बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2017 (18/05/2017)
No: 14 Dated: May, 18 2017
[बिहार अधिनियम 14, 2017]
बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2017
बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (बिहार अधिनियम 23, 1976) का संशोधन करने के लिए अधिनियम |
प्रस्तावना:- चूंकि, बिहार राज्य के विश्वविद्यालयों के अन्तर्गत महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को शिक्षक पद की परिभाषा में समाहित किया जाना आवश्यक है;
और, चूंकि, बिहार के विश्वविद्यालयों में कुलसचिव के पद पर बिहार प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अनुभवी पदाधिकारियों की सेवा लिया जाना उचित है;
अतः बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 की धारा-2 एवं धारा-15 में संशोधन किया जाना आवश्यक है।
भारत गणराज्य के अड़सठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान-मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:
1. संक्षिप्त नाम एवं प्रारंभ ।- (1) यह अधिनियम "बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2017" कहा जा सकेगा।
(2) यह अधिनियम तत्काल प्रभाव से प्रवृत्त होगा।
2. बिहार अधिनियम 23, 1976 की धारा-2 में संशोधन।- बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (बिहार अधिनियम 23, 1976) की धारा-2 (ब) का मुख्य भाग निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा :
"(ब) इस अधिनियम या किसी अन्य अधिनियम, अध्यादेश, नियम या न्यायालय के किसी निर्णय या डिक्री में किसी बात के प्रतिकूल होते हुए भी "शिक्षक" से अभिप्रेत है केवल विश्वविद्यालय प्राचार्य/प्राचार्य, प्रधानाचार्य, सह-प्राचार्य (रीडर) तथा सहायक प्राचार्य (व्याख्याता) के पद एवं यू०जी०सी० के द्वारा समय-समय पर निर्गत विनियमों में शिक्षक की श्रेणी में स्वीकार किए गए पद;"
3. बिहार अधिनियम 23, 1976 की धारा-15 में संशोधन | - अधिनियम की धारा-15 की उप-धारा (1) को निम्नलिखित के द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा :
"(1) इस अधिनियम के किसी प्रावधान के बावजूद यदि कुलाधिपति उचित समझे तो वह राज्य सरकार, केन्द्र सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अथवा किसी विश्वविद्यालय को कुलसचिव के पद के लिए बिहार प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत पदाधिकारियों सहित योग्य व्यक्तियों का नाम भेजने का अनुरोध कर सकेगा तथा वैसी स्थिति में जब राज्य सरकार, केन्द्र सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा किसी विश्वविद्यालय द्वारा एक या एक से अधिक पदाधिकारियों का नाम कुलसचिव के रूप में नियुक्ति के लिए, निर्धारित सेवा शर्तों, जो वे उचित समझे, के अधीन भेजा जाता है, तो कुलाधिपति उनमें से किसी को कुलसचिव के रूप में नियुक्त कर सकेंगे।"
4. व्यावृत्ति। - अधिनियम की धारा-2 (ब) एवं धारा-15 की उप-धारा (1) में संशोधन के होते हुए भी, पूर्व में किया गया कुछ भी या विनिश्चय और की गई कार्रवाई विधि पूर्ण किया गया समझा जायेगा या समझी जायेगी और अधिनियम की धारा-2 एवं 15 के प्रतिस्थापन के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जायेगा या की जायेगी।
बिहार-राज्यपाल के आदेश से,
सुरेन्द्र प्रसाद शर्मा,
सरकार के सचिव।