजरी या निकालने के सिवाय, प्रदान नहीं किया जायेगा ;
(ड) जो ऐसा कोई क्षेत्र हो जो सधन या संलग्न न हो, प्रदान नहीं किया जायेगा |
अध्याय 3
उत्खनन पट्टा या उत्खनन अनुज्ञापत्र प्रदान करने संबंधी शक्तियां
6. उत्खनन पट्टे प्रदान करने की शक्ति . –अनुसूची एक और दो में विनिर्दिष्ट खनिजों के संबंध में उत्खनन पट्टों के प्रदान करने तथा उसकी नवीकरण, नीचे दी गई सारणी के कालम (1) में वर्णित प्राधिकारी द्वारा, कालम (2) में विनिर्दिष्ट खनिजों के लिए, कालम (3) की तत्स्थानी प्रविष्टि में विनिर्दिष्ट सीमा तक किया जाएगा :-
[सारणी
क्रमांक
|
प्राधिकारी
|
खनिज
|
शक्तियों की सीमा
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
1.
|
राज्य सरकार
|
(एक) अनुसूची "एक" के
|
(एक) सम्पूर्ण शक्तियां
|
|
|
अनुक्रमांक 1 से 3 तक में विनिर्दिष्ट खनिज |
|
|
|
|
(दो) अनुसूची "एक" के अनुक्रमांक 5 में विनिर्दिष्ट खनिज |
|
(दो) जहां आवेदित क्षेत्र 4.00 हेक्टर से अधिक हो|
|
2.
|
संचालक
|
(एक) ) अनुसूची "एक" के अनुक्रमांक 4 मे विनिर्दिष्ट खनिज |
|
(एक) जहां आवेदित क्षेत्र 4.00 हेक्टर से अधिक हो|
|
|
|
(दो) अनुसूची "एक" के अनुक्रमांक 6 और 7 में विनिर्दिष्ट खनिज |
|
(दो) जहाँ आवेदित क्षेत्र 4.00 हेक्टर से अधिक हो |
|
3.
|
कलक्टर/अपर कलक्टर (वरिष्ठ आई.ए एस. स्केल)
|
(एक) अनुसूची "एक" के अनुक्रमांक 4 में विनिर्दिष्ट खनिज |
|
(एक) जहाँ आवेदित क्षेत्र 4.00 हेक्टर से कम हो |
|
|
|
(दो) अनुसूची "एक" के अनुक्रमांक 5 में विनिर्दिष्ट खनिज |
|
(दो) जहां आवेदित क्षेत्र 4.00 हेक्टर से कम हो |
|
|
|
(तीन) अनुसूची "एक" के अनुक्रमांक 6 और 7 में विनिर्दिष्ट खनिज |
|
(तीन) जहां आवेदित क्षेत्र 4.00 हेक्टर से कम हो |
|
|
|
(चार) अनुसूची "दो" के अनुक्रमांक 2 में विनिर्दिष्ट खनिजमिट्टी ,, केवल चिमनी भट्टा में ईट तथा कवेलू बनाने हेतु |
|
(चार) सम्पूर्ण शक्तियां
|
|
|
(पांच) अनुसूची "दो" में विनिर्दिष्ट समस्त खनिज केवल निगम, नगरपालिका एवं विशेष क्षेत्र |
|
(पांच) सम्पूर्ण शक्तियां
|
|
|
(छः) अनुसूची "दो" के अनुक्रमांक 1 तथा अनुक्रमांक 3 से अनुक्रमांक 12 तक में विनिर्दिष्ट पंचायत क्षेत्र के भीतर खनिज।
|
(छः) जहाँ खदान का औसत वार्षिक मूल्य रूपये 10,00,000 (दस लाख) से अधिक हो।
|
7. उत्खनन अनुज्ञापत्र प्रदान करने की शक्ति .— ( 1) अनुसूची दो में विनिर्दिष्ट खनिजों से संबंधित खदानें, क्रशर के लिए पत्थर खदानों एवं चिमनी भट्टा में केवलू तथा ईंट बनाने के लिए मिटटी की खदानों के सिवाय जिन खदानों का वार्षिक मूल्य रूपये 2,50,000/- (रु. दो लाख पचास हज़ार), 2,50,000/-( रु. दो लाख पचास हज़ार), से किन्तु रु. 5,00,000/- (रु. पांच लाख), एवं रु. 5,00,000/-रु. पांच लाख) से अधिक किन्तु रु. 10,00,000/-तक है, के उत्खनन अनुज्ञा-पत्र प्रदान करने एवं नवीकरण करने,स्वामिस्व वसूली सम्मिलित करते हुए इससे संबंधित सभी प्रयोजनों के विनियमन के लिए क्रमशः संबंधित ग्राम पंचायतों/जनपद पंचायतों एवं जिला पंचायतों को अंतरित मानी जावेंगी | संबंधित पंचायतों द्वारा उस पंचायत की ग्राम सभा का पूर्व अनुमोदन प्राप्त किया जायेगा, जिस पंचायत में खदान क्षेत्र स्थित है अथवा खदान का अधिक क्षेत्र पडता है |
स्पष्टीकरण.- अनुसूची दो में विनिर्दिष्ट खनिजों की खदानों का वार्षिक मूल्य निर्धारण करने के प्रयोजन हेतु यदि वह खदान व्यापारिक या स्वामिस्व (रायल्टी) खदान हो, तो वर्ष 1992-93, 1993-94 और 1994-95 की औसत वार्षिक बोली पर विचार किया जायेगा तथा उन खदानों के मामले में जो उत्खनन पट्टा के रूप में प्रदान की गई हैं, वर्ष 1992, 1993 और 1994 की औसत वार्षिक स्वामिस्व पर विचार किया जायेगा| यह मूल्य निर्धारण इन नियमों के प्रवृत होने पर खदानों के संबंधित जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायतों को हस्तांतरण/मंजूरी अधिकारों के प्रयोजन के लिए है |
[8. नई खदानों के सीमांकन के लिए प्रक्रिया.- पंचायत्, जिले के कलक्टर के परामर्श से, अनुसूची “दो” में विनिर्दिष्ट खनिजों के संबंध में नई खदानें सीमांकित तथा घोषित कर सकेगी |]
अध्याय 4
अनुसूची एक और दो में विनिर्दिष्ट खनिजों के संबंध में उत्खनन पट्टों का प्रदान किया जाना
9. उत्खनन पट्टों के लिए आवेदन.- अनुसूची एक और दो में विनिर्दिष्ट खनिजों के उत्खनन पट्टा प्रदान करने या उनके नवीकरण करने के लिए आवेदन प्ररूप-1 में तीन प्रतियों में किया जायगा | आवेदन पत्र पर पांच रूपये मूल्य का न्यायलय शुल्क स्टाम्प चिपकाया जाएगा तथा उसमें निम्न लिखित विवरणों के साथ-साथ, उसमें किये गये कथन के समर्थन दस्तावेज प्रस्तुत किये जायेंगे :-
(क) यदि आवेदक एक व्यक्ति हो, तो उसका नाम, राष्ट्रीयता, व्यवसाय या जाति, शैक्षणिक अर्हता, उम्र, निवास स्थान, वर्तमान पता तथा वित्तीय स्थिति;
(ख) यदि आवेदक एक कम्पनी हो, तो उसका नाम, व्यवसाय का स्वरुप तथा स्थान और रजिस्ट्रीकरण या निगमन का स्थान, संचालकों की सूची तथा उनकी राष्ट्रीयता, वित्तीय स्थिति, रजिस्ट्रीकरण/निगमन का प्रमाण पत्र ;
(ग) यदि आवेदक एक फर्म है तो उसका नाम, व्यवसाय का स्वरुप तथा स्थान, भागीदारों की सूची एवं उनकी राष्ट्रीयता, भागीदारी विलेख, रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र वित्तीय स्थिति ;
(घ) यदि आवेदक एक सोसायटी/सहयोजन है, तो उसका नाम, कार्य का स्वरुप तथा स्थान, सदस्यों की सूची एवं उनकी जाति, शैक्षणिक अर्हता, राष्ट्रीयता, रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र, उपविधियां तथा प्रत्येक सदस्य की वित्तीय स्थिति ;
(ङ) उस क्षेत्र का जिसका उत्खनन पट्टा अपेक्षित है, यथासंभव ठीक स्थिति तथा सीमा स्पष्ट करने वाले नक्शे या मानचित्र के अनुसार विवरण, जहां क्षेत्र का सर्वेक्षण न हुआ हो वहां क्षेत्र की स्थिति, रास्ते, तालाब इत्यादि कुछ स्थायी प्राकृतिक विशेषताओं से दर्शायी जाएंगी ;
(च) नवीनतम खसरा पांचसाला की प्रति ;
(छ) वह खनिज या वे खनिज जिसका/जिनका उत्खनन या खनन आवेदक करना चाहता है ;
(ज) वह कालावधि जिसके लिए उत्खनन पट्टा अपेक्षित है ;
(झ) वह प्रयोजन जिसके लिए उत्खनित खनिज का उपयोग किया जायेगा ;
(ञ) किसी उत्खनन पट्टे के प्रदान किये जाने या नवीकरण के प्रत्येक आवेदन-पत्र के साथ राज्य के प्रत्येक जिले में खनिजवार क्षेत्रों के विवरण दर्शाते हुए एक शपथ-पत्र दिया जायेगा जिसके संबंध में आवेदक स्वयं या किसी अन्य के साथ संयुक्त रूप से-
(एक) उत्खनन पट्टे के अधीन धारित करता है ;
(दो) पूर्व में आवेदन किया गया है किन्तु स्वीकृत नहीं हुआ है ; और
(तीन) साथ-साथ आवेदित किया जा रहा है ;
(ट) जहाँ भूमि आवेदक के स्वामित्व की नहीं है, वह इस आशय का एक शपथ-पत्र कि आवेदक ने भूमि के सतह अधिकार प्राप्त किये है या खनन/ उत्खनन संक्रिया हेतु भूमि/स्वामियों की सहमति प्राप्त कर ली है;
परन्तु जहाँ भूमि के अधिकार राज्य शासन में निहित है, ऐसे शपथ पत्र की आवश्यकता नहीं होगी;
(ठ) उत्खनन पट्टे के प्रदाय किये जाने या उसके नवीकरण के लिए, प्रत्येक आवेदन पत्र के साथ ऐसे समस्त जिलों से, जहां आवेदक खनि रियायतें धारण करता है या पूर्व में धारण करता था, अधिनियम या उसके अधीन बनाये गये नियमों के अधीन देय खनन-शोध्यों (माइनिंग ड्यूज) के संबंध में जिले में(जिले के खनि शाखा के प्रभारी या) खनि अधिकारी या सहायक खनि अधिकारी द्वारा प्ररूप दो में प्रदान किया गया एक अशोध्य (नो ड्यूज) प्रमाण-पत्र संलग्न किया जायेगा :
परन्तु आवेदक के लिये अशोध्य प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं होगा, यदि उसने ऐसा शपथ-पत्र और ऐसी अन्य साक्ष्य, जो संबंधित प्राधिकारी के इस बाबत समाधान के लिए अपेक्षित है कि वह (आवेदक) राज्य के किसी भी जिले में कोई खनि रियायत धारण नहीं करता है या उसने पूर्व में कोई खनि रियायत धारण नहीं की थी :
परन्तु यह और कि अशोध्य प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाना, ऐसे प्रमाण-पत्र के धारक को उन खनिज-शोध्यों का भुगतान करने के दायित्वों से उन्मोचित नहीं करेगा, जहां जो कि अधिनियम या उसके अधीन नियमों के अधीन उसके द्वारा बाद में देय पाये जायें |
10. आवेदन फीस.- (1) उत्खनन पट्टे के प्रदान किये जाने या नवीकरण के संबंध में प्रत्येक आवेदन-पत्र के लिये, अनुसूची एक में विनिर्दिष्ट खनिजों के लिये रु.5000.00 (रु. पांच हज़ार) तथा अनुसूची दो में विनिर्दिष्ट खनिजों के लिए रू. 250.00 (रू. दो सौ पचास) आवेदन फीस का भुगतान किया जायेगा |
(2) जहां उत्खनन पट्टे के प्रदाय किये जाने या नवीकरण के आवेदन पत्र को नामंजूर कर दिया जाये या आवेदक नियम 30 के अधीन उससे अधिरोपित विशेष शर्तों के कारण पट्टा स्वीकार करने से इंकार करता है, तो उपनियम (1) के अधीन आवेदक द्वारा भुगतान की गई फीस [2](कलक्टर/अपर कलक्टर द्वारा उसे वापस कर दी जाएगी) तथा यदि आवेदक पट्टा स्वीकार करने से इंकार करता है या आवेदन वापस ले लेता है या आवश्यक जानकारी प्रस्तुत करने में असफल रहता है तो आवेदन फीस राज्य सरकार को समपहृत कर ली जाएगी |
(3) फीस की रकम शासकीय कोषालय में आगम प्राप्ति शीर्ष-
0853 - खान और खनिज
102ग - खनि रियायत फीस, भाटक तथा स्वामिस्व
800 - अन्य प्राप्तियां
002 - शास्ति तथा समपहरण सहित गौण खनिजों से प्राप्तियां
में जमा की जाएगी तथा मूल रसीदी चालान आवेदन-पत्र के साथ संलग्न किया जायेगा |
11. आवेदन-पत्र प्राप्त करने हेतु प्राधिकृत अधिकारी.- खनि अधिकारी या सहायक खनि अधिकारी या उनकी अनुपस्थिति में जिले के कलक्टर द्वारा प्रधिकृत कोई अधिकारी आवेदन-पत्र प्राप्त करेंगे और उस पर वह दिनांक अंकित करेंगे जिस को आवेदन-पत्र उनके द्वारा प्राप्त किया गया |
12. कतिपय क्षेत्रों की उपलब्धता.- अनुसूची “एक” के अनुक्रमांक 1 से 4 के खनिजों के किसी ऐसे क्षेत्र के लिए, जो उत्खनन पट्टे के अधीन पूर्व में धारित हो या धारण किया जा रहा क्षेत्र हो या जिसके संबंध में पट्टा प्रदान किये जाने के आदेश हो चुके हैं किन्तु किसी कारण से पट्टा विलेख निष्पादित नहीं किया हो तथा जिसके संबंध में पट्टा प्रदान किया जाने बाबत आदेश प्रतिसंह्वत किया गया हो या जिसके संबंध में उत्खनन पट्टा आवेदन –पत्र इस आधार पर निरस्त किया गया हो कि उस क्षेत्र को किसी प्रयोजन हेतु आरक्षित किया जाना हो तब तक आवेदन नहीं किया जायेगा जब तक कि वह तारीख, जिससे कि ऐसा क्षेत्र पट्टा प्रदान करने के लिए उपलब्ध होगा , अग्रिम में कम से कम तीस दिन पूर्व शासकीय राजपत्र में अधिसूचित न कर दिया गया हो :
परन्तु राज्य सरकार, किसी विशेष मामले में अभिलिखित किये जाने वाले कारणों से इस नियम के प्रावधानों को शिथिल कर सकेगी |
13. सार्वजनिक क्षेत्र इत्यादि के लिए समुपयोजन हेतु क्षेत्रो का आरक्षित किया जाना,- राज्य सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा किसी क्षेत्र को पर्यावरण के संरक्षण, परिरक्षण, राज्य सरकार द्वारा भण्डार का निर्धारण करने के लिए या सरकार केन्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा स्थापित निगम या कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 के अर्थ के अंतर्गत सरकारनी कंपनी द्वारा समुपयोजन हेतु अरक्षित कर सकेगा |
नोट
अधिसूचना क्र . 46-95-बारह-1 दिनांक 28 नवम्बर, 1998.- राज्य शासन, मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 के नियम 13 में विहित प्रावधानों के अतर्गत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हेतु निम्निलिखित जिलों में उनके सम्मुख दर्शाई गई तहसीलों में स्थित रेत खदानों को मध्य प्रदेश राज्य खनिज नियम के उत्खनन कार्य हेतु आरक्षित करता है :-
क्रमांक
(1)
|
जिला
(2)
|
तहसील
(3)
|
1.
|
होशंगाबाद
|
बाबई, होशंगाबाद
|
2.
|
सीहोर
|
बुधनी
|
3.
|
जबलपुर
|
जबलपुर, पाटन
|
4.
|
दुर्ग
|
दुर्ग, गुण्डरदेही, बेमेतरा, पाटन, धमधा
|
5.
|
धार
|
धरमपुरी
|
6.
|
मुरैना
|
मुरैना
|
7.
|
बिलासपुर
|
विलासपुर
|
8.
|
कोरबा
|
कोरबा, कटधोरा
|
उक्त अधिसूचना “राजपत्र” में प्रकाशित कि तिट्ठी से प्रभावशील होगी|
[म .प्र. राजपत्र भाग 1 दिनांक 11-12-98 पृष्ट 2493 पर प्रकाशित |]
14. आवेदन प्रत्र कि अभिस्वीकृत. - (1) जहाँ उत्खनन पट्टे को प्रदान किये जाने या उसका नवीकरण करने के लिए कोई आवेदन-पत्र व्यक्तिगत रूप से दिया जाये वहां उसकी अभिस्वीकृति तुरंत दी जायेगी; और
जहाँ ऐसा आवेदन –पत्र रगिस्ट्री डाक से प्राप्त हो वहां उसकी प्राप्ति कि अभिस्वीकृति उसी दिन दी जाएगी; और
अन्य मामलों में, ऐसे आवेदन –पत्र कि प्राप्ति अभिस्वीकृति प्रारूप तीन में दी जाएगी|
(2) ऐसे प्रत्येक आवेदन –पत्र कि अभिस्वीकृति प्रारूप तीन में दी जाएगी |
15. उत्खनन पट्टों के लिए आवेदन –पत्रों का रजिस्टर – (1) उत्खनन पट्टे के आवेदन –पत्रों का रजिस्टर जिला के अधिकारी या सहायक खनी अधिकारी द्वारा प्रारूप –चार में बनाए रखा जायेगा |
(2) उत्खनन पट्टे के आवेदन पत्रों कस रजिस्टर तथा उत्खनन पट्टों का रजिस्टर किसी भी व्यक्ति द्वारा निम्न लिखित फीस कस भुगतान करने पर निरिक्षण के लिए खुला रहेगा |
रु. 10.00 (रूपये दस) पहले घंटे या उसके भाग के लिए;
रु. 5.00 (रूपये पांच) पश्चातवर्ती घंटे या उसके भाग के लिए |
[(3) उपनियम (2) के अधीन फीस, नियम 10 के उपनियम (3) में विहित के गई रीति के अनुसार जमा कि जाएगी ]
16. समयपूर्व आवेदन पत्र – ऐसे क्षेत्रों के संबंध में, जिनकी उपलब्धता पट्टा प्रदाय किये जाने के लिए नियम 12 के अधीन अधिसूचित कि जाना है, यदि
(क) उस नियम के अधीन कोई अधिसूचित जरी नहीं कि गई है, या
(ख) जहाँ ऐसी अधिसूचना जरी कि गई है किन्तु अधिसूचित में वर्णित कालावधि का अवसान नहीं हुआ है, उत्खनन पट्टा प्रदाय किये जाने हेतु आवेदन –पत्र समयपूर्व समझे जायेंगे तथा ग्रहण नहीं किये जायेगे और उन पर यदि कोई आवेदन फीस जमा जी गई हो तो वह वापस का दी जाएगी |
17. उत्खनन पट्टे का नवीनीकरण – उत्खनन पट्टे के नवीकरण के लिए प्रत्येक आवेदन –पत्र उस तारीख से जिस पर ऐसे पट्टे का अवसान होना हो कम कसे कमएक वर्ष पूर्व प्रतुत किया जायेगा |
18. उत्खनन पट्टे का प्रदाय करने या उसके नवीकरण के लिए आवेदन –पत्रों का निपटारा – (1) उत्खनन पट्टे को प्रदान करने या उसके नवीकरण के लिए आवेदन –पत्र प्राप्त होने पर उसके विवरण सर्वप्रथम संबंध जिले कि जिला पंचायत, जनपद पंचायत तथा ग्राम पंचायत और संबंध जिले के जिला कार्यालय (कलेक्टोरेट) के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करने हेतु पारीचालित किया जायेगा |
(2) मंजूरी प्राधिकारी, ऐसी जांच करने के पश्चात् जिसे वह उचित समझे, उत्खनन पट्टा प्रदान करने के लिये आवेदन-पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन-पत्र प्राप्त होने की तारीख से एक वर्ष के भीतर/नवीकरण हेतु प्राप्त आवेदन-पत्र में पूर्व में स्वीकृत उत्खनन पट्टा की अवधि समाप्ति के पूर्व उत्खनन पट्टा प्रदान कर सकेगा, नवीकरण कर सकेगा या उसे मंजूर करने से इंकार कर सकेगा अन्यथा आवेदन-पत्र निरस्त हुआ समझा जाएगा :
परन्तु नए क्षेत्र के लिए कोई उत्खनन पट्टा संबंधित ग्राम पंचायत की राय अभिप्राप्त किये बिना स्वीकृत नहीं किया जायेगा |
[3] उप-नियम (2) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, इन नियमों के प्रारंभ होने की तारीख को उत्खनन पट्टा प्रदान करने हेतु समस्त लंबित आवेदन-पत्र आते हैं, जिनमें करार निष्पादित न हुआ हो, मंजूरी प्राधिकारी द्वारा इन्कार किये गये समझे जायेंगे |इस निमित्त आवेदन-पत्र इन नियमों के अधीन अधिकथित प्रक्रिया के अनुसार किये जा सकेंगे |
(4) जहां आवेदक की, जिसने उत्खनन पट्टा प्रदान करने या नवीकरण हेतु आवेदन किया है, स्वीकृति आदेश पारित होने के पूर्व यदि आवेदक की मृत्यु हो जाती है तो आवेदक के वैध वारिस को पट्टा स्वीकृत या नवीकृत किया गया समझा जायगा |
19. इंकार किये जाने के कारणों का अभिलिखित किया जाना.- (1) जहां मंजूरी प्राधिकारी उत्खनन पट्टे को मंजूर करने या उसका नवीकरण करने के लिए इंकार करने के बारे में कोई आदेश पारित करता है वहां वह ऐसे व्यक्ति को जिसके विरूद्ध ऐसा आदेश पारित किया जाता है, लिखित में ऐसे आदेश के कारणों की संसूचना देगा |
(2) जहां यह प्रतीत होता है कि आवेदन-पत्र समस्त सारवान विवरणों के संबंध में पूर्ण नहीं है या अपेक्षित दस्तावेज उसमें संलग्न नहीं है | वहां कलेक्टर या इस निमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य अधिकारी रजिस्ट्रीकृत डाक से एक लिखित सूचना तामील कर, आवेदक को कमियों की पूर्ति करने या यथास्थिति दस्तावेज, उस सूचना के संसूचना की तिथि से 30 (तीस) दिन के पूर्व न कि उसके पश्चात् प्रस्तुत करने की अपेक्षा करेगा | उत्खनन पट्टे के मंजूर किये जाने या उसके नवीकरण हेतु नियम 9 के अधीन आवेदन-पत्र मंजूरी प्राधिकारी द्वारा केवल इस आधार पर अस्वीकार नहीं किया जावेगा कि आवेदन समस्त विवरणों का बारे में पूर्ण नहीं है या उससे दस्तावेज संलग्न हैं |
20. उत्खनन पट्टों का रजिस्टर.- उत्खनन पट्टों का रजिस्टर खनि अधिकारी/सहायक खनि अधिकारी द्वारा प्ररूप-पांच में संधारित किया जायेगा |
21. अधिमानी के अधिकार.- (1) अनुसूची एक के अनुक्रमांक 1 में विनिर्दिष्ट खनिजों के उत्खनन पट्टे केवल मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम लिमिटेड (मध्यप्रदेश शासन का उपक्रम) को स्वयं या संयुक्त क्षेत्र में प्रस्तावित काटने एवं तराशने की इकाई राज्य में स्थापित करने हेतु स्वीकृत किये जावेंगे |
(2) अनुसूची एक के अनुक्रमांक 2 से 7 तक में विनिर्दिष्ट खनिज तथा अनुसूची दो में विनिर्दिष्ट खनिज-
(एक) अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति/पिछडे वर्ग/शिक्षित बेरोजगारों की सहकारी सोसायटियां/सहयोजन जहां पचास प्रतिशत से अधिक सदस्य एवं अध्यक्ष संबंधित वर्ग का ही हो एवं इनकी कार्यकारिणी में इन संवर्गों के उतने लोग अवश्य हों जितने प्रतिशत इन वर्गों के कुल सदस्य समिति में है व् सदस्य जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा बनाई गई सूचि में गरीबी की रेखा के नीचे के परिवार के हैं, या अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति/पिछड़ा वर्ग के शिक्षित बेरोजगार युवक, उसी क्रम में,
(दो) जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा बनाई गई सूचि में गरीबी की रेखा के नीचे के परिवार के शिक्षित बेरोजगार युवक,
(तीन) अन्य कोई व्यक्ति, जोप जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा बनाई गई सूचि में गरीबी रेखा के निचे के परिवार के हैं,
(चार) अन्य कोई आवेदक :
[परन्तु यह कि खण्ड (एक), (दो), (तीन) तथा (चार) में उपबंधित किये गये अनुसार अनन्य रूप से महिलाओं की सहकारी सोसाइटी/सहयोजन (एसोसिएशन) या किसी महिला को उसी क्रम में अन्य आवेदकों पर अधिमानी अधिकार होंगे :]
परन्तु यह और कि उपरोक्त अधिमान्यताएं तभी मान्य होंगी जबकि अन्य आवेदन प्रथम आवेदन प्रथम आवेदन के दिनांक से एक माह के भीतर प्राप्त हुए हों |
(3) जब भी अनुसूची-1 एक के खनिजों के लिए किसी खेत्र में किसी एक विशेष श्रेणी के एक से अधिक आवेदन प्राप्त होते हों, तो मंजूरी प्राधिकारी, उत्खनन पट्टा मंजूर करते समय आवेदकों के संबंध में निम्न विषयों पर विचार करेगा:-
(एक) खनन कार्य ओर निर्यात का विशेष ज्ञान या अनुभव :
(दो) काटने तथा तराशने के उद्योग स्थापित करने, चलाने तथा बनाये रखने का तकनीकी एवं विशेष प्रबंधन अनुभव ;और
(तीन) आवेदक द्वारा नियोजित या नियोजित किये जाने वाले तकनीकी कर्मचारी वृंट का स्वरुप तथा गुणवत्ता और आवेदक द्वारा लगाया गया या लगाये जाने वाला संयत्र तथा मशीनरी;
(चार) आवेदकों के वित्तीय स्त्रोत ;
(पांच) उद्योग स्थापित करने बाबत प्रस्तावित क्रमिक कार्यक्रम :
उपनियम (1) और (2) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी मंजूरी प्राधिकारी अभिलिखित किये जाने वाले कारणों से तथा सरकार के पूर्व अनुमोदन से, उप-नियम (1) तथा (2) में विनिर्दिष्ट अग्रता क्रम से फेर-फार करते हुए कोई पट्टा प्रदान करने के लिये सक्षम होगा :
परन्तु यह कि उपरोक्त उपनियम (2) के प्रवर्ग (एक) से (चार) तक में आने वाले मामलों में पट्टा का प्रदाय किया जाना इस शर्त के अध्यधीन रहेगा कि पट्टेदार खदान पर प्रत्यक्ष रूप में कार्य करेगा और उसे किसी अन्य पक्ष के कार्य के लिए अंतरित नहीं करेगा :
परन्तु यह और कि मंजूरी प्राधिकारी किसी सहकारी सोसाइटी/सहयोजन के अवेदन को अधिमान्यता प्रदान करने से इंकार कर सकेगा यदि वह पता है कि वह विशिष्ट सोसायटी संबंधित कर्मकारों के हित में समुचित रूप से कार्य नहीं करती है :
पट्टेदार उस ग्राम के निवासियों को, जिसमें उत्खनन पट्टा प्रदाय किया गया है, नियोजन में अग्रता देगा |
22. उत्खनन पट्टे/उत्खनन अनुज्ञा-पत्र की कालावधि.- वह कालावधि जिसके लिए उत्खनन पट्टे/उत्खनन अनुज्ञापत्र या उसका नवीकरण किया जा सकेगा, नीचे दी गई सारणी में दर्शाए अनुसार होगा:-
सारणी
अनुक्रमांक
|
खनिजों का नाम
|
कालावधि
|
व्यक्तिगत प्रकरण के मामले में
|
सहकारी सोसायटियों के मामले में
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
1.
|
आकारीय पत्थर-ग्रेनाइट, डोलेरायट तथा अन्य आग्नेय और परिवर्तित चट्टानें जिनका उपयोग विनिर्दिष्ट आकार के ब्लाक्स, काटने तथा तराशने, से स्लेब, टाइल्स बनाने के प्रयोजन के लिए किया जाता है |
|
नवीकरण खण्ड के साथ बीस वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के साथ बीस वर्ष
|
2.
|
संगमरमर जिसका उपयोग विनिर्दिष्ट आकार के ब्लाक्स, स्लेब, टाइल्स बनाने के लिए किया जाता है |
|
नवीकरण खण्ड के साथ बीस वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के साथ बीस वर्ष
|
3.
|
अन्य प्रयोजन के लिए संगमरमर पत्थर
|
नवीकरण खण्ड के साथ पांच वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के साथ पांच वर्ष
|
4.
|
चूना पत्थर जिसका उपयोग भट्टों में भवन निर्माण सामग्री के रूप में उपयोग किया जाने वाला चूना बनाने के लिए किया जाता है |
|
नवीकरण खण्ड के साथ दस वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के साथ दस वर्ष
|
5.
|
फर्शीपत्थर-प्राकृतिक परतदार चट्टान, जिसका उपयोग फर्शी, छत इत्यादि के लिए किया जाता है और जो काटने एवं तराशने के उद्योग में उपयोग में उपयोग किया जाता है |
|
नवीकरण खण्ड के साथ दस वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के साथ दस वर्ष
|
6.
|
मशीन द्वारा गिट्टी बनाने हेतु पत्थर (अर्थात् क्रशर के उपयोग हेतु )
|
नवीकरण खण्ड के साथ दस वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के साथ दस वर्ष
|
7.
|
बेंटोनाइट/फ्युलर्स अर्थ
|
नवीकरण खण्ड के साथ पांच वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के साथ पांच वर्ष
|
8.
|
चमनी भट्टा तथा केवलू उद्योग के लिए मिटटी |
|
नवीकरण खण्ड के साथ दस वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के साथ दस वर्ष
|
9.
|
साधारण रेट, बजरी
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
10.
|
ईंट, बर्तन, कवेलू इत्यादि बनाने के लिए साधारण मिट्टी, चिमनी भट्टा के सिवाय
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
11.
|
पत्थर, बोल्डर, रोड मेटल, गिट्टी, ढोका, खण्डा, परिष्कृत पत्थर (ड्रेस्ड स्टोन) रबल, चिप्स
|
नवीकरण खण्ड के बिना तीन वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना तीन वर्ष
|
12.
|
मुरम
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
13.
|
चूना कंकड
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
14.
|
ग्रेवल
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
15.
|
लाईम शेल
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
16.
|
रेह मिट्टी
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
17.
|
स्लेट जब भवन निर्माण सामग्री के लिए उपयोग किया गया हो |
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
18.
|
शेल जब भवन निर्माण सामग्री के लिए उपयोग किया गया हो |
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
19.
|
ऊपर विनिर्दिष्ट न किये गये खनिजों के अलावा अन्य कोई गौण खनिज |
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
नवीकरण खण्ड के बिना दो वर्ष
|
23. उत्खनन पट्टे के क्षेत्र पर निबंधन.- (i) कोई भी पट्टेदार चूना पत्थर (गौण खनिज) संगमरमर और फर्शी पत्थर के संबंध में राज्य में कुल मिलाकर नीचे यथाविनिर्दिष्ट क्षेत्र से अनधिक क्षेत्र साधारणतः धारण नहीं करेगा-
(क) सहकारी सोसाइटी/सहयोजन/कंपनियों को 10 हेक्टर
(ख) व्यक्तिगत 4 हेक्टर
स्पष्टीकरण.- उपरोक्त सीमा साधारणतः नवीकरण के मामलों में भी लागू होगी |
(ii) पट्टे के नवीकरण के समय पट्टेदार, पट्टा-क्षेत्र का कोई सघन भाग अभ्यर्पण करने का हकदार होगा |
24. सतह के नीचे सीमाएं.- उत्खनन पट्टे से आच्छादित क्षेत्र की सीमाएं सतह से नीचे पृथ्वी के केंद्र की ओर उर्ध्व रूप से जायेंगी |
25. प्रतिभूति निक्षेप ओर प्रतिभू.- (1) उत्खनन पट्टे के लिए आवेदक को नियम 26 में निर्दिष्ट विलेख के निष्पादन के पूर्व आकारीय पत्थर, ग्रेनाइट, डोलेराइट, रायोलाइट, संगमरमर तथा अन्य आग्नेय और परिवर्तित चट्टानों के संबंध में रूपये दस हजार, जिनका उपयोग विशिष्ट आकार के ब्लाक्स, स्लेब तथा टाइल्स बनाने के लिए काटने तथा तराशने के लिए किया जाता है [और चूना पत्थर तथा अनुसूची “एक” में विनिर्दिष्ट अन्य खनिजों की अनुसूची “दो” में विनिर्दिष्ट खनिजों के उत्खनन पट्टे के संबंध में रु. एक हजार प्रतिभूति निक्षेप के रूप नियम 10 के उपनियम (3) में विनिर्दिष्ट की गई रीति में जमा करेगा |
(2) आवेदक दो वर्ष के अनिवार्य भाटक के बराबर की राशि का प्रतिभू बंध-पत्र प्ररूप छः में सम्यक् रूप से भरकर या बैंक गारंटी भी प्रस्तुत करेगा :
परन्तु यह कि सहकारी सोसायटी सहयोजन के मामले में उपनियम (2) के उपबंध को सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधित्यक्त किया जा सकेगा |
[(3) उपनियम (1) के अधीन जमा किया गया निक्षेप इन नियमों के अधीन समपहृत नहीं हुआ है और पट्टेदार के विरुद्ध कोई शोध्य बाकी नहीं है तो उसे पट्टे के अवसान होने पर या पर्यावसान हो जाने पर, जो भी पूर्वतर हो, कलक्टर/अपर कलक्टर द्वारा वापिस किया जायेगा |]
26. पट्टे का निष्पादन तीन माह में किया जायेगा.- जहां कोई उत्खनन पट्टा प्रदान या नवीकृत किया जाता है, वहां पट्टा मंजूर करने के आदेश के तीन माह के भीतर, प्रारूप-सात में पट्टा विलेख निष्पादित और भारतीय रजिस्ट्रीकृत किया जायेगा और जहां पूर्वोक्त कालावधि में ऐसे विलेख का निष्पादन नहीं किया जाता है, तो पट्टा मंजूर करने वाला आदेश प्रतिसंहृत किया गया समझा जायेगा :
परन्तु जहां मंजूरी प्राधिकारी का यह समाधान हो जाय कि पट्टा-विलेख निष्पादित किये जाने में विलंब के लिए आवेदक उत्तरदायी नहीं है, वहां मंजूरी प्राधिकारी पूर्वोक्त तीन माह की कालावधि का अवसान होने के पश्चात् निष्पादित किये जाने की अनुज्ञा दे सकेगा |
27. पट्टे पर दिये गये क्षेत्र का सर्वेक्षण.-( 1) जब किसी क्षेत्र के बारे में कोई उत्खनन पट्टा प्रदान किया जाता है, खनि अधिकारी/सहायक खनि अधिकारी द्वारा पट्टेदार के खर्च पर नीचे दी गई सारणी में विनिर्दिष्ट दरों के अनुसार संगणित फीस वसूल करने के पश्चात् पट्टे के अधीन प्रदाय किये गये क्षेत्र का रेखांक तैयार करने तथा सीमांकन कराने की व्यवस्था की जाएगी :-
सारणी
(क) 20 हेक्टर से अनधिक क्षेत्र
|
न्यूनतम रु. 100.00 के अध्यधीन रहते हुए
|
|
रु.25.00 हेक्टर या उसके किसी भाग के लिए
|
(ख) 20 हेक्टर से अधिक क्षेत्र
|
रु.50.00 प्रति हेक्टर या उसके किसी भाग के लिए
|
(2) पट्टेदार अपने खर्च पर पट्टा-विलेख के साथ संलग्न रेखांक में अंकित सीमा रेखा के प्रत्येक कोनों या कोण पर जमीन की सतह से कम से कम एक मीटर ऊँचे-सारवान सामग्री के सीमा स्तम्भ लगायेगा तथा उनका संधारण करेगा |
(3) उपनियम (1) के अधीन फीस नियम 10 के उपनियम (3) में विहित रीति में जमा की जायेगी |
28. पट्टा विलेख आदि का विवरण पंचायतों को संसूचित करना.- कलक्टर पट्टा विलेख की प्रति रेखांक सहित संबंधित जनपद पंचायत को भेजेगा तथा क्षेत्र का पूर्ण विवरण संबंधित ग्राम पंचायत को संसूचित करेगा |
29. भाटक और स्वमिस्व.-( 1) जब कोई उत्खनन पट्टा प्रदान किया जाये या उसका नवीकरण किया जय, तब-
(क) अनुसूची चार में विनिर्दिष्ट दरों के अनुसार अनिवार्य भाटक प्रभारित किया जायेगा ;
(ख) चूना पत्थर के सिवाय अनुसूची-तीन में विनिर्दिष्ट दरों के अनुसार स्वमिस्व प्रभारित किया जायेगा;
(ग) चूना पत्थर के स्वमिस्व की दर वहीं होगी जो भारत सरकार द्वारा अधिनियम की अनुसूची-दो में चूना पत्थर के लिए समय-समय पर नियत की जाय ;
(घ) सतह भाटक, पट्टेदार द्वारा दखल में लिये गये या उपयोग किये गये क्षेत्र के बारे में जिले के कलक्टर द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट दरों के अनुसार प्रभारित किया जाएगा |
(2) इन नियमों के प्रारम्भ होने के दिनांक पर तथा उस दिनांक से उपनियम (1) के उपबंध ऐसे प्रारम्भ होने के दिनांक के पूर्व प्रदान या नवीकृत किये गये तथा ऐसे दिनांक पर विद्यमान पट्टों पर भी लागू होंगे |
(3) यदि पट्टा, एक ही क्षेत्र से एक से अधिक खनिज उत्खनन की अनुमति देता है, तो प्रत्येक खनिज के संबंध में अलग-अलग अनिवार्य भाटक प्रभारित किया जा सकेगा :
परन्तु यह कि पट्टेदार प्रत्येक खनिज के संबंध में अनिवार्य भाटक या स्वामिस्व जो भी रकम अधिक हो, का भुगतान करने का दायी होगा |
(4) किसी पट्टा लिखत में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी पट्टेदार, निकाले गये और/या खपाये गये किसी भी खनिज के संबंध में अनुसूची-तीन तथा चार में समय-समय पर विनिर्दिष्ट दरों से भाटक/स्वमिस्व का भुगतान करेगा |
(5) राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, अनुसूची-तीन और चार को संशोधित कर सकेगी जिससे कि किसी भी खनिज के संबंध में शासकीय राजपत्र में अधिसूचना के प्रकाशित होने के दिनांक से देय भाटक/स्वमिस्व की दर में वृद्धि की जा सके या उसे घटाया जा सके :
परन्तु यह कि किसी भी खनिज के संबंध में स्वमिस्व/अनिवार्य भाटक की दर तीन वर्ष की किसी कालावधि के दौरान एक से अधिक बार पुनरीक्षित नहीं की जायेगी |
(6) ग्रेनाइट का कोई भी ब्लाक, चाहे वह प्रसंस्करित अथवा कच्चे स्वरुप में हो, या अन्य कोई खनिज, खनि अधिकारी द्वारा जारी किये विधिमान्य अभिवहन पास के बिना पट्टा क्षेत्रों में से किसी भी क्षेत्र से नहीं भेजा जायेगा | उत्खनित खनिजों में से उस मात्रा के लिए, जिसका परिवहन अभिप्रेत है स्वमिस्व जमा करने के पश्चात् प्ररूप-आठ में आवेदन देने पर, अभिवहन पास जारी किया जायेगा |इस नियम के उल्लंघन का परिणाम ऐसी किसी कार्यवाही पर, जो पट्टेदार के विरुद्ध हो सके, प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना कलक्टर द्वारा प्रतिभूति निक्षेप के सम्पहृरण में हो सकेगा |
(7) अभिवहन पास प्ररूप-नौ में होगा |
अध्याय 5
उत्खनन पट्टा-सामान्य शर्ते
30. उत्खनन पट्टे की शर्ते.- प्रत्येक उत्खनन पट्टा निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन होगा :-
(1) (क) पट्टेदार, पट्टे के प्रथम वर्ष के सिवाय प्रत्येक वर्ष के लिए अनुसूची-चार में विनिर्दिष्ट दरों के अनुसार पूरे वर्ष के लिए अनिवार्य भाटक का अग्रिम भुगतान वर्ष के प्रथम माह की 20 तारीख या उससे पूर्व करेगा |
(ख) पट्टेदार प्रत्येक खनिज के लिये अनिवार्य भाटक या स्वामिस्व का, जो भी रकम, अधिक हो, भुगतान करेगा, परन्तु दोनों नहीं | जैसे ही पट्टेदार द्वारा खपाये गये या परिवहन किये गये खनिज का स्वमिस्व पूर्व में भुगतान किये गये अनिवार्य भाटक की रकम के बराबर हो जाता है, वह पट्टा क्षेत्र से खपाये या परिवहन किये जाने के लिए आशयित खनिज के संबंध में स्वमिस्व का भुगतान करेगा | अनिवार्य भाटक या स्वामिस्व कलक्टर द्वारा इस प्रयोजन के लिये जिले के राष्ट्रीयकृत बैंक में खोले गये व्यक्तिगत जमा लेखा में जमा किया जायेगा|
(ग) पट्टेदार, खनन संक्रियाओं के प्रयोजन के लिए उसके द्वारा दखल में लिये गये या उपयोग में लाये गये क्षेत्र के लिये पुरे वर्ष के संबंध में भूतल भाटक का भी भुगतान अग्रिम वर्ष के प्रथम माह की 20 तारीख को या उसके पूर्व करेगा|
(घ) खण्ड (क),(ख), (घ) में विनिर्दिष्ट शोध्यों का इन नियमों के अधीन समय के भीतर भुगतान करने में या पट्टे की अन्य शर्तों के अधीन कोई चूक करने में, उसके विरुद्ध की जा सकने वाली किसी कार्यवाही के होते हुए भी, पट्टेदार, अनिवार्य भाटक, स्वमिस्व तथा भूतल भाटक के समस्त चूक किये गये समस्त भुगतान के लिए 24 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करेगा |
(2) यदि पट्टा क्षेत्र में किसी खनिज का पता लगता है, जो पट्टे में विनिर्दिष्ट नहीं है तो पट्टेदार इस पता चलने की रिपोर्ट बिना विलंब के कलेक्टर को करेगा तथा ऐसे खनिज का पट्टा प्राप्त किये बिना खनन या निपटारा नहीं करेगा | यदि वह ऐसे खनिज का पता चलने से पता चलने से तीन माह के भीतर ऐसे पट्टे के लिये आवेदन नहीं करता है, तो सक्षम प्राधिकारी ऐसे खनिज का पट्टा किसी अन्य व्यक्ति को, जो उसके लिये आवेदन करे, स्वीकृत कर सकेगा |
(3) पट्टेदार, राज्य या केन्द्रीय सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948(1948 का 11) के अधीन समय-समय पर यथाविहित न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी का भुगतान नहीं करेगा |
(4) पट्टेदार, उत्खनन किये गये क्षेत्र या कलेक्टर द्वारा चयनित किसी अन्य क्षेत्र मे उत्खनन या खनन संक्रियाओं के द्वारा नष्ट हुए वृक्षों की संख्या के दुगने वृक्ष लगाने के अतिरिक्त भूमि के पुनर्नविकरण तथा समतलीकरण के संबंध में समस्त उपाय करेगा |
(5) पट्टेदार, पट्टा विलेख के निष्पादन की तारीख से एक वर्ष के भीतर खनन संक्रिया प्रारंभ करेगा तथा उसके पश्चात् ऐसी संक्रियाओं की उपयुक्तता, निपुणता और कुशलता से संचालन करेगा |
(6) इन नियमों की अन्य शर्तों के अधीन रहते हुए, जहां पट्टा निष्पादन की तारीख से एक वर्ष की कालावधि के भीतर खनन संक्रियाएं प्रारंभ नही की गई है या ऐसी संक्रियाओं के ऐसे प्रारंभ करने के पश्चात् किसी कलेन्डर वर्ष में छः माह की संचयी कालावधि के लिये बंद कर दी जाती है वहां मंजूरी प्राधिकारी आदेश द्वारा उत्खनन पट्टा व्यवगत हो गया घोषित कर सकेगा तथा इस घोषणा की संसूचना पट्टेदार को देगा |
(7) जहां पट्टेदार उसके नियंत्रण के बाहर के कारणों से एक वर्ष से अधिक की कालावधि के लिये खनन संक्रियाएं प्रारंभ करने में असमर्थ रहता है या खनन प्रक्रिया प्रारंभ करने के पश्चात् उसे चालू रखने में असमर्थ रहता है, तो वह ऐसी कालावधि की समाप्ति के कम से कम नब्बे दिन पूर्व मंजूरी प्राधिकारी को ऐसे कारण स्पष्ट करते हुए आवेदन प्रस्तुत करेगा |
(8) उपनियम (7) के अधीन प्रत्येक आवेदन के संबंध में रु. 200.00 फीस का भुगतान करना होगा | फीस की राशि नियम 10 के उपनियम (3) में विहित आगम मद में शासकीय कोषालाय में जमा की जावेगी |
(9) पट्टा मंजूर करने वाला प्राधिकारी उपनियम (7) के अधीन किया गया आवेदन प्राप्त होने पर खनन संक्रियाएं प्रारंभ न करने या उसके बंद करने के संबंध में कारण की पर्याप्तता और असलियत के बारे में संतुष्ट होने पर मंजूरी प्राधिकारी उस तारीख से पूर्व, जिस पर कि पट्टा अन्यथा व्यपगत हो जाता, पट्टे की कालावधि बढाने या कालावधि बढाने से इंकार करने बाबत् पारित कर सकेगा :
परन्तु यह कि, जहां मंजूरी प्राधिकारी, उपनियम (7) के अधीन आवेदन प्राप्त होने पर, उस तारीख के पूर्व, जिस पर कि पट्टा अन्यथा व्यपगत हो गया होता, कोई आदेश पारित नहीं करता है वहां पट्टे की कालावधि संबंधित प्राधिकारी द्वारा ओदश पारित करने तक या एक वर्ष की कालावधि के लिये इनमें से जो भी पूर्वतर हो बढाई गई समझी जाएगी |
(10) जहां पट्टा विलेख के निष्पादन की तारीख से एक वर्ष की कालावधि के भीतर खनन संक्रियाएं प्रारंभ न करने का कारण :-
(एक) सतह अधिकारों को अर्जन में या
(दो) पट्टा- क्षेत्र का कब्जा प्राप्त करने में, या
(तीन) मशीनों के प्रदाय या उनकी स्थापना में, या
(चार) बैंकों या किसी वित्तीय संख्या से वित्तीय सहायता प्राप्त होने में,
विलंब हो और यदि पट्टेदार सम्यक् रूप से शपथ ग्रहण किये हुए इस आशय के शपथ-पत्र में समर्थित दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने में सफल हो कि खनन संक्रियाएं प्रारंभ न करने में पर्याप्त कारण हैं और/उनके नियंत्रण के परे कारण हैं, वहां मंजूरी प्राधिकारी ऐसे घोषणा आदेश को, जिसके द्वारा पट्टा व्यपगत हो गया है, प्रतिसंह्वत कर सकेगा |
(11) पट्टेदार स्वयं के ख़र्चे पर पट्टे के साथ संलग्नक रेखांक में दर्शाए अनुसार सीमांकन को उपदर्शित करने के लिये आवश्यक सीमा चिन्ह तथा स्तम्भ करेगा तथा उनको हमेशा अच्छी दशा में रखेगा और उनका उचित रख-रखाव करेगा |
(12) पट्टेदार__
(क) किसी रेलवे लाइन, पुल या राजमार्ग से 75 मीटर के भीतर सिवाय रेलवे प्रशासन या संबंधित प्रशासन की लिखित अनुज्ञा के अनुसार ;
(ख) तालाब, नदी के किनारे, जलाशय, नहर, रास्ते से 50 मीटर, (ग्रामीण कच्चे रास्ते से 10 मीटर के भीतर) ;
(ग) आबादी, स्कूल, अस्पताल तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों, भवनों तथा आवासीय स्थान से 100 मीटर के भीतर;
(घ ) केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के संवेदनशील क्षेत्र जैसे-रेडियो स्टेशन दूरदर्शन केद्र, प्रतिरक्षा संस्थान इत्यादि से 300 मीटर के भीतर, सिवाय राज्य या केन्द्रीय सरकार की लिखित पूर्व अनुज्ञा के अनुसार;
खनन संक्रियाएं नहीं करेगा और न ही ऐसी संक्रियाएं अनुज्ञात करेगा |
केन्द्रीय या राज्य सरकार ऐसी अनुज्ञा प्रदान करने में ऐसी शर्ते अधिरोपित कर सकेगी जैसा कि वह उचित समझे |
(13) पट्टेदार खान से प्राप्त सभी खनिजों की मात्रा तथा अन्य विवरण पट्टाघृत क्षेत्र से तारीख, निकासी/खपत की मात्रा, ऐसे खनिजों से प्राप्त मूल्य, क्रेता का नाम, प्राप्त धन की रसीदें, वहां नियोजित व्यक्तियों की संख्या दर्शाते हुए सही लेखा रखेगा और संचालनालय, भौमिकी तथा खनिकर्म के समस्त अधिकारियों तथा जिला/जनपद/ग्राम पंचायत द्वारा इस नीमित्त प्राधिकृत किसी भी अधिकारी को किसी भी समय उसके द्वारा संघारित कोई लेखा और, अभिलेख की जांच करने की अनुज्ञा देगा एवं संबंधित जिला/जनपद/ग्राम पंचायत को ऐसी जानकारी तथा विवरणियां प्रस्तुत करेगा जो उसके/उनके द्वारा अपेक्षित की जाएं |
(14) पट्टेदार, पट्टा-क्षेत्र से खनिज या उसके उत्पाद ले जाने वाले प्रत्येक वाहन के साथ प्रत्येक खेप के लिये प्ररूप-नौ में एक अभिवहन पास जारी करेगा | अभिवहन पास दो प्रतियों में पुस्तक के रूप में तैयार किया जायेगा | आवश्यक प्रविष्टियां करने क पश्चात् मूल प्रति वाहन को दी जायेगी | पट्टेदार द्वारा प्ररूप-आठ में आवेदन प्रस्तुत करने पर खनि अधिकारी अभिवहन पास बुक सम्यक् रूप से स्टाम्पित कर तथा उसके द्वारा हस्ताक्षर कर प्रदाय करेगा | पट्टेदार, उपरोक्त उपनियम (1) के खंड (ख) के अधीन स्वामिस्व का अभिवहन पास की दूसरी प्रतियों की पुस्तक, उपयोग न किये गये अभिवहन पास की पुस्तिका सहित वापस करेगा | खनि अधिकारी प्रदाय किये गये तथा उपयोग की गई दूसरी प्रतियां और उपयोग न किये गये अभिवहन पास की पुस्तक का उचित लेखा राखेगा |
(15) कोई भी जो खनिज या उसके उत्पाद जैसे-ईट, कवेलू,चुना, परिष्कृत पत्थर, ब्लाक्स, स्लेब्स, टाइल्स, चिप्स, पत्थर का चूरा तथा गिट्टी इत्यादि प्ररूप-नौ में विधिमान्य अभिमान्य अभिवहन पास के बिना परिवहन करता है या यदि अभिवहन पास अधूरा, विकृत या बिगाडा हुआ पाया जाता है तो कलक्टर, अपर कलक्टर, जिला/जनपद पंचायत का मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं ग्राम पंचायत उपसंचालक, खनि अधिकारी, सहायक खनि अधिकारी या खनि निरीक्षण, खनिज या उसके उत्पाद को समस्त औजार और उपस्कार तथा परिवहन के लिए उपयोग में लाये गये वाहन सहित अभिग्रहीत कर सकेगा :
परन्तु इस उपनियम के उपबंध नियम (3) के खण्ड (क) के प्रयोजनों के लिये लागू नहीं होंगे |
(16) कलक्टर, अपर कलक्टर, जिला/जनपद पंचायत का मुख्य कार्यपालन अधिकारी, एवं ग्राम पंचायत उप संचालक, खनि अधिकारी, लिखित में आदेश द्वारा रूपये दस हजार तक शास्ति अधिरोपित कर सकेगा, जो किसी भी मामले में एक हजार रूपय से कम नहीं होगी |
(17) जब इस प्रकार अधिरोपित शास्ति अपराधी द्वारा जमा कर दी जाय तब अभिग्रहीत खनिज अथवा उसके उत्पाद, औजार, उपस्कर और वाहन छोडा जा सकेगा |
(18) यदि इस प्रकार अधिरोपित शास्ति का, उसे अधिरोपित करने के आदेश से 15 दिन के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है तो इस प्रकार अभिग्रहीत समस्त खनिज अथवा उसके उत्पाद, औजार, उपस्कर तथा वाहन समपहृत हो जायेंगे और राज्य सरकार की संम्पत्ति हो जायेंगे |
(19) पट्टेदार, स्वमिस्व निर्धारण के प्रयोजन हेतु तथा लेखा पुस्तकें 30 जून/31 दिसम्बर से तीस दिन के भीतर अथवा संबंधित निर्धारण प्राधिकारी द्वारा लिखित सूचना द्वारा कभी भी मांग करने पर संबंधित निर्धारण प्राधिकारी को प्रस्तुत करेगा | यदि वह ऐसा करने में असफल होता है, तो एक हजार रूपये प्रतिमाह शास्ति तब तक अधिरोपित की जायेगी, जब तक कि वह उक्त अभिलेख प्रस्तुत नहीं करता है |
(20) पट्टेदार -- (क) प्रत्येक माह की 10 तारीख तक कलक्टर तथा ग्राम पंचायत को प्ररूप-दस में एक ऐसा विवरण प्रस्तुत करेगा जिसमें कलेण्डर मास में उत्खनित, हटाये गय/खपत किये गये खनिज की पूर्ण मात्रा दर्शाई जायेगी;
(ख) जून और दिसम्बर को समाप्त हाने वाले अर्ध वर्ष के लिये अर्धवार्षिक विवरणी प्ररूप-ग्यारह में जुलाई और जनवरी के पन्द्रहवें दिन के पूर्व कलक्टर को प्रस्तुत करेगा ;
(ग) प्रत्येक वर्ष की 31 जनवरी तक कलक्टर को प्ररूप-बारह में एक विवरणी प्रस्तुत करेगा जिसमें गत कलेण्डर वर्ष के दौरान उत्खनित/हटाये गये/खपत किये गये खनिज की मात्रा और मुल्य, नियोजित मजदूरों की औसत संख्या (स्त्री और पुरुष अलग-अलग), कार्य दिनों की संख्या के बाबत जानकारी दी जायेगी |
(21) पट्टेदार, यथास्थिति रेलवे प्रशासन या मंजूरी प्राधिकारी के समाधान पर्यन्त खान के किसी भाग को मजबूत बनायेगा या आलम्ब लगायेगा यदि उसकी राय में रेलवे, पुल, राष्टीय राजमार्ग, जलाशय, तालाब, नहर या अन्य कोई सार्वजनिक निर्माण या भवनों की सुरक्षा के लिये ऐसे मजबूत किये जाने या आलम्ब लगाये जाने की आवश्यकता है |
(22) यदि पट्टेदार या उसका अंतरिती यह समनुदेशिती उपनियम (23) के अधिनप्रवेश या निरीक्षण अनुज्ञात नहीं करता है तो मंजूरी प्राधिकारी पट्टा निरस्त कर सकेगा तथा नियम (25) के अधीन पट्टेदार द्वारा जमा प्रतिभूमि निक्षेप को पूणतः या उसके किसी भाग समपहृत कर सकेगा |
(23) (एक) पट्टेदार, पट्टे में समाविष्ट किसी भवन, उत्खनन या भूमि के निरीक्षण के प्रयोजन के लिये केन्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारियों को और जिला/जनपद/ग्राम पंचायत द्वारा प्राधिकृत किसी अधिकारी को उसमें प्रवेश करने के लिये अनुज्ञात करेगा |
(दो) खदान का प्रत्येक मालिक, अभिकर्ता या प्रबंधक खनन संक्रियाओं से संबंधित विषयों में अनुसंधान करने या प्रशिक्षण करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्तियों को समस्त आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करेगा |
(24) पट्टेदार तुरन्त महानिदेशक, खान सुरक्षा, केन्द्रीय शासन, धनबाद, महानियंत्रक भारतीय खान ब्यूरो, केन्द्रीय शासन, नागपुर और उस जिले के जिला दण्डाधिकारी को जिस जिले में खदान है, इन इन नियमों से संलग्न प्ररूप-तेरह में तत्काल एक लिखित सूचना देगा, जैसे ही:-
(क) खदान में कोई उपस्थित आधार से नीचे विस्तारित हो जाय ;
(ख) किसी विवृत खदान में किया गया उत्खनन, उच्चतम बिन्दू से निम्नतम बिन्दू तक नापने पर छः मीटर से अधिक हो जाये ; या
(ग) किसी दिन नियोजित व्यक्तियों की संख्या 50 से अधिक हो जाये ; या
(घ) किसी विस्फोटकों का उपयोग किया जाय |
(25) राज्य सरकार को हमेशा उस क्षेत्र से जिसके लिये पट्टा स्वीकृत किया गया है, निकाले गये खनिजों का अग्रक्रय करने का अधिकार होगा :
परन्तु यह कि पट्टेदार को अग्रक्रय के समय ऐसे समस्त खनिजों का विद्यमान उचित बाजार मूल्य भुगतान किया जायेगा |
(26) यदि पट्टेदार या उसके अंतरिती या समनुदेशिती द्वारा इस नियम के उपनियम (1),(3),(4), (11), (12) या (13) में विनिर्दिष्ट शर्तो में से किसी का भी भंग किये जाने पर, कलक्टर/अपर कलक्टर, पट्टेदार या उसके अंतरिती या उसके समनुदेशिती को यह कारण बताते हुए कि भंग के लिये उसे क्यों न दण्डित किया जाय और यह निर्देश देते हुए कि वह सूचना की तारीख से साठ दिन के भीतर भंग का उपचार करे, लिखित में एक सूचना देगा और यदि पट्टेदार या उसका अंतरिती या समनुदेशिती ऐसी कालावधि के भीतर समुचित करण दर्शाने में असफल रहता है या भंग का उपचार नकरे, तो मंजूरी प्राधिकारी किसी अन्य कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभार डाले बिना, पट्टा पर्यवसित कर सकेगा और सम्पूर्ण प्रतिभूति निक्षेप या उसके भाग को समपहृत कर सकेगा या विकल्प में भंग के लिये पट्टेदार से, उक्त वार्षिक अनिवार्य भाटक की रकम से चार गुने से अनधिक ऐसी शास्ति जो पट्टाकर्ता नियत करे, प्राप्त कर सकेगा |
(27) पट्टेदाय या उसके अंतरिती या समनुदेशिती द्वारा पट्टे की किन्हीं अन्य शर्तो का भंग होने की दशा में, मंजूरी प्राधिकारी पट्टेदार से ऐसी शास्ति का भुगतान करने की, जो वार्षिक अनिवार्य भाटक की रकम की दुगनी रकम के बराबर से अधिक नहीं हो, अपेक्षा कर सकेगा |
(28) उत्खनन पट्टे में ऐसी अन्य शर्ते भी अन्तर्विष्ट हो सकती हैं, जिन्हें मंजूरी प्राधिकारी निम्नलिखित के संबंध में आवश्यक समझे, अर्थात :-
(क) भाटक तथा स्वामिस्व के भुगतान की समय सीमा, रीती तथा स्थान;
(ख)पट्टे द्वारा आवृत्त भूमि के नुकसान के लिए प्रतिकर ;
(ग) पेड़ो का गिराया जाना ;
(घ) किसी प्राधिकारी द्वारा प्रतिषिद्ध किये गये किसी क्षेत्र में सतह की संक्रियाओं पर निबंधन ;
(ङ) सतह के दखल के लिये पट्टेदार द्वारा सूचना ;
(च) पट्टेदार द्वारा पट्टा क्षेत्र या समीपवर्ती क्षेत्र में अन्य खनिजों के उत्खनन के लिये दी जाने वाली सुविधाएं;
(छ) आरक्षित या संरक्षित वन में प्रवेश करना या कार्य करना;
(ज) गड्डों तथा शाफ्तों को सुरक्षित करना;
(झ) दुर्घटनाओं की रिपोर्ट करना;
(ट) तीसरे पक्ष के दावों के विरुद्ध राज्य सरकार को क्षतिपूरित रखना |
(ठ) खदान क्षेत्र में स्वच्छता बनाये रखना;
(ड) पट्टे के समर्पण, अवसान या पर्यवसान पर भूमि तथा खानों का कब्जा देना;
(ढ) पट्टे के पर्यवसान के पश्चात्, छोडी गई सम्पत्ति का समपह्र्ण;
(ण) युद्ध या आपात स्थिति में संयंत्र, मशीनरी, परिसर तथा खानों का कब्जा लेने की शक्ति;
(प) ऐसे प्रकरणों में तृतीय पक्ष के अधिकारों के संरक्षण की रीति (चाहे प्रतिकर के द्वारा या अन्यथा) जहां, खनन संक्रियाओं के कारण ऐसे किसी पक्ष पर प्रतिकूल प्रभाव पडा हो :
(फ) उत्खनन पट्टे के धारक व्यक्ति द्वारा खनन या उत्खनन की संक्रियाओं के कारण नष्ट हुए पेड़-पौधे तथा अन्य वनस्पति जैसे कि पेड़, झाडियां और उनके सदृश्य के पुनर्वास, उसी क्षेत्र में या राज्य सरकार द्वारा चयनित किसी दूसरे क्षेत्र में करने की रीति (चाहे पुनर्वास के खर्चे के प्रतिपूर्ति द्वारा या अन्यथा);
(ब) खदान में किसी समाविष्ट भूमि या अन्य खनि रियायतों में खनन प्रयोजनों के लिये रास्तों, विद्युत पारेषण लाइनों, ट्रामवेज, रेलपथ, आकाशीय रज्जुमार्ग (एरियल रोप्वेज ) पाइप लाइन्स का निर्माण, संधारण तथा उपयोग और पानी के लिये मार्ग बनाना |
31. विशेष शर्ते --- उत्खनन पट्टे में राज्य सरकार द्वारा यथाविनिर्दिष्ट कोई विशेष शर्ते भी अन्तर्विष्ट हो सकेंगी | शर्ते भी अन्तर्विष्ट हो सकेंगी |
32. काटने तथा तराशने की इकाइ की स्थापना-- (1) नियम 30 के अपनियम (5) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, काटने तथा तराशने की इकाई स्थापित करने के लिये प्रदाय किये ग्रेनाइट के उत्खनन पट्टे के संबंध में, यदि राज्य में इकाई पट्टा/पट्टे निष्पादन किये जाने से एक वर्ष की कालावधि के भीतर स्थापित न की जाये तो उक्त पट्टा/पट्टे पर्यवसित कर दिये गये समझे जायेंगे :
(2) पट्टेदार, उत्खनन पट्टा प्रदाय किये जाने के प्रथम वर्ष के भीतर अन्तर्राज्यिक संचालन को सम्मिलित करते हुए राज्य सरकार द्वारा अनुज्ञात मात्रा के अपरिष्कृत ब्लाकों का परिवहन या निर्यात कर सकेगा |
33. पट्टेदार के अधिकार -- नियम 30 में विनिर्दिष्ट शर्तो के अध्यधीन रहते हुए, पट्टेदार को खनन संक्रियाओं के प्रयोजनों के लिये उसे पट्टे पर दी गई भूमि पर निम्नलिखित अधिकार होगा:-
(एक) खानों में कार्य करना ;
(दो) गड्डे खोदना ताभिवन और सड़कों का निर्माण करना;
(तीन) संयंत्र तथा मशीनरी स्थापित करना;
(चार) उत्खनन करना और भवन या सड़क में लगने वाली सामग्री प्राप्त करना तथा ईटे बनाना किन्तु विक्रय के लिये नहीं;
(पांच) पानी का उपयोग करना;
(छः) चट्टा लगाने के लिये भूमी का उपयोग करना;
(सात) पट्टे में विनिर्दिष्ट कोई अन्य कार्य करना |
34. पट्टा पर्यवसित करने का अधिकार -- पट्टेदार सरकार को देय समस्त शोध्यों का भुगतान करने के पश्चात् मंजूरी प्राधिकारी को किसी भी समय, छः माह से अन्यून लिखित में सूचना देकर पट्टे को पर्यवसित कर सकेगा |
35. उत्खनन पट्टे का अंतरण -- (1) कोई भी पट्टेदार अपने पट्टे का किसी अन्य व्यक्ति को अंतरण नहीं करेगा या उप-पट्टे पर नहीं देगा और न ही किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कोई ठहराव करेगा, जिसके द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से भी किसी अन्य व्यक्ति को पट्टे के क्षेत्र के ऊपर कोई प्राधिकार पास होता है :
परन्तु यह कि रु. 1000.00 [(रूपये एक हजार) नियम 10 के उपनियम (3) में विर्हित की गई रीति के अनुसार भुगतान करने पर ] तथा अंतरिती द्वारा ऐसे किसी उत्खनन पट्टे के संबंध में अंतरक के समस्त दायित्वों तथा शर्तो को स्वीकार करने पर, मंजूरी प्राधिकारी पट्टेदार को अंतरण की अनुज्ञा दे सकेगा |
(2) मंजूरी प्राधिकारी, लिखित में आदेश द्वारा किसी भी समय पट्टा पर्यवसित कर सकेगा, यदि मंजूरी प्राधिकारी की राय में पट्टेदार के उपनियम (1) का भंग किया है |
(3) उप नियम (1) के अधीन उत्खनन पट्टे के अंतरण के लिये आवेदन करने पर, जहां मंजूरी प्राधिकारी ने ऐसे अंतरण की सहमति दे दी है, वहां अंतरण पट्टा विलेख प्ररूप-चौदह में अनुज्ञा से तीन माह के भीतर या ऐसी और कलावधि के भीतर, जैसी कि मंजूरी प्राधिकारी इन नीमित्त अनुज्ञात करे, किया जाएगा |
अध्याय 6
उत्खनन अनुज्ञापत्र का प्रदाय
36. उत्खनन अनुज्ञापत्र- नियम 7 एवं नियम 8 में विनिर्दिष्ट अनुसार जिला/जनपद एवं ग्राम पंचायत द्वारा उत्खनन अनुज्ञापत्र जारी किये जायेंगे |
37. उत्खनन अनुज्ञापत्र हेतु आवेदन- उत्खनन अनुज्ञापत्र प्रदाय किये जाने तथा उसके नवीकरण हेतु प्ररूप पन्द्रह में आवेदन [यथास्थिति, संबंधित जिला पंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत] को प्रस्तुत किया जायेगा तथा उसमें निम्नलिखित विवरण होंगे :-
(एक) नाम, वृत्ति, जाति, शैक्षणिक अर्हता, उम्र, निवास स्थान, वित्तीय स्थिति तथा पता सहकारी सोसाइटियों एवं सहयोजन के मामले में उपविधियां (बाई लॉज), सदस्यों की सूची और उनकी जाति, वैयक्तिक सदस्य की वित्तीय स्थिति और उनकी शैक्षणिक अर्हता;
(दो) खनिज का नाम जिसके लिए अनुज्ञापत्र अपेक्षित है;
(तीन) ग्राम के नक्शे में अंकित क्षेत्र का वर्णन, खसरा पांचसाला सहित, जिससे खनिज निकालना है;
(चार) प्रयोजन जिसके लिए खनिज का उपयोग किया जाना है ;
(पांच) यदि भूमि निजी भूमि है तो भूमिस्वामी की सहमति;
(छः) कलावधि जिसके लिए अनुज्ञापत्र अपेक्षित है;
(सात) आवेदन फीस रूपये पच्चीस (रूपये 25.00) ऐसी रीति में, जो संबंधित प्राधिकारी द्वारा विहित की जाय, जमा की जायेगी और उसकी नगद रसीद आवेदन के साथ संलग्न की जायेगी |
38. उत्खनन अनुज्ञापत्र के आवेदन का निपटारा --- (1) उत्खनन अनुज्ञापत्र प्रदाय करने [**] के लिये आवेदन प्राप्त होने पर उसके ब्यौरे सर्वप्रथम जिला पंचायत, जिले की संबंधित जनपद पंचायतों तथा ग्राम पंचायतों और संबंधित जिले के जिला कार्यालय के सूचना पटल पर प्रदर्शित करने हेतु परिचालित किये जायेंगे | आवेदन प्राप्ति के दिनांक से [साठ दिन] के भीतर मंजूरी प्राधिकारी द्वारा इसका निपटारा किया जाएगा | किन्तु आवेदन के अंतिम निराकरण के पूर्व ग्राम पंचायत अपने ग्राम सभा का अनुमोदन प्राप्त करेगी |
(2) मंजूरी प्राधिकारी किसी एक अनुज्ञापत्र के अधीन किसी खनिज का विनिर्दिष्ट खदान से उत्खनन करने तथा हटाने हेतु प्ररूप-सोलह में अनुज्ञा प्रदान करेगा | करार मंजूरी से 30 दिन के भीतर प्ररूप-सत्रह में निष्पादित तथा रजिस्ट्रीकृत किया जायेगा और यदि पूर्वोक्त कालावधि में कोई ऐसा करार निष्पादित नहीं किया जाये, तो मंजूरी का ओदश प्रतिसंह्रत किया गया समझा जायेगा| प्रत्येक समय परिवहन किये जाने के लिये आशयित खनिज की मात्रा के लिये स्वामिस्व (रायल्टी) जमा करने के पश्चात् प्ररूप-नौ में अभिवहन पास जारी किया जाएगा | स्वामिस्व (रायल्टी) की गणना अनुसूची तीन में विनिर्दिष्ट दरों के अनुसार की जाएगी | करार के ऐसे निष्पादन के पूर्व आवेदन, प्रतिभूतिनिक्षेप की वह रकम जमा करेगा जो प्रधिकारी द्वारा जमा की जाने के लिये निदेशित किया जाय | संबंधित सक्षम प्राधिकारी द्वारा नियम 7 के उपनियम (3) में विनिर्दिष्ट खदानों का स्वामिस्व (रायल्टी) आगम प्राप्ति शीर्ष में नियम 10 के उपनियम 3 में विनिर्दिष्ट रूप से जमा की जायेगी |
(3) यदि कोई आवेदन अस्वीकृत किया है तो मंजूरी प्राधिकारी आवेदक को ऐसी अस्वीकृति के कारणों को कथित करते हुए सूचना देगा |
(4) अधिमानी अधिकार--- उत्खनन अनुज्ञा-पत्र जहां खदान स्थित है उस ग्राम पंचायत के निवासियों को ही निम्न अधिमानी अधिकारों के अनुसार प्रदान किया जायेगा :-
(एक) अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति/पिछड़े वर्ग/ शिक्षित बेरोजगारों की सहकारी सोसायटियां/सहयोजन जहां पचास प्रतिशत से अधिक सदस्य एवं अध्यक्ष संबंधित संवर्ग का हो एवं इनकी कार्यकारिणी में इन संवर्गो के उतने लोग अवश्य हों जितने प्रतिशत इन वर्गों के कुल सदस्य समिति में हैं व ये सदस्य जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा बनाई गई सूची में गरीबी की रेखा के निचे के परिवार के हैं, या अनुसूचित जनजाति/ अनुसूचित जाति के शिक्षित बेरोजगार युवक, उसी क्रम में,
(दो) जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा बनाई गई सूची में गरीबी की रेखा के निचे के परिवार के शिक्षित बरोजगार युवक,
(तीन) अन्य कोई व्यक्ति जो जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा बनाई गई सूची में गरीबी की रेखा के नीचे के परिवार के हैं ;
(चार) अन्य कोई आवेदक |
[परन्तु यह की खण्ड (एक), (दो), (तीन) तथा (चार) में उपबंधित किये गये अनुसार अनन्य रूप से महिलाओं की सहकारी सोसाइटी/सहयोजन (एसोसिएशन) या किसी महिला को उसी क्रम में अन्य आवेदकों पर अधिमानी अधिकार होंगे :]
39. उत्खनन अनुज्ञापत्र की कालावधि__ उत्खनन अनुज्ञापत्र की कालावधि नियम. 22 में विनिर्दिष्ट किये गये अनुसार होगी:|
40. उत्खनन अनुज्ञापत्र की शर्ते – उत्खनन अनुज्ञापत्र की शर्ते निम्नानुसार होंगी, अर्थात् :-
(एक) खदान की सतह के निचे की गहराई छः मीटर से अधिक नहीं होगी ;
(दो) अनुज्ञापत्र अंतरणीय नहीं होगा ;
(तीन) उस खनिज को छोडकर, जिसके लिये उत्खनन अनुज्ञापत्र प्रदान किया गया है,अन्य खनिज का उत्खनन, उसका हटाया जाना या परिवहन मंजूरी प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन के बिना नहीं किया जाएगा ;
(चार) उत्खनन संक्रियाओं के दौरान यदि कोई मुख्य खनिज पाया जाता है, तो अनुज्ञापत्र धारक, तत्काल उसकी रिपोर्ट मंजूरी प्राधिकारी तथा जिले के कलक्टर को करेगा;
(पांच) उत्खनन अनुज्ञापत्र धारक, क्षेत्र में उत्खनित एवं हटाये गये खनिज की मात्रा के पूर्व तथा सही लेखे रखेगा ;
(छः) उत्खनन अनुज्ञापत्र धारक समस्त दुर्घटनाओं की रिपोर्ट मंजूरी प्राधिकारी तथा जिले के कलक्टर को तुरन्त करेगा ;
(सात) उत्खनन अनुज्ञापत्र धारक को अनुज्ञापत्र के अवसान होने के पश्चात् अनुज्ञात क्षेत्र में पड़ी हुई उत्खनित सामग्री तथा अन्य सम्पत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा |
(आठ) उत्खनन अनुज्ञापत्र धारक किन्हीं सार्वजनिक रास्तों, सार्वजनिक भवनों, मंदिरों, जलाशयों, बांधों, कब्रिस्तान तथा रेलपथ इत्यादि से प्रतिषिद्ध दूरी के भीतर उत्खनन संक्रिया नहीं करेगा और किसी सार्वजनिक या निजी संपत्ति को क्षति नहीं पहुंचाएगा ;
(नौ) उत्खनन अनुज्ञापत्र धारक मंजूरी प्राधिकारी या उनमें से किसी के द्वारा प्राधिकृत किसी अधिकारी को उत्खनन संक्रियाओं का निरिक्षण तथा लेखों की जांच करने और प्रेषित किये गए खनिज के ब्यौरे का उसके (अनुज्ञापत्र धारक) द्वारा संधारित रजिस्टरों से सत्यापन करने की अनुज्ञा देगा ; और
(दस) अनुज्ञापत्र धारक अनुज्ञापत्र के अवसान होने पर उसे जारी किये गये अभिवहन पासों की द्वितीय प्रतियां, बिना उपयोग किये गए अभिवहन पासों के साथ “मंजूरी प्राधिकारों को अभ्यर्पित करेगा और हटाये गये खनिज की मात्रा दर्शाने वाले ऐसे पूरे विवरण तथा अन्य विशिष्टियां प्रस्तुत करेगा जैसे कि मंजूरी प्राधिकारी द्वारा अपेक्षित किये जायं |
41. उत्खनन अनुज्ञापत्र का रजिस्टर -- मंजूरी प्राधिकारी, उत्खनन अनुज्ञापत्रों का रजिस्टर प्ररूप अठारह में रखेगा |
अध्याय 7
उत्खनन संक्रियाएं
42. विवृत खुदाई -- (1) विवृत खुदाई में बनाई गई पेडियों (बैंचों) को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाएगा ताकि खनिज और अधिभार से पेडयां पृथक, रहें जिससे कि अपशिष्ट सामग्री का खनिज से मिश्रण को रोका जा सके |
(2) (एक) जालोद मिटटी, मुरुम, बजरी, चिकनी मिटटी या इसी प्रकार की अन्य जमीन में किनारों का ढाल ऐसे सुरक्षित कोण पर रखा जायेगा जो कि क्षितिज से 45 डिग्री से अधिक नहीं होगा या ऐसा कोई अन्य कोण रखा जायेगा जिसकी कि उप संचालक लिखित में आदेश द्वारा अनुज्ञा दे |
(दो) किनारों को पैडीदार रखा जाएगा और किसी भी पेड़ी की ऊंचाई 1.5 मीटर से अधिक नहीं होगी तथा उनकी चौड़ाई ऊंचाई से कम नहीं होगी |
(तीन) अधिभार (ओवर बर्डन) की पैड़ियों को पर्याप्त रूप से पूर्व में ही तैयार रखा जायेगा जिससे कि उनमें की जाने वाली खुदाई से खनिज की खुदाई में कोई बाधा न हो |
(चार) खनन संक्रियाओं के दौरान प्राप्त अधिभार और अपशिष्ट सामग्री को विक्रय के अयोग्य अथवा निम्न श्रेणी (सब ग्रेड़) खनिजों के साथ मिलाने के लिए अनुज्ञात किया जाएगा | उनके अलग से ढेर तथा चट्टे बना कर रखे जाएंगे |
(पांच) खनन संक्रियाओं का संचालन कुशलता से और राज्य और केन्द्रीय अधिनियमों तथा नियमों के उपबंधों के अनुसार, जहां कहीं भी लागू हों, किया जाएगा |
(छः) संबंधित जिले का कलक्टर या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत कोई भी अधिकारी, यदि उसकी राय में उपबंधों का पालन करना युक्तियुक्त तौर पर साध्य नहीं है, एक लिखित आदेश द्वारा तथा ऐसी शर्तो के अध्यधीन रहते हुए जो कि वह उसमें (आदेश में) विनिर्दिष्ट करें, उन मामलों में, जिनमें विशेष कठिनाई विद्यमान है, खुदाई के किसी कार्य के लिए इन नियमों के प्रवर्तन से छूट दे सकेगा ;
परन्तु यह कि समस्त रेत खदानों और अनुसूचित जनजाति/जाति तथा पिछड़ा वर्ग के सदस्यों की सहकारी सोसाइटियों/सहयोजन और अनुसूचित जाति/जनजाति/शिक्षित बेरोजगारों तथा पिछड़ा वर्ग के व्यक्तिगत सदस्यों द्वारा चलाई जा रही खदानों को इन नियमों के पालन से इस शर्त के अध्यधीन रहते हुए छूट दी जायेगी कि अलग पड़े हुए पत्थर तथा मलवा उत्खनन के किनारे से तीन मीटर के भीतर रहने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जायेगा और किसी अग्र भाग या पाशर्व की ऐसी अधोकाट अनुज्ञात नहीं की जाएगी कि जिससे कि प्रलंबी (ओव्हर हेंगिंग) न हो |
43. छूट का खान अधिनियम, 1952 और उसके अधीन बनाए गए नियमों के अध्यधीन होना - उन छूटों के अध्यधीन रहते हुए जो खान अधिनियम, 1952 और उसके अधीन बनाए गये नियमों में दिए गये हैं, पट्टेदार उक्त अधिनियम तथा नियमों के समस्त उपबंधों का पालन करेगा |
अध्याय 8
पर्यावरण का संरक्षण
44. पर्यावरण का संरक्षण – (1) उत्खनन पट्टा/अनुज्ञापत्र का प्रत्येक धारक, उत्खनन संक्रियाएं करते समय, पर्यावरण का संरक्षण और प्रदूषण का नियंत्रण करने के लिए यथासंभव पूर्वावधानियां निम्नलिखित रीति से बरतेगा :-
(क) जहां कहीं भी ऊपरी मिट्टी विद्यमान है और उत्खनन संक्रियाओं के लिए उसका उत्खनन किया जाना है, वहां उसे पृथक् से हटाया जायेगा ;
(ख) इस प्रकार से हटाई गई उपरी मिट्टी का भविष्य के उपयोग के लिए भण्डारण किया जायेगा;
(ग) ढेरों को, उनसे सामग्री के बहकर निकलने को रोकने के लिए समुचित रूप से सुरक्षित रखा जायेगा जिससे कि भूमि का ग्रेड घटने या कृषि क्षेत्र का नुकसान, भूपृष्ठ जलसंग्रह का प्रदुषण या बाढ़ कारित न हो ;
(घ) भंडारण के लिए पट्टा क्षेत्र के भीतर यथासंभव अभेद्य खनिज रहित स्थान चुना जायेगा ;
(ङ) ऊपरी मिट्टी के ढेरों का यथोचित रूप से चबूतरा बना दिया जायेगा और ऊपर वनस्पति से या अन्यथा उन्हें स्थिर किया जायेगा |
(2) इस प्रकार हटाई गई ऊपरी मिट्टी का उपयोग उस भूमि के, जिसकी उत्खनन संक्रियाओं के लिए आगे आवश्यकता नहीं हो प्रत्यावर्तन या पुनरुद्धार करने के लिए किया जायेगा |
(3) अधिभार (ओव्हार बर्डन) इत्यादि का हटाया जाना, भण्डारण और उपयोग :-
(क) उत्खनन पट्टा/उत्खनन अनुज्ञापत्र का प्रत्येक धारक उत्खनन के दौरान या आकारीकरण के दौरान उत्पन्न अधिभार, अनुपयोगी चट्टानें, कूड़ा करकट और सूक्ष्म कणों का अलग-अलग ढेरों में भण्डारण किया जायेगा |
(ख) ढेरों को समुचित रूप से सुरक्षित किया जायेगा और उनके यथोचित रूप से चबूतरे बना दिये जायेंगे और ऊपर वनस्पति से या अन्यथा उन्हें स्थिर किया जायेगा ;
(ग) जहां कहीं संभव हो, अनुपयोगी चट्टानें, अधिभार इत्यादि को खदान के खुदे क्षेत्र में इस दृष्टि से पुनः भर दिया जायेगा ताकि भूमि को यथासंभव उसके मूल रूप में उपयोग में लाया जा सके ;
(घ) सूक्ष्म कणों को इस प्रकार जमा तथा व्ययन किया जायेगा जिससे कि उनका बहाव न हो तथा उससे भूमि का ग्रेड घटने या कृषि क्षेत्र को नुकसान भू-पृष्ठ जल संग्रह का प्रदूषण या बाढ़ कारित न हो |
45. भूमि को ठीक करना तथा उसका पुनरुद्धार.- उत्खनन पट्टे का प्रत्येक धारक-
(एक) उत्खनन संक्रियाओं से प्रभावित भूमियों के क्रमिक प्रत्यावर्तन, उसके ठीक किये जाने और उसका पुनोरुद्धार का भार अपने ऊपर लेगा और इस कार्य को, ऐसी संक्रियाओं के पूर्ण किये जाने और खदान का परित्याग किये जाने के पूर्व, ख़त्म करेगा ;
(दो) उत्खनन संक्रियाएं ऐसी रीति से करेगा जिससे कि पट्टे के अधीन धारित तथा समीपस्थ क्षेत्र के पेड़ पौधों को कम से कम नुकसान पहुंचे ;
(तीन) उत्खनन पट्टा/उत्खनन अनुज्ञापत्र का प्रत्येक धारक-
(क) उसी क्षेत्र में या कलक्टर द्वारा चुने गये किसी अन्य क्षेत्र में, उत्खनन संक्रियाओं के कारण नष्ट हुए वृक्षों की संख्या के कम से कम दुगुने पौधे लगाने का तत्काल उपाय करेगा ;
(ख) पट्टे के अस्तित्व के दौरान उनकी देखभाल करेगा तत्पश्चात॒ इन वृक्षों को जिस क्षेत्र में खदान अवस्थित है, उस ग्राम पंचायत को सौंप देगा ; और
(ग) उत्खनन संक्रियाओं द्वारा विनिर्दिष्ट अन्य पेड़ पौधों को यथासंभव प्रत्यावर्तित करेगा |
(चार) राज्य सरकार ऐसी दरें विहित कर सकेगी जिस पर कि उत्खनन पट्टा/उत्खनन अनुज्ञापत्र धारक से, उसके द्वारा इन नियमों का पालन करने में असफल रहने पर, पुनरुद्धार तथा सुधार का खर्च वसूल कर सकेगी |
46. सार्वजनिक स्थानों की क्षति, वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण के लिए पूर्वावधानियां इत्यादि.- उत्खनन पट्टा का प्रत्येक धारक-
(एक) पट्टा क्षेत्र के भीतर अथवा पट्टा क्षेत्र के निकट सार्वजनिक भवनों या स्मारकों, सड़कों, धार्मिक स्थलों को क्षति से बचाने के लिए पर्याप्त पूर्वावधानियां बरतेगा ;
(दो) सूक्ष्म कणों, धूल इत्यादि के कारण वायु प्रदूषण को नियंत्रित करेगा तथा वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (1981 का 14) तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, (1986 का 29) तथा उसके अधीन बनाये गये नियमों के अधीन विनिर्दिष्ट अनुज्ञेय सीमा में रखेगा ;
(तीन) उत्खनन संक्रियाओं से उत्पन्न ध्वनि को स्त्रोत पर ही कम किया जायेगा अथवा उसका इस प्रकार उपशमन या नियंत्रण किया जायेगा कि जिससे उसे अनुज्ञेय सीमा में रखा जा सके |
47. शास्ति.— कोई भी जो [नियम 44 से 50 तक के] उपबंधों में से किसी भी उपबंध का उल्लंघन करता है, ऐसे कारावास से जिसकी अवधि तीन माह तक हो सकती है अथवा जुर्माने से जो पांच हजार रुपये तक हो सकता है या दोनों से और लगातार उल्लंघन किये जाने पर ऐसे प्रथम उल्लंघन के लिए दोष सिद्ध होने के पश्चात् ऐसे प्रत्येक दिन के लिए जिसके कि दौरान उल्लंघन जारी रहे, ऐसे अतिरिक्त जुर्माने से जो पांच सौ रुपये प्रतिदिन तक हो सकता है, दण्डित होगा |
48. विवराणियां.— (1) उत्खनन पट्टा का प्रत्येक धारक प्ररूप-उन्नीस में संबंधित जिले के कलक्टर या उसके द्वारा प्रधिकृत किसी अधिकारी को खदान करार के निष्पादन के दिनांक से 60 दिन की कालावधि के भीतर पर्यावरण प्रबंधन की एक स्कीम, ऐसे प्रस्तावों को समाविष्ट करते हुए जिनमें उत्खनन संक्रियाओं द्वारा अस्तव्यस्त भूमि के अनुक्रमिक सुधार तथा पुनरुद्धार तथा वृक्षारोपण के लिए एक स्कीम, ऐसे प्रस्तावों को समाविष्ट करते हुए जिनमें उत्खनन संक्रियाओं द्वारा अस्तव्यस्त भूमि के अनुक्रमिक सुधार तथा पुनरुद्धार तथा वृक्षारोपण के लिए एक स्कीम, वायु और पानी के प्रदूषण और नियंत्रण की एक स्कीम होगी, प्रस्तुत करेगा |
(2) उपनियम (1) के अधीन स्कीम, उपसंचालक से परामर्श कर बनाई जायेगी |
(3) कलक्टर या प्राधिकृत अधिकारी पर्यावरण पर उत्खनन संक्रियाओं के प्रतिकूल प्रभाव को कम से कम करने के लिए अन्य उपाय किये जाने हेतु निदेशित कर सकेगा |
(4) उपनियम (1) के अधीन बनाई गई पर्यावरण स्कीम उत्खनन पट्टा के धारक द्वारा, संचालन के अनुमोदन के अध्यधीन रहते हुए भू-वैज्ञानिक कारणों पर किसी भी समय परिवर्तित की जा सकेगी |
(5) उत्खनन पट्टा का प्रत्येक धारक, कलक्टर को प्ररूप-बीस में एक त्रैमासिक रिपोर्ट क्रमशः मार्च, जून, सितम्बर और दिसम्बर को समाप्त होने वाले त्रैमासों के लिए इस प्रकार प्रस्तुत करेगा कि जिससे वह रिपोर्ट उसे 15 अप्रैल, 15 जुलाई, 15 अक्टूबर तथा 15 जनवरी तक पहुंच जाये |कलेक्टर ऐसी रिपोर्ट अपनी टिप्पणियों सहित पंचायतों को भेजेगा जिससे कि वे पर्यावरण के संरक्षण पर समुचित नियंत्रण कर सकें |
49. पर्यावरण संरक्षण से शिथिलीकरण:- (1) इन नियमों में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, नियम 44, 45, 46, 47 और 48 के उपबंध रेत तथा बजरी उत्खनन पट्टा/उत्खनन अनुज्ञापत्र के किसी धारक को पर्यावरण संरक्षण से संबंधित समस्त या कुछ उपबंधों से शिथिलीकरण दिया जा सकेगा |
50. विद्दमान पट्टेदारों द्वारा स्कीम प्रस्तुत की जायेगी.— जहां इन नियमों के प्रारंभ होने के पूर्व उत्खनन संक्रियाएं, पर्यावरण प्रबंधन के संबंध में अनुमोदित स्कीम के बिना चालू कर दी गई हैं वहां उत्खनन पट्टे जिनके अंतर्गत नीलामी खदानें भी आती हैं, के समस्त धारक इन नियमों के प्रारंभ हाने से 90 दिन की कालावधि के भीतर संबंधित जिले के कलक्टर को एक स्कीम प्रस्तुत करेंगे |
51. स्कीम का अनुमोदन.- (1) कलक्टर, नियम 48 तथा 50 के अधीन स्कीम प्राप्त होने से 90 दिन के भीतर कारणों सहित अपना अनुमोदन या अननुमोदन पट्टेदार या अनुज्ञापत्र धारक को संप्रेषित करेगा |
(2) यदि उप नियम (1) के अधीन नियत कालावधि के भीतर कोई विनिश्चय संप्रेषित नहीं किया जाता है, तो अंतिम अनुमोदन के अध्यधीन रहते हुए, जब भी वह संसूचित किया जाय, वह (स्कीम) अन्तिम रूप से समझी जाएगी |
अध्याय 9
स्वामिस्व का निर्धारण
52. स्वामिस्व का निर्धारण तथा विनिश्चय.— (1) किसी निर्धारण वर्ष में यथा अपेक्षित किसी निर्धारिती से शोध्य स्वामिस्व का निर्धारण तथा अवधारण, पट्टेदार द्वारा पट्टा विलेख/अनुज्ञापत्र के निबंधनों तथा शर्तों के अधीन यथा अपेक्षित उस वर्ष के संबंध में अपेक्षित विवरणियां प्रस्तुत की जाने के पश्चात् या उत्पादन, प्रेषण या खपाये जाने के बारे में पट्टाधारक/अनुज्ञापत्र धारक द्वारा विवरण प्रस्तुत कर दिये जाने के पश्चात्, निर्धारण प्राधिकारी द्वारा किया जायेगा:
परन्तु यह कि निर्धारण प्राधिकारी, निर्धारण वर्ष के दौरान किसी विशिष्ट कालावधि के लिए, उस कालावधि के संबंध में विवरणियां प्राप्त होने के पश्चात् अन्तिम निर्धारण कर सकेगा |
(2) उपनियम (1) वर्णित स्वामिस्व के निर्धारण के प्रयोजन के लिए निर्धारिती प्ररूप-दस में आगामी मास की 10 तारीख तक मासिक विवरणी तथा प्ररूप-बारह में वार्षिक विवरणी निर्धारण वर्ष के अवसान होने के एक माह के भीतर प्रस्तुत करेगा |
(3) यदि निर्धारिती उपनियम उपनियम (2) द्वारा अपेक्षित किये गये अनुसार विवरणी प्रस्तुत करने में असफल रहता है अथवा फाइल की गई विवरणियां गलत प्रतीत होती हैं, तो निर्धारण प्राधिकारी ऐसी जांच-पड़ताल, जो वह उचित समझे, कर सकेगा और निर्धारण वर्ष के लिए स्वामिस्व का निर्धारण कर सकेगा :
परन्तु यह की निर्धारण प्राधिकारी इस उपनियम के अधीन कोई कार्यवाही करने के पूर्व निर्धारिती को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान करेगा |
(4) उपनियम (3) के प्रयोजनों के लिए निर्धारण प्राधिकारी, निर्धारिती से वैयक्तिक रूप से या किसी ऐसे अभिकर्ता द्वारा, जो लिखित में सम्यक रूप से प्राधिकृत किया गया हो, उपस्थित होने की की अपेक्षा करे, सूचना में विनिर्दिष्ट तारीख और स्थान पर उपसंजात होने और ऐसी किसी साक्ष्य को, जिसे निर्धारिती उसके द्वारा दी गई विवरणियों, विवरणों तथा अभिलेखों की शुद्धता के संबंध में विश्वास करे, पेश करने और निर्धारण वर्ष के संबंध में ऐसे लेखे, जैसे कि निर्धारण प्राधिकारी अपेक्षित करे, प्रस्तुत करने या कराने के लिए प्रन्द्रह दिन की एक सूचना तामील कर सकेगा |
(5) उपनियम (4) में दी गई विनिर्दिष्ट सूचना के दिवस पर या उसके पश्चात् किसी अन्य दिवस पर, जैसा कि निर्धारण प्राधिकारी नियत करे, निर्धारण प्राधिकारी, ऐसी साक्ष्य जैसी कि निर्धारिती द्वारा इस निमित्त प्रस्तुत की जाय, सुनने तथा उस पर विचार करने के पश्चात् निर्धारिती द्वारा देय स्वामिस्व के बारे में लिखित में एक आदेश देगा |
(6) इन नियमों में अथवा उत्खनन पट्टा/उत्खनन अनुज्ञापत्र में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, यदि निर्धारिती उपनियम (2), (4) तथा (5) के उपबंधों में से किसी भी उपबंध का उल्लंघन करता है अथवा यदि उसने किसी नियमित लेखा रखने का ऐसा ढंग जिसके आधार पर निर्धारण सही तरीके से किया जा सके, नहीं अपनाया है तो निर्धारण प्राधिकारी अपने सर्वोत्तम निर्णय के आधार पर स्वामिस्व का निर्धारण करेगा तथा प्रत्येक उल्लंघन के लिए वार्षिक अनिवार्य भाटक के 20 प्रतिशत तक शास्ति अधिरोपित कर सकेगा |
(7) यदि कोई निर्धारिती, उपनियम (2) के अधीन प्ररूप-दस में किसी माह का मासिक विवरण विहित कालावधि में प्रस्तुत करने में असफल रहता है और यदि निर्धारण प्राधिकारी को यह विश्वास करने का कारण हे कि निर्धारिती ने स्वामिस्व के भुगतान का अपवंचन या परिवर्जन किया है तो निर्धारण प्राधिकारी निर्धारिती को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात् और ऐसी जांच करने के पश्चात् जो वह आवश्यक समझे अपने सर्वोत्तम निर्णय के आधार पर उस कालावधि के लिए स्वामिस्व का निर्धारण करेगा | ऐसे निर्धारण की रकम का निर्धारिती द्वारा तत्काल भुगतान किया जाना जायेगा |
अध्याय 10
अनधिकृत उत्खनन तथा परिवहन के लिए शास्ति
53. अनधिकृत उत्खनन तथा परिवहन के लिए शास्ति.— (1) जब भी कोई व्यक्ति इन नियमों के अनुसार न होकर अन्यथा खनिजों का उत्खनन अथवा परिवहन करता पाया जाय अथवा जिसकी और से ऐसा उत्खनन अथवा परिवहन किया जाये, उसे खनिजों के अवैध उत्खनन के लिए एक पक्षकार उपधारित किया जायेगा और ऐसा प्रत्येक व्यक्ति सादे कारवास से जो एक वर्ष तक हो सकता है, अथवा ऐसे जुर्माने से जो रुपये पांच हजार तक हो सकता है, अथवा दोनो से, दंण्डनीय होगा |
(2) जब कोई व्यक्ति इन नियमों के उपबन्धों का उल्लंघन करते हुए खनिजों का उत्खनन करते या परिवहन करते हुए पाया जाए तो कलक्टर/अपर कलक्टर/उपसंचालक/खनि अधिकारी/सहायक खनि अधिकारी/खनि निरीक्षक अथवा जिला/जनपद/ ग्रामपंचायत द्वारा प्राधिकृत कोई अधिकारी गौण खनिज और उनके उत्पाद के साथ-साथ ऐसे अपराध में प्रयुक्त समस्त औजार, उपस्कर और वाहनों को अभिग्रहीत कर सकेगा |
(3) अवैध रूप से उत्खनित या परिवहन किये गये खनिज या उनके उत्पाद, औजार, उपस्कर और वाहनों को अभिग्रहीत करने वाला अधिकारी, उस व्यक्ति को जिसके कब्जे से ऐसी वस्तुऐं इस प्रकार अधिग्रहीत की गई हैं उसकी एक रसीद देगा तथा उस मजिस्ट्रेट को, जिसे ऐसे अपराध को विचारण करने की अधिकारिता है एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा|
(4) उपनियम (2) के अधीन अभिग्रहीत ऐसी संपत्ति, उन व्यक्तियों द्वारा, जिनके कब्जे से वह अभिग्रहीत की गई थी उसे अभिग्रहीत करने वाले अधिकारी के समाधान पर्यन्त एक बन्धपत्र निष्पादित किये जाने पर उसे उसके द्वारा छोड़ दी जा सकेगी | जब ऐसे अधिकारी द्वारा उसे पेश करने की अपेक्षा की जाए तो वह अपेक्षित स्थान तथा समय पर पेश की जाएगी :
परन्तु यह कि जहां उपनियम (3) के अधीन मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, वहां अभिग्रहीत सम्पत्ति मजिस्ट्रेट के आदेश से ही छोड़ी जाएगी |
(5) कलक्टर/अपर कलक्टर/उपसंचालक/खनि अधिकारी या जिला/जनपद/ग्राम पंचायत द्वारा अधिकृत अधिकारी उपनियम (1) के अधीन किये गये ऐसे अपराध के संबंध में, अभियोजन संस्थापन के पहले या उसके पश्चात ऐसे जुर्माने के, जो उत्खनित खनिज के बाजार मूल्य से दुगने तक हो सकता है, किन्तु किसी भी मामले में रुपये एक हजार से कम नहीं होगा अथवा ऐसे उत्खनित खनिज के स्वामिस्व के दस गुने से, इन में से जो भी अधिक हो, का भुगतान करने के पश्चात प्रशमन कर सकेगा :
परन्तु यह कि निरन्तर उल्लंघन के मामले में कलक्टर/अपर कलक्टर/उपसंचालक/खनि अधिकारी अधिरोपित जुर्माने के अतिरिक्त ऐसे प्रतिदिन के लिए जब तक कि ऐसा उल्लंघन जारी रहता है, रुपये पांच सौ भी वसूल कर सकेगा |
(6) ऐसा कोई व्यक्ति जो इन नियमों के उल्लंघन में किसी भूमि पर अतिचार करता है तो कलक्टर/अपर कलक्टर द्वारा ऐसे अतिचारी पर इसकी बेदखली किये जाने का आदेश तामील किया जा सकेगा |
(7) उपनियम (2) के अधीन अभिग्रहीत की गई समस्त सम्पत्ति, यदि अधिरोपित जुर्माना और अन्य रकम का आदेश की तारीख से एक माह के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है तो उस मजिस्ट्रेट के, जो इस अपराध का विचारण कर रहा है, आदेश से अधिहरित किये जाने के दायित्वाधीन होगी :
परन्तु यह कि आदेश से एक माह के भीतर ऐसी रकम का भुगतान किये जाने पर अभिग्रहीत ऐसी समस्त संपत्ति, सिवाय खनिज या उसके उत्पाद के, छोड़ दी जायेगी और उप नियम (2) के अधीन इस प्रकार अभिग्रहीत खनिज या उसके उत्पादन अधिहारित किये जायेंगे तथा वे राज्य सरकार की सम्पत्ति होंगे |
(8) इस नियम के अधीन कार्यवाही करने के लिये सशक्त प्राधिकारी, यदि आवश्यक समझे, तो पुलिस सहायता के लिए पुलिस प्राधिकारी को लिखित में निवेदन करेंगे तथा पुलिस प्राधिकारी ऐसी सहायता उपलब्ध करायेगा जैसी कि खनिज के अवैध उत्खनन तथा परिवहन को रोकने हेतु उस अधिकारी को इस नियम के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने के लिए सशक्त बनाने हेतु आवश्यक हो |
(9) (एक) ऐसी शर्तों के अध्यधीन रहते हुए जैसा कि विनिर्दिष्ट किया जायें, कलक्टर/अपर कलक्टर या तो सामान्यतः या विशेष मामले या मामलों के किसी वर्ग के लिए, जो इस नियम के अधीन दण्डनीय है, समस्त या किसी अपराध का अन्वेषण करने हेतु किसी अधिकारी को, जो सहायक खनि अधिकारी की पंक्ति से नीचे का न हो, प्राधिकृत कर सकेगा |
(दो) इस प्रकार प्राधिकृत प्रत्येक अधिकारी ऐसे अन्वेषण का संचालन करने में संज्ञेय अपराध का अन्वेषण करने हेतु दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करेगा |
(तीन) अन्वेषण अधिकारी, इस नियम के प्रयोजनों के लिए निम्नलिखित विषयों के संबन्ध में सिविल प्रक्रिया संहिता की शक्तियों का प्रयोग करेगा |
(क) किसी व्यक्ति को हाजिर कराना तथा शपथ या प्रतिज्ञान पर उसका परीक्षण;
(ख) अभिलेख पेश करने के लिए बाध्य करना |
अध्याय 11
गौण खनिज अपराध निवारण पुरस्कार
54. पुरस्कार.— (1) संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म, मध्यप्रदेश के किसी अधिकारी को, अवैध खनन और उत्खनन तथा परिवहन या अधिनियम तथा नियमों के विरुद्ध अन्यथा किये गये अपराधों के संबंध में ऐसी सूचना देने या अन्यथा ऐसा योगदान करने पर, जिसकी परिणिती अपराध के बारे में अभियोजन में हो, पुरस्कार प्रदान किये जा सकते है |
(2) पुरस्कार उसी स्थिति में दिया जा सकेगा जब कि दी गई सूचना नियमों के अधीन शास्ति अधिरोपित करने के लिए उपयोगी हो |
(3) पुरस्कार की शर्तें तथा सीमा.- इन नियमों के अधीन दिये जाने वाले पुरस्कार निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन रहते हुए होंगे |
(एक) जहां खनिजों को अभिग्रहीत किया गया है- पुरस्कार रकम अभिग्रहीत खनिज के विक्रय मूल्य की वसूली के पश्चात् उसका पांच प्रतिशत अथवा रुपये पांच सौ, इनमें से जो भी कम हो, होगी ;
(दो) जहां कोई खनिज अभिग्रहीत नहीं किया गया है- पुरस्कार रकम की अधिकतम रकम वसूल की गयी शासित की रकम का पांच प्रतिशत होगी ;
(4) पुरस्कार का दावा अधिकारी के रूप में नहीं किया जायेगा ;
(एक) इन नियमों के अधीन पुरस्कार का दावा अधिकारी के रूप में नहीं किया जायेगा ;
(दो) इन नियमों के अधीन सक्षम प्राधिकारी द्वारा दिये गये पुरस्कार के विरुद्ध किसी प्राधिकारी को कोई अपील नहीं होगी |
55. प्राधिकारी तथा पुरस्कार का प्रकार.— (1) पुरस्कार प्रदान करने का अधिकार संचालक में निहित होगा |
(2) पुरस्कार प्रदान करने बाबत मामले अथवा प्रस्ताव का परीक्षण और पुरस्कार देने का निर्णय ऐसी समिति द्वारा किया जाएगा जिसमें संचालक तथा उनके द्वारा नाम निर्दिष्ट विभाग के दो अन्य अधिकारी होंगे |
(3) पुरस्कार मध्यप्रदेश ट्रेजरी कोड के जिल्द दो के प्ररूप-34 में उस आहरण तथा संवितरण अधिकारी द्वारा आहरित किया जाएगा जो संबंधित शासकीय सेवक के वेतन तथा भत्तों का संवितरण करता है |
अध्याय 12
गौण खनिजों से राजस्व का जनपद पंचायतों तथा ग्राम पंचायतों के बीच संवितरण
[56. राजस्व का जमा किया जाना.- (1) पंचायतों द्वारा स्वीकृत गणि खनिजों की खदानों से संबंधित अनिवार्य भाटक, स्वामिस्व (रायल्टी) भूतल भाटक, ब्याज और अन्य कोई शास्तियों को सम्मिलत करते हुए समस्त राजस्व संबंधित पंचायत की निधि में जमा किया जाएगा |
(2) पंचायतों द्वारा प्रदान किये गये क्षेत्र के अतिरिक्त ऐसी गौण खनिजों की खदानें जो पंचायत क्षेत्र के भीतर स्थित हों से संबंधित अनिवार्य भाटक, स्वामिस्व (रायल्टी) भूतल भाटक, ब्याज और कोई अन्य शास्तियां प्रथमतः संबंधित क्षेत्र की जिला पंचायत निधि में जमा किया जाएगा | तत्पश्चात॒ जिला पंचायत निधि का नियंत्रण करने वाले नियमों तथा राज्य शासन द्वारा विहित की गई प्रक्रिया के अनुसार उसे वितरित किया जायेगा |
(3) निगम, नगर पालिका, विशेष क्षेत्र या नगर पंचायत क्षेत्र के भीतर गौण खनिजों से प्राप्त समस्त राजस्व जैसे-अनिवार्य भाटक, स्वामिस्व (रायल्टि), भूतल भाटक, ब्याज और कोई अन्य शास्तियां संबंधित स्थानीय निकायों में जमा की जाऐंगी]
अध्याय 13
अपील, पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण
57. अपील तथा पुनर्विलोकन.— (1) जहां, इन नियमों के अधीन किसी भी विषय के संबंध में, ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या जिला पंचायत द्वारा प्रयोज्य किसी शक्ति का प्रयोग करते हुए कोई आदेश पारित किया गया है, वहां इन नियमों के अधीन पारित प्रत्येक आदेश के विरुद्ध अपील उस प्राधिकारी को और उस रीति में होगी जो कि मध्यप्रदेश पंचायत (अपील और पुनरीक्षण) नियम, 1995 में विहित है |
(2) जहां इन नियमों के अधीन किसी भी विषय के संबंध में, कलक्टर/अपर कलक्टर द्वारा प्रयोज्य किसी शक्ति का प्रयोग करते हुए कोई आदेश पारित किया गया है वहां 2“इन नियमों के अधीन पारित या परित किये गये समझे गये प्रत्येक आदेश” के विरुद्ध अपील संचालक को होगी |
(3) जहां इन नियमों के अधीन किसी भी विषय के संबंध में संचालक द्वारा प्रयोज्य किसी शक्ति का प्रयोग करते हुए कोई आदेश पारित किया गया है, वहां “इन नियमों के अधीन पारित या परित किये गये” प्रत्येक आदेश के विरुद्ध अपील राज्य सरकार को होगी |
(4) इन नियमों के अधीन राज्य सरकार को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, उसके द्वारा पारित किये गये या पारित किये समझे गये किसी आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति, उसे आदेश संसूचित किये जाने की तारीख से 60 दिन के भीतर, आदेश के पुनर्विलोकन के लिए, राज्य सरकार को आवेदन करेगा |
(5) राज्य सरकार स्वप्रेरणा से उसके द्वारा पारित किसी आदेश का पुनर्विलोकन कर, उसके संबंध में जैसा कि ठीक समझे आदेश पारित कर सकेगा |
58. पुनरीक्षण.— (1) राज्य सरकार तथा संचालक, किसी भी समय स्वप्रेरणा से इसके अधीनस्थ किसी प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश की वैधता या औचित्य के संबंध में या की गई कार्यवाही की नियमितता के संबंध में अपना समाधान करने के प्रयोजन के लिए ऐसे अधिकारी के समक्ष लंबित या उसके द्वारा निपटाये गये किसी मामले के अभिलेख मंगवा सकेगी/सकेगा जैसा कि वह उचित समझे :
परन्तु यह कि इस नियम के अधीन कोई आदेश किसी हितबद्ध व्यक्ति के विरुद्ध तब तक पारित नहीं किया जाएगा जब तक कि उसको अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर नहीं दे दिया गया है |
(2) उपनियम (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जब कभी किसी भी विषय में राज्य सरकार के समक्ष कोई पुनर्विलोकन लंबित हो, तब उसके अधीनस्थ किसी भी प्रधिकारी द्वारा इस विषय में कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी |
59. अपील, पुनरीक्षण अथवा पुनर्विलोकन की परिसीमा.— इन नियमों के अधीन कोई भी अपील, पुनरीक्षण अथवा पुनर्विलोकन, आदेश की संसूचना की तारीख से 60 दिन के पश्चात् ग्रहण नहीं किया जाएगा :
परन्तु अपीली या पुनर्विलोकन प्राधिकारी द्वारा उक्त कालावधि के पश्चात् भी ऐसी कोई अपील, पुनरीक्षण अथवा पुनर्विलोकन ग्रहण किया जा सकेगा, यदि आवेदक उसका यह समाधान कर दे कि समयावधि के भीतर प्रस्तुत न करने का उसके पास पर्याप्त कारण था |
60. अपील, पुनरीक्षण अथवा पुनर्विलोकन के लिए आवेदन.— (1) आवेदन प्ररूप-इक्कीस में तीन प्रतियों मे किया जाएगा | अपील, पुनरीक्षण अथवा पुनर्विलोकन आवेदन के साथ शासकीय कोषालय में एक सौ रुपय के कोषालय चालान की एक रसीद यह दर्शाते हुए कि शासकीय कोषालय में लेखा शीर्ष—
0853 – खान और खनिज
102-ग – खनि रियायत फीस, भाटक तथा स्वामिस्व
800 – अन्य प्राप्तियां
002 – शास्तियों तथा समपहरणों को सम्मिलत करते हुए गौण खनिजों से प्राप्तियां में भुगतान कर दिया गया है, संलग्न की जानी चाहिए |
(2) अपील, पुनरीक्षण अथवा पुनर्विलोकन के आवेदन पर रु. 5.00 (पांच रुपये) मूल्य का न्यायलय फीस स्टाम्प चिपकाया जायेगा |
(3) उपनियम (1) के अधीन ऐसे प्रत्येक आवेदन में, किसी व्यक्ति को उत्खनन-पट्टा प्रदान करने से इन्कार करने के आदेश के विरुद्ध, ऐसे किसी भी व्यक्ति को, जिसको उसी क्षेत्र या उसके किसी भाग के संबंध में उत्खनन पट्टा प्रदान किया गया है उसको पक्षकार बनाया जायेगा |
(4)उपनियम (1) के अधीन आवेदन के साथ आवेदक आवेदन की उतनी प्रतियां, जितने कि उपनियम (3) के अधीन पक्षकार बनाये गये हैं, प्रस्तुत की जायेंगी |
61. अपील, पुनरीक्षण अथवा पुनर्विलोकन आवेदन की प्रतिलिपियां संबंधित पक्षकारों का भेजा जाना.- आवेदन तथा उसकी प्रतिलिपियां प्राप्त होने पर अपीली अथवा पुनर्विलोकन प्राधिकारी, आवेदन की प्रतिलिपि नियम 60 के उपनियम (3) के अधीन बनाये गये पक्षकारों में से प्रत्येक पक्षकार को वह तारीख विनिर्दिष्ट करते हुए भेजेगा, जिस तारीख को या उसके पूर्व वह पुनर्विलोकन/अपील के आवेदन के विरुद्ध अपना अभ्यावेदन कर सकेगा |
62. अपील, पुनरीक्षण अथवा पुनर्विलोकन आवेदन पर आदेश.- जहां इन नियमों के अधीन अपील, पुनरीक्षण अथवा पुनर्विलोकन आदेश किया गया है, वहां प्राधिकारी उस आदेश की पुष्टि कर सकेगा, उसे उपान्तिरित या अपास्त कर सकेगा या उसके संबंध में ऐसा आदेश पारित कर सकेगा जैसा कि वह न्यायोचित और समुचित समझे |
63. स्थगन प्रदान करना.- अपीली अथवा पुनर्विलोकन प्राधिकारी, किसी भी समय, यह निदेश दे सकेगा कि उस आदेश का निष्पादन जिसके कि विरुद्ध अपील या पुनर्विलोकन लंबित है ऐसे समय के लिए, जैसा कि वह उचित समझे, स्थगित किया जाए :
परन्तु यह कि खनन शोध्यों की वसूली के लिए कोई स्थगन तब तक प्रदान नहीं किया जाएगा, जब तक कि स्थगन चाहने वाले पक्षकार ने भाटको, स्वामिस्वों तथा उन पर देय ब्याज की विवाद रहित रकम का भुगतान कर दिया हो और ऐसे भाटकों, स्वामिस्व तथा ब्याज की विवादित रकम के लिए बैंक गारन्टी नहीं दी है |
64. सुनवाई का अवसर.- नियम 62 के अधीन कोई आदेश किसी हितग्राही व्यक्ति के विरुद्ध तक तक पारित नहीं किया जाएगा जब तक कि उसे अपना मामला प्रतिपादित करने का अवसर नहीं दे दिया गया हो |
अध्याय 14
विविध
65. प्रकट भूलों का परिशोधन करने की शक्ति.- सक्षम प्राधिकारी, इन नियमों के अधीन उसके द्वारा पारित आदेश की तारीख से छः महीने के भीतर किसी भी समय स्वप्रेरणा से अभिलेख को देखते ही प्रकट किसी भूल या गलती को ठीक कर सकेगा और उसी प्रकार की कालावधि के भीतर खदान को प्रदाय करने के लिए आवेदन करने वाले द्वारा उसके ध्यान में लाई गई ऐसी किसी भूल या गलती को परिशोधित कर सकेगा :
परन्तु यह कि ऐसा कोई भी परिशोधन जो उत्खनन पट्टे/उत्खनन अनुज्ञापत्र को प्रदान करने हेतु किसी दूसरे आवेदन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता हो या ऐसा प्रभाव डालना तात्पर्यित हो, तब तक नहीं किया जायगा, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी ने ऐसा करने के अपने आशय की सूचना ऐसे आवेदक को नहीं दे दी हो और उसे सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान नहीं कर दिया हो |
66. विशेष मामलों में नियमों का शिथलीकरण.- किसी मामले या मामलों के वर्ग में जिसमें राज्य सरकार की यह राय हो कि लोकहित की ऐसी अपेक्षा है तो वह इन नियमों में विहित नियमों से भिन्न निबंधनों तथा शर्तों पर उत्खनन पट्टा/उत्खनन अनुज्ञापत्र प्रदान कर सकेगी |
67. खदान का कब्जा वापस करना.- (1) जहां, उत्खनन पट्टा/उत्खनन अनुज्ञापत्र रद्द कर दिया जाता है या पर्यवसित कर दिया जाता है या अग्रक्रयाधिकार का प्रयोग किया जाता है या उस कालावधि का, जिसके लिये पट्टा प्रदान किया गया है, अवसान हो जाता है, तो पट्टेदार, पट्टे के रद्द किये जाने या पट्टे के पर्यावसित किये जाने या अग्रक्रयाधिकार के प्रयोग किये जाने से 15 (पन्द्रह) दिन की कालावधि के भीतर या पट्टे के अवसान होने के ठीक पश्चात् आने वाली तारीख को, जैसी भी दशा हो, उस जिले के कलक्टर/अपर कलक्टर को उसके द्वारा प्राधिक्रत किसी अधिकारी को जिला/जनपद/ग्राम पंचायत द्वारा प्राधिकृत किसी अधिकारी को खदान का कब्जा सौंप देगा |
(2) जहां पट्टेदार उपनियम (1) के अनुसार खदान का कब्जा सौपने में असफल रहता है, वहां कलक्टर/अपर कलक्टर या उसके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या जिला/जनपद/ग्राम पंचायत, पट्टेदार पर एक सूचना या तो डाक द्वारा या एक प्रति पट्टेदार को व्यक्तिगत रूप से या उसके कुटुम्ब के सदस्यों में से किसी सदस्य पर या उसके नौकरों में से किसी नौकर को निविदत्त करते हुए या परिदत्त करते हुए या कराते हुए या उसके निवास स्थान के सहज दृष्य स्थान के किसी भाग पर चस्पा करते हुए या उसे कम से कम ऐसे समाचार पत्र मे जिसका उस परिक्षेत्र में जहां पट्टेदार निवास करता है, परिचालन है, प्रकाशित करा कर तामील करेगा |
(3) उपनियम (2) के अधीन सूचना में यह विवरण अंतर्विष्ट रहेगा कि सूचना की तामील की तारीख से 15 (पन्द्रह) दिन की कालावधि के भीतर पट्टेदार नियम 67 के उपनियम (1) के अधीन प्राधिकृत अधिकारी को खदान का कब्जा सौंप देगा | जहां पट्टेदार उपनियम (2) के अधीन सूचना में विनिर्दिष्ट कालावधि के भीतर खदान का कब्जा नियम 67 के उपनियम (1) में प्राधिकृत अधिकारी को सौंपने में असफल रहता है, वहां वह पट्टेदार से खदान का कब्जा ले सकेगा तथा उस प्रयोजन के लिए ऐसा बल प्रयोग कर सकेगा जैसा कि वह आवश्यक समझे |
68. केन्द्र तथा राज्य सरकार एवं उनके उपक्रमों के लिए गौण खनिज हटाने हेतु अनुज्ञा. - - (1) (एक) सम्बन्धित पंचायत किसी विनिर्दिष्ट खदान या भूमि से कोई भी गौण खनिज, जिनकी केन्द्र सरकार या राज्य सरकार या राज्य सरकार के किसी विभाग या उपक्रम के कार्यों के लिए आवश्यकता हो, उत्खनन करने, हटाने तथा परिवहन करने के लिए अनुज्ञा दे सकेगी | ऐसी अनुज्ञा या तो संबंधित विभागीय प्राधिकारी को या उसके द्वारा प्राधिकृत ठेकेदार को ठेका दिये जाने बाबत् सबूत देने पर दी जाएगी |
(दो) कलेक्टर/अपर कलेक्टर, निगम, नगरपालिका, नगर पंचायत एवं विशेष क्षेत्रों से ही किसी विनिर्दिष्ट खदान या भूमि से कोई गौण खनिज जिनकी केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के किसी विभाग या उपक्रम के कार्यों के लिये आवश्यकता हो, उत्खनन करने, हटाने या परिवहन करने के लिये अनुज्ञा दे सकेगा | ऐसी अनुज्ञा या तो संबंधित विभागीय प्राधिकारी को या उसके द्वारा प्राधिकृत ठेकेदार को ठेका दिये जाने बाबत् सबूत देने पर दी जाएगी |
(2) एक बार में ऐसी अनुज्ञा 30 दिन की अवधि से और 500 घन मीटर मात्रा से अधिक नहीं होगी |
(3) ऐसी अनुज्ञा केवल तब ही दी जाएगी जबकि अनुसूची “तीन” में विनिर्दिष्ट दरों पर संगणित स्वामिस्व का अग्रिम में भुगतान कर दिया गया हो, तब प्ररूप-नौ में अभिवहन पास जारी किया जाएगा |
(4) ऐसी अनुज्ञा निम्नलिखित शर्तो द्वारा शासित होगी :-
(क) अनुज्ञापत्र धारक उस क्षेत्र से हटाये गये या परिवहन किये गये खनिज का पूर्ण तथा सही लेखा रखेगा |
(ख) अनुज्ञापत्र धारक, जिला/जनपद/ग्राम पंचायत द्वारा प्राधिकृत किसी भी अधिकारी को एवं कलक्टर/ अपर कलक्टर/ उप संचालक/खनि अधिकारी/सहायक खनि अधिकारी/खनि निरीक्षक को उत्खनन संक्रियाओं का निरीक्षण करने तथा लेखाओं का सत्यापन करने के लिए अनुज्ञात करेगा |
(ग) जैसे ही अनुज्ञात मात्रा का परिवहन तीस दिन की कालावधि के भीतर या उससे पहले किया जाता है, वैसे ही अभिवहन पासों की द्वितीय प्रति या उपयोग में न लाये हुए ऐसे समस्त अभिवहन पासों सहित,परिवहन की गई मात्रा का पूर्ण विवरण, जो कि संबंधित विभाग के प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्रमाणित हो, मंजूरी प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जाएगा |
69. शक्तियों तथा कृत्यों का प्रत्यायोजन.- राज्य सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा यह निदेश दे सकेगी की ऐसी कोई शक्ति या ऐसा कोई कृत्य जो इन नियमों के अधीन उसके द्वारा प्रयोग की जा सकती है या पालन किये जा सकते है, ऐसे विषयों के संबंध में, ऐसी शर्तो के, यदि कोई हों, अध्यधीन रहते हुए, जैसी कि वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे, राज्य सरकार के अधीनस्थ ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा भी प्रयोग की जा सकेंगी या उनका पालन किया जा सकेगा जो कि अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किये जायें |
70. निरसन.- इन नियमों के तत्स्थानी वे समस्त नियम या कार्यकारी अनुदेश जो इन नियमों के प्रवत्त होने के ठीक पूर्व प्रवृत्त हों, एतद्द्वारा निरस्त किये जाते हैं :
परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों या अनुदेशों के अधीन की गई कोई बात या की गई कोई कार्यवाही, जहां तक कि वे इन नियमों के उपबंधों से असंगत न हो, इन नियमों के तत्स्थानी उपबंधों के अधीन की गई या की गई कार्यवाही समझी जावेगी |
अनुसूची 1
(देखिये नियम 6)
विनिर्दिष्ट खनिज
1.
|
आकारीय पत्थर-ग्रेनाइट, डोलेराइट और अन्य आग्नेय तथा परिवर्तित चट्टानें जिनका उपयोग काट कर और तराश कर विशिष्ट आकार के ब्लाक्स, स्लेब्स, टाइल्स बनाने के लिए किया जाता है
|
.........................
|
2.
|
संगमरमर जिसका उपयोग काटकर और तराशकर विशिष्ट आकार के ब्लाक्स स्लेब्स, टाइल्स बनाने के लिए किया जाता है
|
.........................
|
3.
|
अन्य प्रयोजन के लिए संगमरमर पत्थर
|
.........................
|
4.
|
भवन निर्माण सामग्री के रूप में उपयोग में लाये जाने वाले चूने के विनिर्माण के लिए भट्टी में जलाकर उपयोग में लिया जाने वाला चूनापत्थर
|
.........................
|
5.
|
फ्लेगस्टीन-प्राकृतिक परतदार पत्थर जिसका उपयोग फर्श, छत आदि के लिए तथा काटने और तराशने के उद्योग में उपयोग किया जाता है
|
..........................
|
6.
|
यांत्रिक क्रिया द्वारा गिट्टी बनाने के लिए पत्थर (अर्थात् क्रशर के उपयोग हेतु)
|
..........................
|
7.
|
बन्टोनाइट/ फुलर्स अर्थ
|
..........................
|
अनुसूची 2
{(देखिये नियम 6 तथा 7}
अन्य खनिज
1.
|
साधारण रेत, बजरी
|
.........................
|
2.
|
ईट, बर्तन, कवेलू आदि बनाने के लिए साधारण मिट्टी
|
......................
|
3.
|
पत्थर, बोल्डर, रोड मेटल, गिट्टी, ढोका, खण्डा, परिष्कृत पत्थर, रबल, चिप्स
|
.....................
|
4.
|
मुरुम
|
......................
|
5.
|
लाइम कंकर भवन निर्माण सामग्री के रूप में उपयोग में लाये जाने वाले चूने के विनिर्माण के लिए भट्टी में जलाकर उपयोग के लिए
|
....................
|
6.
|
ग्रेवल
|
....................
|
7.
|
लाइम शेल भवन निर्माण सामग्री के रूप में उपयोग में लाये जाने वाले चूने के विनिर्माण के लिए भट्टी में जलाकर उपयोग के लिए
|
.....................
|
8.
|
रेह मिट्टी
|
.....................
|
9.
|
स्लेट, जब भवन निर्माण सामग्री के लिए उपयोग की जावे
|
.....................
|
10.
|
शेल, जब भवन निर्माण सामग्री के लिए उपयोग की जावे
|
.....................
|
11.
|
क्वार्टजाइट तथा क्वार्टजटिक सेन्ड जब भवन अथवा रोड मेटल या घरेलु बर्तन बनाने के लिए उपयोग किया जावे
|
.....................
|
12.
|
साल्ट पीटर
|
.....................
|
अनुसूची – 3
(देखिये नियम 29)
रायल्टी की दरें
अनुक्रमांक
1 .
|
खनिज
(2)
|
दरें
(3)
|
1.
|
आकारीय पत्थर-ग्रेनाइट, डोलेराइट और अन्य आग्नेय तथा परिवर्तित चट्टानें जिनका उपयोग काटकर और तराशकर विशिष्ट आकार के ब्लाक्स, स्लेब्स, टाइल्स बनाने के लिए किया जाता है
(क) काला रंग
(ख) अन्य रंग
|
रु. 750 प्रति घनमीटर
रु. 400 प्रति घनमीट
|
2.
|
संगमरमर जिसका उपयोग काटकर और तराशकर विशिष्ट आकार के ब्लाक्स, स्लेब्स, टाइल्स बनाने के लिए किया जाता है
|
रु. 150 प्रति घनमीटर
|
3.
|
अन्य प्रयोजन के लिए संगमरमर पत्थर
|
रु. 50 प्रति घनमीटर
|
4.
|
फ्लेगस्टोन-प्राकृतिक परतदार पत्थर जिसका उपयोग फर्श, छत आदि के लिए किया जाता है
|
रु. 40 प्रति घनमीटर
|
5.
|
साधारण रेत, बजरी
|
रु. 15 प्रति घनमीटर
|
6.
|
मुरुम
|
रु. 10 प्रति घनमीटर
|
7.
|
पत्थर-
|
|
|
(क) बोल्डर
|
रू. 15 प्रति घनमीटर
|
|
(ख) गिट्टी, रोड मेटल
|
रू. 16 प्रति घनमीटर
|
|
(ग) परिष्कृत पत्थर, खण्डा ढोका
|
रू. 25 प्रति घनमीटर
|
8.
|
अन्य गौण खनिज
|
रू. 10 प्रति घनमीटर
|
अनुसूची 4
(देखिये नियम 29)
अनिवार्य भाटक की दरें
रुपये प्रति हेक्टर प्रतिवर्ष
अनुक्रमांक
|
खनिज की श्रेणी
|
उत्खन्न पट्टे का प्रथम वर्ष
|
उत्खन्न पट्टे के द्वितीय वर्ष से तृतीय वर्ष
|
उत्खन्न पट्टे के चतुर्थ वर्ष और आगे
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
1.
|
आकारीय पत्थर- ग्रेनाइट, डोलेराइट और अन्य आग्नेय तथा परिवर्तित चट्टानें जिनका उपयोग काटकर और तराशकर विशिष्ट आकार के ब्लाक्स, स्लेब्स, टाइल्स बनाने के लिए किया जाता है
|
निल
|
10,000
|
15,000
|
2.
|
संगमरमर जिसका उपयोग काटकर और तराशकर विशिष्ट आकार के ब्लाक्स, स्लेब्स, टाइल्स बनाने के लिए किया जाता है तथा अन्य प्रयोजन के लिए संगमरमर पत्थर
|
निल
|
3,000
|
5,000
|
3.
|
चूना पत्थर भट्टी में जला कर चूना का विनिर्माण कर भवन निर्माण सामग्री के रूप में उपयोग के लिए
|
निल
|
3,000
|
5,000
|
4.
|
फ्लेगस्टोन-प्राकृतिक परतदार पत्थर जिसका उपयोग फर्श, छत आदि के लिए किया जाता है
|
निल
|
5000
|
7500
|
5.
|
क्रशर के लिए पत्थर
|
निल
|
5000
|
7500
|
6.
|
साधारण रेत, बजरी
|
निल
|
5000
|
7500
|
7.
|
मुरुम
|
निल
|
2000
|
3000
|
8.
|
भवन प्रयोजन के लिए पत्थर तथा अन्य गौण खनिज
|
निल
|
2000
|
3000
|
प्ररूप-एक
(देखिये नियम 9)
उत्खनन पट्टा प्रदान करने / नवीकरण के लिए आवेदन
दिनांक............................19 को स्थान................... में प्राप्त किया गया |
(जहाँ न्यायलय फीस स्टाम्प चिपकाएं)
की ओर से-
...............................
प्रति,
श्रीमान्.........................
द्वारा
श्रीमान्......................
.......................... दिनांक ..................19..............
1. मैं/हम अनुसूची में विनिर्दिष्ट क्षेत्र में ........................ हेक्टर भूमि में...................... वर्ष की अवधि के लिए उत्खनन पट्टा दिये जाने/उत्खनन पट्टे के नवीकरण हेतु आवेदन करते हैं|
2. नियमों के अधीन देय रु. 5,000 (रुपये पांच हजार) या रु. 250 (दो सौ पचास रुपये) की राशि आवेदन शुल्क के रूप में चालान क़. ................दिनांक ...................... स्थान....................... में जमा कर दी गई है |
3. आवश्यक विशिष्टियां नीचे दी गई है :-
(एक)
|
आवेदक का नाम
|
…………….
|
(दो)
|
आवेदक की राष्ट्रीयता (भागीदारी, संचालक, सदस्य)
|
…………..
|
(तीन)
|
रजिस्ट्रीकरण अथवा निगमन का स्थान
|
|
|
(फर्म, कंपनी अथवा सोसाइटी/सहयोजन)
|
...............
|
(चार)
|
व्यक्ति की उपजीविका (वृत्ति) फर्म या कंपनी या सोसाइटी या सहयोजन के व्यवसाय की प्रकृति तथा व्यवसाय का स्थान
|
...............
|
(पांच)
|
व्यक्ति / फर्म, कंपनी अथवा सोसाइटी या सहयोजन का पता
|
...............
|
(छ)
|
जाति (व्यक्ति अथवा सोसाइटी या सहयोजन के सदस्यों की)
|
...............
|
(सात)
|
शैक्षणिक अर्हता (व्यक्ति अथवा सोसाइटी या सहयोजन के सदस्यों की)
|
...............
|
(आठ)
|
आयु (व्यक्ति अथवा सोसाइटी या सहयोजन के सदस्यों की)
|
...............
|
(नौ)
|
निवास (व्यक्ति अथवा सोसाइटी या सहयोजन के सदस्यों की)
|
...............
|
(दस)
|
संचालकों / भागीदारों / सदस्यों की सूची
|
...............
|
(ग्यारह)
|
रजिस्ट्रीकरण / निगमन प्रमाण पत्र
|
...............
|
(बारह)
|
आर्थिक प्रास्थिति
|
...............
|
(तेरह)
|
आर्टिकल ऑफ़ मेमोरेण्डम/भागीदारी विलेख/उपविधि
|
...............
|
(चौदह)
|
क्या आवेदन नये पट्टे हेतु है अथवा पूर्व में स्वीकृत पट्टे के नवीकरण हेतु है पूर्व स्वीकृत पट्टे के ब्यौरे दें
|
...............
|
(पन्द्रह)
|
खनिज/खनिजों जो आवेदक उत्खनन करने का आशय रखता है
|
...............
|
(सोलह)
|
वह कालावधि जिसके लिए उत्खनन पट्टा/उत्खनन पट्टे का नवीकरण अपेक्षित है
|
...............
|
(सत्रह)
|
प्रथम तीन वर्ष के दौरान उठाये जाने वाले खनिज की अनुमानित मात्रा
|
...............
|
(अठारह)
|
वह रीति जिसमें उठाये गये खनिज का उपयोग किया जाना है-
|
|
|
(क) विनिर्माण हेतु
|
...............
|
|
(ख) विक्री हेतु
|
...............
|
|
(ग) अन्य कोई उद्देश्य
|
...............
|
विनिर्माण के मामले में, उद्योगों में, उद्योगों जिसके लिए इसकी आवश्यकता है, विनिर्दिष्ट किया जाना चाहिए | प्लांट/प्लांटों का स्वामिस्व, लगाया जाना प्रस्तावित है, के ब्यौरे दें |
4. (क) प्लान की (छः प्रतियों) अवस्थिति तथा क्षेत्र/क्षेत्रों की सीमाएं दर्शाते हुए जिसके लिए आवेदन किया गया है तथा रियायतें, यदि हों, समीपस्थ संलग्न है/हैं (यदि यह प्लान/ये प्लान अपर्याप्त समझे जाएं, मै/हम प्रार्थना करते हैं कि आवश्यकता क्षेत्र/क्षेत्रों का प्लान दो प्रतियों में आपके कार्यालय में मे मेरे/हमारे खर्चे पर तैयार किये जा सकते हैं) |
(ख) खसरा पांचसाला |
5. राज्य के प्रत्येक जिले में खानिजवार समस्त क्षेत्र दर्शाते हुए विवरण सहित शपथ पत्र :-
(एक) मेरे/हमारे द्वारा पहले ही धारित मेरे/हमारे नाम/नामों पर (तथा अन्यों के साथ संयुक्त रूप से) उत्खनन पट्टों के अधीन धारित गौण खनिजों के नामों को विनिर्दिष्ट करते हुए |
(दो) पहले ही आवेदन किया गया परन्तु अभी तक स्वीकृत नहीं किया गया, और
6. सतह अधिकार प्राप्त करने का शपथ पत्र |
7. प्ररूप-दो में अदेय (नो-ड्यूज) प्रमाण-पत्र |
8. प्लान में महत्वपूर्ण विशेषताएं दर्शाई जाना चाहिएं, जैसे-
(एक) यदि रेलवे है, तो उसके पूर्ण ब्यौरे अर्थात् क्या पूर्वी रेलवे, ब्रांच लाइन या मुख्य लाइन या कोयला खान, ट्रामवे |
(दो) यदि सड़क है तो क्या ग्राम या लोक निर्माण विभाग या गाड़ी रास्ता |
(तीन) कुंए |
(चार) मंदिर या मस्जिद |
(पांच) मरघट या कब्रिस्तान आदि |
9. उस दशा में, जब आवेदित नवीकरण केवल धारित पट्टे के भाग के लिए है-
(क) नवीकरण के लिए आवेदित क्षेत्र |
(ख) नीवकरण के लिए आवेदित क्षेत्र का विवरण |
(ग) नवीकरण के लिए आवेदित क्षेत्र की विशिष्टियों को चिहिन्त करते हुए, धारित पट्टे की विशिष्टियां (संलग्न हैं) |
10. वे साधन, जिनके द्वारा खनिज उठाया जाना है, अर्थात् मानव श्रमिकों द्वारा द्वारा मशीनी यंत्र या विद्युत शक्ति द्वारा |
11. कोई अन्य विशिष्टियां, जिन्हें आवेदक प्रस्तुत करना चाहता है |
अनुसूची
आवेदित क्षेत्र का विवरण
(एक) ग्राम तथा पंचायत का नाम
(दो) प्रत्येक क्षेत्र अथवा उसके भाग का खसरा क्रमांक तथा क्षेत्रफल
खसरा क्रमांक
|
क्षेत्रफल हेक्टेयर में
|
|
|
(तीन) जिस क्षेत्र के लिए आवेदन किया गया है उसका पूरा विवरण प्राकृतिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए-
(चार) तहसील एवं पटवारी हलका नंबर
(पांच) जिला
स्थान .......................
भवदीय,
दिनांक .....................
(नाम तथा पद )
टिप्पणी.- यदि आवेदन पत्र आवेदक के प्राधिकृत अभिकर्ता (एजेन्ट) द्वारा हस्ताक्षरित किया गया है तो अधिकार पत्र (पावर ऑफ एटार्नी) संलग्न करना चाहिए | यदि सभी खसरा क्रमांक इस प्ररूप में दर्ज नहीं किये जा सकें तो उसे पृथक् शीट पर दर्ज करते जाना चाहिए तथा संलग्न कर हस्ताक्षरित करें जहां किसी खसरा क्रमांक का केवल कोई हिस्सा अपेक्षित हो तो उस भाग का अनुमानित क्षेत्रफल पर्याप्त होगा |
प्ररूप-दो
[देखिए नियम 9(ठ)]
अदेय (नो-ड्यूज) प्रमाण-पत्र
जारी करने वाला कार्यालय ......................
क्रमांक .................जिला ..................दिनांक ..................
यह प्रामाणित किया जाता है कि जिला ................................के नीचे बताये गये उत्खनन पट्टे/खनन पट्टे श्री/सर्वश्री......................................................के द्वारा धारित हैं :-
ग्राम;
|
तहसील
|
खनिज
|
क्षेत्रफल हेक्टेयर में
|
कुल देय धन का निर्धारण (रुपयों में)
|
कालावधि
|
|
|
|
सरफेस रेंट
|
अनिवार्य भाटक
|
(स्वामिस्व) (रयाल्टी)
|
अन्य
|
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
(6)
|
(7)
|
(8)
|
(9)
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
सरफेस रेंट
|
अनिवार्य भाटक
|
स्वामिस्व (रायल्टी)
|
अन्य
|
योग
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
|
|
|
|
|
बकाया देय धन :-
1.
2.
3.
1. यदि किसी वर्ष में निर्धारण नहीं हुआ है तो उसके कारणों को स्पष्ट रूप से दर्शाना चाहिए|
2. यह दर्शाना चाहिए कि क्या इस पट्टे के संबंध में कोई कुर्की अथवा आर. आर. सी. लंबित है |
3. यह जारी करने की तारीख से छः माह के लिए विधिमान्य है |
प्राधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर
तथा पद नाम, पद मुदा सहित |
प्ररूप-तीन
[देखिये नियम 14(2)]
उत्खनन पट्टा प्रदान करने या नवीकरण के आवेदनकी पावती-रसीद
अनुक्रमांक........................ दिनांक ................
श्री/सर्वश्री .............................द्वारा ग्राम .............पंचायत ...........................तहसील ........................जिले ........................में स्थित लगभग …….................हेक्टेयर में .........................खनिजों के बारे में उत्खनन पट्टा प्रदान करने/नवीकरण हेतु दिया गया आवेदन निम्नलिखित सहपत्रों सहित आज दिनांक ..............19............को प्राप्त किया |
संलग्न :-
......................
स्थान..................
प्राप्तकर्ता अधिकारी के हस्ताक्षर
दिनांक................
पद मुद्रा सहित
प्ररूप-चार
[देखए नियम 15(1)]
उत्खनन पट्टों के लिए आवेदन का रजिस्टर
1.
|
अनुक्रमांक
|
……………………
|
2.
|
आवेदक का नाम
|
…………………...
|
3.
|
आवेदक का निवास स्थान
|
…………………..
|
4.
|
प्राप्तकर्ता अधिकारी द्वारा आवेदन प्राप्ति का दिनांक
|
…………………..
|
5.
|
खनिजों कि विशिष्टयों , जो आवेदक लेना चाहता है
|
…………………..
|
6.
|
ग्राम का नाम
|
……………………
|
7.
|
पंचायत का नाम
|
……………………..
|
8.
|
तहसील
|
……………………..
|
9.
|
खसरा क्रमांक
|
……………………..
|
10.
|
क्षेत्रफल हेक्टेयर में (खसरा अनुसार)
|
……………………
|
11.
|
कालावधि जिसके लिए आवेदन किया गया
|
……………………
|
12.
|
टिप्पणीयां (प्राथमिकता जो मांगी गई है)
|
……………………
|
13.
|
आवेदकों का अंतिम निराकरण , आदेश क्रमांक एवं दिनांक सहित
|
……………………..
|
14.
|
अधिकारी के हस्ताक्षर
|
……………………..
|
प्ररूप-पांच
{देखिये नियम २०}
उत्खनन पट्टों का रजिस्टर
1.
|
अनुक्रमांक
|
……………………..
|
2.
|
पट्टेदार का नाम पूर्ण पते सहित
|
……………………..
|
3.
|
आवेदन का दिनांक एवं आवेदन रजिस्टर का अनुक्रमांक
|
……………………..
|
4.
|
खनिज, जिसके लिए पट्टा दिया गया है
|
……………………..
|
5.
|
(क) पट्टा दिये जाने के आदेश का क्रमांक एवं दिनांक प्राधिकार सहित
|
……………………..
|
|
(ख) उत्खनन पट्टे के निष्पादन का दिनांक
|
……………………..
|
6.
|
कालावधि, जिसके लिए प्रदान/नवीकरण किया गया
|
……………………..
|
7.
|
ग्राम पंचायत एवं तहसील, जहां स्थित है
|
……………………..
|
8.
|
खसरा क्रमांक तथा क्षेत्रफल
|
……………………..
|
9.
|
क्षेत्रफल हेक्टर में जिसके लिए पट्टा प्रदान किया है
|
……………………..
|
10.
|
कार्य करने के लिए खसरा क्रमांक प्रत्येक क्रमांक का क्षेत्रफल सहित तथा दिनांक जिसमें ऐसे कार्य लिए गए
|
……………………..
|
11.
|
कालम (9) में बताए क्षेत्र के लिए दी गई क्षतिपूर्ति की राशि, भुगतान के दिनांक सहित तथा क्या शासन के माध्यम से अथवा निजी वार्ता द्वारा, भूमि अर्जन अथवा पट्टा अंतरण का क्रमांक आदेश सहित
|
……………………..
|
12.
|
निर्धारित सतही भाटक की राशि तथा निर्धारण का दिनांक
|
……………………..
|
13.
|
पट्टे की समाप्ति या त्याग देने अथवा उसके रद्दकरण का दिनांक
|
……………………..
|
14.
|
टिप्पणियां, विवरण सहित नवीकरण, वास्तविक समाप्ति या त्यागने के दिनांक सहित
|
……………………..
|
15.
|
दिनांक जब से क्षेत्र प्रदाय हेतु उपलब्ध है (अधिसूचना क्रमांक एवं उपलब्धता का दिनांक)
|
……………………..
|
16.
|
पट्टे के समनुदेशन अथवा अंतरण दिनांक, यदि कोई है तथा समनुदेशिती या अंतरिति का नाम तथा पता
|
……………………..
|
17.
|
उत्खनन पट्टे के पट्टाधारी का नाम, राष्ट्रीयता अथवा अन्य विवरण में परिवर्तन होने पर परिवर्तन का दिनांक तथा परिवर्तन के विवरण सहित
|
……………………..
|
18.
|
अधिकारी के हस्ताक्षर
|
……………………..
|
19.
|
टिप्पणियां
|
……………………..
|
प्ररूप-छः
{नियम 25(2) देखिये}
प्रतिभू-बंधपत्र
भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1989 की धारा 1-क
की मद में यथा विनिर्दिष्ट स्टाम्प शुल्क
इस विलेख के द्वारा सबको यह ज्ञात हो कि_
मैं ...................आत्मज........................(इसमें इसके पश्चात् “प्रतिभू” कहा गया है ) तहसील............... जिला.........................का निवासी हूं, मध्य प्रदेश के राज्यपाल को (जिन्हें इसमें इसके पश्चात् “राज्यपाल” कहा गया है), उनके उत्तराधिकारी या समनुदेशिती या उनके अटर्नी या उनके द्वारा इस नीमित्त प्राधिकृत अधिकारी को.......................रूपये केवल की रकम का भुगतान करने के लिए वचनबद्ध हूं और दृढतापूर्वक आबद्ध हूं जिसका भुगतान पुर्णतः और सही रूप से किया किया जाएगा, मैं, एतदद्वारा, स्वयं को अपने वारिसों, निष्पादकों, प्रशासकों और प्रतिनिधियों को इस विलेख द्वारा दृढतापूर्वक आबद्ध करता हूं |
इसके साक्ष्य स्वरूप आज तारीख........................ मास........................... सन्........................एक हजार नौ सौ.........................को इस पर मैंने अपने हस्ताक्षर किये |
यतः श्री......................आत्मज .......................जिले की तहसील........................ में........................... का निवासी है, (जिसे इसमें इसके पश्चात् पट्टेदार कहा गया है) को ग्राम.............................. तहसील................... जिला....................... में............................ हेक्टर क्षेत्र पर...........................(खनिज) के लिए.......................
.............कालावधि के लिए उत्खनन पट्टा उसके स्वयं के अनुरोध पर आदेश क्रमांक.....................दिनांक.................. के द्वारा स्वीकृत किया गया है |
और यतः पट्टेदार राज्य सरकार के साथ विहित करार को निष्पादित किये जाने वाले करार के आधार पर, उक्त पट्टेदार से पट्टे से उद्भूत होने वाले अनिवार्य भटक, स्वामिस्व (रायल्टी), भूतल भटक और अन्य शोध्यों को नियमित तथा समय पर भूगतान किया जाना अपेक्षित है |
और यतः राज्य सरकार ने श्री...........................आत्मज......................... को रूपये...................... की सीमा तक (रूपये...................केवल) प्रतिभूति देने के लिए कहा है, मैं, उपरोक्त रकम के लिए उसका प्रतिभू होता हूं तथा यह बंधपत्र निष्पादित करता हूं और मैं यह घोषणा करता हूं कि मैं निम्नलिखित स्थावर संपत्ति का स्वामी हूं तथा जिसका कि मैं आत्यांतिक स्वामी हूं और यह कि वह संपत्ति बंधक अथवा दान की हुई नहीं है और समस्त विलंगम से मुक्त है ;
और बंधपत्र की शर्ते ऐसी हैं कि यदि पट्टेदार की मृत्यु हो जाती है या वह दिवालिया हो जाता है या किसी भी समय उक्त पट्टे से उदभूत होने वाले अनिवार्य भटक, स्वामिस्व भूतल या अन्य शोध्यों का भुगतान नहीं करता है, तो इस पट्टे के अधीन इस लेखे ऐसे कोई शोध्यो राज्यपाल को तुरंत शोध्यो और संदेय हो जायेगा और उसकी वसूली इस बंधपत्र के आधार पर मेरी ऊपर उल्लिखित संपत्ति से भू-राजस्व की बकाया की भांति एक किश्त में की जावेगी |
आगे मैं और यह घोषणा करता हुं कि मैं उपरोक्त संपत्ति को इस बंधपत्र के प्रवृत्त रहने तक, विक्रय, बंधक, दान नहीं करूंगा अथवा अन्य रीति से इसका अन्तरण नहीं करूंगा और किसी भी रूप में ऐसा कोई नहीं करूंगा जिससे व्ययन हो |
इसके साक्ष्य स्वरूप उक्त.......................... ने आज तारीख....................... मास............................... सन् एक हजार नौ सौ............................को हस्ताक्षर किये |
साक्षियों के हस्ताक्ष्रर,
उनका पूरा नाम, पता तथा उपजीविका सहित प्रतिभू के हस्ताक्षर,
1. .................................. सत्यापित किया जाता है कि यह बंध पत्र आज मेरे समक्ष हस्ताक्षरित किया गया और ठीक पाया गया |
कार्य पालक दण्डाधिकारी
2 .......................................
तारीख...................................
प्ररूप-सात
उत्खनन पट्टा
{नियम 26 देखीए}
यह करार एक पक्षकार के रूप मे......................के माध्यम से कार्य करते हुए मध्यप्रदेश के राज्यपाल (जिन्हें इसमें इसके पश्चात् “पट्टाकर्ता” कहा गया है और इसके अंतर्गत जहां संदर्भ के अनुकूल है, वहां उनके पदोत्तरवर्ती भी हैं) और दूसरे पक्षकार श्री.................आत्मज..........................(व्यक्ति का नाम, पता तथा व्यवसाय सहित) जिसे इसमें इसके पश्चात् “पट्टेदार” कहा गया है और इसके अंतर्गत जहां सन्दर्भ के अनुकूल है, वहां उसके, वारिस, निष्पादक, प्रशासन, प्रतिनिधि तथा अनुज्ञाप्राप्त समनुदेशिती भी हैं)
अथवा
..................................(सोसायटी या सहयोजन का नाम, पता तथा व्यवसाय सहित) तथा..................(व्यक्ति का नाम पद सहित) (जिसे इसमें इसके पश्चात् “पट्टेदार कहा गया है और इसके अंतर्गत जहां संदर्भ के अनुकूल हैं, वहां उनके क्रमशः वारिस, निष्पादक, प्रशासक, प्रतिनिधि उनके अनुज्ञा प्राप्त समनुदेशिती भी है ) |
अथवा
..................................................(भागीदारों के नाम तथा पते) आत्मज.........................................निवासी..............................समस्त व्यक्ति, भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (1932 का 9 ) के अधीन रजिस्ट्रीकृत फर्म के नाम तथा अभिनाम.....................................(फर्म का नाम) के अधीन भागीदारी में कारबार कर रहे हैं और जिनका रजिस्टर्ड कार्यालय................................में....................................पर है (जिसे इसमें इसके पश्चात् “पट्टेदार” कहा गया है और इसके अंतर्गत जहां संदर्भ के अनुकूल है, वहां उक्त समस्त भागीदार, उनके क्रमशः वारिस, निष्पादक, विविध प्रतिनिधि तथा अनुज्ञा प्राप्त समनुदेशिती भी हैं) |
अथवा
कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के अधीन रजिस्ट्रीकृत कंपनी..................................(कपनी का नाम जिसका रजिस्ट्रीकृत कार्यालय......................................पर है (पता) जिसे इसमें इसके पश्चात् “पट्टेदार” कहा गया है और इसके अंतर्गत जहां संदर्भ के अनुकूल है, वहां उसके उत्तराधिकारी तथा अनुज्ञा प्राप्त समनूदेशी भी हैं) |
के बिच आज तारीख................................को किया गया है |
पट्टेदार/पट्टेदारों ने, मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 (जिन्हें इसमें इसके पश्चात् उक्त नियम कहा गया है) इसके निचे लिखी गई अनुसूची के भाग-एक में वार्णित भूमियों के संबंध में................................के हेतु उत्खनन पट्टे के लिए सक्षम प्राधिकारी को आवेदन किया है और राज्य सरकार के पास प्रतिभूति के रूप में रूपये.............................की राशि जमा की है |
इस बात का साक्षी है कि इस विलेख में तथा इसमें इसके निचे लिखी अनुसूची में या उसके द्वारा आरक्षित और अंतर्विष्ट भटकों तथा स्वमिस्वों का पट्टेदार/पट्टेदारों द्वारा भुगतान किये जाने के और उसके/उनके द्वारा अनुपालन, पालन की जाने वाली प्रसंविदाओं तथा करारों के प्रति फलस्वरूप, सक्षम प्राधिकारी, एतदद्वारा, पट्टेदार/ को पट्टा प्रदान और अंतरित करता है |
...............की ऐसी समस्त खदानों (यहां खनिज या खनिजों का विवरण दें) (जिसे इसमें इसके पश्चात् और अनुसूची में उक्त खनिजों के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है), जो उन भूमियों में, जिन्हें उक्त अनुसूची के भाग-एक में निर्दिष्ट किया गया है, स्थित, अवस्थित हैं और उनमें तथा निचे हैं, इसके संबंध में प्रयोज्य स्वतंत्रताओं, शक्तियों तथा विशेशाधिकारों को सम्मिलित करते हुए, जो उक्त अनुसूची के भाग-दो वार्णित है, एसी स्वतंत्रताओं, शक्तियों तथा विशेषाधिकारों का प्रयोग करने तथा उपभोग करने के संबंध में उन निबंधनों तथा शर्तो के अध्यधीन रहते हुए, को उक्त अनुसूची के भाग-तीन में वार्णित हैं, इस अपवाद के साथ और इस पट्टे में से, राज्य सरकार के प्रति वे स्वतंत्रताएं, शक्तियां तथा विशेषाधिकार आरक्षित करते हुए, जो उक्त अनुसूची के भाग-चार में वार्णित हैं, परिसर दिनांक..................से आगामी.................वर्ष की कालावधि के लिए धारण करने हेतु पट्टेदार/पट्टदारों को, एतदद्वारा, प्रदान किये जाते हैं, पट्टे पर दिये जाते हैं, अतः उन विभिन्न भाटकों तथा स्वमिस्वों को, जो उक्त अनुसुची के भाग-पांच में वार्णित हैं, क्रमशः ऐसे समयों पर, जो उसमें विनिर्दिष्ट हैं, उक्त अनुसूची के भाग-छः में अन्तर्विष्ट उपबंधो के अध्यधीन रहते हुए राज्य सरकार को देगा या उनका भुगतान करेगा और पट्टेदार एतदद्वारा राज्यसरकार के साथ ऐसी प्रंसविदा करता है/करते हैं, जिसे उक्त अनुसूची के भाग-सात में अभिव्यक्त किया गया है, और राज्य सरकार एतद्द्वारा, पट्टेदार/पट्टेदारों के साथ ऐसी प्रसंविदा करती है, जिसे उक्त अनुसूची के भाग-आठ में अभिव्यक्त किया गया है, और इसके पक्षकारों के बीच पारस्परिक रूप से ऐसी सहमति की जाती है, जो अनुसूची के भाग-नौ में अभिव्यक्त की गई है |
जिसकी साक्ष्य में यह विलेख उस दिनांक और वर्ष को जो ऊपर लिखे हैं, उस रीति में, जो इसके अधीन प्रकट होती है, निष्पादित किया जाता है |
ऊपर निर्दिष्ट अनुसूची
भाग एक
इस पट्टे का क्षेत्र
पट्टे का स्थान और क्षेत्र :-
……......ग्राम में स्थिर भूमियों वह समस्त भू-भाग (क्षेत्र या क्षेत्रों का वर्णन) जो..........................तहसील में..........................ग्राम पंचायत में हैं और जो खसरा क्रमांक.........................जिसमें.......................... या उसके लगभग...........................का क्षेत्र है, जो इससे संलग्न नक्शे में अंकित है तथा जो................................रंग से दर्शाया गया है, और जिसकी सीमाएं निम्नानुसार हैं :-
उत्तर में.............................द्वारा
दक्षिण में...........................द्वारा
पूर्व में................................द्वारा और
पश्चिम में............................द्वारा
जिन्हें इसमें इसके पश्चात् “उक्त भूमि” के रूप में निर्दिष्ट किया गया है |
भाग दो
उन निबंधनों तथा शर्तो के अध्यधीन रहते हुए, जो भाग_तीन में दिये गये है, पट्टेदार/ पट्टेदारों द्वारा प्रयोग और उपभोग की जाने वाली स्वतंत्रताएं, शक्तियां तथा विशेषाधिकार
1. भूमि पर प्रवेश करना तथा खनिज प्राप्त तथा कार्य करना इत्यादि__ एतदद्वारा द्वारा किये गये पट्टान्तरण की अवधि के दौरान समस्त समयों पर, उक्त भूमि पर प्रवेश करने और उक्त खनिज/खनिजों, को प्राप्त करने के संबंध में कार्य करने, उनकी दरेसी करने, प्रसंस्करित करने, संपरिवर्तित करने, ले जाने तथा उनका निपटारा करने के बारे में स्वतंत्रता तथा शक्ति |
2. मशीनरी, उपस्कर इत्यादि को लाना तथा उनका उपयोग करना _ इस भाग में वार्णित प्रयोजनों में से किसी भी प्रयोजनों के लिये या उसके संबंध में उक्त भूमि पर या उसके निचे कोई इंजन, मशीनरी, संयंत्र, दरेशी-फर्शो, ईट-भट्टा, कर्मशाला, भण्डार गृह, गोदाम, शेड तथा अन्य भवन और अन्य कार्य स्थापित करने, निर्माण करने, संधारण करने और उपयोग करने तथा उस भूमि पर या उसके नीचे उसी प्रकार की सुविधाओं के लिए या उसके संबंध में स्वतंत्रता तथा शक्ति |
3. रास्तों तथा मार्गो इत्यादि का बनाया जाना और विद्यमान रास्तों तथा मार्गो का उपयोग— इस भाग में वार्णत प्रयोजन के लिए या उसके संबंध में, उक्त भूमि में या उसके ऊपर कोई ट्रामपथ, रस्ते तथा अन्य मार्गो को बनाने और घोड़ो, पशुओं, वेगनों, या अन्य वाहनों सहित या रहित उसका (या उक्त भूमि में या उस पर किसी विद्यमान ट्रामपंथो, रास्तों तथा अन्य मार्गों) ऐसी शर्तो पर, जैसी कि सहमत हों, उनका उपयोग करने की या उनके संबंध में स्वतंत्रता तथा शक्ति |
4. भवन तथा रास्ते की सामग्री इत्यादि – इस भाग में वार्णित प्रयोजनों में से किसी भी प्रयोजन के लिये या उसके संबंध में उत्खनन कर पत्थर, बजरी, तथा भवन और रास्ते निर्माण संबंधी अन्य सामग्रियों तथा मिट्टी प्राप्त करने और उनका उपयोग करने और उन्हें काम में लेने तथा भवन और रास्ते के निर्माण संबंधी अन्य सामग्रियों तथा मिट्टी प्राप्त करने और उनका उपयोग करने और उन्हें काम में लेने टाटा एसी मिट्टी से ईटे या कवेलू विनिर्मित करने और ऐसे ईटों तथा कवेलुओं का उपयोग करने के लिए और उसके संबध स्वतंत्रता तथा शक्ति, किन्तु ऐसी किसी सामग्री, ईटों या कवेलुओं का विक्रय करने के लिये नहीं |
5. जलधाराओं से पानी का उपयोग इत्यादि- इस भाग में वार्णित प्रयोजन में से किसी भी प्रयोजन के लिये किन्तु किसी विद्यमान या भावी पट्टेदारों के अधिकारों के अध्यधीन रहते हुए तथा कलक्टर की लिखित अनुज्ञा से उक्त भूमि में या उक्त भूमि पर किन्हीं जलधाराओं, जलमार्गो, झरनों या अन्य स्त्रोतों को काम में लाने और उनका पानी उपयोग करने या ऐसी किसी जलधारा या जलमार्ग को मोड़ने, उसे बढ़ाने या उस पर बांध बनाने और ऐसे किसी जल को संगृहित करने और बनाये तथा अवरूद्ध करने और किसी जलमार्ग, पुलिया, नालियां या जलाशयों का बनाने, निर्माण करने और बनाये रखने के लिए और उसके संबध में स्वतंत्रता तथा शक्ति, किन्तु इस प्रकार नहीं कि जिससे किन्हीं कृष्य भूमियों, ग्रामों या पशुओं के पानी पीने के स्थानों या पूर्व में आवश्यकता अनुसार युक्तियुक्त रूप से जल प्रदाय से वंचित करेगा और न किसी भी प्रकार से किसी जलधारा या झरनों को गन्दा या प्रदूषित ही करेगा, परन्तु यह कि पट्टेदार किसी नाष्य जलधारा में नौचालन में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा या राज्य सरकार की लिखित पूर्व अनुज्ञा के बिना ऐसी जलधारा को नहीं मोड़ेगा |
6. चट्टे लगाने, ढेर लगाने, जमा करने के प्रयोजनों के लिये भूमि का उपयोग- उक्त भूमियों की सतह के पर्याप्त भाग, उसमें खदानों के किसी उत्पाद या किये गये कोई कार्य और किन्ही औजारों, उपस्करों, मिटटी तथा सामाग्रियों और पदार्थो के, जो इस भाग में वार्णित स्वतंत्रताओं, शक्तियों का प्रयोग करते हुए खोदे गये हों, या निकाले गये हों, चट्टे लगाने, ढेर लगाने, भाण्डारण करने या जमा करने के प्रयोजनों के लिये प्रवेश करने और उपयोग करने की स्वतंत्रता तथा शक्ति |
भाग 3
भाग दो में वार्णित स्वतंत्रताओं, शक्तियों तथा विशेषाधिकारों का प्रयोग करने के
संबंध में निबंधन तथा शर्ते
1. कतिपय स्थानों पर कोई भवन इत्यादि नहीं होगा--- किसी सार्वजनिक विहार भूमि, शमशान भूमि या कब्रिस्तान भूमि या व्यक्तियों के किसी वर्ग द्वारा पवित्र माने गये किसी स्थान या एसे अन्य स्थान में या जिसे राज्य सरकार सार्वजनिक स्थान के रूप में अवधीरित करे, कोई भवन या तददश्ष्य कोई संरचना ऐसी रीति में निर्मित, स्थापित या राखी नहीं जाएगी और कोई भी भूतल संक्रियाएं नहीं की जायेंगी जिससे किन्ही भवनों, कार्यो सम्पत्ति या अन्य व्यक्तियों के अधिकारों को, कोई हो या कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़े और भूतल संक्रियाओं के लिये ऐसी किसी भूमि का, जो इस पट्टे से सम्मिलित न होने वाले कार्यो या प्रयोजनों के लिये राज्य सरकार से भिन्न अन्य व्यक्तियों द्वारा पूर्व में ही दखल में ली गई हो, उपयोग नहीं किया जायेगा | पट्टेदार किसी मार्ग, कुएं, या तालाब के संबंध में किसी अधिकार में हस्तक्षेप भी नहीं करेगा/नहीं करेंगे |
2. ऐसी भूमि में जो पूर्व से उपयोग में न हो, भूतल संक्रियाओं के लिये अनुज्ञा— ऐसी भूमि का, भूतल संक्रियाओं के लिए पूर्व में ही उपयोग में नहीं लाई गई हैं, उस बाबत उपयोग करने के पूर्व, पट्टेदार, जिले के कलक्टर को दो कलण्डर मास पूर्व की एक लिखित सूचना देगा/ देंगे | जिसमें स्थान का नाम या अन्य वर्णन तथा इस प्रकार उपयोग किये जाने के लिये प्रस्तावित भूमि की सीमा और वह प्रयोजन जिसके लिये वह अपेक्षित है, विनिर्दिष्ट किया जायेगा तथा उस भूमि का, यदि कलक्टर, उसके द्वारा ऐसी सूचना प्राप्ति के दो मास के भीतर आपत्ति करे, तब तक इस प्रकार उपयोग नहीं किया जाएगा, जब तक कि इस प्रकार की गई अपत्ति, राज्य सरकार को निर्देश किये जाने पर, निष्प्रभावित नहीं की जाती या वह अभित्यक्त नही कर दी जाती |
3. प्रतिषिद्ध दूरी के भीतर कोई खनन संक्रियाएं नहीं की जाएंगी —पट्टेदान नियम 30 के उपनियम (12) में विनिर्दिष्ट प्रतिषिद्ध दूरियों के भीतर किसी भी स्थल पर कोई कार्य या खनन संक्रियाएं नहीं करेगा/करेंगे या उन्हें करने की अनुज्ञा नहीं देगा |
4. लगी हुई शासकीय अनुज्ञाप्तियों तथा के लिए सुविधाएं —पट्टेदार, ऐसी किसी भूमि पर, जो पट्टेदार/पट्टेदारों द्वारा धारित भूमि में समाविष्ट है, या ऐसी भूमि से समाविष्ट है, या ऐसी भूमि से लगी हुई है या जिस तक उसके/उनके द्वारा धारित भूमि से पहुंचा जाता है, शासकीय अनुज्ञप्तियों या पट्टे के विद्यमान तथा भावी धारकों को उस तक पहुंच की युक्तियुक्त सुविधाएं प्रदान किये जाने बाबत अनुज्ञा देगा :
परन्तु यह कि अनुज्ञप्तियों या पट्टो के ऐसे धारकों द्वारा इस विलेख के अधीन पट्टेदार/पट्टेदारों की संक्रियाओं के बारे में कोई सारवान प्रतिबाधा या हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा और इस स्वतंत्रता का उपयोग किये जाने के कारण पट्टेदार/पट्टेदारों को हुई हानि या नुकसान के लिए पट्टेदार/पट्टेदार को ऐसा उचित प्रतिकर दिया जाएगा जैसा कि पारस्परिक रूप से सहमत हों, या असहमति की दशा में, जैसा कि राज्य सरकार द्वारा विनिश्चित किया जाए |
भाग चार
राज्य सरकार के लिए आरक्षित स्वतंत्रताएं, शक्तियां तथा विशेषाधिकार
1. अन्य खनिजों के बारे में कार्य करना --- राज्य सरकार या इस नीमित्त उसके द्वारा प्रधिकृत व्यक्ति या किसी पट्टेदार को उक्त भूमि में तथा उस पर प्रवेश करने और उक्त खनिजों का छोडकर अन्य खनिज तथा किन्हीं अन्य पदार्थो की खोज करने, प्राप्त करने, उसके संबंध में कार्य करन, खोदने , पाने, उत्खनन करने, दरेशी करने, प्रसंस्करित करने, संपरिवर्तित करने और ले जाने और उन प्रयोजनों के लिए, खनने सुरंग बनाने, तैयार करने, स्थापित करने, निर्माण करने, संधारण करने और ऐसे गड्ढों, कुपकों, आनतियों, अनुसुरंगों, समतालीकाओं तथा अन्य लाइनों, जलमार्गो, वायुमर्गो, जलप्रवाहों, नालों जलाशयों, इंजनों, मशीनरियों, संयंत्र,भवनों, नहरों, ट्रामपंथों, रेलपथों, सड़क मार्गो तथा अन्य कार्यो, और ऐसी सुविधाओं का जैसा कि आवश्यकता या सुविधाजनक समझी जाएं, उपयोग करने की स्वतंत्रता तथा शक्ति :
परन्तु यह कि ऐसी स्वतंत्रता तथा शक्ति का प्रयोग करने में, इस विलेख के अधीन पट्टेदार/पट्टेदारों की स्वतंत्रता तथा शक्तियों तथा विशेषाधिकारों के प्रति या उनके संबंध में कोई सारवान प्रतिबाधा या हस्तक्षेप कारित नही किया जायगा ओर इस स्वतंत्रता या शक्ति या प्रयोग किये जाने के कारण या उसके परिणाम स्वरुप पट्टेदार/पट्टेदारों को ऐसा उचित प्रतिकर दिया जाएगा जैसा कि पारस्परिक रूप से सहमत हों, या असहमति की दशा में जैसा कि राज्य सरकार द्वारा विनिश्चित किया जाय |
2. रेलपथ तथा रास्ते बनाना -- राज्य सरकार या इस नीमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत कोई व्यक्ति या किसी पट्टेदार को इस विलेख के भाग-दो में वार्णित प्रयोजनों का छोड़कर किसी अन्य प्रयोजन के लिए उक्त भूमियों में तथा उस पर प्रवेश करने और उस पर, उसके ऊपर या उसके आरपार किन्हीं रेल्पथों, ट्रामपंथों तथा सड़क मार्गो, को बनाने, संधारित करने और उनकी मरम्मत करने या किन्हीं विद्यमान रेलपथों, ट्रामपथों, सड़क मार्गो. पाइप लाइनों तथा अन्य मार्गो से या उनके साथ-साथ समस्त प्रयोजनों के लिए और जैसा कि किसी अवसर पर अपेक्षित हो, घोड़ो, पशुओं या अन्य पशुगाड़ियों, वेगनों, वाहनों, लोकोमोटिवों या अन्य वाहनों सहित या रहित, पुनः पार करने की स्वतंत्रता तथा शक्ति :
परन्तु यह कि ऐसे अन्य पट्टेदार या व्यक्ति द्वारा ऐसी स्वतंत्रता तथा शक्ति का प्रयोग करने में, इस विलेख के अधीन पट्टेदार/पट्टेदारों की स्वतंत्रताओं, शक्तियों तथा विशेषाधिकारों के प्रति या उनके संबंध में कोई सारवान प्रतिबाधा या हस्तक्षेप कारित नहीं किया जाएगा और इस स्वतंत्रता या शक्ति का प्रयोग किये जाने के कारण या उसके परिणामस्वरूप पट्टेदार/पट्टेदारों को हुई हानि या नुससान के लिए पट्टेदार/पट्टेदारों को ऐसा उचित प्रतिकर दिया जाएगा जैसा कि पारस्परिक रूप से सहमत हो या असहमति की दशा में, जैसा कि राज्य सरकार द्वारा अवधारित किया जाए |
भाग पांच
इस पट्टे द्वारा आरक्षित भटक और स्वामिस्व, अनिवार्य भाटक, (डेडरेंट) या
स्वामिस्व, जो भी उच्चतर हो, का भुगतान करना
1. पट्टेदार, पट्टे के प्रथम वर्ष को छोड़कर, प्रत्येक वर्ष के लिए इस भाग के खण्ड 2 में विनिर्दिष्ट अनिवार्य भाटक का भुगतान करेगा :
परन्तु इन नियमों के नियम 30 के अधीन जहां ऐसे पट्टे का धारक उसके द्वारा या उसके अभिकर्ता प्रबंधक, नियोजित व्यक्ति ठेकेदार या उप-पट्टेदार द्वारा पट्टा-क्षेत्र से हटाये गये या खपाये गये किसी भी खनिज के लिए स्वामिस्व (रायल्टी) के भुगतान करने के लिए दायी हो गया है वहां वह ऐसे क्षेत्र के संबंध में ऐसे स्वामिस्व या अनिवार्य भाटक, जो भी उच्चतर हो का भुगतान करने का दायी होगा |
2. भाटक और अनिवार्य भाटक के भुगतान का ढंग - इस भाग के खण्ड 1 के उपबनधों के अध्यधीन रहते हुए, पट्टे के अस्तित्व के दौरान पट्टेदार पट्टान्तरित और इस अनुसूची के भाग-एक में वार्णित भूमियों के लिए, इन नियमों की अनुसूची-चार में तत्समय विनिर्दिष्ट दर से ऐसी रीति में, जैसा कि नियम 30 (1) (क) विनिर्दिष्ट है, वार्षिक अनिवार्य भाटक का राज्य सरकार को भुगतान करेगा/करेंगे |
3. स्वामिस्व के भुगतान की दरें तथा ढंग - इस भाग के खण्ड 1 के उपबंध के अध्यधीन रहते हुए, पट्टेदार इस पट्टे के अस्तित्व के दौरान उसके/उनके द्वारा पट्टा क्षेत्र से हटाये गये खनिज/खनिजों के संबंध में नियम 30 (1) (ख) में विनिर्दिष्ट किये गये स्वामिस्व का इन नियमों की अनुसूची-तीन में तत्समय विनिर्दिष्ट दर से राज्य सरकार को भुगतान करेगा/करेंगे |
4. सतही भाटक का भुगतान —पट्टेदार, उक्त भूमियों के जो समय-समय पर पट्टेदार/पट्टेदारों द्वारा इस विलेख के प्राधिकार के अधीन दखल की गई है या उपयोग की गई है, समस्त भागों के सतह के संबंढ में, क्रमशः प्रतिवर्ष प्रति हेक्टर या उसके किसी भाग के लिए रु..................की दर से या ऐसे दखल या उपयोग के प्रारंभ होने की कालावधि के दौरान दखल किये गये या उपयोग किए हुए उसके भाग का, जब कि क्षेत्र का इस प्रकार उपयोग समाप्त न हो जाय, भाटक का राज्य सरकार को भुगतान करेगा/ करेंगे और इस प्रकार उपयोग की गई सतह भूमि को यथासंभव उसकी मूल स्थिति में प्रत्यावर्तित करेगा/करेंगे | सतह भाटक का भुगता नियम 30 (1) (ग) में दिये ब्यौरे के अनुसार किया जाएगा |
भाग छः
भाटक और स्वामिस्व संबंधी उपबंध
1. भाटक और स्वामिस्व कटौती आदि से मुक्त होंगे – इस अनुसूची के भाग-पांच में उल्लेखित भाटक और स्वामिस्व का, नियम 30 (1) में यथाविनिर्दिष्ट, राज्य सरकार को किसी भी कटौती से मुक्त भुगतान किया जाएगा |
2. स्वामिस्व के संगणना के ढंग —उक्त स्वामिस्वों की संगणना करने के प्रयोजनों के लिए, पट्टादार/पट्टेदार खपत किये गये गये खनिज/खनिजों के उत्पादन का एक सही लेखा रखेगा | साथ ही खनिज/खनिजों की मात्रा का, जो कि स्टाक में हैं या निर्यात की प्रक्रिया में है, इस नियम के अधीन प्राधिकृत अधिकारी द्वारा जांच-पड़ताल की जा सकेगी |
3. यदि भाटकों ओर स्वामिस्वों का समय पर भुगतान नहीं होता है, तो कार्यवाई —इस विलेख के निबंधनों तथा शर्तो के अधीन राज्य सरकार को शोध्य कोई भाटक, स्वामिस्व या अन्य रकम का पट्टेदार-पट्टेदारों द्वारा विहित समय में भुगतान नहीं किया जाता है तो, वह रकम, उस पर शोध्य चौबीस प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से, साधारण ब्याज के साथ, खनिज अधिकारी/सहायक खनिज अधिकारी के प्रमाण-पत्र पर भू-राजस्व की बकाया की भांति वसूल की जा सकेगी |
भाग सात
पट्टेदार/ पट्टेदारों की प्रसंविदाएं
1. पट्टेदार भातकों तथा स्वामिस्वों , स्वामिस्वों, करों इत्यादि का भुगतान करेगा —पट्टेदार, इस पट्टेदार द्वारा आरक्षित भाटक तथा स्वामिस्वों का ऐसे समयों पर तथा ऐसी रीति में, जो इस विलेख के भाग-पांच तथा छः में उपबंधित है, भुगतान करेगा/ करेंगे और ऐसे समस्त करों, रेंटो, निर्धारण तथा अधिरोपणों का, चाहे वे किसी भी प्रकार के हों, जो सार्वजनिक मांग के स्वरूप के हों और जो पट्टेदार/ पट्टेदारों ऐ उन परिसरों तथा संकायों के, जो तत्सदृश्य अन्य परिसरों तथा संकायों के सामिलाती हों, सिवाय भु-राजस्वों की मांगों के, पर या उनके संबंध में राज्य सरकार के प्राधिकार द्वारा समय-समय पर प्रभारित किये जाएं, निर्धारित किये जायें या अधिरोपित कियें, का भी भुगतान करेगा/ करेंगे तथा उनका उन्मोचन करेगा/ करेंगे |
2. सिमाचिन्हों का अच्छी हालत में संधारण करना तथा रखना —पट्टेदार अपने/ उनके स्वयं के व्यय पर इस पट्टे के साथ संलग्न नक्शे में दर्शाये जाने वाले सीमांकन के अनुसार सीमा चिन्हों तथा स्तंभों को स्थापित करेगा और समस्त समयों पर उन्हें संधारित तथा मरम्मत में रखेगा | ऐसे चिन्ह तथा स्तंभ झाड़ियों से तथा अन्य बाधाओं से पर्याप्त स्पष्ट रहेंगे जिससे कि वे सरलता से पहचाने जा सकें |
3. संक्रियाएं एक वर्ष के भीतर प्रारंभ की जाएंगी और कुशलता से कार्य किया जाएगा —पट्टेदार, पट्टा निष्पादित किये जाने की तारीख से एक वर्ष के भीतर संक्रिया प्रारंभ करेगा/ करेंगे और उसके पश्चात् इस पट्टे के चालू रहने के दौरान समस्त समयों पर उक्त खनिजों को, स्वेच्छापूर्वक अवरोध के बिना निपुणता से तथा कुशलता से और इसमें इसके पश्चात् खण्ड 12 में विनिर्दिष्ट रीति से, उक्त भूमियों के भूतल या उस पर की फसलों, भवनों, संरचनाओं या अन्य संपत्ति को अनावश्यक या परिहार्य नुक्सान किये बिना या किये जाने की अनुज्ञा दिये बिना, प्राप्त करगा / करेंगे, उनके संबंध संक्रियाओं में खान के संबंध में मशीनरी स्थापित करना, ट्रामपथ बिछाना या किसी रास्ते का निर्माण करना सम्मिलित है |
4.सरकार को समस्त दावों के विरुद्ध क्षतिपूरित रखा जाएगा – पट्टेदार, ऐसे समस्त नुकसान, क्षति या क्षति या विध्न के लिये, जो इस पट्टे द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उसके / उनके द्वारा किये गये हों, उस विषय पर प्रवृत्त विधि के अनुसार ऐसा युक्तियुक्त हरजाना तथा प्रतिकर देगा तथा उनका भुगतान करेगा / करेंगे जो कि विधियुक्त प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाय और ऐसे समस्त दावों के तथा उसके बारे में समस्त लागत तथा खर्च के विरुद्ध, ऐसे किसी नुकसान, क्षति या विध्न के संबंध में जो किसी व्यक्ति या किन्हीं व्यक्तियों द्वारा किये जाएं, राज्य सरकार को क्षतिपूरित करेगा/ करेंगे और पूर्णरूप से तथा संपूर्णतः क्षतिपूरित रखेगा/ रखेंगे |
5. गड्ढ़े इत्यादि को सुरक्षित करना तथा अच्छी हालत में रखना – पट्टेदार, इस पट्टे के अस्तित्व में रहने के दौरान समस्त गड्ढों तथा खादनों को, जो कि उक्त भूमियों में बनाये जायं, या उपयोग में लाये जायं, इमारती लकड़ी या अन्य टाकाऊ साधनों से अच्छी तरह से तथा पर्याप्त रूप से सुरक्षित और खुला रखेगा/ रखेंगे और ऐसे प्रत्येक गड्ढ़े या खदान के चाहे वह परित्यक्त हो अथवा न हो, इर्दगिर्द, कलक्टर के समाधान पर्यन्त बाड़ लगाएगा/ लगाएंगे तथा उसे संधारित करेगा/ करेंगे और उस अवधि के दौरान, उक्त भूमियों में की समस्त खदानों को सिवाय ऐसी खदानों के जो परित्यक्त कर दी गई हैं, यथा संभव जल से तथा दूषित वायु से मुक्त रखेगा/ रखेंगे |
6. खान को आवश्यक सीमा तक मजबूत करना तथा संभालना—पट्टेदार, यथास्थिति, संबंधित रेल प्रशासन या राज्य सारकार के समाधान पर्यंन्त खान के किसी भाग को, जो कि उसकी राय में किसी रेलपथ जलाशय, नहर, रास्ते तथा किसी अन्य सार्वजनिक कार्य या संरचना की सुरक्षा के लिए ऐसा मजबूतीकरण या संभाल अपेक्षित है, मजबूत करेगा/ करेंगे तथा संभाल करेगा/ करेंगे |
7. खदानों का निरीक्षण अनुज्ञात किया जाना -- पट्टेदार, निरीक्षण, परीक्षण, सर्वेक्षण करने और उसके नक्शे बनाने, नामूने लेने तथा कोई आंकड़े एकत्र करने के प्रयोजन के लिए इन नियमों के अधीन प्राधिकृत किसी अधिकारी को परिसर में, जिसमें कोई भवन,, उत्खनन, या पट्टेदार उसके/ उनके द्वारा नियोजित ऐसे योग्य व्यक्ति के साथ, जो खान से तथा कार्यो से परिचित हैं, ऐसे अधिकारी, अभिकर्ताओं, नौकरों तथा कर्मकारों को ऐसे प्रत्येक निरीक्षण करने में प्रभावी तौर पर सहायता करेगा/ करेंगे ओर खदानों के कार्यकरण के संबंध में ऐसी समस्त सुविधाएं, जान्काई देगा/ देंगे जो कि वे सहायता करेगा/ करेंगे और खदानों के कार्यकरण के संबंध में ऐसी समस्त सुविधाएं, जानकारी देगा/ देंगे जो कि वे युक्तियुक्त रूप से अपेक्षित करें और ऐसे समस्त आदेशों तथा विनियमों, जैसे कि केंद्र या राज्य सरकार ऐसे निरीक्षणके परिणामस्वरूप या अन्यथा, समय-समय पर अधिरोपित करना उचित समझे, के अनुरूप अनिवार्य रूप से कार्य करेगा/ करेंगे तथा उनका अनुपालन करेगा/ करेंगे |
8. दुर्घटना की रिपोर्ट की जाना— पट्टेदार, बिना विलंब के कलेक्टर को किसी ऐसी दुर्घतना की एक रिपोर्ट भेजेगा/ भेजेंगे जो इस पट्टे के अधीन संक्रियाओं के अनुक्रम में हुई हो जिनके कारण मृत्यु या गंभीर शारीरिक क्षति या संपत्ति में गंभीर क्षतिकारित की गई हो या जो जीवन या संपत्ति को गंभीर रूप से प्रभावित या संकटापन्न करने वाली हो |
9. अन्य खनिजों के अन्वेषण की रिपोर्ट की जाना – पट्टेदार, पट्टा क्षेत्र में ऐसे किसी खनिज को, जो पट्टे में विनिर्दिष्ट नहीं हैं, अन्वेषण की रिपोर्ट ऐसे प्रत्येक उपलब्धि के स्वरूप तथा स्थिति के बारे में पूर्ण विवरण के साथ कलक्टर को अविलंब देगा / देंगे | यदि ऐसा कोई खनिज, जो पट्टे में विनिर्दिष्ट नहीं है, पट्टा क्षेत्र में अन्वेषित किया जाता है, तो पट्टेदार ऐसे खनिज को तब तक प्राप्त नहीं करेगा/ करेंगे और उसका निपटारा नहीं करेगा करेंगे जब तक कि ऐसे खनिज को पट्टे में सम्मिलित न कर लिया जाय या उसके लिए एक पृथक पट्टा अभिप्राप्त न कर लिया जाय |
10. उत्पादन तथा कर्मचारियों इत्यादि के बारे में अभिलेखों तथा लेखाओं का रखा जाना— पट्टेदार उक्क्त अवधि के दौरान समस्त समयों पर ऐसे कार्यालय में, जो उक्त भूमियों पर या उसके निकट स्थित हो, लेखाओं की सही तथा बोधगम्य ऐसी लेखा पुस्तकें रखेगा/ रखेंगे या रखवाएगा / रखवाएंगें, जिनमें निम्नलिखित के संबंध में समय-समय पर सही प्रविष्टियां अंतर्विष्ट होंगी :-
(1) उक्त भूमियों से प्राप्त उक्त खनिज/ खनिजों की मात्रा तथा प्रकार |
(2) उन खनिज/ खनिजों को, जिनका विक्रय तथा निर्यात किया गया हो, मात्राएं तथा विभिन्न प्रकार, पृथक-पृथक रूप से |
(3) अन्यथा निपटाये गये विभिन्न प्रकारों के उक्त खनिज/ खनिजों की मात्राएं और ऐसे निपटारे की रीति तथा प्रयोजन|
(4) उक्त खनिज/ खनिजों के समस्त विक्रयों की कीमतें तथा अन्य समस्त विवरण |
(5) उक्त भूमियों पर खानों या कार्यो में नियोजित व्यक्तियों, की संख्या तकनीकी कार्मिकों की राष्ट्रीयता, अर्हताएं तथा वेतन विनिर्दिष्ट करते हुए |
(6) ऐसे अन्य तथ्य, विशिष्टियों तथा परिस्थितियों, जिनके बारे में केन्द्र या राज्य सरकार, समय-समय पर अपेक्षा करे और ऐसे अधिकारियों को ऐसे समयों पर, जैसा कि केन्द्र या राज्य सरकार नियत करे, ऐसी समस्त या किन्हीं लेखा पुस्तकों के असली तथा सही संक्षिप्त सार और पूर्वोक्त समस्त या किसी विषय के बारे में ऐसी जानकारी, विवरणियां, जैसा कि राज्य सरकार विहित करें, निः शुल्क प्रस्तुत करेगा/ करेंगे तथा ऐसे युक्तिय्क्त समयों पर ऐसे अधिकारियों को, जैसा कि केन्द्र या राज्य सरकार उस निमित्त नियुक्त करें, उक्त लेखा पुस्तकों, रेखांकों तथा अभिलेखों का परीक्षण तथा निरीक्षण करने और उनकी प्रतिलिपियां तथा उनके उद्धरण तैयार करने के प्रयोजनों के लिए उक्त कार्यालयों में प्रवेश करने तथा उन तक अबाध पहुंच रखने के लिए अनुज्ञात करेगा/ करेंगे |
11. रेखांक इत्यादि संधारित करना— पट्टेदार, उक्त अवधि के दौरान समस्त समयों पर खान कार्यालय में उक्त भूमियों में की खानों के सही, बोधगम्य, आदिनांक तथा सम्पूर्ण रेखांक संधारित करेगा/ करेंगे | पट्टे के अधीन उक्त रेखांक में उसके/ उनके द्वारा की गई समस्त संक्रियाएं तथा खुदाई और उसके/ उनके द्वारा की गई संक्रियाओं के अनुक्रम में उसके/ उनके द्वारा की गई समस्त खाइयां, गड्ढ़े तथा भू-वैज्ञानिक आंकड़े दर्शाये जायेंगे और ऐसे समस्त रेखांक, उस प्रयोजन के लिए किये जाने वाले ऐसे वास्तविक सर्वेक्षण से और उसके द्वारा, जो कि बारह मास या किसी ऐसी कलावधि के अंत में, जो समय-समय पर विनिर्दिष्ट की जाय, संशोधित किये जायेंगे तथा भरे जाएंगे और पट्टेदार राज्य सरकार को जब कभी अपेक्षित किये जाएं, ऐसे रेखांक की सही तथा ठीक प्रतिलिपियां नि:शुल्क प्रस्तुत करेगा/करेंगे | समस्त खाइयों, गड्ढों के शुद्ध अभिलेखों में-
(क) वह अवमृदा तथा स्तर (स्ट्राटा) जिसमें वे हैं ;
(ख) कोई खनिज जो मिला है ;
(ग) राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अपेक्षित हित का कोई अन्य विषय और समस्त आंकड़े दर्शाये जायेंगे |
पट्टेदार इस निमित्त राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी को समस्त युक्तियुक्त समयों पर उसका निरीक्षण करना अनुज्ञात करेगा/करेंगे | जब कभी राज्य सरकार द्वारा अपेक्षा की जाय, उस क्षेत्र का एक ऐसा संयुक्त रेखांक भी प्रदाय करेगा/करेंगे जिसमें मोटाई, झुकाव ढाल इत्यादि के साथ-साथ भण्डार के प्रकार के अनुसार मात्रा दर्शाई जाएगी |
12. तृतीय पक्षों को हुई क्षति के लिए प्रतिकार का भुगतान.- पट्टेदार इस विलेख द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रताओं तथा शक्तियों का प्रयोग करते हुए किसी व्यक्ति या संपत्ति के किये गये समस्त नुक्सान, क्षति या विघ्न के लिए युक्तियुक्त तथा समाधानकारक प्रतिकार देगा तथा उसका भुगतान करेगा/करेंगे और समस्त समयों पर ऐसे समस्त वादों, तथा मांगों के लिए उनके विरुद्ध जो कि ऐसे किसी नुकसान, क्षति या विघ्न के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा किये जाएं, राज्य सरकार को हानिरहित रूप से बचाएगा और क्षतिपूरित रखेगा | शासकीय भूमि की दशा में क्रमशः 10 तथा 20 वर्षीय पट्टों के मामले में, पट्टेदार भू-राजस्व के 30 तथा 60 गुना के बराबर प्रतिकार का भुगतान करेगा /करेंगे |
13. अन्य खनिजों की खुदाई में बाधा नहीं पहुंचाई जाएगी.- पट्टेदार, एतद्द्वारा प्रदान की गई स्वतंत्रताओं तथा शक्तियों का ऐसी रीति में प्रयोग करेगा/करेंगे कि जिससे उक्त भूमियों के भीतर ऐसे किसी खनिज का, जो इस पट्टे में सम्मिलित नहीं हैं, के विकास तथा खुदाई में कोई अनावश्यक या युक्तियुक्त रूप से परिहार्य कोई बाधा या अवरोध न हो और समस्त समयों पर, यथास्थिति, उक्त भूमियों से निकट किसी भूमि में किसी ऐसे खनिजों या किन्हीं खनिजों के संबंध में, केंद्र और राज्य सरकार तथा पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों या उत्खनन पट्टों के धारकों को ऐसे खनिजों को प्राप्त करने, खुदाई करने, विकास करने तथा उनको ले जाने के प्रयोजन के लिए उन तक उक्त भूमियों के ऊपर तथा उसके आरपार युइक्तियुक्त पहुंच मार्ग तथा सुरक्षित और सुविधाजनक पथ प्रदान करेगा/करेंगे :
परन्तु यह कि पट्टेदार, ऐसे पट्टेदारों या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों के धारकों द्वारा ऐसे पथ के उपयोग के कारण या परिणामस्वरूप उसे/उन्हें किसी नुकसान या क्षति के लिए युक्तियुक्त प्रतिकार प्राप्त करेगा/करेंगे |
14. पट्टे का अंतरण.- पट्टेदार, मंजूरी प्राधिकारी की लिखित पूर्व सहमती के बिना-
(क) उत्खनन पट्टा या उसमें के किसी अधिकार, हक़ या हित को समनुदेशित नहीं करेगा/करेंगे, उप/पट्टे पर नहीं देगा/देंगे, बंधक नहीं करेगा/करेंगे या किसी भी रीति से अंतरित नहीं करेगा/करेंगे, या
(ख) ऐसा कोई ठहराव, संविदा या समझौता नहीं करेगा/करेंगे जिसके द्वारा पट्टेदारों का सारवान सीमा तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रीति से वित्त पोषण होगा जिसके द्वारा या जिसके अधीन पट्टेदार की संक्रियाएं या कारोबार सारवान रूप से पट्टेदार/ पट्टेदारों से भिन्न किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय द्वारा नियंत्रित की जायं |
(ग) मंजूरी प्राधिकारी एक लिखित आदेश द्वारा किसी भी समय पट्टे को पर्यवसित कर सकेगा यदि उसकी राय में पट्टेदार/ पट्टेदारों ने ऊपर दिये गये अनुसार के सिवाय पट्टे या उसमें के किसी अधिकार, हक़ या हित का अन्तरण किया है परन्तु यह कि ऐसा कोई भी आदेश पट्टेदार/पट्टेदारों को उसका/उनका कथन करने का युक्तियुक्त अवसर दिये बिना पारित नहीं किया जायेगा |
15. पट्टेदार आवश्यक अतिरिक्त रकम जमा करेगा.- जब कभी रूपये............. का प्रतिभूति निक्षेप या उसका कोई भाग या प्रतिभूमि निक्षेप की पुनः पूर्ति करने, राज्य सरकार के पास इसमें इसके पश्चात् जमा की गई और रकम समपहृत की जाय या इसमें इसके पश्चात् घोषित शक्ति के अनुसरण में राज्य सरकार द्वारा उपयोग की जाय, तब पट्टेदार राज्य सरकार के पास ऐसी और रकम जमा करेगा/करेंगे जो कि प्रतिभूति रकम के अविनियोजित भाग के साथ मिलकर राज्य सरकार के पास जमा रकम को रूपये ............... तक लाने के लिए पर्याप्त हो |
16. पट्टे का पर्यवसान किये जाने पर अच्छी हालत में खदान की राज्य सरकार को सुपुर्दगी.- पट्टेदार उक्त अवधि या उसके नवीकरण का अवसान होने पर या ऐसी अवधि के पहले उसका पर्यवसान कर दिये जाने पर, राज्य सरकार को समस्त खानें, गड्ढ़े जलमार्ग और अन्य कार्य जो अब विद्यमान हैं या जो इसमें इसके पश्चात उक्त भूमि पर खोदे जाने वाले हैं या उस पर या उसके अधीन बनाये जाने वाले हैं, सिवाय उनके जिनका राज्य सरकार की मंजूरी से परित्याग कर दिया गया है और किसी सामान्य या उचित कार्यकरण वाले समस्त इंजिनों, मशीनरी, संयंत्र, भवनों, संरचनाएं, अन्य कार्य तथा सुविधाएं, जो कि उक्त अवधि के प्रारंभ होने के समय उक्त भूमि पर या उसके निचे थे तथा पट्टेदार/पट्टेदारों द्वारा स्थापित ऐसी समस्त मशीनरी जो कि खानों को क्षति पहुंचाये बिना निकाली नहीं जा सकती या उक्त भूमि के नीचे के खुदाई कार्य (सिवाय उसमें से ऐसे जो राज्य सरकार की मंजूरी के काम में न लाने वाले हो गये हैं) और पट्टेदार/ पट्टेदारों द्वारा भूतल के ऊपर ईंटों या पत्थर से बनाये गये समस्त भवन तथा संरचनाएं, अच्छी मरम्मत की हालत में तथा दशा में और उक्त खानों का तथा उक्त खनिजों की और खुदाई के लिए समस्त दृष्टि से उपयुक्त हों, सुपुर्द करेगा/करेंगे |
17. अग्रक्रय का अधिकार.- (क) राज्य सरकार को, उक्त अवधि के दौरान समय-समय पर तथा समस्त समयों पर एतद्द्वारा अंतरित उक्त भूमियों में पड़े उक्त खनिजों या पट्टेदार/ पट्टेदारों के नियंत्रण में और कहीं पड़े उक्त भूमियों में पड़े उक्त खनिजों या पट्टेदार/ पट्टेदारों के नियंत्रण में और कहीं पड़े उक्त खनिजों को अग्रक्रय करने का अधिकार होगा (जिसका प्रयोग पट्टेदार/ पट्टेदारों को लिखित सूचना देकर किया जायेगा) और पट्टेदार संभव समस्त शीघ्रता से समस्त खनिजों को, ऐसी समयों पर, ऐसी रीति में तथा ऐसे स्थान पर, जो कि उक्त अधिकारों का प्रयोग करने बाबत सूचना में विनिर्दिष्ट किये गये हैं, सुपुर्द करेगा/करेंगे |
(ख) राज्य सरकार द्वारा, एतद्द्वारा प्रदत्त अधिकार का प्रयोग करते हुए अग्रक्रय में लिये गये समस्त खनिजों या खनिजों के उत्पादों की भुगतान की जाने वाली कीमत वह होगी जो कि अग्रक्रय के समय विद्यमान उचित बाजार कीमत हो :
परन्तु यह कि उक्त बाजार कीमत की संगणना करने में सहायता करने की दृष्टि सा पट्टेदार, यदि ऐसी अपेक्षा की जाय, राज्य सरकार को, उसकी गोपनीय जानकारी के लिए अन्य ग्राहकों को, बेचे गये उक्त खनिजों या उनके उत्पादों की मात्राओं, वर्णनों तथा कीमतों के और मालभाड़े के लिए, उसका वहन करने के लिये किये गये भाटक-पत्र (चार्टर) के राज्य सरकार द्वारा निर्देशित किया जाय, ऐसी खनिजों या उत्पादों के विक्रय या मालभाड़े के लिए पक्षकारों द्वारा की गई संविदाओं तथा भाटक-पत्रों की मूल या अभिप्रमाणित प्रतिलिपियां प्रस्तुत करेगा/करेंगे |
(ग) युद्ध स्थिति या आपात-काल के विद्यमान रहने की दशा में (जिस के विद्यमान रहने के बारे में भारत के राष्टपति एकमात्र निर्णायक रहेंगे और भारत के राजपत्र में इस आशय की अधिसूचना निश्चायक सबूत होगी) राज्य सरकार को केन्द्रीय सरकार की सहमति से, उक्त अवधि के दौरान समय-समय पर तथा समस्त समयों पर उक्त भूमियों या उनके संबंध में पट्टेदार/पट्टेदारों के कार्यों, संयंत्र, मशीनरी तथा परिसर का या इस पट्टे के अधीन संक्रियाओं का तत्काल कब्जा तथा नियंत्रण लेने का अधिकार होगा (जिसका प्रयोग पट्टेदार/पट्टेदारों को एक लिखित सूचना द्वारा किया जायगा) और ऐसे कब्जे या नियंत्रण के दौरान पट्टेदार ऐसे कार्यों, संयंत्रों, परिसरों तथा खनिजों के उपयोग करने या उन्हें काम में लाने के बारे में केन्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा या उसकी ओर से दिये गये समस्त निदेशों का अनुपालन तथा पालन करेगा/करेंगे :
परन्तु यह कि ऐसे उचित प्रतिकर का, जो कि राज्य सरकार द्वारा करार करने में व्यतिक्रम किये जाने पर उसके द्वारा अवधारित किया जाए, पट्टेदार/पट्टेदारों को, इस खण्ड द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने में या उसके परिणामस्वरूप उसे/उन्हें हुए समस्त हानि या नुकसान का भुगतान किया जाएगा :
परन्तु यह और कि एसी शक्तियों का प्रयोग, एतद्द्वारा, प्रदान की गई उक्त अवधि को पर्यवसित नहीं करेगा या इस विलेख के निबंधनों तथा उपबंधों को प्रभावशाली करने के लिए आवश्यकता से अधिक प्रभावित नहीं करेगा |
18. राज्य सरकार द्वारा किये गये व्ययों की वसूली.- यदि कोई ऐसे कार्य या विषय जो कि उस निमित्त इसमें इसके पूर्व अंतर्विष्ट प्रसंविदाओं के अनुसार पट्टेदार/पट्टेदारों द्वारा किये जाने हैं या उनका पालन किया जाना है, उस निमित्त विनिर्दिष्ट किये गये समय के भीतर नहीं किये जाते हैं या उनका पालन नहीं किया जाता है, तो राज्य सरकार उन्हें करवा सकेगी या उनका पालन करवा सकेगी और पट्टेदार, मांग की जाने पर, राज्य सरकार उन्हें करवा सकेगी और पट्टेदार, मांग की जाने पर, राज्य सरकार को ऐसे समस्त व्ययों का भुगतान करेगा/करेंगे, जो कि इस प्रकार कार्य किये जाने या उनका अनुपालन किये गये हों तथा ऐसे इस प्रकार कार्य किये जाने या उनका अनुपालन किये जाने में किय गये हों तथा ऐसे व्ययों के संबंध में राज्य सरकार का विनिश्चय अंतिम होगा |
19. अन्य बाध्यताएं.- (क) पट्टेदार, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के अधीन केन्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर विहित न्यूनतम मजदूरी से अन्यून मजदूरी का भुगतान नहीं करेगा/करेंगे |
(ख) पट्टेदार, खान अधिनियम 1952 तथा उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों का पालन करेगा/करेंगे |
(ग) पट्टेदारस्वयं के व्यय पर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण, भूमि का पुनरुद्धार, प्रदूषण नियंत्रण युक्तियों का उपयोग जैसे उपाय और ऐसे अन्य उपाय करेगा/करेंगे जैसे कि कलक्टर द्वारा समय-समय पर विहित किये जायं |
(घ) पट्टेदार, नियमों में निर्धारित तारीख पर तथा रीति में भूमि के अधिभोगी को प्रतिकर का भुगतान करेगा/करेंगे |
(ड़) पट्टेदार नियोजन के विषय में, जनजातियों तथा स्थानीय व्यक्तियों को प्राथमिकता देगा/देंगे |
(च) पट्टेदार नियमों में यथा उपबंधित विधिमान्य अभिवहन पास के बिना पट्टा क्षेत्र से कोई खनिज या उसके उत्पाद का परिवहन नहीं करेगा/करंगे |
भाग आठ
राज्य सरकार की प्रसंविदाएं
1. पट्टेदार अधिकारों को निर्बाध रूप से धारण कर सकेगा/सकेंगे तथा उनका उपयोग कर सकेगा/सकेंगे.- पट्टेदार एतद्द्वारा अरक्षित भाटकों तथा स्वमिस्वों का भुगतान करने पर और इसमें अंतर्विष्ट समस्त प्रसंविदाओं तथा करारों का पालन तथा संपादन करने पर या पट्टेदार/पट्टेदारों की ओर से पालन तथा संपादन किये जाने पर, ऐसे अधिकारों तथा परिसरों का, जो एतद्द्वार, पट्टान्तरित किये गये हैं, तथा ऐसी अवधि के दौरान, जो कि एतद्द्वारा, प्रदानकी जाती है, राज्य सरकार या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा, जो उसके अधीन दावा करे, बिना किसी अवैध विघ्न के धारण करेगा/करेंगे या धारण कर सकेगा/कर सकेंगे और उनका उपभोग कर सकेगा/कर सकेंगे |
2. तृतीय पक्षों की भूमि क अर्जन तथा उसका प्रतिकरण.- यदि, इस अनुसूची के भाग-सात के खण्ड 4 के उपबंध के अनुसार, पट्टेदार, उक्त भूमियों के किसी भाग की सतह के दखलकार को किसी नुकसान या क्षति के लिए, जो कि पट्टेदार/पट्टेदारों की प्रस्तावित संक्रियाओं के कारण उद्भूत हों, प्रतिकर देने की प्रस्थापना करे और उक्त दखलकर राज्य सरकार को आरक्षित तथा इस विलेख द्वारा पट्टेदार/ पट्टेदारों को पट्टान्तरित किये गये है अधिकारों तथा शक्तियों का प्रयोग करने में अपनी सहमति देने से इन्कार करे तो पट्टेदार इस विषय की रिपोर्ट राज्य सरकार को करेगा/करेंगे और उसके पास वह रकम जमा करेगा/करेंगे जो कि प्रतिकार के रूप में प्रस्थापित की थी और यदि राज्य सरकार का यह समाधान हो जाता है कि प्रतिकर की प्रस्थापित रकम उचित तथा युक्तियुक्त है या यदि उसका इस प्रकार समाधान नहीं होता है और पट्टेदार/ पट्टेदारों ने उसके पास ऐसी और रकम, जैसी कि राज्य सरकार उचित तथा युक्तियुक्त समझे, तो राज्य सरकार दखलकार को यह आदेश देगी कि वह पट्टेदार/पट्टेदारों को उस भूमि में प्रवेश करना और ऐसे संक्रियाऍ करना अनुज्ञात करे, जैसी कि इस पट्टे के प्रयोजन के लिए आवश्यक हों | ऐसे प्रतिकर की रकम का निर्धारण करने में राज्य सरकार, भूमि-अर्जन अधिनियम के सिद्धांतों से मार्गदर्शित होगी |
3. नवीकरण किया जाना.- नियमों के उपबंधों की शर्तों के अनुसार उत्खनन पट्टा नवीकरण किये जाने योग्य है |
4. पट्टा पर्यवसित करने की स्वतंत्रता.- (1) पट्टेदार, मंजूरी प्राधिकारी को कम से कम छः कलण्डर मास की एक लिखित सूचना देकर इस पट्टे को किसी भी समय पर्यवसित कर सकेगा/कर सकेंगे औए ऐसी सूचना का अवसान होने पर, यदि पट्टेदार ऐसा अवसान होने पर समस्त भाटकों, स्वमिस्वों, नुकसानों के लिए प्रतिकर और ऐसा धन देगा/देंगे और उसका भुगतान करेगा/करेंगे जो कि उस समय शोध्यों तथा इस विलेख के अधीनस्थ पट्टाकर्ता या किसी अन्य व्यक्ति या किन्हीं अन्य व्यक्तियों को देय हैं और इस विलेख को राज्य सरकार को परिदत्त करेगा | तब यह पट्टा तथा उक्त अवधि और एतद्द्वारा प्रदान की गई स्वतंत्रताएं, शक्तियां तथा विशेषाधिकार अत्यंतिक रूप से समाप्त हो जाएंगे तथा पर्यवसित हो जाएंगे किन्तु वे, इस विलेख में अंतर्विष्ट किन्ही प्रसंविदाओं या करार के संबंध मे पट्टाकर्ता के किसी अधिकार या उपचार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेंगे |
(2) मंजूरी प्राधिकारी, पट्टेदार द्वारा किये गये आवेदन पर उसे उसके पट्टे से, जो कि खनिजों के समूह के लिए हैं, एक या अधिक खनिजों का इस शर्त के अध्यधीन रहते हुए कि उस खनिज के भण्डार अब इस सीमा तक नि:शेष हो चुके हैं या उनका इस सीमा तक ह्रास हो गया है कि उस खनिज के बारे में कार्य करना आर्थिक रूप से और आगे संभव नहीं है, अभ्यर्पित करने की अनुज्ञा देगा, कि पट्टेदार-
(क) ऐसे खनिज के अभ्यर्पण के लिए आवेदन ऐसी आशयित तारीख के कम से कम छः माह पूर्व करेगा, और
(ख) यह वचन देता है कि वह, इस प्रकार अभ्यर्पित खनिज के बारे में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा, जिसे उस खनिज के लिए बाद में उत्खनन पट्टा प्रदान इया गया है, कि जाने वाली खुदाई ने कोई रुकावट कारित नहीं करेगा |
5. प्रतिभूति निक्षेपों की प्रतिदाय.- इस पट्टे या उसके किसी नवीकरण का पर्यावसान होने के पश्चात् ऐसी तारीख को जिसे कलक्टर चयन करे, इस पट्टे के संबंध में भुगतान की गई प्रतिभूति निक्षेप की रकम का, जो राज्य सरकार के पास जमा है और जिसका उपयोजन इस पट्टे में वर्णित प्रयोजनों में से किसी के लिए अपेक्षित नहीं है, पट्टेदार/ पट्टेदारों को प्रतिदाय कर दी जायगी | प्रतिभूति निक्षेप पर कोई ब्याज नहीं होगा |
भाग-नौ
सामान्य उपवन
1. निरीक्षण में बाधाएं.- इस मामले में, जहां पट्टेदार या उसका/उनके अंतरिती, समनुदेशिती उन अधिकारियों द्वारा, जो उक्त नियमों के अधीन केन्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत किये गये हैं, प्रवेश किये जाने या निरीक्षण किये जाने का अनुज्ञात नहीं करता है, तो कलक्टर, पट्टेदार/पट्टेदारों को लिखित सूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए | यह कारण बतलाए कि पट्टा क्यों न पर्यवसित कर दिया जाए तथा उसका/उनके प्रतिभूति निक्षेप क्यों न समपहृत कर लिये जाएं, और यदि पट्टेदार उपरोक्त समय में मंजूरी प्राधिकारी को समाधानपर्यन्त कारण बतलाने में असफल रहता है/रहते हैं तो वह पट्टा पर्यवसित कर सकेगा तथा प्रतिभूति निक्षेप की सम्पूर्ण राशि या उसके किसी भाग को समपहृत कर सकेगा |
2. स्वामिस्व का भुगतान करने में व्यतिक्रम करने तथा प्रसंविदाओं का भंग करने के मामले में शास्ति.- यदि पट्टेदार या उसका/उनके अंतरिती या समनुदेशिती नियमों, अधिनियम द्वारा यथापेक्षित भाटक या स्वामिस्व का भुगतान करने में व्यतिक्रम करता है/करते हैं या शर्तों में से किसी शर्त तथा प्रसंविदा का, उन शर्तों को छोडकर, जो कि ऊपर प्रसंविदा 1 में निर्दिष्ट है, भंग करता है/करते अहिं, तो कलक्टर पट्टेदार/पट्टेदारों से यह अपेक्षा करते हुए एक सूचना देगा कि वह/वे यथास्थिति, भाटक, स्वामिस्व का भुगतान या भंग का उपचार, सूचना की प्राप्ति से साठ दिन के भीतर करे/करें और यदि ऐसे समय के भीतर भाटक तथा स्वामिस्व का भुगतान या भंग का उपचार नहीं किया जाता है, तो मंजूरी प्राधिकारी ऐसी किसी कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जो कि उसके/उनके विरुद्ध की जा सकती है, पट्टा पर्यावसित का सकेगा तथा प्रतिभूति निक्षेप की संपूर्ण राशि या उसका कोई भाग समपहृत कर सकेगा या नियमों में तथा उपबंधित शास्ति अधिरोपित कर सकेगा |
3. अपरिहार्य घटना के कारण पट्टे की शर्तों की पूर्ति करने में असफलता.- पट्टेदार/पट्टेदारों द्वारा इस पट्टे की शर्तों में से किसी भी शर्त की पूर्ती करने में असफल रहने पर राज्य सरकार पट्टेदार/पट्टेदारों के विरुद्ध कोई दावा नहीं कर सकेगी या ऐसी असफलता को इस पट्टे का भंग नहीं समझा जाएगा, जहां तक कि ऐसी असफलता को उस सराकार द्वारा अपरिहार्य घटना के कारण उत्भुत होने वाली समझा जाता है और यदि अपरिहार्य घटना के कारण पट्टेदार/पट्टेदारों द्वारा इस पट्टे की शर्तों तथा निबंधनों में से किसी शर्त तथा निबंधन की पूर्ति बिलंब होता है, तो ऐसे बिलंब की अवधि को इस पट्टे द्वारा नियत की गई कालावधि में जोड़ दिया जाएगा | इस खण्ड में अभिव्यक्ति “अपरिहार्य घटना” से अभिप्रेत है, देविकृत, युद्ध विप्लव, वलबा, सिविल अशान्ति, हडताल, भूकंप, ज्वार भाटा, तूफान, ज्वारिया लहर, बाढ़, तड़ित (लाइटनिंग) विस्फोट, आग या अन्य कोई ऐसी घटना जिसे पट्टेदार युक्तियुक्त रूप से निवारित या नियंत्रित नहीं कर सकता था/कर सकते थे |
4. पट्टे का अवसान होने पर पट्टेदार उसकी/उनकी संपत्ति हटा लेंगे.- पट्टेदार, इस विलेख के कारण देय भाटकों तथा स्वमिस्वों का प्रथमतः भुगतान करने पर तथा उन्हें उन्मोंचित करने पर उक्त अवधि का अवसान होने के पश्चात् या उसका पूर्वतर पर्यवसान किये जाने के पश्चात् या उसके पश्चात् तीन कलण्डर माह के भीतर (जब तक कि पट्टा इस भाग के खण्ड 1 तथा 2 के अधीन पर्यवसित न कर दिया जाए और उस मामले में, पंद्रह दिन से कम न होने वाले समय में किसी भी समय, न कि ऐसी पर्यवसान से तीन कलण्डरमाह के भीतर) उसके/उनके फायदे के लिए समस्त या किसी इंजिन, मशीनरी, संयंत्र, भवन, संरचना, ट्रामपथ तथा अन्य किसी कार्य, परिनिर्माण और सुविधाओं को, जो कि पट्टेदार/पट्टेदारों द्वारा उक्त भूमियों में या उन पर खड़े किये गये हों, स्थापित किये गये हों, या रखे गये हो, और जिन्हे पट्टेदार इन नियमों के अधीन राज्य-सरकार को परिदत्त करने के लिए बाध्य नहीं हैं/नहीं हैं, उठाए जा सकेंगे तथा हटाए जा सकेंगे |
5. पट्टा पर्यवसित किये जाने से तीन मास से अधिक समय के पश्चात् रहने दी गई सम्पत्ति का समपहरण.- यदि उक्त अवधि के अवसान या इस अनुसुची के भाग-आठ के खण्ड 4 में अंतर्विष्ट उपबंध के अधीन उस अवधि के पूर्वतर पर्यावसान के प्रभावी होने से तीन कलण्डर माह के अंत में उक्त भूमि में या उस पर कोई इंजिन, मशीनरी, संयंत्र, भवन, संरचनाएं, ट्रामपथ तथा अन्य कार्य, परिनिर्माण तथ सुविधाएं या अन्य संपत्ति, जो कि पट्टेदार/पट्टेदारों द्वारा उत्खनन पट्टे के अधीन उसके द्वारा/उनके द्वारा धारित किन्ही अन्य भूमियों में किये जाने वाले संकायों के संबंध में अपेक्षित नही है, तो वे उन्हें हटाए जाने की अपेक्षा करते हुए कलक्टर द्वारा पट्टेदार/पट्टेदारों को दी गई लिखित सूचना के पश्चात् यदि एक कलण्डर माह के भीतर न हटाए जाएँ, तो वे उनके संबंध में पट्टेदार/पट्टेदारों को कोई प्रतिकर देने या उस बाबत उन्हें केफियत देने के दायित्व के बिना राज्य सरकार की सम्पत्ति समझे जाएंगे तथा वे ऐसी रीति में, जैसी कि राज्य सरकार उचित समझे, विक्रय किये जा सकेंगे या उनका निपटारा किया जा सकेगा |
6. यह पट्टा.....................में निष्पादित किया गया है तथा भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के अध्यधीन, पट्टेदार और पत्ताकर्ता के बीच, एतद्द्वारा, यह करार किया जाता है कि पट्टे के अधीन क्षेत्र, पट्टे की शर्त, पट्टे के अधीन वसूलिया शोध्यों के संबंध में तथा पट्टेदार और पट्टाकर्ता के संबंध के बारे में कोई विवाद होने की दशा में, वाद (या अपीलें)...................स्थित (नगर का नाम) के सिविल न्यायालयों से भिन्न किसी न्यायलय में कोई वाद फाइल करने या कोई कार्यवाई करने या कोई याचिका फाइल करने के लिए पक्षकारों में से कोई भी पक्षकार सक्षम नहीं होगा |
7. स्टाम्प शुल्क के प्रयोजन के लिए पट्टान्तरित क्षेत्र से प्रत्याशित स्वामिस्व रूपये ............प्रतिवर्ष है |
जिसके साक्ष्य में यह विलेख, प्रथमतः ऊपर लिखी तारीख को इसके अधीन वर्णित रीति में निष्पादित किया गया है |
साक्षी :- राज्यपाल (पट्टाकर्ता) के लिए तथा उनकी और से
(1) .............................. ...........................
द्वारा हस्ताक्षरित
(2) .............................. तारीख ............................
पट्टेदार
साक्षी :-
(1) .............................. तारीख ..............................
(1) .......................... ...............................
(हस्तक्षरित तथा पदाभिधान)
प्ररूप-आठ
{देखिए नियम 29 (6)}
खनिज प्रेषण के लिए अभिवहन पास-बुक जारी करने के लिए आवेदन
1. पट्टेदार का नाम ..................................
2. पता ..................................
3. खनिज का स्त्रोतों - ..................................
(एक) खदान का स्थान ..................................
(दो) तहसील ..................................
(तीन) पंचायत ..................................
(चार) जिला ..................................
4. खनिज का नाम ..................................
5. स्टाक में खनिज की मात्रा एवं प्रेषण किये जाने की
प्रस्तावित मात्रा ..................................
6. उस मात्रा के परिवहन का मार्ग तथा ढंग ..................................
7. प्रेषण का प्रयोजन (स्वयं उपभोग/विक्रय)-
विक्रय के मामले में, खरीददार का नाम व् पता दिया
जाना (चाहिए) ..................................
8. रेल परिवहन के मामले में- ...................................
(1) लदान का स्टेशन ...................................
(2) माल का गंतव्य, माल पाने वाले का
नाम एवं पट के साथ ...................................
9. खनिज का विक्रय मूल्य ...................................
10. कालावधि, जिसके भीतर आवेदक मात्रा का प्रेषण/
परिवहन करना चाहता है ...................................
11. अन्य विशिष्टियां, जो आवेदक दर्शाना चाहता है ...................................
मैं/हम एतद्द्वारा प्रमाणित करता हूँ/करते हैं कि ऊपर दी गई विशिष्टियां मेरे/हमारे अधिकतम जानकारी एवं विश्वास के अनुसार सही हैं |
स्थान .....................................
दिनांक.....................................
आवेदक के हस्ताक्षर
प्ररूप-नौ
[देखिए नियम 29(7)]
अभिवहन पास
जिला ...............................
पास बुक क्रमांक ..................................
अभिवहन पास क्रमांक ..................................
पट्टेदार/अनुज्ञा पत्र धारक का नाम ..................................
खनिज तथा ग्राम का नाम ..................................
खदान का क्षेत्र ..................................
उत्खनन पट्टा/अनुज्ञा-पत्र की अवधि-
1. खदान से भेजने की तारीख ..................................
2. खदान से भेजने का समय ..................................
3. ले लाई जाने वाली खनिज की मात्रा (घन मीटर में) ..................................
4. खरीददार का नाम व् गंतव्य स्थान ...................................
5. ले जाने वाले खनिज का मूल्य ...................................
ट्रक/ट्रेक्टर क्रमांक या बैलगाड़ी वाले का नाम ...................................
........................................ ...................................
वाहन के ड्रायवर के हस्ताक्षर खदान के पट्टेदार/ठेकेदार/मुंशी/अधिकृत
अभिकर्ता के हस्ताक्षर
टिप्पणी :-
(1) किसी भी प्रकार का ऊपरी लेखन नहीं होना चाहिए तथा स्पष्ट अक्षरों में भरा जाना चाहिए |
(2) मूल प्रति गाड़ी के वाहक ड्रायवर (चालक) को दी जानी चाहिए और कार्बन कापी दूसरी पास बुक जारी करने के लिए प्राधिकारी के पास जमा करने हेतु इसी किताब में रखी जावे |
(3) तारीख तथा समय का न लिखना तथा ऊपरी लेखन करना दण्डनीय होगा |
(4) एक वाहन को प्रत्येक ट्रिप के परिवहन लिए केवल एक ही अभिवहन पास जारी किया जावेगा |
प्ररूप-दस
[देखिये नियम 30(20) (क)]
मासिक विवरणी
माह...........................के लिए
(आगामी माह की 10 तारीख तक प्रस्तुत की जाने वाली सारणी )
प्रति,
(1)
|
कलेक्टर,
..................................
|
(1)
|
पट्टेदार का नाम ........................
|
(2)
|
ग्राम पंचायत,
..................................
|
(2)
|
पता .................................
|
|
|
(3)
|
खदान की अवस्थिति
|
|
|
(क)
|
ग्राम :-
|
|
|
(ख)
|
तहसील :-
|
|
|
(ग)
|
पंचायत :-
|
|
|
(4)
|
पट्टे के ब्यौरे :-
|
|
|
(क)
|
खसरा नं..........क्षेत्रफल ...........
|
|
|
(ख)
|
पट्टे की अवधि.......
|
नोट .- सभी आंकड़े घनमीटर में दिये जायें |
1.
|
प्रारंभिक स्टाक
|
.....................................
|
2.
|
खनिज का उत्पादन
|
.....................................
|
3.
|
योग
|
......................................
|
4.
|
खनिज की खपत
|
.....................................
|
5.
|
खनिज का प्रेषण
|
....................................
|
6.
|
योग उपभोग प्रेषण (4+5)
|
....................................
|
7.
|
अंत में स्टाक (3-6)
|
....................................
|
8.
|
उपयोग में लाये गये अभिवाहं बुक क्रमांक तथा अनुक्रमांक
|
....................................
|
9.
|
खपत किये गये खनिज से उत्पादन
|
......................................
|
(क) योग्य देय स्वामिस्व का बकाया
|
.....................................
|
(ख) उत्पादन
|
......................................
|
(ग) योग
|
......................................
|
(घ) प्रेषण
|
.......................................
|
(ड़) अंत में स्टाक
|
........................................
|
10.
|
योग्य माह के लिए स्वामिस्व
|
.........................................
|
11.
|
इस माह के लिए स्वामिस्व
|
.......................................
|
12.
|
कुल स्वामिस्व (10+11)
|
......................................
|
13.
|
भुगतान की गई स्वामिस्व
|
.....................................
|
|
चालान क्रमांक ...........दिनांक ................ स्थान ...............
|
|
14.
|
शेष बकाया (12-13)
|
|
15.
|
टिप्पणियां
|
...................................
|
|
|
|
|
स्थान ................................. .....................................
दिनांक ................................... .....................................
पट्टेदार अथवा उसके प्राधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर
प्ररूप ग्यारह
[देखिए नियम 30(20) ख ]
1-1-19..........से 30-6-19............
1-7-19.........से 31-12-19............
तक की कालावधि के लिए अर्धवार्षिक विवरणी
(15 जुलाई/15 जनवरी तक प्रस्तुत किया जाय)
प्रति,
कलेक्टर,
.................... (1) पट्टेदार का नाम ....................
(2)पता..................................
(3) खदान की अवस्थिति.................
(क) ग्राम :-
(ख) तहसील:-
(ग) पंचायत :-
(4) पट्टे का विवरण :-
(क) खसरा नं.....खेत्रफल.......
(ख) पट्टे की अवधि..............
नोट.- सभी आंकडे घनमीटर तथा रुपयों में दिए जायें |
1. अर्धवर्ष में कुल उत्पादन ..........................
2. उपयोग ..........................
3. प्रेषण ..........................
4. योग ..........................
5. स्वामिस्व ..........................
6. भुगतान किया गया अनिवार्य भाटक ..........................
7. भुगतान योग्य स्वामिस्व (5-6) ..........................
8. भुगतान किया गया स्वामिस्व चालानक्रमांक.......दिनांक.........स्थान.........
कृपया
(1) गड्ढ़ा मुख मूल्य .............................
(2) विक्रय मूल्य .............................
(3) प्रतिदिन कार्य पर लगाये गये व्यक्तियों का औसत .............................
(4) खदान की गहराई ..............................
(5) विस्फोटक का उपयोग, यदि कोई है,के व्यौरे दें ……………...............
स्थान .....................
पट्टेदार अथवा उसके प्राधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर
दिनांक ....................
प्ररूप-बारह
[देखिए नियम 30 (20) (ग)]
वार्षिक विवरणी
(प्रतिवर्ष 31 जनवरी तक प्रस्तुत की जाय)
प्रति,
कलेक्टर
......................
भाग-एक
साधारण
1.
|
पट्टेदार का नाम तथा पता
|
……………...............
|
2.
|
खान/खदान का नाम
|
……………...............
|
3.
|
खनिज
|
……………...............
|
4.
|
पट्टा क्षेत्र के विवरण ---
|
……………...............
|
|
(एक)
|
कुल क्षेत्रफल खसरा नंबरों सहित
|
……………...............
|
|
(दो)
|
निष्पादन की दिनांक
|
……………...............
|
|
(तीन)
|
कब्जे का दिनांक
|
……………...............
|
|
(चार)
|
पट्टे की कालावधि
|
……………...............
|
|
(पांच)
|
ग्राम पंचायत
|
……………...............
|
|
(छः)
|
थाना
|
……………...............
|
|
(सात)
|
पोस्ट आफिस
|
……………...............
|
|
(आठ)
|
जिला
|
……………...............
|
5.
|
अंतरक अथवा पूर्व पट्टेदार यदि कोई हो तथा अंतरण के दिनांक
|
……………...............
|
6.
|
स्वामिस्व :- (कृपया सही का चिन्ह लगाइये)
|
……………...............
|
|
(एक)
|
अनुसूचित जनजाति सोसायटी
|
……………...............
|
|
(दो)
|
अनुसूचित जाति सोसायटी
|
……………...............
|
|
(तीन)
|
शिक्षित बेरोजगार सोसायटी
|
……………...............
|
|
(चार)
|
व्यक्ति (अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अन्य पिछडा वर्ग आदि दर्शाएं)
|
……………...............
|
|
(पांच)
|
कोई अन्य
|
……………...............
|
|
|
|
|
|
भाग-दो
क्षेत्र का उपयोग
7. वर्ष के अंत में पट्टा क्षेत्र का उपयोग :-
(एक) क्षेत्र जिसका पहले से ही उपयोग किया जा चूका
था तथा त्यागा जा चिका है | ..........................
(दो) वर्तमान संक्रियाओं के अधीन आनेवाला क्षेत्र ..........................
(तीन) अवशिष्ट व्यय के उपयोग में लगाया गया क्षेत्र ......………………..
(चार) किसी अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग में लगाया गया
क्षेत्र (ब्यौरा दें) ..........................
भाग तीन
भाटक (रेन्ट्स) तथा स्वामिस्व (रायल्टीज )
8. वर्ष के भुगतान के दौरान किया गया स्वामिस्व (रायल्टी) ................
(क) वर्ष के दौरान स्वामिस्व .................
(ख) पिछले बकाया की राशि यदि कोई हो जो इस
वर्ष के दौरान भुगतान की है .................
9. इस वर्ष के दौरान भुगतान किये गये अनिवार्य भाटक की राशि .................
10. सतही भाटक (सरफेस रेंट) ................. (एक) क्षेत्र जिसके लिए सतही भाटक भुगतान योग्य है .................
(दो) वर्ष के लिए भुगतान की गई राशि .................
(तीन) पिछले बकाया, यदि कोई हो, की राशि जो
भुगतान की गई है :- .................
भाग-चार
11. उत्पादन एवं प्रेषण-
प्रारंभिक स्टाक
|
उत्पादन
|
प्रेषण
|
अंतिम स्टाक
|
|
|
|
|
भाग-पांच
उत्पादन लागत
लागत प्रति टन
(एक) प्रत्यक्ष लागत .................
(दो) ऊपरी लागत .................
(तीन) ब्याज .................
(चार) मूल्यह्यास .................
(पांच)कर स्वामिस्व आदि .................
12. उपयोग किये गये विस्फोटक तथा मशीनें (विशिष्ट विवरण दें) |
स्थान...................
.................................
दिनांक ..................
पट्टेदार अथवा उसके प्राधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर
प्ररूप-तेरह
[देखिए नियम 30(24)]
सूचना पत्र
1. (क) खान का नाम .................
(ख) उत्खनन किय गये खनिज का नाम, .................
(ग) खान की स्थिति (ग्राम, थाना, उपसंभाग, जिला राज्य .................
(घ) दिनांक जब प्रथम बार कार्य प्रारंभ किया गया था .................
2. (क) वर्तमान मालिक/मालिकों का नाम एवं डाक का
पता, यदि कोई हो, .................
(ख) अभिकर्ता (एजन्ट) का नाम एवं डाक का पता, यदि
कोई हो, .................
3. (क) प्रबंधक का नाम एवं डाक का पता, यदि कोई हो | .................
(ख) उसकी आयु .................
(ग) उसकी अहर्ताएं .................
(ध) खनन के कार्य में उसका अनुभव .................
4. क्या खनन क्रियाओं का भूमितल के नीचे विस्तार किये जाने
की संभावना हैं |
5. (क) सबसे ऊपरी बिन्दु से नीचे तक परिमापित खुली
खदान में की गई खुदाई की अधिकातम गहराई .................
(ख) दिनांक जब प्रथम बार गहराई 6 मीटर से अधिक
हुई है | ............…..
6. (क) उपयोग किये गये विस्फोटों का स्वरुप, मात्रा एवं
प्रकार, यदि कोई हो | ...........……
(ख) दिनांक जब प्रथम बार विस्फोटकों का उपयोग
किया गया .................
........................................ मालिक/अभिकर्ता/प्रबंधक के हस्ताक्षर
दिनांक...............................
1. महानिदेशक, खान सुरक्षा, भारत शासन, धनबाद
2. महा नियंत्रक, भारतीय खान ब्यूरो, भारत शासन, नागपुर,
3. उस जिले का जिला दण्डाधिकारी जहां खान स्थित है |
4. खनि अधिकारी/सहायक खनि अधिकारी को भेजा जाये
प्ररूप-चौदह
उत्खनन पट्टा के अंतरण के लिये माडल प्ररूप
[नियम 35 (3)]
जब अंतरक एक व्यक्ति है............................यह विलेख एक पक्षकार के रूप में...................(व्यक्ति का नाम, पता और उपजीविका) (जिसे इसमें पश्चात् अंतरक कहा गया है और जहां संदर्भ के अनुकूल हो, वहां इसके अंतर्गत उसके वारिस, निष्पादक, प्रशासक, प्रतिनिधि तथा अनुज्ञात समनुदेशिती भी समझे जाएंगे) |
अथवा
जब अंतरक एक सोसाइटी/सहयोजन है..................................(सोसाइटी/सहयोजन का नाम, पता और उपजीविका) और......................................(व्यक्ति का नाम, पता और उपजीविका) (जिसे इसमें पश्चात् “अंतरक” कहा गया है और जहां संदर्भ के अनुकूल हो इसके अंतर्गत उनके क्रमशः वारिस, निष्पादक, प्रशासक, प्रतिनिधि तथा समनुदेशिती भी समझे जाएंगे) |
अथवा
जब अंतरक एक रजिस्ट्रीकृत फर्म है..............................(सभी भागीदारों का नाम और पता सहित) जो भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (1932 का सं. 9) के अधीन रजिस्ट्रीकृ त एक फर्म है और जो .............................(एक फर्म का नाम) नाम तथा अभिधान के अधीन भागीदारी में कारबार चला रही है और जिसका रजिस्ट्रीकृत कार्यालय.........................................में है (जिसे इसमें इसके पश्चात् “अन्तरक” कहा गया है और जहां संदर्भ के अनुकूल हो वहां इसके अंतर्गत उक्त्त सभी भागीदार, क्रमशः उनके वारिस, निष्पादक, विधिक प्रतिनिधि और अनुज्ञात समनुदेशिती भी समझे जाएंगे) |
अथवा
जब अंतरक रजिस्ट्रीकृत एक कंपनी है..........................................(कंपनी का नाम) जो......................................(अधिनियम जिसके अधीन निगमित है) के अधीन रजिस्ट्रीकृत कंपनी है और जिसका रजिस्ट्रीकृत कार्यालय..................................................(पता) में है (जिसे इसमें इसके पश्चात् “अंतरक” कहा गया है और जहां संदर्भ के अनुकूल हो वहां इसके अंतर्गत उसके उत्तराधिकारी और अनुज्ञात समनुदेशिती भी समझे जाएंगे) |
और
जब अंतरिती एक व्यक्ति है..........................................द्वितीय पक्षकार के रूप में............................................(व्यक्ति का नाम, पता और उपजीविका) (जिसे इसके पश्चात् “अंतरिती” कहा गया है और जहां संदर्भ के अनुकूल हो, वहां इसके अंतर्गत उसके वारिस, निष्पादक, प्रशासक, प्रतिनिधि तथा अनुज्ञात समनुदेशिती भी समझे जाएंगे) |
अथवा
जब अंतरिती एक सोसाइटी/सहयोजन है..............................................( सोसाइटी सहयोजन का नाम, पता और उपजीविका) और...............................................(व्यक्ति का नाम, पता और उपजीविका) (जिसे इसके पश्चात् “अंतरिती” कहा गया है जहां संदर्भ के अनुकूल हो वहां इसके अंतर्गत उसके क्रमशः वारिस, निष्पादक, प्रशासक, प्रतिनिधि तथा उसके अनुज्ञात समनुदेशिती भी समझे जाएंगे) |
अथवा
जब अंतरिती रजिस्ट्रीकृत एक फर्म है.....................................(सभी भागीदारों का नाम और पता सहित).................................(जो भारतीय भागीदार अधिनियम, 1932 (1932 का सं. 9) के अधीन रजिस्ट्रीकृत फर्म है (जो फर्म का नाम)....................................नाम तथा अभिनाम के अधीन भागीदारी में कारबार चला रही है और जिसका रजिस्ट्रीकृत कार्यालय......................................में हैं (जिसे इसके पश्चात् “अंतरिती” कहा गया है और जहां संदर्भ के अनुकूल हो वहां उसके अंतर्गत उक्त्त सभी भागीदार, उसके क्रमशः वारिस, निष्पादक, विधिक प्रतिनिधि और अनुज्ञात समनुदेशिती भी समझे जाएंगे) |
जब अंतरिती रजिस्ट्रीकृत एक कंपनी है .............................(कंपनी का नाम) जो .....................(अधिनियम जिसके अधीन निगमित है) के अधीन रजिस्ट्रीकृत एक कंपनी है और जिसका रजिस्ट्रीकृत कार्यालय..................................(पता) में है (जिसे इसमें इसके पश्चात् “अंतरिती” कहा गया है और जहां संदर्भ के अनुकूल हो वहां उसके उत्तराधिकारी और अनुज्ञात समनुदेशिती भी समझे जाएंगे) |
और
तृतीय पक्षकार के रूप में मध्यप्रदेश के राज्यपाल (जिन्हें इसके पश्चात् “राज्य सरकार” कहा गया है और जहां संदर्भ के अनुकूल हो वहां इसके अंतर्गत उनके उत्तरवर्ती और समनुदेशिती भी समझे जाएंगे) के बीच आज तारीख............................माह...................सन्...................को किया गया |
यतः तारीख...........................के पट्टा विलेख के आधार पर, जो ...................(स्थान) के उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में तारीख ...........................को क्रमांक ........................के रूप में रजिस्ट्रीकृत किया गया है (जिसे इसके पश्चात् “पट्टा” कहा गया है) और जिसकी मूल प्रति को, उस पर “क” चिन्हांकित कर इसके साथ संलग्न किया गया है, जो राज्य सरकार को (जिसे इसमें “पट्टाकर्ता” कहा गया है) और अंतरक (जिसे इसमें “पट्टेदार” कहा गया है) के बीच किया गया है, अन्तरक उसमें संलग्न अनुसूची में वर्णित भूमियों में वर्णित उस अवधि के लिए उन भाटकों और स्वामिस्वों (रायल्टी) का भुगतान करने पर पट्टेदार की प्रसंविदा और शर्तों का, जो उक्त पट्टाविलेख मे आरक्षित और अंतर्विष्ट है, पालन और अनुपालन करने पर ........................(खनिज/खनिजों का नाम) ढूंढने के संबंध में, प्राप्त करने और खान और खनिजों से संबंधित कार्य करने का हकदार है तथा जिसके अंतर्गत ऐसी प्रसंविदा भी है कि वह, सक्षम प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी के बिना, पट्टा या उसके अधीन किसी हित का समनुदेशन नहीं करेगा |
और यतः अंतरक अब अंतरिती को पट्टे का अंतरण और समनुदेशन करना चाहता है और सक्षम प्राधिकारी के अंतरक की प्रार्थना पर आदेश क्रमांक.....................दिनांक................अंतरक को पट्टे का ऐसा अंतरण और समनुदेशन इस शर्त पर करने की अनुज्ञा दे दी है, कि अंतरिती एक ऐसा करार करेगा जिसमें इसमें इसके पश्चात् वर्णित निबंधन और शर्तें होंगी | अब यह विलेख निम्नानुसार इस बात का साक्षी है कि :-
1. अंतरिती एतदेद्वारा राज्य सरकार से प्रसंविदा करता है कि पट्टे के अंतरण और समनुदेशन से और उसके बाद, अंतरिती इसमें इसके पूर्व कथित किये गये पट्टों में अंतर्विष्ट सभी प्रसंविदाओं, अनुबंधों और शर्तों के सभी उपबंधों का सभी प्रकार से पालन और अनुपालन करने के लिए और उसके अनुरूप कार्य करने के लिए उसी प्रकार से आबद्ध और दायी होगा मानो कि वह पट्टा अंतरिती को पट्टेदार के रूप में इस प्रकार प्रदान किया गया था और उसने उसे मूल में निष्पादित किया है |
2. एक पक्षकार के रूप में अंतरक और दूसरे पक्षकार के रूप में अंतरिती के बीच एतद्द्ववार यह और करार किया जाता है और उनके द्वारा घोषणा की जाती है कि-
(एक) अंतरक और अंतरिती यह घोषणा करते हैं कि उन्होंने यह सुनिश्चित कर लिया है कि जिस क्षेत्र के लिए उत्खनन पट्टा अंतरित किया जा रहा है उस पर खनिज संबंधी अधिकार राज्य सरकार में निहित हैं |
(दो) अंतरक एतद्द्वारा यह घोषणा करता है कि उसने उत्खनन पट्टे का, जो अब अंतरित किया जा रहा है, उसने समनुदेशन नहीं किया है, उप-पट्टे पर नहीं दिया है, बंधक नहीं किया है या किसी अन्य रीति में अंतरित नहीं किया है और कि अंतरित किये जा रहे वर्तमान उत्खनन पट्टे किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों का कोई अधिकार, हक या हित नहीं है |
(तीन) अंतरक यह भी घोषणा करता है कि उसने ऐसा कोई करार, संविदा या समझौता नहीं किया है जिसके द्वारा उसका पर्याप्त वित्त पोषण प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सारवान सीमा तक किया गया था या किया जा रहा है और या जिसके द्वारा या जिसके अधीन अन्तरक की संक्रिया या समझौते का सारभूत रूप में नियंत्रण, अंतरक से भिन्न किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय द्वारा किया जा रहा था या किया जा रहा है |
(चार) अंतरिती, एतद्द्वारा, यह घोषणा करता है कि उसने वे सभी शर्तें और दायित्व स्वीकार कर लिये हैं जो ऐसे उत्खनन पट्टे के संबंध में अंतरक के पास थे |
(पांच) अंतरिती, एतद्द्वारा, यह घोषणा करता है कि यह खनन संक्रिया के लिये वित्तीय रूप से सक्षम है और उसे स्वयं करेगा |
(छ:) अंतरक ने अंतरिती को क्षेत्र में के और उसके चारों और 65 मीटर के दायरे में के सभी परित्यक्त कार्यों के सभी मानचित्रों की मूल या अधिप्रमाणित प्रतियां दे दी हैं |
(सात) अंतरिती, एतद्द्वारा, यह घोषणा करता है कि इस अंतरण के परिणामस्वरूप, उसके द्वारा उत्खनन पट्टे के अधीन धारित कुल क्षेत्र, मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 के उल्लंघन में नहीं हैं |
(आठ) अंतरक ने, इस पट्टे के संबंध में, आज दिनांक तक सरकार को शोध्य सभी भाटक, स्वामिस्व (रायल्टी) और अन्य शोध्यों का भुगतान कर दिया है |
इसके साक्ष्य स्वरुप इसके पक्षकारों ने इसके सर्वप्रथम लिखे दिनांक को इस पर अपने-अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं |
अनुसूची
पट्टे की अवस्थिति और उसका क्षेत्र ..................................(क्षेत्र या क्षेत्रों का विवरण) ग्राम .............................तहसील .........................जिला...................................में स्थित भूमियों के वे सभी भूखंड जिनका खसरा नं...................................है और जिनका क्षेत्रफल................................या उसके लगभग है और जिसे इससे संलग्न नक्शे में .............................................रंग से दर्शाया गया है और जिसकी सीमाएं निम्नानुसार हैं
उत्तर में.........................
दक्षिण में........................
पूर्व में ..........................और
पश्चिम में ......................
राज्य सरकार के लिए और उसकी और से ....................................ने
1.
2.
की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए |
निम्नलिखित की उपस्थिति में अंतरक ने हस्ताक्षर किए.........................
1.
2.
निम्नलिखित की उपस्थिति में अंतरिती ने हस्ताक्षर किए...............................
1.
2.
प्ररूप-पन्द्रह
(नियम 37)
उत्खनन अनुज्ञा पत्र के लिये आवेदन का प्ररूप
दिनांक ................ 19 को स्थान ................... में प्राप्त किया दिनांक.............
प्राधिकृत अधिकारी के लघु हस्ताक्षर
प्रति,
....................................
श्रीमान,
मैं/हम निवेदन करते हैं कि मुझ/हमें मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 के अधीन उत्खनन अनुज्ञापत्र प्रदान किया जाये |
इसे आवेदन के संबंध में फीस के रूप में 25/- की राशि जमा कर दी गई है तथा उसकी मूल नगदी रसीद संलग्न हैं |
निम्नलिखित विशिष्टियां संलग्न हैं :-
1. आवेदक का नाम
2. आवेदक का पता
3. रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र और सोसाइटी सहयोजन की उपविधि
4. वृत्ति/कारोबार की प्रकृति तथा कार्य का स्थान
5. जाति (व्यक्ति या सोसाइटी या सहयोजन के सदस्य)
6. शैक्षणिक अर्हता (व्यक्ति या सोसाइटी या सहयोजन के सदस्य)
7. आयु (व्यक्ति या सोसाइटी या सहयोजन के सदस्य)
8. आर्थिक स्थिति (व्यक्ति या सोसाइटी या सहयोजन के सदस्य)
9. आवेदित गौण खनिज का नाम
10. अपेक्षित मात्रा खनिज का नाम
11. समय, जिसके भीतर समस्त मात्रा हटाई तथा परिवहन की जावेगी |
12. गौण खनिज का किस प्रयोजन के लिये उपयोग किया जाएगा |
13. निजी भूमि की दशा में भूमिस्वामी/भूमि स्वामियों की सहमति |
14. खनन के बकाया के भुगतान यदि कोई हो का प्ररूप-दो में विधिमान्य और अद्दतन अनापित्त प्रमाण पत्र |
15. उस क्षेत्र को दर्शाते हुये जहां से गौण खनिज हटाया तथा परिवहन किया जाना है खसरा पंचसाला सहित
ग्राम के प्रमाणित नक्शों की प्रति |
मैं/हम एतद्द्वारा घोषित करते हैं कि प्रस्तुत की गई विशिष्टियां कि प्रस्तुत की गई विशिष्टियां सही हैं तथा मैं/हम कोई अन्य ब्यौरे जो आपके द्वारा अपेक्षित हों, प्रस्तुत करने का तैयार हूं/है | मैं/हम एतद्द्वारा यह और भी घोषित करते हैं कि मैं/हम अनुज्ञापत्र तथा म.प्र. गौण खनिज नियम, 1996 के नियमों में दर्शाये गये अनुसार निबंधन तथा शर्तों तथा सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिरोपित किन्हीं अन्य शर्तों का अनुसरण करेंगे |
स्थान....................
आवेदक के हस्ताक्षर
दिनांक...................
16. प्ररूप-सोलह
[देखिए नियम 38(2)]
उत्खनन अनुज्ञापत्र प्रदान करने के लिये प्ररूप
उत्खनन अनुज्ञापत्र क्रमांक .........................
दिनांक ...........................
चूंकि श्री ..................ने ग्राम पंचायत ........................तहसील ......................में खसरा नंबर ...............से ..........................(गौण खनिज) हटाने तथा परिवहन करने के लिये उत्खनन अनुज्ञापत्र प्रदान करने के लिये म. प्र. गौण खनिज नियम, 1996 के नियम के अधीन आवेदन किया है तथा आवेदन फीस रु. 25/- जमा कर दी है |
.................................(खनिज) उत्खनन, एकत्रीकरण, हटाने तथा परिवहन की उपर्युक्त दर्शाये क्षेत्र/क्षेत्रों, जिनका प्लान यहां संलग्न है, निम्नलिखित शर्तों के अधीन एतद्द्वारा अनुमति प्रदान की जाती है :-
1. उत्खनन अनुज्ञापत्र जारी करने की दिनांक से ..............................तक विधिमान्य होगा |
2. उत्खनन अनुज्ञापत्र धारक म.प्र. गौण खनिज नियम, 1996 में उपबंधित शर्तों का पालन करेगा |
सक्षम प्राधिकारी के हस्ताक्षर
पद मुद्रा सहित
प्रति,
श्री ...............................
प्रतिलिपि :-
1. जिले का खनन अधिकारी/सहायक खनन अधिकारी
2. जनपद पंचायत/ग्राम पंचायत
सक्षम प्रधिकारी के हस्ताक्षर
पदमुद्रा सहित
प्ररूप-सत्रह
[नियम 38 (2) देखिये]
उत्खनन अनुज्ञा पत्र करार
जिला विलेख एक पक्षकार के रूप में जिला/जनपद/ग्राम पंचायत (जिन्हें इसमें इसके पश्चात् पट्टाकर्ता कहा गया है और इसके अंतर्गत जहां संदर्भ के अनुकूल है, उनके पदोत्तरवर्ती और समनुदेशिती भी हैं) तथा दूसरे पक्षकार के रूप में ............................(जिसे इसमें इसके पश्चात् “पट्टेदार” कहा गया है और इसके अंतर्गत जहां संदर्भ के अनुकूल हैं, वारिस, निष्पादक प्रतिनिधि और समनुदेशिती भी हैं), के बीच आज तारीख .................................को किया गया है |
यतः पट्टेदार को उसके आवेदन पर............................(खनिज का नाम) के उत्खनन के प्रयोजन के लिये ...........................ग्राम..................तहसील जिला ..........................के खसरा क्रमांक ..............................की भूमि के ................................हेक्टर क्षेत्र पर उत्खनन अनुज्ञा पत्र प्रदान किया गया है और पट्टेदार उसकी ओर से इसमें इसके पश्चात् यथा उल्लिखित शर्तों एवं निबंधनों के सम्यक् और निष्ठापूर्वक पालन करने के लिये आवेदन फीस रुपये 25/- (रुपये पच्चीस) तथा प्रतिभूति के रूप में रुपये ........................(....................) जमा किये हैं |
और यतः जिला/जनपद/ग्राम पंचायत .............................कालावधि के लिये यथावर्णित और पट्टान्तरित भूमि के संबंध में और इसमें इसके पश्चात् उल्लिखित प्रसंविदाओं तथा शर्तों के अध्यधीन रहते हुए यह विलेख निम्नानुसार साक्ष्यांकित करता है :
1. पट्टाकर्ता, एतद्द्वारा, पट्टेदार को इसमें इसके अधीन दी गई अनुसूची में वर्णित ऐसी समस्त भूमियां, जो इससे संलग्न रेखांक में अंकित की गई हैं और उसमें ...............................रंग में दशार्ई गई हैं, पट्टान्तरित करता है |
2. उक्त पट्टान्तरण में और उसमें उल्लिखित प्रयोजन के लिये निम्नलिखित स्वतंत्रताएं समाविष्ट की जाती है:-
(एक) पट्टेदार द्वारा उक्त भूमि में से, इसमें इसके पश्चात् प्राधिकृत खनिज प्राप्त करना ;
(दो) सामान्यतः ऐसे समस्त कार्य जो खनिज प्राप्त करने और उसे हटाने तथा उसका निपटारा करने के लिये सुविधाजनक और आवश्यक हों, करना ;
(तीन) पट्टेदार, एतद्द्वारा इस बात के लिये राजी है कि उक्त कालावधि के दौरान अनुसूची-तीन में विनिर्दिष्ट स्वामिस्व का भुगतान करेगा :
(चार) पट्टान्तरित भूमि पर या उसके उत्पादनों पर विद्दमान और भविष्य में अधिरोपित या प्रभारित किन्हीं उपकरों, निर्धारण को वहन करना, उनको भुगतान करना और उनका उन्मोचन करना :
(पांच) पट्टान्तरित भूमि को समनुदेशित न करना, उप पट्टे पर न देना या उसके कब्जे से विलग नहीँ होना ;
(छह) यह कि पट्टेदार, उक्त भूमि में से उसके द्वारा प्राप्त किये गये उक्त खनिजों की मात्रा और अन्य विशिष्टियां दर्शाते हुए ऐसे प्ररूप में, जैसा कि प्राधिकारी द्वारा समय-समय पर अपेक्षित किया जाय तथा निदेशित किया जाय, सही लेखा रखेगा ;
(सात) यदि उत्खनन के दौरान अन्य खनिज का, जो इस करार में विनिर्दिष्ट नहीं है, पता चलता है, तो पट्टेदार तत्काल ऐसे पता चलने की रिपोर्ट संबंधित प्राधिकारी को देगा और उसकी खुदाई के लिए सक्षम प्राधिकारी के आदेश प्राप्त करेगा ;
(आठ) पट्टकर्ता या उनके प्राधिकृत अधिकारी, पट्टेदार द्वारा की गई खुदाई का युक्तियुक्त समस्त समय पर निरीक्षण और परीक्षण करने के लिये स्वतंत्र रहेगा और ऐसे निरीक्षण के परिणामस्वरूप ऐसे आदेश या विनिमय जारी कर सकेगे जो भूमि की सुव्यस्थित ओर अच्छी हालत में रखने या जनहित तथा सुरक्षा के हित में आवश्यक हो ;
(नौ) पट्टेदार किसी इमारती लकड़ी या वृक्षों को नहीं कटेगा ओर क्षति नहीं पहुचाएगा|
(दस) पट्टेदार जहाँ कहीं भी आवश्यक हो पट्टान्त्रित भूमि की सतह को या उसमे उगने वाली या उसमे स्थित किसी भी वनास्पति को उसके द्वारा पहुचाई गयी क्षति या हानि के लिए प्रतिकार का भुगतान करेगा |पट्टेदार किसी भी व्यक्ति द्वारा किये गए किसी भी ऐसे दावों से, जो पट्टेदार द्वारा या उसे उसकी संपत्ति को पहुचाई गयी हानि या क्षति के संबंध में किया जाए, पट्टाकर्ता को और आगे तथा सदेव क्षति पूरित रखेगा | प्राधिकारी इस हेतु पट्टेदार के द्वारा भुगतान योग्य ऐसे किसी भी प्रतिकार का निधारण करने तथा नियत करने हेतु सक्षम होगा ;
(ग्यारह) पट्टेदार अपने स्वयं के व्यय पर इसके संलग्न रेखांक में दर्शाए अनुसार सीमा पर सारवान सामग्री के सीमा स्तंभ स्थापित करेगा और उन्हें बनाए रखेगा ;
(बारह) यह कि उन सम्पूर्ण या उन भूमियों के किसी भाग के संबंध में किसी भी पक्षकार द्वारा एक मास की लिखित सूचना द्वारा यह पट्टा समाप्त किया जा सकेगा परन्तु यह की ऐसे सूचना देने के पूर्व पट्टेदार द्वारा समस्त शोध्यों का भुगतान कर दिया गया है ;
(तेरह) यह कि ऐसे परयाव्सन पर पट्टेदार को किसी भी प्रकार के प्रतिकार का अधिकार नही होगा;
(चौदह) पट्टेदार समस्त दुर्घटनाओं की रिपोर्ट सक्षम प्राधिकारी तथा जिले के कलक्टर को तत्काल देगा ;
(पन्द्रह) पट्टेदार, सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्ररूप-नौ में जारी किये गये विधिमान्य अभिवहन पास के बिना किसी खनिज का परिवहन नहीं करेगा | अनुज्ञा की कालावधि का अवसान होने पर उपयोग किये गये अभिवहन पास की दूसरी प्रतियां और उपयोग न किये गये अभिवहन पास समर्पित करेगा |
3. पट्टाकर्ता, एतद्द्वारा पट्टेदार के साथ यह प्रसंविदा करता है कि मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में उपबंधित विभिन्न प्रसंविदाओं और इसमें के अनुबंधों का पालन करने तथा संपादन करने पर, पट्टेदार पट्टान्तरित भूमि को शांतिपूर्वक धारण करेगा और उसका उपभोग करेगा और एतद्द्वारा पट्टान्तरित तथा प्रदान की गई स्वतंत्रताओं का उक्त कालावधि के दौरान पट्टाकर्ता या उसके अधीन अधिकार पूर्ण दावा, करने वाले किसी व्यक्ति के हस्तक्षेप के बिना, उपभोग करेगा |
4. उक्त पट्टान्तरित, भूमि, पट्टेदार द्वारा तारीख...........माह ..........वर्ष 19...........से तारीख ........माह ............वर्ष ............तक ..........वर्ष की कालावधि के लिये धारित की जायगी |
इसके साक्ष्य स्वरुप जिला/जनपद/ग्राम पंचायत/के लिये और उनकी ओर से तथा उसके आदेश और निदेश से..................................और उक्त पट्टेदार ने इस पर अपने-अपने हस्ताक्षर कर दिये हैं |
अनुसूची
ग्राम का नाम
|
खसरा क्रमांक
|
क्षेत्रफल हेक्टेयर में
|
सीमायें
|
उपरि नमिते द्वारा हस्ताक्षर और परिदत्त
साक्षी-
1 ....................
2 ....................
पट्टाकर्ता
साक्षी-
1 ....................
2 ....................
पट्टाकर्ता
प्ररूप-अठारह
{देखिए नियम 41}
उत्खनन अनुज्ञापत्र का रजिस्टर
1. अनुज्ञापत्र धारक का नाम व पता
2. आवेदन का दिनांक
3. खनिज, जिसके लिये अनुज्ञापत्र प्रदान किया गया है
4. आदेश का क्रमांक व दिनांक
5. कालावधि
6. ग्राम
7. तहसील
8. खसरा क्रमांक तथा क्षेत्रफल
9. अधिकारी के हस्ताक्षर
10. टिप्पणियां
प्ररूप-उन्नीस
[देखिये नियम 48(1)]
पर्यावरण प्रबंध की स्कीम
1. उत्खनन पट्टा धारक का नाम और पता
2. क्षेत्र की विशिष्टियां
(एक) करारनामा के निष्पादन का दिनांक
(दो) कालावधि
(तीन) क्षेत्र की सीमा
(चार) खनिज
(पांच) खसरा क्रमांक
(छह) पंचायत एवं तहसील
(सात) जिला
3. उपयोग में लाई जाने वाली मशीनों की विशिष्टियां
4. पहले से ही बनाये गये सभी गड्ढों तथा पट्टे की सीमा से 500 मीटर तक के सभी क्षेत्रों के ब्यौरों का दर्शाते हुय क्षेत्र का नक्शा
5. किये गये उत्खनन संक्रियाओं के ब्यौरे
6. वृक्षारोपण की स्कीम
7. क्षति पहूंची भूमि की निरंतर कृष्यकरण तथा पुनर्वास की स्कीम
8. वायु एवं पानी प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण
9. कोई अन्य मामले जो पट्टेदार प्रस्तुत करना चाहता है
स्थान :
पट्टेदार के हस्ताक्षर
दिनांक :
पूरा नाम
प्ररूप-बीस
[देखिए नियम 48 (5)]
पर्यावरण की त्रैमासिक रिपोर्ट
प्रति,
कलक्टर
.................................
पिन...........................
1. पट्टाधारक का नाम व पता
2. पट्टे की विशिष्टियां
3. वृक्षारोपण
(एक) इस कालावधि के दौरान लगाये गये वृक्षों की संख्या
(दो) वृक्षारोपण का क्षेत्रफल
4. क्षेत्र जिसमें कार्य समाप्त हो गया है
5. कृष्यकरण किये गये क्षेत्रफल
6. ऊपरी, मिट्टी, ओवरबर्डन के ढेर आदि-आकार, प्रकार
7. स्थिरीकरण के लिये सावधानियां
8. कोई अन्य मामला जो पट्टेदार करना चाहता है
स्थान....................
हस्ताक्षर ....................
दिनांक .................
पूरा नाम....................
पदनाम .......................
प्ररूप-इक्कीस
[देखिए नियम 60]
(तीन प्रतियों में प्रस्तुत किया जाय)
अपील/पुनर्विलोकन/पुनरीक्षण के लिए, आवेदन का आदर्श प्ररूप
1. आवेदन करने वाले व्यक्ति/व्यक्तियों, सोसाइटी, फर्म
या कंपनी का नाम और पता
1. वृत्ति
2. प्राधिकारी का नाम ओदश का क्रमांक और दिनांक जिसके विरुद्ध अपील/पुनर्विलोकन/पुनरीक्षण के
लिए आवेदन दायर किया गया है (प्रति संलग्न है)
4. गौण खनिज जिसके लिये अपील/पुनर्विलोकन/पुनरीक्षण के लिए आवेदन दायर किया गया है
5. उस क्षेत्र के ब्यौरे जिसकी बाबत् अपील/पुनर्विलोकन/पनरीक्षण आवेदन दायर किया गया है
जिला
|
तहसील
|
ग्राम
|
पंचायत
|
खसरा क्रमांक तथा कुल क्षेत्रफल जिसका दावा किया गया है
|
(क्षेत्र/क्षत्रों का नक्शा या मानचित्र संलग्न किया जाय)
6. क्या आवेदन फीस विहित रीति से जमा की गई है | मूल रसीद संलग्न की जाय |
7. क्या अपील/पुनर्विलोकन/पुनरीक्षण के लिये आवेदन विनिर्दिष्ट समय में दाय किया गया है, यदि नहीं तो जैसा कि नियमों में उपबंधित है विहित सीमा में पेश न किए जाने का कारण
8. पक्षकार जो बनाये गये हैं, का नाम व पूरा पता
9. संलग्न की गई प्रतियों की संख्या
10. अपील/पुनर्विलोकन/पुनरीक्षण के आधार
11. यदि अपील/ पुनर्विलोकन/पुनरीक्षण आवेदन मुख्तारनामा धारण करने वाले द्वारा दायर किया गया है तो मुख्तारनामा संलग्न किया जाय |
स्थान:
आवेदक के हस्ताक्षर
दिनांक :
[म. प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 23-3-96 पृष्ठ 219-220(69) पर प्रकाशित]
साभार – एम.पी. कोड म.प्र. शासन