No: 7 Dated: Apr, 20 2017
[बिहार अधिनियम 7, 2017]
बिहार जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय स्थापनाओं में) (संशोधन) अधिनियम, 2017
भारत गणराज्य के अड़सठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारम्भ ।- (1) यह अधिनियम "बिहार जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय स्थापनाओं में) (संशोधन) अधिनियम, 2017" कहा जा सकेगा।
(2) इसका विस्तार संपूर्ण बिहार राज्य में होगा।
(3) यह तुरंत प्रवृत्त होगा।
2. बिहार अधिनियम 18, 2002 की धारा-3 में संशोधन:- उक्त अधिनियम, 2002 की धारा-3 की उप-धारा (2) का परंतुक निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा :
"परंतु अपनी अधिकारिता के अधीन पुलिस उपाधीक्षक या उसके समकक्ष के पदाधिकारियों के साथ-साथ पुलिस निरीक्षक से अन्यून पंक्ति के पुलिस अधिकारी भी इस अधिनियम के अधीन, यथास्थिति, प्रथम श्रेणी के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अथवा प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना भी किसी ऐसी अपराध का अनुसंधान कर सकेगा अथवा उसके लिए, बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकेगा।"
3. बिहार अधिनियम 18, 2002 में एक नई धारा-3 ग का अन्तःस्थापन:- उक्त अधिनियम 2002 की धारा-3ख के बाद निम्नलिखित नई धारा-3ग अन्त:स्थापित की जायेगी :
"3ग-अपराध का शमन करना ।- (1) अभिहित न्यायालय की अनुमति से सक्षम प्राधिकारी द्वारा अभियोजन को संस्थित करने के पश्चात् धारा-3 के अधीन किसी दंडनीय अपराध का शमन जमाकर्ताओं को जमा की गई सम्पूर्ण राशि तथा उस राशि पर प्रति माह 1% ब्याज की दर से या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिसूचित तत्समय प्रवृत्त ब्याज पर दोनों में से जो अधिक हो, देय होगा।
(2) जहाँ किसी अपराध का शमन उप-धारा (1) के अधीन किया जाता हो तो इस प्रकार किए गए किसी अपराध के शमन की बाबत अपराधी के विरूद्ध यथास्थिति कोई कार्यवाही अथवा आगे की कार्यवाही नहीं की जाएगी अथवा जारी नहीं रखी जाएगी और यदि अपराधी अभिरक्षा में हो, तो उसे तुरंत छोड़ दिया जाएगा।"
4. बिहार अधिनियम 18, 2002 की धारा-9 में संशोधन:- उक्त अधिनियम की धारा-9 की उप-धारा (2) के खंड (च) के बाद निम्नलिखित खंड (छ) जोड़ा जायेगा :
"(छ)- कुर्क संपत्ति के विक्रय से वसूला गया धन यदि कमी को पूरा करने में पर्याप्त न हो तो अभिहित न्यायालय, हरेक व्यक्ति जिसमें संप्रवर्तक, भागीदार, निदेशक, प्रबंधक शामिल हो अथवा ऐसे वित्तीय प्रतिष्ठान अथवा कारोबार के प्रबंधन अथवा संचालन के लिए जवाबदेह किसी अन्य व्यक्ति अथवा कर्मचारी पर जमाकर्ताओं को प्रतिसंदाय करने के प्रयोजनार्थ कमी को पूरा करने के लिए यथावश्यक जुर्माना अधिरोपित कर सकेगा।"
बिहार राज्यपाल के आदेश से,
सुरेन्द्र प्रसाद शर्मा,
सरकार के सचिव।