बिहार राज्य मेला प्राधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2012
No: 24 Dated: Dec, 27 2012
बिहार अधिनियम 24, 2012]
बिहार राज्य मेला प्राधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2012
बिहार राज्य मेला प्राधिकार अधिनियम, 2008 (बिहार अधिनियम 20, 2008) का संशोधन करने के लिए अधिनियम |
भारत गणराज्य के तिरसठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारंभ :- (1) यह अधिनियम बिहार राज्य मेला प्राधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2012 कहा जा सकेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा।
(3) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा।
2. बिहार राज्य मेला प्राधिकार अधिनियम, 2008 (बिहार अधिनियम 20, 2008) की धारा-2 में संशोधन :- उक्त अधिनियम की धारा-2 की उप-धारा (ङ), (ज), (झ), (ञ) तथा (ट) विलोपित की जायेगी।
3. बिहार राज्य मेला प्राधिकार अधिनियम, 2008 (बिहार अधिनियम 20, 2008) की धारा-5 में संशोधन :- अधिनियम की धारा-5 निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित की जायेगी :
"5. (1) उपाध्यक्ष तथा सदस्यों को उनके पद से हटाया जाना :- राज्य सरकार उपाध्यक्ष अथवा किसी सदस्य को प्राधिकार से हटा सकेगी जो उसकी राय में -
(क) कार्य करने से इन्कार करता हो, या
(ख) कार्य करने में असमर्थ हो गया हो, या
(ग) अपने पद का इस प्रकार दुरूपयोग करता हो जिससे कि लोक या सरकार के हित में उसका पद पर बने रहना हानिकारक हो, या
(घ) उपाध्यक्ष अथवा सदस्य के रूप में बने रहना अन्यथा अनुपयुक्त हो।
(2) उपाध्यक्ष अथवा सदस्य, राज्य सरकार को संबोधित अपनी हस्तलिखित सूचना के द्वारा अपना पद त्याग कर सकता है : "परन्तु उपाध्यक्ष या गैर सरकारी सदस्य जबतक उसको राज्य सरकार द्वारा पहले पदत्याग करने की अनुमति नहीं दी जाए, ऐसी सूचना प्राप्ति के तीन माह की समाप्ति तक या जब तक उसके उत्तराधिकारी के रूप में सम्यक् रूप से नियुक्त व्यक्ति उसका पद धारित नहीं करता है, या उसकी पदावधि जबतक समाप्त न हो जाए, जो भी पहले हो, अपने पद पर बना रहेगा।"
4. बिहार राज्य मेला प्राधिकार अधिनियम, 2008 (बिहार अधिनियम 20, 2008) की धारा-26 में संशोधन :- उक्त अधिनियम की धारा-26 के वर्तमान प्रावधान का संख्यांकन उप-धारा-(1) के रूप में होगा तत्पश्चात् एक नई उप-धारा-(2) निम्न रूप में जोड़ी जाएगी :
"(2) इस धारा के अधीन बना प्रत्येक नियम, बनने के पश्चात् यथाशीघ्र राज्य विधान मंडल के प्रत्येक सदन में जब वह सत्र में हो, कुल चौदह दिनों की कालावधि तक, जो एक ही सत्र में समाविष्ट हो या दो उत्तरवर्ती सत्रों में, रखा जायेगा, और यदि जिस सत्र में इसे रखा जाय, उस सत्र के या उसके ठीक पश्चातवर्ती सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन नियम में कोई उपांतरण करने पर सहमत हों अथवा दोनों सदन सहमत हों कि नियम बनाया ही न जाय, तो तदुपरान्त नियम, यथास्थिति, ऐसे उपांतरित रूप में ही प्रभावी या निष्प्रभावी होगा, किन्तु ऐसे उपान्तरण या निष्प्रभावी होने से उस नियम के अधीन पूर्व में किए गये किसी कार्य की विधिमान्यता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न होगा।"
बिहार-राज्यपाल के आदेश से,
विनोद कुमार सिन्हा,
सरकार के सचिव