बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2017 (21/04/2017)
No: 11 Dated: Apr, 21 2017
[बिहार अधिनियम 11, 2017]
बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2017
बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (बिहार अधिनियम 23, 1976) का संशोधन करने के लिए अधिनियम।
प्रस्तावना:- चूँकि, बिहार राज्य के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों के पद पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुरूप नियुक्ति के लिए एक विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन आवश्यक है।
और, चूँकि, बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 में शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित प्रावधानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा समय-समय पर निर्गत विभिन्न दिशानिर्देशों/विनियमों में अंकित प्रावधानों के अनुरूप राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पद पर नियुक्ति किया जाना अनिवार्य है।
अतः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्गत दिशानिर्देशों/ रेगुलेशनों के अनुरूप अधिनियम में संशोधन किया जाना आवश्यक है।
भारत गणराज्य के अड़सठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान-मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:
1. संक्षिप्त नाम एवं प्रारंभ ।- (1) यह अधिनियम "बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2017" कहा जा सकेगा।
(2) यह अधिनियम उस तिथि से प्रवृत्त होगा जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा नियत करे।
2. बिहार अधिनियम 23, 1976 की धारा-2 का संशोधन।- बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (बिहार अधिनियम 23, 1976) (इसमें आगे उक्त अधिनियम के रूप में निर्दिष्ट) की धारा-2 के खंड-(त) निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा:
"(त) 'आयोग' से अभिप्रेत है कि 'बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग'।"
3. बिहार अधिनियम 23, 1976 की धारा-57 में संशोधन । - (1) अधिनियम की धारा-57 की उपधारा (1) का खण्ड (i) विलोपित किया जाएगा।
(2) अधिनियम की धारा-57 की उपधारा (1) का खण्ड (iii) का परंतुक विलोपित किया जाएगा।
4. बिहार अधिनियम 23, 1976 में एक नई धारा-58 ख का जोडा जाना। -
अधिनियम 1976 की धारा-58 के बाद निम्नलिखित नई धारा-58 ख जोड़ी जाएगी :
"58 ख- बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन - राज्य सरकार विश्वविद्यालय शिक्षक की नियुक्ति हेतु अनुशंसा करने के लिए एक अलग बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन करेगी।"
5. व्यावृत्ति। - अधिनियम की धारा-2 एवं धारा-57 की उपधारा-(1) के खंड (iii) में संशोधन के होते हुए भी, पूर्व में किया गया कुछ भी या विनिश्चय और की गई कार्रवाई विधि पूर्ण किया गया समझा जायेगा या समझी जायेगी और अधिनियम की धारा-57 के प्रतिस्थापन या विलोपन के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जायेगा या की जायेगी।
बिहार राज्यपाल के आदेश से,
सुरेन्द्र प्रसाद शर्मा,
सरकार के सचिव ।