No: 24 Dated: Dec, 22 2011

[बिहार अधिनियम 24, 2011] 

बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त अधिनियम, 2011

 प्रस्तावना :- (i) चूँकि अद्यतन अधिकार अभिलेखों का निर्माण एवं संधारण वह मूलाधार है जिसपर राजस्व एवं भूमि संसाधन प्रबन्धन तथा प्रशासन आधारित है; 

(ii)  चूँकि, अनुभव बताता है कि राज्य के कुछ भागों में, पारम्परिक पद्धतियों से कराए जा रहे सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त प्रचालन, दीर्घसूत्री, संश्लिष्ट तथा अत्यधिक खर्चीले हुए हैं; 

(iii) चूँकि, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज तथा अररिया में 1952 से 1986 तक; मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी शिवहर एवं वैशाली में 1959 से 1988 तक; सहरसा, मधेपुरा एवं सुपौल में 1962 से 2002 तक पुनरीक्षण सर्वे प्रचालन संचालित किए गए तथा ये प्रचालन दरभंगा, मधुबनी एवं समस्तीपुर में 1965 से; भोजपुर, बक्सर, रोहतास तथा कैमूर में 1959 से; गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद तथा नवादा में 1965 से; भागलपुर तथा बाँका में 1965 से एवं पटना में 1986 से अब तक जारी हैं; 

(iv) चूँकि, पुनरीक्षण सर्वे एवं बन्दोबस्त का प्रयोजन ही विफल हो जाता है यदि जिस कालखंड पर इसे लिया जाता है, वह पूर्व में यथा दर्शित सुदीर्घ हो; 

(v) चूँकि, राज्य के 12 जिलों, यथा, मुंगेर प्रमंडल में बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई तथा मुंगेर; सारण प्रमंडल में सारण, सीवान तथा गोपालगंज; तिरहुत प्रमंडल में पूर्वी चम्पारण तथा पश्चिमी चम्पारण एवं पटना प्रमंडल में नालन्दा में कैडस्ट्रल सर्वेक्षण के बाद से कोई पुनरीक्षण सर्वे एवं बन्दोबस्त नहीं कराया जा सका; 

(vi) चूँकि, चालू खतियान (पंजी-1-B), खेसरा पंजी एवं पंजी-II (Tenants' Ledger) जिन्हें अंचल कार्यालयों में अद्यतन रूप से संधारित किया जाना था, तद्नुसार संधारित नहीं किए जा सके एवं परिणाम स्वरूप, समय-समय पर, हो रहे अन्तरण, उत्तराधिकार, दाखिल-खारिज आदि, उनमें प्रतिबिम्बित नहीं होते; 

(vii) चूँकि, भारत सरकार द्वारा कुछ वर्ष पूर्व यथा प्रायोजित भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण में समरूप दृष्टिकोण का अनुपालन नहीं किया गया; 

(viii) चूँकि, कम्प्यूटर में प्रविष्ट तथ्यों का सरजमीन की अद्यतन वास्तविकताओं से तालमेल के अभाव में स्वामित्व के अनुवर्ती दावों तथा भू-अभिलेखों में उनके प्रतिबिम्बन के बीच खाई है; 

(ix) चूँकि, सर्वेक्षण भाग पर लागत समय को न्यूनतम करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, जबकि बन्दोबस्ती के पहलू का, गुणवत्ता, पारदर्शिता तथा शिकायत निवारण का परित्यजन किए बिना, न्यायसंगत संक्षेपीकरण किया जा सकता है; 

(x) चूँकि, भूमि विकासात्मक गतिविधियों का मूलाधार है; हाल स्वामित्व, दखल एवं भूमि के वर्गीकरण को अन्तिम रूप से सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है ताकि भू-अर्जन का प्रचालन निराधार दावों, कपट तथा जालसाजी से दूषित न हो और साथ ही कृषि-ऋण, अनुदान, साहाय्य तथा बीमा से सम्बन्धित गतिविधियाँ सुगमतापूर्वक चलाई जा सकें; 

(xi) चूँकि, आधुनिक प्रौद्योगिकी के द्वारा तैयार किए गए डिजिटल मानचित्रों को पारम्परिक विधियों से तैयार मानचित्रों से सत्यापित एवं तुलित करने की आवश्यकता है, साथ ही उनका सरजमीनी सत्यापन भी आवश्यक है, तकनीकी योग्यता रखने वाले अनुज्ञप्ति प्राप्त सर्वेयर को यह दायित्व दिया जा सकता है; 

(xii) चूँकि, मानचित्र निर्माण के बाद के चरण में अद्यतन स्वत्व, स्वामित्व एवं दखल तथा भूमि की अन्य आवश्यक विवरणी को ध्यान में रखते हुए आधारभूत अधिकार अभिलेख तैयार करना आवश्यक है तथा पूर्वोक्त तकनीकी योग्यता प्राप्त व्यक्तियों को यह दायित्व एक नियमित आधार पर दिया जा सकता है; 

(xiii) चूँकि, मानचित्र सहित, अधिकार अभिलेखों के संधारण की अन्तर्भूत कम्प्यूटरीकृत तथा डिजिटल व्यवस्था समस्त विकास प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है तथा पूर्वोक्त तकनीकी योग्यता प्राप्त व्यक्तियों को यह दायित्व एक नियमित आधार पर दिया जा सकता है। 

भारत गणराज्य के बासठवें वर्ष में बिहार राज्य विधानमंडल द्वारा निम्नरूप में यह अधिनियमित हो : 

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ।-(1) यह अधिनियम “बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त अधिनियम, 2011” कहा जा सकेगा।

  (2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा। 

  (3) यह उस तिथि से प्रवृत्त होगा जो सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे।

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