No: 17 Dated: Aug, 14 2013
[बिहार अधिनियम 17, 2013]
बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2013
बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (बिहार अधिनियम 23, 1976) का संशोधन करने के लिए अधिनियम।
प्रस्तावना :- चूँकि, बिहार राज्य के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों के पद पर नियुक्ति की समस्त व्यवस्थाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुरूप बनाया जाना राज्य के शिक्षण हित में अत्यंत ही आवश्यक है,
और, चूँकि, बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 में शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित प्रावधानों को विश्वद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्गत विभिन्न विनियमों में अंकित प्रावधानों के अनुरूप राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पद पर नियुक्ति किया जाना अनिवार्य है।
अतः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्गत रेगुलेशनों के अनुरूप अधिनियम में संशोधन किया जाना आवश्यक है। भारत गणराज्य के चौसठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान-मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:
1. संक्षिप्त नाम एवं प्रारंभ :- (1) यह अधिनियम "बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2013" कहा जा सकेगा।
(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा।
2. बिहार अधिनियम 23, 1976 की धारा-2 का संशोधन :- बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (बिहार अधिनियम 23, 1976) (इसमें आगे उक्त अधिनियम के रूप में निर्दिष्ट) की धारा-2 के खंड-(त) को निम्नलिखित द्वारा अन्तःस्थापित किया जायेगाः
"(त) “आयोग" से अभिप्रेत है बिहार लोक सेवा आयोग।"
3. बिहार अधिनियम 23, 1976 की धारा-57 का संशोधन :- उक्त अधिनियम की धारा-57 में निम्नलिखित संशोधन किए जायेंगे, यथा : (क) विद्यमान खण्ड (i) के पहले शीर्षक सहित नई उप-धारा (1) अन्तःस्थापित की जायेगी, यथाः
"57. विश्वविद्यालय तथा उसके अधीनस्थ अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति।
(1) (i) इस अधिनियम और परिनियमों में निहित प्रावधानों के अधीन रहते हुए आयोग विश्वविद्यालय के शिक्षकों के स्वीकृत पदों पर नियुक्ति के संबंध में यथासंभव उन्हीं कृत्यों का पालन करेगा, जो उसे राज्य सेवाओं के संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 320 द्वारा सुपुर्द किये गये है।
(ii) राज्य सरकार की अनुशंसा पर आयोग विश्वविद्यालय एवं उसके अधीनस्थ अंगीभूत/संबद्ध महाविद्यालयों में शिक्षक (सहायक प्राचार्य) के पदों पर नियुक्ति हेतु पात्रता परीक्षा का आयोजन कर सकेगा, जिसे राज्य पात्रता परीक्षा (स्टेट इलिजिविलिटी टेस्ट) कहा जा सकेगा। इस निमित्त आयोग केवल वैसे अभ्यर्थियों से विषयवार आवेदन आमंत्रित करेगा, जिन्हे यूजी0सी0 के विनियम 2010 में अथवा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा समय-समय पर विहित अर्हतायें प्राप्त हो;
परन्तु आयोग ऐसी परीक्षा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा बनाई गई विनियम के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा निर्गत आदेश के अध्यधीन संचालित करेगी।
(iii) आयोग प्रतिवर्ष विश्वविद्यालय एवं उसके अधीनस्थ अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षक (सहायक प्राचार्य) के पदों पर नियुक्ति हेतु केवल वैसे अभ्यर्थियों से विषयवार आवेदन आमंत्रित करेगा, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग/कौसिल फौर साइन्टिफिक एण्ड इंडस्ट्रीयल रिसर्च द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता/राज्य पात्रता परीक्षा में उत्तीर्णता प्राप्त कर लिये हो एवं विश्वविद्यालय अनुदान अयोग विनियम 2010 द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हतायें अथवा समय-समय पर विहित अर्हताएँ प्राप्त हों;
परन्तु ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने विश्वविद्यलाय अनुदान आयेग द्वारा एमफिल/पी0एच0डी0 उपाधि के लिए गठित न्यूनतम मानक एवं प्रक्रिया विनियम 2009 के आधार पर पी0एच0डी0 डिग्री प्रापत कर लिया है, को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा से उत्तीर्णता प्राप्त करने की छूट होगी।
(iv) विषयवार रिक्तियाँ अगले पंचांग वर्ष की अनुमानित रिक्तियों सहित आरक्षण रोस्टर के साथ प्रत्येक वर्ष की इक्तीसवीं दिसम्बर तक विश्वविद्यालय द्वारा आयोग को भेजी जायेगी
(v) विश्वविद्यालय राज्य सरकार द्वारा सम्यक् रूप से स्वीकृत तथा संसूचित शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति आयोग की अनुशंसानुसार ही करेगा और शिक्षकों के पदों पर विश्वविद्यालय द्वारा कोई भी नियुक्ति आयोग की अनुशंसा के बिना नहीं की जायेगी। विश्वविद्यालय के शिक्षको के पदों पर नियुक्ति के लिए आश्यकतानुसार की जाने वाली अनुशंसा में आयोग इसमें अंतर्विष्ट शर्तों का पालन करेगा।
(vi) खण्ड (iii) के अधीन आवेदित आवेदकों की अन्तर्वीक्षा के आधार पर आयोग विश्वविद्यालय द्वारा संसूचित रिक्तियों के विरूद्ध नियुक्ति के लिये विषयवार मेधा सूची तैयार करेगा, और ऐसी सूची इसके अनुमोदन की तिथि से एक वर्ष तक के लिये विधिमान्य होगी। विषयवार सूची में रिक्तियों के दोगणा नाम योग्यता क्रम में रखे जायेंगे. किन्त आयोग एक रिक्ति के विरूद्ध केवल एक ही नाम नियुक्ति हेतु विश्वविद्यालय को एक समय में भेजेगा;
परन्तु, यह कि आयोग मेधा सूची तथा अधिमानक्रम से राज्य में नियुक्तियों में आरक्षण विषयक लागू विधि के अनुरूप विश्वविद्यालय द्वारा भेजे गये आरक्षण रोस्टर के आधार पर विश्वविद्यालय को नाम अनुशंसित करेगा। इस अधिनियम, परिनियम के उपबंधों में कोई प्रतिकूल बात के होते हुए भी बिहार राज्य में प्रभावी आरक्षण नीति सभी नियुक्तियों पर लागू होगी।
(vii) आयोग की समस्त कार्यवाहियाँ, बैठक का कार्यवृत्त, योग्यता के आधार पर अभ्यर्थियों की सूची सहित प्रतिदिन के आधार पर पूरी कर ली जायेगी। योग्यता सूची से संबधित अभिलेख आयोग द्वारा हस्ताक्षरित होंगे तथा संबंधित विषय की योग्यता सची को उस विषय के अन्तर्वीक्षा की अंतिम तिथि को ही अंतिम रूप दे दी जायेगी।
(viii) आयोग द्वारा तैयार की गयी मेधा सूची निर्गत तिथि से एक वर्ष तक के लिए विधिमान्य होगी। नियुक्ति करते समय, विश्वविद्यालय द्वारा खण्ड के अधीन अयोग की अनुशंसा प्राप्त होने की तारीख से छः महीनों के भीतर, आयोग द्वारा दी गयी अनुशंसा के अनुसार विश्वविद्यालय नियुक्ति करेगी।
(ix) विश्वविद्यालय तथा अंगीभूत महाविद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति, सेवामुक्ति, हटाया जाना, सेवा समाप्ति या पदावनति के संबंध में आयोग के परामर्श से विहित रीति से कार्रवाई करेगी।
(x) विश्वविद्यालय विभागों तथा अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति हेतु उम्मीदवारों के चयन के लिए बोर्ड का गठन यूजी0सी0 द्वारा समय-समय पर परिचालित विनियमों में निहित प्रावधानों के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा संसूचित निदेशों के आलोक में आयोग द्वारा किया जायेगा;
परन्तु नियुक्ति की अनुशंसा करने के लिए आयोजित बोर्ड की बैठकों में संबंधित विषय के कम-से-कम तीन विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।
( ख) वर्तमान खण्ड (i) के पूर्व कोष्ठक और अंक यथा उप-धारा "(2)" जोड़ी जायेगी तथा उसमें जहाँ-जहाँ शब्द "शिक्षक" आया है को शब्द "प्रधानाचार्य" से प्रतिस्थापित किया जायेगा।
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