छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध अधिनियम, 2005
No: 16 Dated: Sep, 02 2005
छत्तीसगढ़ अधिनियम
(क्रमांक 16 सन् 2005)
छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध अधिनियम, 2005
राजकोषीय प्रबंध में विवेक, सुनिश्चित करने हेतु राज्य सरकार को उत्तरदायित्व सौंपने, राजस्व घाटे की क्रमिक समाप्ति, ट्वारा वित्तीय स्थिरता, राजकोषीय घाटे में कटौती, राजकोषीय वहनीयता के अनुसार विवेकपूर्ण ऋण प्रबंध, सरकार के राजकोषीय कार्यों में अधिकाधिक पारदर्शिता और मध्यावधि ढांचे तथा उससे संबंधित या उससे आनुषंगिक विषयों में राजकोषीय नीति के संचालन हेतु अधिनियम,
भारत गणराज्य के छप्पन्वे वर्ष में छत्तीसगढ़ विधानमंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :--
1. (1). यह अधिनियम छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध अधिनियम, 2005 कहा जाएगा.
(2). इसका विस्तार संपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य पर है.
(3). यह राजपत्र में इसके प्रकाशन होने की तारीख से प्रवृत्त होगा.
2. इस अधिनियम में, जब तक संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो :
(क) "बजट" से अभिप्रेत है संविधान के अनुच्छेद 202 के अंतर्गत राज्य विधानमण्डल के सदन में रखा गया वार्षिक वित्तिय विवरण;
(ख) "चालू वर्ष" से अभिप्रेत है आगामी वित्तीय वर्ष से पूर्ववर्ती वर्ष;
(ग) "आगामी वर्ष” से अभिप्रेत है वित्तीय वर्ष जिसके लिए बजट प्रस्तुत किया जा रहा है;
(घ) "वित्तीय वर्ष” से अभिप्रेत है. 1 अप्रैल से शुरू होने वाला और आगामी 31 मार्च को समान होने वाला वर्षः .
(ड़) "जीएसडीपी'' से अभिप्रेत है वर्तमान बाजार मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद;
(च) "राजकोषीय घाटा" से अभिप्रेत है राजस्व प्राप्तियो, ऋण की वसूली और गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियो से अधिक होने वाले सकल वितरण (ऋण चुकौतियों को छोड़कर);
(छ) "राजकोषीय संकेतक'' से अभिप्रेत है ऐसा संकेतक जैसा कि राज्य सरकार की राजकोषीय स्थिति के मुल्यांकन के लिए विहित किया जाए;
(ज) राजकोषीय लक्ष्य” से अभिप्रेत है अंकीय उच्चतम सीमा और राजकोषीय संकेतकों के लिए कुल राजस्व प्राप्तियो जीएसडीपी का अनुपात
(झ) "विहित” से अभिप्रेत है इस अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए नियमों द्वारा विहित;
(ञ) "पिछले वर्ष" से अभिप्रेत है चालू वर्ष से पूर्ववर्ती वर्ष;
(ट) "राजस्व घाटा' से अभिप्रेत है राजस्व व्यय और कुल राजस्व प्रालियों (टीआरआर) के बीच का अंतरः
स्पष्टीकरण:- "कुल राजस्व प्राप्तियों" (टीआरआर) में राज्य की अपनी राजस्व प्राप्तियां (कर और करेत्तर दोनों) तथा केन्द्र से चालू अंतरण (अनुदान और केन्द्रीय करों में राज्य के अंश सहित) शामिल है।
(ठ) "कुल देयताओ" से अभिप्रेत है राज्य की समेकित निधि और राज्य के लोक लेखा के अंतर्गत आने वाली देयताएं तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं विशेष प्रयोजन के साधन, गारंटी सहित तथा अन्य समकक्ष लिखतों द्वारा लिए गए उधार शामिल होंगे जिसमें मूलधन या ब्याज का शोधन राज्य बजट से किया जाता है.