No: 7 Dated: May, 22 2013

[बिहार अधिनियम 7, 2013] 

बिहार स्वावलम्बी सहकारी समिति (संशोधन) अधिनियम 2013

बिहार स्वावलम्बी सहकारी समिति अधिनियम, 1996 का संशोधन करने के लिए अधिनियम। 

प्रस्तावना - चूंकि, सहकारी समितियों का स्वैच्छिक संस्था के रूप में गठन के साथ सदस्यों के सामाजिक एवं आर्थिक बेहतरी के लिए सदस्यों की आर्थिक सहभागिता, सदस्यों के जनतांत्रिक नियंत्रण एवं स्वायत्त कार्यकाल से समितियाँ अपने सदस्यों के हित में और अधिक सार्थक रुप में कार्य कर सकेंगी; 

      और, चूँकि, राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह राज्य में सहकारी समितियों के स्वैच्छिक गठन, स्वायत्त कार्यकलाप, जनतांत्रिक नियंत्रण एवं व्यावसायिक प्रबन्धन को प्रोत्साहित करे एवं उसका उन्नयन करे और इस ओर ऐसे कदम उठाये जिनकी आवश्यकता हो; 

     और, चूँकि, संविधान (संतानवे संशोधन) अधिनियम, 2011 के अनुसरण में बिहार स्वावलम्बी सहकारी समिति अधिनियम, 1996 में उपर्युक्त संशोधन के अनुकूल रखने हेतु कई संशोधन अनिवार्य है; 

भारत गणराज्य के चौसठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान-मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो: 

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ :- (1) यह अधिनियम "बिहार स्वावलम्बी सहकारी समिति (संशोधन) अधिनियम, 2013" कहा जा सकेगा। 

    (2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा। 

    (3) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। 

2. बिहार स्वावलम्बी सहकारी समिति अधिनियम, 1996 (बिहार अधिनियम 2, 1997) की धारा-2 का संशोधन:-  बिहार स्वावलम्बी सहकारी समिति अधिनियम, 1996 (बिहार अधिनियम 2, 1997) (इसमें आगे उक्त अधिनियम के रूप में निर्दिष्ट) की धारा-2 में निम्नलिखित संशोधन की जायेगी: 

(i) उप-धारा (ख) निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित की जायेगी; यथा: 

"(ख) "बोर्ड" से अभिप्रेत है निदेशक बोर्ड अथवा शासी निकाय अथवा प्रबन्ध समिति, जिस नाम से भी उसे अभिहित किया गया हो, जिसके निदेशन एवं नियंत्रण में सहकारी समिति के कामकाज का प्रबन्ध सौंपा गया हो;"

(ii) उप-धारा (त) के बाद निम्नलिखित नई उप-धारा (थ) (द) (ध) एवं (न) जोड़ी जायेगी, यथा: 

“(थ) "शीर्ष समिति" से अभिप्रेत है, सहकारी समिति जिसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण बिहार राज्य हो अथवा अन्य कोई सहकारी संघ/परिसंघ जिसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण बिहार राज्य में हो और जिसे सहकारी समिति के निबन्धक द्वारा शीर्ष समिति के रूप में घोषित किया गया हो। 

“(द) "कृत्यकारी निदेशक" से अभिप्रेत है नियमावली अथवा सहकारी समिति के उपविधियों में विर्निदिष्ट समिति के कृत्यकारी कार्यपालक निदेशक।"

“(ध) "पिछड़े वर्गों" से अभिप्रेत है तथा इसमें सम्मिलित है "बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) अधिनियम 1991" (बिहार अधिनियम सं0 3, 1992) की अनुसूची-2 में विनिर्दिष्ट पिछड़े वर्गों के नागरिकों की सूची, समय-समय पर यथासंशोधित; 

(न) "अति पिछड़े वर्गों" से अभिप्रेत है तथा इसमें सम्मिलित है "बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) अधिनियम 1991" (बिहार अधिनियम सं0 3, 1992) की अनुसूची-1 में विनिर्दिष्ट पिछड़े वर्गों के नागरिकों की सूची, समय-समय पर यथासंशोधित; 

3. उक्त अधिनियम की धारा-23 में निम्नवत संशोधन किए जायेंगे, यथा: 

   (क) उप-धारा (7) निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा, यथा: 

             "(7) सदस्य के रूप में सम्मिलित किया गया कोई भी व्यक्ति सदस्यता के अधिकारों, जिसमें मताधिकार भी शामिल है, का प्रयोग, सहकारी समिति की उपविधियों में विहित सहकारी समिति के प्रबन्धन में सहभागिता हेतु बुलाई गई बैठकों में यथा अपेक्षित न्यूनतम उपस्थिति तथा अपेक्षित समिति की न्यूनतम सेवाएँ सुनिश्चित करने के बाद ही कर सकेगा; 

           परन्तु किसी भी व्यक्ति को मताधिकार का प्रयोग करने का पात्र होने के पूर्व कम से कम एक वर्ष तक सदस्य बने रहना होगा; 

          परन्तु और कि उपर्युक्त प्रावधान किसी सहकारी समिति के निबन्धन के प्रथम वर्ष में प्रवर्तक सदस्य पर लागू नहीं होगा।" 

(ख) उप-धारा (7) के बाद निम्नलिखित नई उप-धाराएँ (8), उप-धारा (9) तथा उप-धारा (10) जोड़ी जायेंगी, यथा: 

         "(8) प्रत्येक सहकारी समिति प्रत्येक सदस्य की, सदस्य के साथ अपने कारबार के नियमित संव्यवहार में रखे गये सहकारी समिति की बही, सूचना और लेखा तक, पहुँच की व्यवस्था करेगी

         "(9) सहकारी समिति के प्रत्येक सदस्य को सहकारी समिति में संधारित अभिलेखों, सूचनाओं तथा व्यवसाय से संबंधित नियमित संव्यवहारों की लेखाओं के सम्बन्ध में सभी जानकारी/कागजात प्राप्त करने का अधिकार होगा। सहकारी समिति के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी/प्रबन्धक सदस्यों को सभी वांछित जानकारी/कागजातों तक पहुँच सुनिश्चित करेगी।

        "(10) सहकारी समिति के सदस्यों को इस अधिनियम के अधीन बनी नियमावली या उपविधियों में विहित प्रावधानों के अधीन शिक्षा तथा सहकारिता सम्बन्धी प्रशिक्षण प्राप्त करने का अधिकार होगा।

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