छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (संशोधन) अधिनियम, 2006
No: 15 Dated: Mar, 31 2006
Chhattisgarh Fiscal Responsibility And Budget Managment Act, 2005
छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध अधिनियम, 2005
छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (संशोधन) अधिनियम, 2006
छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध अधिनियम, 2005 (क्रमांक 16 सन् 2005 ) को " संशोधित करने हेतु अधिनियम,
भारत गणराज्य के सत्तावन वर्ष में छत्तीसगढ़ विधान सभा द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :
1. (1) यह अधिनियम छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (संशोधन) अधिनियम, 2006 कहा जायेगा.
(2) यह राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होगा.
2. छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध अधिनियम, 2005 (क्रमांक 16 सन् 2005) की धारा-3 के स्थान पर निम्नलिखित स्थापित किया जाये, अर्थात् :-.
3 (1) .. "वार्षिक लक्ष्य :-राज्य सरकार 31 मार्च, 2009 तक राजस्व घाटे को कम करने के समुचित उपाय . करेगी. राज्य वर्ष 2005-06 से प्रारंभ होने वाले प्रत्येक वित्तीय वर्ष में नाममात्र राजस्व अधिशेष बनाये रखने का सभी प्रयास करेगी, परन्तु किसी भी परिस्थिति में राज्य निम्नानुसार राजस्व घाटे को अधिक नहीं बढ़ायेगी :
2005-06 | रुपये | 253.20 करोड़ |
2006-07 | रुपये | 168.80 करोड़ |
2007-08 | रुपये | 84,40 करोड़ |
2008-09 एवं आगे | रुपये | शुन्य राजस्व घाटा |
(2) राज्य सरकार के वित्तीय वर्ष 2005-06 से प्रारंभ करते हुए प्रत्येक वर्ष वित्तीय वर्ष 2004-05 के वास्तविक वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत का जितना हिस्सा ३ प्रतिशत से अधिक है, उसका कम से कम एक चौथाई राशि तक वित्तीय घाटा कम करेगी ताकि वित्तीय घाटा मार्च, 2009 के अंत तक जी.एस.डी.पी.के. 3 प्रतिशत से अनधिक तक लाया जा सके.
(3) राज्य सरकार वर्ष 2005-06 से प्रारंभ होने वाले किसी वित्तीय वर्ष के लिये नई गारंटी सामान्य शर्तों पर सकल घरेलू उत्पाद के 1.5 प्रतिशत अथवा जोखिम भारित आभार पर.0.5 प्रतिशत जो भी कम हो कि सीमा से अधिक की.नही देगी,
(4) राज्य सरकार वर्ष 2005-06 से प्रारंभ होने वाले किसी वित्तीय वर्ष के लिये सकल घरेलू उत्पाद के 5 प्रतिशत से अधिक का अतिरिक्त कुल दायित्व अनुमानित नहीं करेगी.
परन्तु आंतरिक व्यवधान अयंवा प्राकृतिक आपदाओं या कोई ऐसा विशिष्ट आधार जिसे राज्य सरकार विनिर्दिष्ट करे, के कारण राज्य के वित्त पर अप्रत्याशित मांगों के आधार या आधारों पर, राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा इस उपबंध में विनिर्दिष्ट सीमाओं से इस शर्त के अध्यधीन बढ़ सकेगा."