No: 24 Dated: Sep, 05 2017
[बिहार अधिनियम 24, 2017]
बिहार काश्तकारी (संशोधन) अधिनियम, 2017
बिहार काश्तकारी अधिनियम, 1885 का संशोधन करने के लिए अधिनियम।
भारत गणराज्य के अड़सठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारम्भ।-(1) यह अधिनियम "बिहार काश्तकारी (संशोधन) अधिनियम, 2017" कहा जा सकेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा।
(3) यह तुरन्त प्रवृत होगा।
2. अधिनियम, 1885 की धारा-118 में संशोधन। उक्त अधिनियम, 1885 की धारा-118 में उल्लिखित प्रावधान को उप-धारा-(1) के रूप में संख्यांकित किया जाएगा और उसके पश्चात् निम्नलिखित नई उप-धारा-(2) एवं (3) जोड़ी जाएगी:
"(2) कोई भी रैयत अपनी निजी जमीन की मापी कराये जाने हेतु, विहित प्रपत्र में, मापी कराये जाने वाली जमीन पर अधिकार से संबंधित साक्ष्य के साथ आवेदन पत्र अपने क्षेत्र के अंचल अधिकारी के समक्ष समर्पित करेगा। अंचल कार्यालय में मापी आवेदन पत्र जमा किये जाने के पश्चात्, अंचल अधिकारी आवेदक की जमीन पर अधिकार एवं हक से संबंधित साक्ष्य की जांच करेंगे एवं संतुष्ट होने के पश्चात् अमीन फीस जमा करने का आदेश आवेदक को देंगे। आवेदक के द्वारा अमीन का फीस जमा किये जाने के पश्चात्, अंचल अधिकारी आवेदक की रैयती जमीन की मापी कराये जाने की तिथि नियत करते हुए अंचल अमीन को नियत तिथि को जमीन की मापी कर मापी प्रतिवेदन, नक्शा के साथ, समर्पित करने का निदेश देंगे।
अंचल अमीन के द्वारा नियत तिथि को जमीन की मापी करते हुए संबंधित जमीन को स्थल पर सीमांकित कर दिया जाएगा एवं अपना मापी प्रतिवेदन नक्शा के साथ अंचल कार्यालय में समर्पित किया जाएगा। अंचल अमीन का जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर, अंचल अधिकारी उक्त प्रतिवेदन को संबंधित मापी अभिलेख के साथ संलग्न कर देंगे और अभिलेख में आगे की कार्रवाई को समाप्त कर देंगे। अमीन के मापी प्रतिवेदन के आधार पर, अंचल अधिकारी जमीन के स्वामित्व के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं करेगें। अंचल अधिकारी यदि आवश्यक समझे तो वे आवेदित जमीन की चौहद्दी के रैयतों को मापी की तिथि से अवगत कराते हुए, मापी के समय स्थल पर उपस्थित रहने से संबंधित नोटिस निर्गत करेंगे।
"(3) अपील-अंचल अमीन के रैयती जमीन की मापी/मापी प्रतिवेदन से संबंधित अंचल अधिकारी के आदेश से असंतुष्ट/व्यथित व्यक्ति मापी/मापी प्रतिवेदन के विरूद्ध, मापी की तिथि से 30 (तीस) दिनों के अन्दर भूमि सुधार उप समाहर्ता के न्यायालय में अपील दाखिल करेगा। अपील निर्धारित अवधि में नहीं किये जाने की स्थिति में अपीलकर्ता के द्वारा अपील आवेदन पत्र के साथ विलम्ब क्षांति से संबंधित आवेदन पत्र विलम्ब के कारण के साथ समर्पित किया जाएगा। भूमि सुधार उप समाहर्ता को यदि समाधान हो जाता है, कि विलम्ब होने के समुचित कारण है, तो वह अपील दायर होने में हुए विलम्ब को संबंधित पक्षों को सुनने के पश्चात् क्षांत कर सकेंगे। भूमि सुधार उप समाहर्ता संबंधित पक्षों को सुनने के पश्चात् यदि आवश्यक हो तो एक से अधिक अमीन के द्वारा संयुक्त रूप से जमीन का मापी कराए जाने का आदेश पारित करेगें अथवा अंचल अमीन द्वारा समर्पित मापी प्रतिवेदन को रद्द एवं अमान्य घोषित कर देगें। यदि भूमि सुधार उप समाहर्ता, अमीन के संयुक्त दल द्वारा किये गये मापी के आलोक में समर्पित मापी प्रतिवेदन से संतुष्ट हो तो वैसी स्थिति में अंचल अमीन के द्वारा समर्पित मापी प्रतिवेदन को अस्वीकार घोषित करेगें और इस आशय का आदेश पारित करेंगे कि अमीन के
का मापी प्रतिवेदन प्रभावी/मान्य होगा। यदि भूमि सुधार उप समाहर्ता अमीन के संयुक्त दल के मापी प्रतिवेदन से संतुष्ट नहीं हो, तो वे अन्य अमीनों का अन्य संयुक्त दल गठित करते हुए उस जमीन की पुनः मापी का आदेश करेगें।"
3. अधिनियम, 1885 में नई उप धाराओं का जोड़ा जाना। उक्त अधिनियम, 1885 की धारा-158 (बी) के पश्चात् निम्नलिखित नई धारा-158 (सी) एवं धारा-158 (डी) जोड़ी जाएगी :
"158(सी) लगान का नियतन।-(1) वैसी रैयती बेलगान/काबिल लगान भूमि का, जिसका लगान भू-सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त कार्यक्रम के संचालन के दौरान नियत नहीं किया गया हो, लगान नियत करने की शक्ति क्षेत्र के भूमि सुधार उप समाहर्ता/अनुमंडल पदाधिकारी में निहित होगी।
(2) वैसे मामलों में लगान नियतन की मंजूरी नहीं दी जाएगी, जिनमें होल्डिंग या उसके भाग के संबंध में, सक्षम न्यायालय में स्वत्व वाद लंबित हों।।
(3) वैसे मामलों में भी लगान नियतन की मंजूरी नहीं दी जाएगी, जिनमें किसी होल्डिंग या उसके भाग में हित अर्जित करने वाले का उस होल्डिंग या उसके भाग पर भौतिक कब्जा न हो।
"158 (डी) अपील।-(1) भूमि सुधार उप समाहर्ता/अनुमंडल पदाधिकारी के आदेश के विरूद्ध, आदेश की तारीख से 60 (साठ) दिनों के भीतर अपर समाहर्ता/समाहर्ता के समक्ष अपील संस्थित होगी।
(2) अपर समाहर्ता/समाहर्ता को यदि समाधान हो जाय कि विलम्ब होने के समुचित कारण है तो वह अपील दायर होने में हुए विलम्ब को क्षान्त कर सकेगा।
(3) अपर समाहर्ता/समाहर्ता द्वारा जिस आदेश के विरूद्ध अपील की गयी हो उसे उपान्तरित, परिवर्तित या अपास्त करने वाला आदेश तबतक नहीं दिया जाएगा, जबतक कि सम्बद्ध पक्षकारों को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर न दिया गया हो।
(4) लगान नियतन से संबंधित अपील का निष्पादन, अपील दायर करने की तिथि से 60 (साठ) कार्यदिवसों के भीतर किया जाएगा।"
बिहार-राज्यपाल के आदेश से,
मनोज कुमार,
सरकार के संयुक्त सचिव।