No: 8 Dated: Jul, 30 2018

[बिहार अधिनियम 8. 2018] 
बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) अधिनियम, 2018 

बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 (बिहार अधिनियम 20, 2016) का संशोधन करने के लिये अधिनियम। 
भारत गणराज्य के उनहत्तरवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो : 
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और आरंभ।- (1) यह अधिनियम "बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) अधिनियम, 2018" कहा जा सकेगा। 
        (2) इसका विस्तार संपूर्ण बिहार राज्य में होगा। 
        (3) यह तुरंत प्रवृत होगा तथा संशोधन अधिनियम के प्रावधान सभी लंबित वादों पर लागू होगा। 
2. बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-2 का संशोधन।- बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-2 की उप-धारा (58) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा : 
    "(58) "परिसर" से अभिप्रेत है और इसमें शामिल हैं भूमि तथा भवन, भंडागार, दूकान, होटल, रेस्तरा, बार, बूथ के रूप में निर्माण किया गया अथवा कोई अन्य संरचना और चल संरचना जिसमें जलयान, बेड़ा, वाहन तथा कोई भी अन्य चल संरचना है।" 
3. बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-30 का प्रतिस्थापन।- बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-30 को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा - 
    "30 किसी मादक द्रव्य या शराब के अवैध विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, कब्जा, विक्रय, क्रय, वितरण आदि के लिए शास्ति।- जो कोई भी, इस अधिनियम अथवा किसी नियम, विनियम के किसी प्रावधान अथवा उनके अधीन किए गए आदेश एवं अधिसूचना के उल्लंघन में अथवा इस अधिनियम के अधीन निर्गत विधिमान्य अनुज्ञप्ति, परमिट या पास के बिना अथवा नवीकृत किसी अनुज्ञप्ति, परमिट या पास अथवा उसके अधीन दिए प्राधिकार की किसी शर्त के उल्लंघन में - 
       (क) किसी मादक द्रव्य, शराब या भांग का विनिर्माण करता है या उसे रखता है या उसका क्रय, विक्रय, वितरण, संग्रहण, भंडारण, बोतलबंद, आयात, निर्यात, परिवहन, हटाता अथवा खेती करता है, अथवा
       (ख) किसी विनिर्माणशाला, आसवनी (डिस्टीलरी) मद्य निर्माणशाला ब्रिवरी) या भंडागार का निर्माण या स्थापित करता है या उसमें कार्य करता है, अथवा 
       (ग) किसी मादक द्रव्य या शराब के विनिर्माण के प्रयोजनार्थ किसी सामग्री, बर्तन, उपकरण या साधित्र का विनिर्माण या उपयोग करता है या अपने कब्जे में रखता है या परिसर का उपयोग करता है, अथवा
       (घ) किसी सामग्री या फिल्म चाहे राज्य सरकार के लोगो के साथ हो अथवा बगैर अथवा किसी अन्य राज्य के लोगो अथवा रैपर या कोई अन्य वस्तु जिसमें शराब या मादक द्रव्य पैक किया जा सकता हो या किसी शराब या मादक द्रव्य के पैकिंग के प्रयोजनार्थ किसी साघित्री या उपकरण या मशीन का विनिर्माण करता है, अथवा 
       (ङ) इस अधिनियम के अधीन अनुज्ञप्त, स्थापित, प्राधिकृत या विद्यमान किसी आसवनी, मद्य निर्माणशाला, भंडागार या भंडारण के अन्य स्थान से किसी शराब या मादक द्रव्य को हटाता है,  अथवा 
       (च) किसी मादक द्रव्य या शराब का उपयोग करके या उसके बिना की गई किसी निर्मिति का विनिर्माण, विक्रय, वितरण, बोतलबंद, आयात, निर्यात, परिवहन करता है या उसे हटाता है या कब्जे में रखता है जिसे अल्कोहल अथवा अल्कोहल के लिए एक प्रतिस्थानी के रूप में परोसा जा सकता हो अथवा नशा उत्पन्न करने के प्रयोजनार्थ उपयोग किया गया हो अथवा किया जा सकता हो या उपभोग किया गया हो, वह उस अवधि के लिए जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकेगा और उस जुर्माने से जिसे 10 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकेगा, दंडनीय होगा, 
परंतु सजा
       (1) प्रथम अपराध के लिए पाँच वर्ष के कारावास से कम और एक लाख रुपये के जुर्माने से कम नहीं होगा, और 
       (2) द्वितीय अपराध और पश्चात्वर्ती अपराधों के लिए, दस वर्षों का कठोर कारावास से कम तथा पाँच लाख रुपये के जुर्माने से कम नहीं होगा।" । 
4. बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-32 का प्रतिस्थापन।- बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-32 को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा : 
      " 32 कुछ मामलों में अपराध करने के बारे में अनुमान। 
           (1) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के अभियोजन में, अभियुक्त व्यक्ति को किसी शराब, मादक द्रव्य या ऐसी शराब के विनिर्माण या भंडारण में अंतर्ग्रस्त सामग्री, बर्तन, उपकरण या साधित्री का कब्जा रखने का लेखा-जोखा देना होगा। 
           (2) संतोषप्रद स्पष्टीकरण देने में असफल रहने पर यह उपधारणा की जाएगी कि अभियुक्त व्यक्ति, जबतक कि अन्यथा साबित नहीं हो जाता, अपराध कारित करने का दोषी है।
           (3) जहाँ किसी उपकरण, मशीनरी, जानवर, जलयान, गाड़ी, वाहन, सवारी या किसी परिसर का उपयोग इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध कारित करने में किया जाता है और अधिहरण के दायी हों और या मुहरबंद (सील) करने के दायी हों वहाँ उनका स्वामी या अधिभोगी को संतोषप्रद रूप में लेखा-जोखा देना होगा और संतोषप्रद स्पष्टीकरण के अभाव में यह उपधारणा की जाएगी कि अभियुक्त व्यक्ति ने, जबतक अन्यथा साबित न हो जाय, अपराध कारित किया है।
" 5. बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-33 का प्रतिस्थापन। - बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-33 को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा :
"33 विकृत स्प्रीट को मानव उपभोग के लिए उपयुक्त बनाने के लिए शास्ति।- जो कोई भी किसी विकृत स्प्रीट को, मानव उपभोग, के लिए उसे उपयुक्त बनाने के आशय से, चाहे पेय के रूप में या दवा के रूप में अथवा किसी अन्य रीति या पद्धति से परिवर्तित करता है या परिवर्तित करने का प्रयास करता है अथवा किसी परिवर्तित विकृत स्प्रीट को जान बूझकर रखता है वह उस अवधि के कारावास के लिए जो दस वर्षों से कम न होगी किंतु जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकेगा तथा उस जुर्माने से, जो एक लाख रुपये से कम न होगा किंतु जिसे दस लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकेगा, दंडनीय होगा।" 
6. बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम,2016 की धारा-34 का प्रतिस्थापन। बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-34 को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा : 
"34 शराब के साथ हानिपूर्ण पदार्थ मिलावट करने के लिए शास्ति।- जो कोई भी, (क) अपने द्वारा विनिर्मित अथवा कब्जे वाली या विक्रय की जाने वाली किसी शराब के साथ किसी हानिपूर्ण ड्रग अथवा जहरीले अवयवों को मिलाता है अथवा मिलाने की अनुज्ञा देता; अथवा 
     (ख) ठोस, अर्ध ठोस, द्रव, अर्ध द्रव अथवा गैसीय या तो स्थानीय रूप से अथवा अन्यथा बनी हुई कोई निर्मिति बनाता या बिक्रय करता है या अपने कब्जे में रखता है जिसे अल्कोहल के रूप में अथवा अल्कोहल के प्रतिस्थानी के रूप में सेवन किया जा सके और मादकता प्राप्त करने के प्रयोजनार्थ उपयोग या उपभोग की जाती हो जो मानव को निःषक्तता या घोर गंभीर उपहति अथवा मृत्यु कारित करने जैसी हो, वह निम्नलिखित से दंडनीय होगा  
           (i) ऐसे कार्य के परिणामस्वरूप यदि मृत्यु होती है तो मृत्यु अथवा आजीवन कारावास की सजा तथा उस जुर्माने का दायी भी होगा जो पाँच लाख रुपये से कम नहीं होगा किंतु जिसे दस लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकेगा। 
          (ii) ऐसे कार्य के परिणामस्वरूप यदि किसी व्यक्ति को निःशक्तता अथवा घोर उपहति होती है तो उस अवधि के लिए कठोर कारावास जो दस वर्षों से कम नहीं होगी किंतु जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकेगा तथा उस जुर्माने से जो दो लाख रुपये से कम नहीं होगा किंतु जिसे दस लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकेगा; 
         (iii) ऐसे कार्य के परिणामस्वरूप यदि कोई अन्य परिणामिक चोट किसी व्यक्ति को कारित होती है तो उस अवधि के लिए कारावास, जो आठ वर्षों से कम नहीं होगी किंतु जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकेगा तथा उस जुर्माने से जो एक लाख रुपये से कम नहीं होगा किंतु जिसे दस लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकेगा; 
         (iv) ऐसे कार्य के परिणाम स्वरूप यदि कोई चोट कारित नहीं होती है तो उस कारावास से जो आठ वर्षों से कम नहीं होगी किंतु जिसे दस वर्षों तक बढ़ाया जा सकेगा तथा उस जुर्माने से जो एक लाख रुपये से कम नहीं होगा किंतु जिसे पाँच लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकेगा, 
स्पष्टीकरण।- इस धारा के प्रयोजनार्थ अभिव्यक्ति "घोर उपहति" से वही अभिप्रेत होगा जो भारतीय दंड संहिता, 1860 (1860 का XLV) की धारा-320 में हो। 

 

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