No: 20 Dated: Dec, 12 2019
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ:- (1) यह अधिनियम"बिहार कराधान विवाद समाधान अधिनियम, 2019" कहा जा सकेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा।
(3) अन्यथा उपबंधित के सिवाय इस अधिनियम के उपबंध उस तारीख को प्रवृत्त होंगे, जो राज्य-कर आयुक्त राजपत्र में, अधिसूचना द्वारा नियत करे :
परन्तु राज्य सरकार, इस प्रयोजनार्थ राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा, उक्त तीन माह की अवधि को, अधिसूचना में यथा विनिर्दिष्ट अवधि तक परन्तु तीन माह से अनधिक के लिए बढ़ा सकेगी।
2. परिभाषाएं:- इस अधिनियम में जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो
(क) "अधिनियम" से अभिप्रेत है बिहार कराधान विवाद समाधान अधिनियम, 2019%3;
(ख) "स्वीकृत कर" से अभिप्रेत है विधि के अधीन पक्षकार द्वारा दाखिल विवरणी में स्वीकार की गई देय कर की राशि;
(ग) "अपील" से अभिप्रेत है विधि के अधीन बिहार वित्त अधिनियम, 1981 की धारा 9 या बिहार मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम, 2005 की धारा 10 के अधीन नियुक्त और क्षेत्रीय अधिकारिता वाले राज्य कर अपर आयुक्त (अपील) अथवा राज्य कर संयुक्त आयुक्त (अपील) के समक्ष लम्बित अपील;
(घ) विवादित बकाया कर, शास्ति या ब्याज या फाईन से अभिप्रेत है, -
(i) प्रासंगिक अधिनियम के अन्तर्गत निर्धारिती द्वारा कर निर्धारण या पुनर्करनिर्धारण के उपरांत भुगतेय कर, चाहे जिस नाम से जाना जाए, या
(ii) प्रासंगिक अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार विवरणी दाखिल करने में हुए व्यतिक्रम के लिए निर्धारिती पर आरोपित शास्ति, या
(iii) अधिनियम के तहत निर्धारिती द्वारा भुगतेय ब्याज, -
(क) जो कर निर्धारण या पुनर्करनिर्धारण से पूर्व कर के विलंब भुगतान या भुगतान नहीं करने के कारण निर्धारित; या
(ख) जो कर निर्धारण या पुनर्करनिर्धारण के पश्चात् कर का भुगतान नहीं करने या कर का कम भुगतान के लिए अवधारित, यथा स्थिति, विवाद में हो।
(ड.) "निर्धारित कर" से अभिप्रेत है विधि के अधीन कर निर्धारण अथवा पुनर्करनिर्धारण आदेश के अधीन चुकाया जाने वाला विनिश्चित कर;
(च) "विवाद" से अभिप्रेत है विधि के अधीन जून, 2017 के 30वें दिन या उससे पहले समाप्त होने वाली किसी भी अवधि के संबंध में 31 दिसम्बर, 2019 को लंबित मामले जिसके लिए
(i) विधि के अधीन नियुक्त अथवा विहित अथवा प्राधिकृत प्राधिकारी द्वारा कर, सूद, फाईन अथवा शास्ति अधिरोपित किया गया है; या
(ii) कर निर्धारण आदेश, पुनर्करनिर्धारण आदेश, संवीक्षा आदेश या कोई अन्य आदेश पारित किया गया है; या
(iii) अपील, पुनरीक्षण, पुनर्विलोकन, रेफेरेंश, रिट पिटीशन अथवा विशेष इजाजत से याचिका दाखिल की गई हो; या
(iv) पुनरीक्षण या पुनर्विलोकन कार्यवाही प्रारंभ की गई हो; या ।
(v) कर, ब्याज, फाईन या शास्ति के भुगतान के लिए आवेदक को नोटिस या आदेश निर्गत किया गया हो; या
(vi) विधि के अधीन किसी भी कार्यवाही में कर, ब्याज, फाईन या शास्ति के भुगतान करने का नोटिस जारी किया गया है; या
(vii) विधि के अधीन अथवा बिहार एवं उड़ीसा लोक मांग वसूली अधिनियम, 1914 के अधीन नियुक्त अथवा विहित अथवा प्राधिकृत प्राधिकारी द्वारा प्रारम्भ किये गये अथवा के समक्ष लम्बित कर, सूद, फाईन अथवा शास्ति की वसूली हेतु कार्यवाही शुरू की गई है;
(छ) "विवादित राशि", किसी विवाद के संबंध में, से अभिप्रेत है कोई कर, सूद, फाईन अथवा शास्ति की राशि जो पक्षकार के पास भुगतान के लिए बकाया है;
(ज) "प्रपत्र" से अभिप्रेत है इस अधिनियम के साथ संलग्न प्रपत्र;
(झ) "विधि” से अभिप्रेत है बिहार वित्त अधिनियम, भाग I (बिहार अधिनियम 5/1981) [जो बिहार मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम, 2005 (अधिनियम 27/2005) की धारा 94 द्वारा निरसित किये जाने के पूर्व था।] बिहार मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम, 2005 (अधिनियम 27/2005), बिहार स्थानीय क्षेत्र में उपभोग, व्यवहार अथवा बिक्री हेतु मालों के प्रवेश पर कर अधिनियम, 1993, (बिहार अधिनियम 16/1993) बिहार होटल विलास वस्तु कर अधिनियम, 1988 (बिहार अधिनियम 5/1988), बिहार मनोरंजन कर अधिनियम, 1948 (बिहार अधिनियम XXXV/1948), बिहार विज्ञापन पर कर अधिनियम, 2007, [जो बिहार माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (अधिनियम 12/2017) की धारा 173 द्वारा निरसित किए जाने के पूर्व थे।], बिहार विद्युत शुल्क अधिनियम, 1948 (बिहार अधिनियम 36/1948) [जो बिहार विद्युत शुल्क अधिनियम, 2018 (बिहार अधिनियम 4/2018) की धारा 23 द्वारा निरसित किए जाने के पूर्व था] और केन्द्रीय बिक्री कर अधिनियम, 1956 (अधिनियम 74/1956)
(ञ) "पक्षकार" से अभिप्रेत है कोई व्यक्ति जो विधि के अधीन विवाद का एक पक्षकार हो और इस अधिनियम के अधीन किसी विवाद के समाधान हेतु आवेदन दाखिल करता हो;
(ट) “विहित" से अभिप्रेत जो इस अधिनियम के अधीन बनायी गयी नियमावली में विहित है;
(ठ) इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ "विहित प्राधिकारी" से अभिप्रेत है वैसे पदाधिकारी जो बिहार मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम, 2005 की धारा 10 में वर्णित हैं;
(ड) "पुनरीक्षण" से अभिप्रेत है विधि के अधीन पुनरीक्षण के लिए आवेदन, जो न्यायाधिकरण अथवा बिहार वित्त अधिनियम, 1981 भाग I की धारा 9 या बिहार मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम, 2005 की धारा 10 के अधीन नियुक्त वाणिज्य कर आयुक्त के समक्ष लम्बित हो;
(ढ़) किसी विवाद के संदर्भ में "समाधानित" से अभिप्रेत है ऐसे विवाद से संबंधित कार्यवाही का निपटारा और समापन;
(ण) "समाधान-राशि" से अभिप्रेत है वह राशि जिसका भुगतान करने पर विवाद का समाधान हो जायेगा; इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ
(त) "वैधानिक घोषणा-पत्र/प्रमाण-पत्र" से अभिप्रेत है वैसे घोषणा पत्र/प्रमाण पत्र जिसका उल्लेख केन्द्रीय बिक्री कर (रजिस्ट्रेशन एवं सकलावत) नियमावली, 1957 के नियम 12 में है;
(थ) "न्यायाधिकरण" से अभिप्रेत है बिहार वित्त अधिनियम, 1981, भाग I की धारा 8 या बिहार मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम, 2005 की धारा 9 के अधीन गठित न्यायाधिकरण;
(द) विवरणीत आवर्त" से अभिप्रेत है विधि के अधीन पक्षकार द्वारा विवरणी में अभिलिखित किया गया सकल आवर्त;
(ध) शब्दों या अभिव्यक्तियों जो इसमें परिभाषित नहीं हैं, के वही अर्थ होंगे जो विधि के अधीन क्रमशः उनके प्रति समनुदेशित किए गए हों।
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